25 जुलाई, 2025
उद्देश्य:
निसार अपनी तरह का पहला मिशन है, जिसे इसरो और नासा ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह एक एल और एस-बैंड, वैश्विक, सूक्ष्मतरंगी प्रतिबिंब मिशन है, जिसमें पूर्ण रूप से ध्रुवणमापीय और व्यतिकरणमितिय डेटा प्राप्त करने की क्षमता है।
More Details
निसार का अद्वितीय दोहरे बैंड वाला सिंथेटिक अपर्चर रडार उन्नत, नवीन स्वीपएसएआर तकनीक का उपयोग करता है, जो उच्च विभेदन और व्यापक प्रमार्ज वाली तस्वीरें प्रदान करता है। निसार हर 12 दिनों में द्वीपों, समुद्री बर्फ और चुनिंदा महासागरों सहित वैश्विक भूमि और बर्फ से ढकी सतहों की तस्वीरें लेगा।
निसार मिशन का प्राथमिक उद्देश्य अमेरिकी और भारतीय विज्ञान समुदायों के साझा हित के क्षेत्रों में भूमि और बर्फ विरूपण, भूमि परितंत्र और महासागरीय क्षेत्रों का अध्ययन करना है।
निसार मिशन निम्नलिखित में मदद करेगा:
अंतरिक्ष यान का विन्यास
यह अंतरिक्ष यान इसरो की आई-3के संरचना के आसपास बनाया गया है। इसमें दो प्रमुख नीतभार, अर्थात् एल और एस-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) हैं। एस-बैंड रडार प्रणाली, डेटा प्रहस्तन और उच्च गति डाउनलिंक प्रणाली, अंतरिक्ष यान और प्रमोचन प्रणाली इसरो द्वारा विकसित की गई हैं। एल-बैंड रडार प्रणाली, उच्च गति डाउनलिंक प्रणाली, ठोस अवस्था रिकॉर्डर, जीपीएस रिसीवर, 12 मीटर रिफ्लेक्टर का उत्तोलन 9 मीटर बूम नासा द्वारा प्रदान किए गए हैं। इसके अलावा, इसरो उपग्रह की कमांडिंग और संचालन का ध्यान रखेगा, नासा कक्षा संचालन योजना और रडार संचालन योजना प्रदान करेगा। प्राप्त छवियों को डाउनलोड करने के लिए निसार मिशन को इसरो और नासा दोनों के भू सहायता केंद्र से सहयोग मिलेगा, जिन्हें आवश्यक संसाधन के बाद उपयोगकर्ता समुदाय तक पहुँचाया जाएगा।
एक ही मंच से एस-बैंड और एल-बैंड एसएआर के माध्यम से प्राप्त डेटा से वैज्ञानिकों को पृथ्वी ग्रह पर हो रहे परिवर्तनों को समझने में मदद मिलेगी।
प्रमुख मिशन विन्यास और संयुक्त कार्य साझा जिम्मेदारियों का विवरण नीचे दिया गया है:
नासा और इसरो का कार्यक्षेत्र नीचे दर्शाया गया है
निसार का कार्यान्वयन
जटिल नीतभार और मेनफ्रेम प्रणालियों को 8 से 10 वर्षों की अवधि में डिजाइन, विकसित, अर्हता प्रदान किया गया और क्रियान्वित किया गया है।
एस-बैंड एसएआर और एल-बैंड एसएआर को क्रमशः इसरो और जेपीएल/नासा में स्वतंत्र रूप से विकसित, एकीकृत और जांचा गया।
एस-बैंड और एल-बैंड एसएआर तथा अन्य नीतभार तत्वों से युक्त एकीकृत रडार उपकरण संरचना (आईआरआईएस) का जेपीएल/नासा में एकीकृत परीक्षण किया गया तथा इसरो को सौंप दिया गया।
मेनफ्रेम उपग्रह तत्वों और नीतभार को यूआरएससी/इसरो में संयोजित, एकीकृत और जांचा गया।
निसार मिशन के चरण:
निसार मिशन के चरणों को मोटे तौर पर निम्नलिखित में वर्गीकृत किया जा सकता है: प्रमोचन चरण, तैनाती चरण, कमीशनिंग चरण और विज्ञान चरण।
प्रमोचन चरण:
निसार को 30 जुलाई, 2025 को इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से जीएसएलवी-एफ16 प्रमोचन यान के जरिए प्रमोचित किया जाएगा, जिसे श्रीहरिकोटा उच्च तुंगता रेंज (एसएचएआर) भी कहा जाता है। यह भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिण-पूर्वी तट पर श्रीहरिकोटा में स्थित है।
तैनाती चरण:
निसार में 12 मीटर व्यास का एक बड़ा परावर्तक लगा है, जिसे जेपीएल/नासा द्वारा डिजाइन और विकसित एक जटिल बहुस्तरीय तैनाती योग्य बूम द्वारा उपग्रह से 9 मीटर दूर कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
कमिशनिंग चरण:
प्रमोचन के बाद पहले 90 दिन कमीशनिंग या कक्षीय परीक्षण (आईओसी) के लिए समर्पित होंगे, जिसका उद्देश्य वेधशाला को वैज्ञानिक कार्यों के लिए तैयार करना है। कमीशनिंग को मुख्य फ्रेम तत्वों की प्रारंभिक जाँच और अंशांकन के उप-चरणों में विभाजित किया गया है, जिसके बाद जेपीएल इंजीनियरिंग नीतभार और उपकरण परीक्षण होगा।
विज्ञान प्रचालन चरण:
विज्ञान प्रचालन चरण कमीशनिंग के अंत में शुरू होता है और मिशन के जीवनकाल की समाप्ति तक चलता है। इस चरण के दौरान, वैज्ञानिक प्रेक्षणों के साथ टकराव से बचने या उसे कम करने के लिए नियमित संचालनों के माध्यम से वैज्ञानिक कक्षा को बनाए रखा जाएगा। व्यापक अंशांकन और अभिप्रमाणन (कैलवैल) गतिविधियाँ होंगी। एल और एस-बैंड दोनों उपकरणों के लिए प्रेक्षण योजना, इंजीनियरिंग गतिविधियों (जैसे, संचालन, प्राचल अद्यतन, आदि) के साथ, जेपीएल और इसरो के बीच लगातार समन्वय के माध्यम से प्रमोचन से पहले तैयार की जाएगी।