भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रमोचन रॉकेट मार्क II होम
जी.एस.एल.वी. के प्राथमिक नीतभार संचार उपग्रहों के इन्सैट वर्ग हैं जो भूस्थैतिक कक्षाओं से प्रचालित होते हैं और इसलिए जी.एस.एल.वी. द्वारा भूतुल्यकाली स्थानांतरण कक्षाओं में रखे जाते हैं।
इसके अलावा, जी.एस.एल.वी. की पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 6 टन तक रखने की क्षमता भारी उपग्रहों से लेकर कई छोटे उपग्रहों तक नीतभार के दायरे को व्यापक बनाती है।
क्रायोजेनिक ऊपरी चरण परियोजना (सी.यू.एस.पी.) के तहत विकसित, सी.ई.-7.5 भारत का पहला क्रायोजेनिक इंजन है, जिसे द्रव नोदन प्रणाली केंद्रद्वारा विकसित किया गया है। सी.ई.-7.5 में चरणबद्ध दहन परिचालन चक्र है।
जी.एस.एल.वी. के दूसरे चरण में एक विकास इंजन का उपयोग किया जाता है। चरण पीएस2 या पी.एस.एल.वी. से लिया गया था जहाँ विकास इंजन ने अपनी विश्वसनीयता साबित की है
जी.एस.एल.वी. का पहला चरण भी पी.एस.एल.वी. के पीएस1 से लिया गया था। 138 टन ठोस रॉकेट मोटर 4 द्रव स्ट्रैप- ऑन द्वारा संवर्धित है।
भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रमोचन रॉकेट मार्क II(जी.एस.एल.वी. एमके II) क्रायोजेनिक तीसरे चरण का उपयोग करके जियो ट्रांसफर ऑर्बिट में संचार उपग्रहों को प्रमोचन करने के लिए भारत द्वारा विकसित प्रमोचन रॉकेट है। प्रारंभ में रूसी जीके आपूर्ति क्रायोजेनिक चरणों का उपयोग किया गया था। बाद में क्रायोजेनिक चरण को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया और जनवरी 2014 में जी.एस.एल.वी. डी5 के बाद से शामिल किया गया। यह क्रियाशील चौथी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान तीन चरणों वाला यान है जिसमें चार द्रव स्ट्रैप- ऑन हैं। उड़ान स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक ऊपरी चरण (सी.यू.एस.), जी.एस.एल.वी. एमकेII का तीसरा चरण प्रमाणित किया गया है। जनवरी 2014 से इस यान ने लगातार छह सफलताएं हासिल की हैं
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