भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रमोचन रॉकेट मार्क II
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PSLV Launcher
Payload Fairing> There are two variant of payload fairing for GSLV vehicle:
1. Diameter of 3.4 m metallic PLF &
2. Diameter of 4 m ogive PLF.
The payload fairing of GSLV is wider than the rest of the launcher. The fairing provides aerodynamic efficiency and shields the payload from mechanical damage during the atmospheric phase of flight.
CUS(Third Stage) The cryogenic upper stage of GSLV imparts a high velocity to the payload and detaches at the periapsis. This high velocity is characteristic of the Geosynchronous Transfer Orbit. Once the spacecraft reaches the apoapsis of this high eccentricity orbit, it performs a burn using its Spacecraft propulsion to circularise its orbit.
GS2(Second Stage) The high thrust hypergolic liquid propellant Vikas engine's newer improved version with a higher chamber pressure is used here. It is activated 150 seconds into flight.
S139 (First Stage): The first stage of GSLV is ignited at Lift off(To) after the ignition of the four strap-ons occurring at (To-4.8 sec), ensuring their full functionality. This is required in order to extract maximum thrust out of the initial stages. The solid core of the first stage burns for 100 seconds while the strap-ons continue to provide thrust for another 40 seconds
L40 (Strap-on Boosters The GSLV uses 4 liquid strap-on motors. The strap-ons are powered by one Vikas engine each and along with the solid rocket motor core of the first stage, provide an enormous thrust to the launcher.

यान निर्दिष्टीकरण

ऊंचाई : 51.73 मी (ओगिव पी.एल.एफ. के साथ)
चरणों की संख्या : 3
द्रव्यमान उत्थापन : 4420 टन
पहली उड़ान : अप्रैल 18, 2001
पहली उड़ान (स्वदेशी क्रायो चरण के साथ) : जनवरी 5, 2014

तकनीकी विनिर्देश

जी.टी.ओ. के लिए नीतभार: 2,250 किग्रा

जी.एस.एल.वी. के प्राथमिक नीतभार संचार उपग्रहों के इन्सैट वर्ग हैं जो भूस्थैतिक कक्षाओं से प्रचालित होते हैं और इसलिए जी.एस.एल.वी. द्वारा भूतुल्यकाली स्थानांतरण कक्षाओं में रखे जाते हैं।

निम्न भू कक्षा का नीतभार: 6,000 किग्रा

इसके अलावा, जी.एस.एल.वी. की पृथ्वी की निचली कक्षाओं में 6 टन तक रखने की क्षमता भारी उपग्रहों से लेकर कई छोटे उपग्रहों तक नीतभार के दायरे को व्यापक बनाती है।

तीसरा चरण: सी.यू.एस.

क्रायोजेनिक ऊपरी चरण परियोजना (सी.यू.एस.पी.) के तहत विकसित, सी.ई.-7.5 भारत का पहला क्रायोजेनिक इंजन है, जिसे द्रव नोदन प्रणाली केंद्रद्वारा विकसित किया गया है। सी.ई.-7.5 में चरणबद्ध दहन परिचालन चक्र है।

ईंधन : लोक्स + एलएच2
नामीय प्रणोद (अधिकतम) : 75 केएन
ज्वलन समय : 814 सेकंड

दूसरा चरण: जीएस2

जी.एस.एल.वी. के दूसरे चरण में एक विकास इंजन का उपयोग किया जाता है। चरण पीएस2 या पी.एस.एल.वी. से लिया गया था जहाँ विकास इंजन ने अपनी विश्वसनीयता साबित की है

इंजन : विकास
ईंधन : यू.एच.25 + एन2O4
नामीय प्रणोद (अधिकतम) : 846 केएन
ज्वलन समय : 150 सेकंड

पहला चरण: जीएस1

जी.एस.एल.वी. का पहला चरण भी पी.एस.एल.वी. के पीएस1 से लिया गया था। 138 टन ठोस रॉकेट मोटर 4 द्रव स्ट्रैप- ऑन द्वारा संवर्धित है।

इंजन : एस139
ईंधन : एचटीपीबी
अधिकतम प्रणोद : 4800 केएन
ज्वलन समय : 100 सेकंड

प्रक्षेपण यान के बारे में

भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रमोचन रॉकेट मार्क II(जी.एस.एल.वी. एमके II) क्रायोजेनिक तीसरे चरण का उपयोग करके जियो ट्रांसफर ऑर्बिट में संचार उपग्रहों को प्रमोचन करने के लिए भारत द्वारा विकसित प्रमोचन रॉकेट है। प्रारंभ में रूसी जीके आपूर्ति क्रायोजेनिक चरणों का उपयोग किया गया था। बाद में क्रायोजेनिक चरण को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया और जनवरी 2014 में जी.एस.एल.वी. डी5 के बाद से शामिल किया गया। यह क्रियाशील चौथी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान तीन चरणों वाला यान है जिसमें चार द्रव स्ट्रैप- ऑन हैं। उड़ान स्वदेशी रूप से विकसित क्रायोजेनिक ऊपरी चरण (सी.यू.एस.), जी.एस.एल.वी. एमकेII का तीसरा चरण प्रमाणित किया गया है। जनवरी 2014 से इस यान ने लगातार छह सफलताएं हासिल की हैं

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