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Long Term Sustainability (LTS)
अंतरिक्ष राष्ट्री य सीमाओं में सीमित नहीं है। विश्व की अन्यय एजेंसियों की तरह अंतरिक्ष विभाग अंतरराष्ट्री य मौजूदगी, सहयोग और समन्वलयन में शामिल है।
अंतरराष्ट्री य सहयोग अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए सामरिक क्षेत्र है क्योंकि अन्य देशों के साथ संबंध राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और मानव व्यक्तित्व कारकों के साथ-साथ वैज्ञानिक और तकनीकी कारकों से प्रभावित होते हैं। भारत ने हमेशा यह स्वीकार किया है कि अंतरिक्ष राष्ट्रीय आयाम से परे है, जिसे केवल अंतरराष्ट्री य भागीदारों के साथ ही संबोधित किया जा सकता है। इन वर्षों में, इसरो अनुभवी और तकनीकी क्षमताओं में परिपक्व हो गया है, जिससे सहयोग के अवसर बहुमुखी हो गए हैं। जबकि पृथ्वी के बाहर खोजी मिशन ऐसे सहकारी प्रयासों के लिए प्राकृतिक सरोकार हैं, ऐसे कई अन्य विषय जैसे पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन, जो कि वैश्विक प्रभाव के कारण अंतरराष्ट्री य सहयोग के हित में हैं।
इसरो को स्थापना के बाद से अंतरराष्ट्री य सहयोग का भाग रहा है। थुम्बा भूमध्यरेखीय उपग्रह प्रमोचन केंद्र (टर्ल्स) की स्थापना, उपग्रह निर्देशात्मक टेलीविजन प्रयोग (साईट) और उपग्रह संचार प्रयोग परियोजना (स्टेप) की स्थापना, आर्यभट्ट, भास्कर, एरियन पैसेंजर पेलोड प्रयोग (एप्पल), आई.आर.एस.-।ए, आई.आर.एस.-।बी. उपग्रहों का प्रमोचन, उपग्रहों की इन्सैट श्रृंखला, चंद्रमा के लिए मिशन, मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की पहल, आदि, अंतरराष्ट्री य सहयोग के घटक हैं।
इसरो, देश के बीच मौजूदा संबंधों को बनाने और मजबूत करने के उद्देश्य से अंतरिक्ष एजेंसियों और अंतरिक्ष संबंधित निकायों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ा रहा है; नई वैज्ञानिक और तकनीकी चुनौतियों का सामना करना; शांतिपूर्ण प्रयोजनों के लिए बाह्य अंतरिक्ष का उपयोग और उपयोग के लिए अंतरिक्ष नीतियों को परिष्कृत करना तथा अंतरराष्ट्री य कार्यढ़ांचे को परिभाषित करना। अंतरराष्ट्री य स्तर पर भारत को अंतरिक्ष प्रवीण राष्ट्रों द्वारा उभरती हुई अंतरिक्ष शक्ति के रूप में देखा जाता है, जो अपने लक्ष्य को अधिक लागत प्रभावी और समय-बद्ध तरीके से प्राप्त करने में सक्षम है। विशेष रूप से विकासशील देश अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लाभों को प्राप्त करने के लिए अपनी क्षमताओं को बनाने में भारत की सहायता की अपेक्षा करते हैं। अंतरराष्ट्री य सहयोग का दायरा व्यापक और विविध हो गया है, जैसा कि हाल ही के समय में इसरो ने काफी प्रगति की है।
अफगानिस्ता न, अल्जीररिया, अर्जेंटीना, अर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बांग्लातदेश, भूटान, बोलिविया, ब्राजील, ब्रुनेई दारुसलाम, बुल्गारिया, कनाडा, चिली, चीन, मिस्र, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, हंगरी, इंडोनेशिया, इज़राइल, इटली, जापान, कजाकिस्तान, कुवैत, मालद्वीव, मॉरीशस, मैक्सिको, मंगोलिया, मोरोक्कोय, मयांमार, नेपाल, नाइजीरिया, नार्वे, पेरू, पुर्तगाल, कोरिया गणराज्यक, रूस, सावो-टोम एवं प्रिं्सिपि, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पे,न, ओमान सल्तानत, श्रीलंका, स्वीडन, सीरिया, तजाकिस्ताान, थाईलैंड, नीदरलैंड, ट्यूनीशिया, यूक्रेून, संयुक्तव अरब अमीरात, संयुक्तो राज्या, संयुक्त राज्यस अमरीका, उज्बेटकिस्ता्न, वेनेजुएला और वियतनाम के साथ या तो करार या समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) या कार्यढ़ांचा करार के रूप में औपचारिक सहयोग व्यनवस्था ओं पर हस्ता क्षर किया गया है। साथ ही, यूरोपियन मध्यीम रेंज मौसम पूर्वानुमान केंद्र (ई.सी.एम.डब्यूसल् .एफ.), यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी (ई.एस.ए.) और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (एस.ए.ए.आर.सी.) जैसी अंतरराष्री य बहुपक्षीय निकायों के साथ भी औपचारिक सहयोगपूर्ण समाधानों पर हस्ताघक्षर किया गया है।
अंतरराष्ट्री य सहयोग से मिली कुछ उपलब्धियों की प्रमुख बातें
चंद्रयान-1
चंद्रमा के लिए इसरो का पहला चंद्र मिशन, चंद्रयान-।, अंतरराष्ट्री य नीतभारों के साथ अंतरराष्ट्री य सहयोग का आदर्श उदाहरण रहा है। इसने अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्री य ख्याति अर्जित की हैं और चंद्रमा की सतह पर इसरो-नासा ने पानी के अणुओं की संयुक्त खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, पिछले मिशनों में इस तरह से किसी के द्वारा नहीं पाया गया है।
मेगा-ट्रॉपिक्स
मेगा-ट्रॉपीक्स नामक भारत और फ्रांस के संयुक्तध उपग्रह मिशन की मानसून और चक्रवात आदि जैसे पहलुओं से संबंधित उष्णहकटिबंधीय वायुमंडल और जलवायु का अध्यहयन करने के लिए वर्ष 2011 में शुरुआत की गयी। इस उपग्रह से प्राप्तय आंकड़े को अंतरराष्ट्री य वैज्ञानिक समुदाय को उपलब्धआ कराया गया है।
सरल
तुंगतामिति का उपयोग करते हुए अंतरिक्ष से सागर का अध्यकयन करने के लिए सरल (एल्टिका और अर्गोस के लिए उपग्रह) नामक फ्रांस के साथ एक अन्ये संयुक्त मिशन की 25 फरवरी 2013 को शुरुआत की गयी। सी.एन.ई.एस. ने अंतरराष्ट्रीमय एर्गोस आंकड़ा संग्रहण प्रणाली के लिए एल्टिका नामक एक रेडार तुंगतामापी उपकरण तथा एक ऑनबोर्ड प्रसारण उपकरण उपलब्धट कराया, जबकि इसरो ने इस संयुक्तत मिशन के लिए उपग्रह प्लेरटफार्म, प्रमोचन और प्रचालन उपलब्धं कराया। तुंगतामापी से प्राप्त आंकड़ा वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए उपलब्धब है।
चालू एवं भावी क्रियाकलाप
भू-विज्ञान अध्यगयनों के लिए इसरो और नासा निसार (नासा इसरो संश्लेाषी द्वारक रेडार) नामक एक संयुक्त उपग्रह मिशन साकार कर रहे हैं। भारत-फ्रांस सहयोग के भाग के तौर पर इसरो और सी.एन.ई.एस. ने त्रिश्नां नामक तापीय अवरक्तइ प्रतिबिंबक के साथ एक भू-प्रेक्षण उपग्रह मिशन साकार करने के लिए संभाव्यमता अध्य.यन पूरा कर लिया है। चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र का अन्वेषण करने के लिए एक संयुक्तल उपग्रह मिशन साकार करने हेतु इसरो और जाक्सा वैज्ञानिक संभाव्यतता अध्ययन कर रहे है।
इसरो के बहुमूल्यि गगनयान कार्यक्रम के भाग के तौर पर समानव अंतरिक्ष उड़ान में विशेषज्ञता वाले देशों और अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग अवसरों की तलाश की जा रही है। इन सहयोग क्रियाकलापों के मुख्यं केंद्र अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण,जीवन सहायता प्रणाली, विकिरण कवच समाधान इत्याादि है।
उन्नाति
इसरो ने युनिस्पे स+50 (बाह्य अंतरिक्ष के अन्वेतषण और शांतिपूर्ण उपयोगों पर प्रथम संयुक्तच राष्ट्री सम्मेलन को 50वीं वर्षगांठ) की एक पहल के रूप में, उन्न्ति (इसरो द्वारा यूनिस्पे स नैनो उपग्रह समेकन एवं प्रशिक्षण) नामक नैनो उपग्रह विकास पर 8 सप्तारह के एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम की घोषणा की। इस कार्यक्रम को बेंगलूरु में इसरो के यू.आर. राव उपग्रह केंद्र (यू.आर.एस.सी.) में तीन वर्षों के लिए संचलित किया जाएगा। पहले बैच में 15 जनवरी से 15 मार्च 2019 के दौरान 17 देशों के 30 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया गया। दूसरा बैच 15 अक्तूाबर से 15 दिसंबर 2019 के दौरान संचालित किया गया जिसमें 16 देशों के 30 प्रतिभागी शामिल हैं।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय निकायों की भागीदारी
बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र समिति (संयुक्त राष्ट्र-सी.ओ.पी.यू.ओ.एस.) की वैज्ञानिक और तकनीकी और कानूनी उप-समितियों पर विचार-विमर्श में भारत सक्रिय भूमिका निभा रहा है। भारत एशिया और प्रशांत हेतु संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यू.एन.-एस्कैप) सहित, अंतरराष्ट्री य अंतरिक्षयानिकी परिसंघ (आई.ए.एफ.), अंतरराष्ट्री य अंतरिक्षयानिकी अकादमी (आई.ए.ए.), अंतरराष्ट्री य अंतरिक्ष कानून संस्थान (आई.आई.एस.एल.), भू-प्रेक्षण उपग्रह समिति (सी.ई.ओ.एस.), अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (कॉस्पाआर), अंतर एजेंसी मलबा समन्वय समिति (आई.ए.डी.सी.), अंतरिक्ष फ्रिक्वेंसी सहयोगी समूह (एस.एफ.सी.जी.), मौसमविज्ञान उपग्रह समन्वय समूह (सी.जीएम.एस.), अंतरराष्ट्री य अंतरिक्ष अन्वेषण सहयोग समूह (आई.एस.ई.सी.जी.), अंतरराष्ट्री य अंतरिक्ष विश्वविद्यालय (आई.एस.यू.), एशियाई सुदूर संवेदन संस्थान (ए.ए.आर.एस.), अंतरराष्ट्री य फोटोग्रामिति एवं सुदूर संवेदन सोसायटी (आई.एस.पी.आर.एस.) इत्यादि सहित अन्य) बहुपक्षीय मंचों में भी भारत प्रमुख भूमिका निभाता है।
अंतराष्ट्रीय रूप से, इसरो ने विभिन्न बहु-एजेंसी निकायों जैसे अंतरिक्ष के लिए अंतरराष्ट्री य चार्टर और प्रमुख आपदाएं, सेंटीनल एशिया और यू.एन.एस.पी.आई.डी.ई.आर. जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन के लिए अपनी विशेषज्ञता और उपग्रह आंकड़ा को साझा करने में सक्रिय भूमिका निभाई है।
एशिया और प्रशांत के लिए अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा केंद्र (सी.एस.एस.टी.ई.-ए.पी.) भारत में बाह्य अंतरिक्ष मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यू.एन.ओ.ओ.एस.ए.) की पहल के तहत स्थापित किया है और सुदूर संवेदन पर नौ महीनें और भू सूचना प्रणाली (हर साल), उपग्रह संचार (हर एकांतर वर्ष), उपग्रह मौसम विज्ञान और वैश्विक जलवायु (हर वैकल्पिक वर्ष) और अंतरिक्ष और वायुमंडलीय विज्ञान (हर वैकल्पिक वर्ष) पर स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम आयोजित करता है। पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद, छात्रों को एक साल के लिए अपने ही देश में अनुसंधान करने का मौका रहता है, जो अंततः आंध्र विश्वविद्यालय से स्नाकतकोत्तलर उपाधि प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
भारतीय सुदूर संवेदन संस्थाbन आई.आई.आर.एस. कुछ पाठ्यक्रम चलाता है, जो अंतरराष्ट्री य रूप से संबद्ध हैं
https://www.iirs.gov.in/internationalcollaborations
संयुक्तप राष्ट्रे महासभा संकल्पo (11 दिसंबर 1990 का 45/72) की प्रतिक्रिया में यूनिस्पेतस-82 की अनुसंशाओं को पृष्ठांोकित करते हुए संयुक्तं राष्ट्र4 बाह्य अंतरिक्ष कार्य कार्यालय (यू.एन.ओ.ओ.एस.ए.) ने विकासशील देशों में अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा केंद्रों को स्थाएपित करने की परिकल्पलना करते हुए एक परियोजना दस्ताीवेज (ए./ए.सी.105/534) तैयार किया। 1994 में संयुक्तक राष्ट्रक की टीम ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 6 देशों में एक मूल्यांपकन मिशन का संचालन किया। मूल्यांाकन मिशन की रिपोर्ट के
https://www.cssteap.org/