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प्रमोचक रॉकेट ने उपग्रह को वांछित भूतुल्यकाली अंतरण कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया।

8 फरवरी, 2024

जीएसएलवी-एफ14/इन्सैट-3डीएस मिशन का प्रमोचन शनिवार, 17 फरवरी, 2024 को 17:30 बजे आई.एस.टी. एस.डी.एस.सी-शार, श्रीहरिकोटा से किया जाएगा। अपने 16वें मिशन में, जीएसएलवी का उद्देश्य इन्सैट-3डीएस मौसम विज्ञान उपग्रह को भूतुल्यकालिक अंतरण कक्षा (जीटीओ) में तैनात करना है। इसके बाद की कक्षाएं बढ़ाने वाले युक्तिचालन यह सुनिश्चित करेंगे कि उपग्रह भू-स्थिर कक्षा में स्थित हो गया है।

जीएसएलवी-एफ14

भूतुल्‍यकाली उपग्रह प्रमोचक राकेट (जीएसएलवी) तीन चरणीय 51.7 मीटर लंबा प्रमोचक राकेट है जिसमें 420 टन का उत्‍थापन भार है। पहले चरण (जीएस1) में एक ठोस प्रणोदक (एस139) मोटर शामिल है, जिसमें 139-टन प्रणोदक और चार भू-भंडारण प्रणोदक चरण (एल40) स्ट्रैपऑन होते हैं जो प्रत्येक में 40 टन तरल प्रणोदक ले जाते हैं। दूसरा चरण (जीएस2) भी 40-टन प्रणोदक के साथ लोड किया गया एक भू भंडारण प्रणोदक चरण है। तीसरा चरण (जीएस3) एक क्रायोजेनिक चरण है जिसमें तरल ऑक्सीजन (एलओएक्स) और तरल हाइड्रोजन (एलएच2) की 15 टन प्रणोदक लोडिंग है। वायुमंडलीय व्यवस्था के दौरान, उपग्रह को ऑगो नीतभार आवरण द्वारा संरक्षित किया जाता है। जीएसएलवी का उपयोग संचार, नौवहन, भू संसाधन सर्वेक्षण और किसी अन्य स्वामित्व मिशन को करने में सक्षम विभिन्न प्रकार के अंतरिक्षयान को प्रमोचित करने के लिए किया जा सकता है।

इन्सैट-3डीएस

इन्सैट-3डीएस उपग्रह भूस्थिर कक्षा से तीसरी पीढ़ी के मौसम विज्ञान उपग्रह का एक अनुवर्ती मिशन है। जीएसएलवी-एफ14/इन्सैट-3डीएस मिशन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित है। इसे मौसम पूर्वानुमान और आपदा चेतावनी के लिए भूमि और समुद्री सतहों के संवर्धित मौसम विज्ञान प्रेक्षणों और निगरानी के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उपग्रह वर्तमान में प्रचालनरत इन्‍सैट-3डी और इन्‍सैट-3डीआर उपग्रहों के साथ मौसम विज्ञान सेवाओं में वृद्धि करेगा। भारतीय उद्योगों ने उपग्रह के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय के विभिन्‍न विभाग जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), राष्‍ट्रीय मध्‍यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्‍ल्‍यूएफ), भारतीय उष्‍णदेशीय मौसम विज्ञान संस्‍थान (आईआईटीएम), राष्‍ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्‍थान (एनआईओटी), भारतीय राष्‍ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) और विभिन्‍न अन्‍य एजेंसियां और संस्‍थान बेहतर मौसम पूर्वानुमान और मौसम विज्ञान सेवाएं प्रदान करने के लिए इन्‍सैट-3डीएस उपग्रह डेटा का उपयोग करेंगे।

मिशन के प्राथमिक उद्देश्य हैं:

  • पृथ्वी की सतह की निगरानी करना, मौसम विज्ञान के महत्व के विभिन्न वर्णक्रमीय चैनलों में समुद्र और इसके पर्यावरण का प्रेक्षण करना।
  • वायुमंडल के विभिन्न मौसम संबंधी मापदंडों की ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल प्रदान करना।
  • डेटा संग्रह प्लेटफार्मों (डीसीपीएस) से डेटा संग्रह और डेटा प्रसार क्षमताओं को प्रदान करना।
  • उपग्रह सहायता प्राप्त खोज और बचाव सेवाएं प्रदान करना।

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उपग्रह की मुख्य विशेषताएं

मिशन मौसम विज्ञान सेवाएं
डेटा प्रसारण और उपग्रह सहायता प्राप्त खोज और बचाव सेवाएं
नीतभार 6 चैनल प्रतिबिंबित्र
19 चैनल ध्वनित्र
डेटा प्रसारण प्रेषानुकर (डीआरटी)
उपग्रह साधित खोज एवं बचाव प्रेषानुकर (एसएएस एंड आर)
कक्षित्र भूस्थिर कक्षा
संरचनाएं आई-2के प्लेटफार्म
तापीय 6 चैनल प्रतिबिंबित्र
निष्क्रिय और सक्रिय ताप नियंत्रण प्रणाली
निष्क्रिय कूलर पर तापीय भार को कम करने के लिए द्वि-वार्षिक यॉ फ्लिप
बिजली उत्पादन 42 V सनलिट विनियमित एकल बस
विद्युत उत्पादन 1505W (इक्वीनोक्स)
ग्रहण समर्थन के लिए आई-2के सोलर पैनल और लीथियम-आयन 100एएच बैटरी
प्रमोचन रॉकेट 4 मीटर व्यास के साथ वाला जीएसएलवी रॉकेट। ओगिव नीतभार आवरण
मानक 937 मिमी व्यास. अंतरापृष्ठ
GSLV-F14/INSAT-3DS MISSION
GSLV-F14/INSAT-3DS MISSION

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