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जीएसएलवी-एफ15/एनवीएस-02 मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। अंतरिक्ष नौवहन में भारत नई ऊंचाइयों पर पहुंचा!

24 जनवरी, 2025

जीएसएलवी-एफ15 भारत के भूतुल्यकालिक उपग्रह प्रमोचन यान (जीएसएलवी) की 17वीं उड़ान है और स्वदेशी क्रायो चरण के साथ 11वीं उड़ान है। यह स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ जीएसएलवी की 8वीं प्रचालनात्मक उड़ान है और भारत के अंतरिक्ष द्वार श्रीहरिकोटा से 100वां प्रमोचन है। जीएसएलवी-एफ15 पेलोड फेयरिंग 3.4 मीटर व्यास वाला एक धात्विक संस्करण है।

श्रीहरिकोटा से 100वाँ प्रमोचन

इसरो श्रीहरिकोटा से अपने ऐतिहासिक 100वें प्रमोचन की तैयारी कर रहा है। जीएसएलवी-एफ15 नौवहन उपग्रह एनवीएस-02 को लेकर 29 जनवरी, 2025 को 06:23 बजे द्वितीय प्रमोचन पैड से उड़ान भरेगा। श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने वाला यह 100वां प्रमोचन होगा। पिछ्ले 99 प्रमोचनों में, श्रीहरिकोटा से विभिन्न मिशनों को पूरा किया गया है।
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स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ जीएसएलवी-एफ15 एनवीएस-02 उपग्रह को भूतुल्यकाली अंतरण कक्षा में स्थापित करेगा और यह प्रमोचन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, शार स्थित द्वितीय प्रमोचन पैड (एसएलपी) से होगा।

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भारतीय नौवहन उपग्रह समूह (नाविक) भारत की स्वतंत्र क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली है जिसे भारत के उपयोगकर्ताओं के साथ-साथ भारतीय भूखंड से लगभग 1500 कि.मी. दूर तक फैले क्षेत्र में सटीक स्थिति, वेग और समय (पीवीटी) संबंधी सेवा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

नाविक दो प्रकार की सेवाएँ प्रदान करेगा, नामत: - मानक स्थिति निर्धारण सेवा (एसपीएस) और प्रतिबंधित सेवा (आरएस)। नाविक की एसपीएस सेवा अपने सेवा क्षेत्र में 20 मीटर (2σ) से बेहतर स्थिति सटीकता और 40नैनोसेकन्ड (2σ) से बेहतर समय की सटीकता प्रदान करता है।

एनवीएस-02: भारत की क्षेत्रीय नौवहन क्षमताओं को आगे बढ़ाने के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें


जीएसएलवी-एफ15/एनवीएस-02 मिशन के बारे में अद्यतन जानकारी (दिनांक 02/02/2025)

इसरो ने 29 जनवरी, 2025 को जीएसएलवी के 17वें प्रमोचन के साथ श्रीहरिकोटा स्थित अपने अंतरिक्ष द्वार से प्रमोचनों का एक शतक सफलतापूर्वक पूरा किया। इस मिशन में एनवीएस-02 नौवहन उपग्रह को इच्छित भूतुल्यकाली अंतरण कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था। सभी प्रमोचन यान चरणों ने त्रुटिहीन प्रदर्शन किया और कक्षा को उच्च स्तर की सटीकता के साथ हासिल किया गया।

प्रमोचन के बाद, उपग्रह पर सौर पैनल सफलतापूर्वक स्थापित किए गए और बिजली उत्पादन सामान्य था। भू केंद्र के साथ संचार स्थापित किया गया है। लेकिन उपग्रह को निर्दिष्ट कक्षीय स्लॉट में स्थापित करने की दिशा में कक्षा उत्थान का कार्य नहीं किया जा सका क्योंकि कक्षा उत्थान हेतु प्रणोदकों को फायर करने के लिए ऑक्सीडाइज़र को प्रवेश करने वाले वाल्व नहीं खुले।

उपग्रह प्रणालियाँ स्वस्थ हैं और उपग्रह वर्तमान में अण्डाकार कक्षा में है। अण्डाकार कक्षा में नौवहन हेतु उपग्रह का उपयोग करने के लिए वैकल्पिक मिशन रणनीतियों पर काम किया जा रहा है।

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