भारतीय ध्रुवीय परिक्रमण उपग्रह प्रमोचक रॉकेट मिशन के एकमात्र परिक्रमण प्रायोगिक मंच (प्लेटफार्म) (पी.एस.4) के ऑनबोर्ड आई.डी.ई.ए. नीतभार का उपयोग कर, आयनमंडल के शीर्ष भाग का रॉकेट प्रज्वलन प्रेरित मॉडुलनों के स्व-स्थाने प्रेक्षण
आयनमंडलीय पैमानों का मापन करने के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचक रॉकेट सी-38 मिशन के चौथे चरण (पी.एस.4-पी.एस.एल.वी.) का उपयोग परिक्रमण प्लेटफार्म के रूप में 23 जून 2017 को पहली बार किया गया। मापन दो चरणों में किये गये। i) प्रारंभिक प्रमोचन चरण के दौरान, जिसमें प्रमोचक रॉकेट प्रमोचक स्थल से 500 कि.मी. की ऊँचाई तक उड़ा। ii) 350 कि.मी. की ऊँचाई पर 10 परिक्रमणों के दौरान (पी.एस.4 चरण को नियंत्रित ढंग से नीचे लाने के बाद)।
अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एस.पी.एल.), वी.एस.एस.सी. ने स्वदेशी रूप से आयनीकरण घनत्व एवं वैद्युत-क्षेत्र विश्लेषक (आई.डी.ई.ए.) नीतभार विकसित किया, जिसे एफ. क्षेत्र तुंगताओं पर इलेक्ट्रॉन घनत्व (Ne) तथा वैद्युत क्षेत्र (ई.एफ.) सूचनाएँ प्रदान करते हुए, पी.एस.4 चरण के साथ-साथ ऑनबोर्ड ले जाया गया। पी.एस.एल.वी.-सी38 के प्रारंभिक चरण के दौरान आई.डी.ई.ए.-लैंगमुर परीक्षण से प्राप्त प्रथम प्रेक्षण परिणामों को जर्नल ऑफ ऐटमॉस्फेरिक एंड सोलर टेरेस्ट्रियल फिजिक्स (जे.ए.एस.टी.पी.) https://doi.org/10.1016/j.jastp.2020.105203 में प्रकाशित किया गया है।
इस आई.डी.ई.ए. उड़ान का उद्देश्य भूमध्यरेखीय आयनीकरण असंगति (ई.आई.ए.) का अध्ययन करना था, जो कि भूमध्यरेखीय तथा निम्न अक्षांश क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विशाल प्रक्रिया है। भूमध्यरेखीय आयनमंडल 60 से 1000 कि.मी. की तुंगता रेंज को कवर करता हुआ ±30◦ भूचुंबकीय अंक्षाओं के बीच का क्षेत्र है। ई.आई.ए. चुंबकीय भूमध्यरेखा के दोनों ओर दो चोटियों और दिन के समय चुंबकीय भूमध्यरेखा के ठीक ऊपर एक द्रोण (ट्रो) सहित, आयनमंडलीय एफ. क्षेत्र (180-1000 कि.मी.) आयनीकरण के असंगत अक्षांशीय वितरण को दर्शाता है। ई.आई.ए. क्षेत्र बृहद इलेक्ट्रॉन घनत्व प्रवणताओं से अभिलक्षणित है तथा इलेक्ट्रॉन घनत्व वितरण से संबंधित परिवर्तनशीलताओं को अभी भी पूरी तरह से न ही समझा गया है और ना ही मॉडल तैयार किया गया है।
इलेक्ट्रॉन घनत्व और वैद्युत क्षेत्र आयनमंडलीय एफ. क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण प्राचल हैं; आयनमंडलीय एफ. क्षेत्र भूमध्यरेखीय तथा निम्न अक्षांश आयनमंडल में सभी मुख्य भौतिकीय प्रक्रियाओं के मॉडुलेशन में प्रमुख भूमिका निभाता है। भू-आधारित रेडियो परिज्ञापन में इसकी प्रवेश असमर्थता के चलते, आयनमंडल के शीर्ष हिस्से का मापन तल के हिस्से की तुलना में अपर्याप्त है। पी.एस.एल.वी. के पी.एस.4 परिक्रमण प्लेटफार्म को ऑयनमंडलों के तल और शीर्ष दोनों भाग का परीक्षण करने तथा ई.आई.ए. पर व्यवस्थित मापन करने में बेहद उपयोगी देखा गया। आयनमंडल तथा तापमंडल के बीच मजबूत युग्मन के संबंध में, बहु आयनमंडल-तापमंडल प्राचलों का एक साथ मापन कर सकने वाले परीक्षण की उपलब्धता अत्यंत मूल्योपयोगी है। इलेक्ट्रॉन घनत्व और अक्रिय वायु तथा लैंगमूर परीक्षण (ई.एन.डब्ल्यू.आई.-एल.पी.) परीक्षण जनवरी 2010 के सूर्यग्रहण के दौरान अभियान के रूप में तथा बाद में एस.ओ.यू.आर.ई.एक्स. चरण 1 परीक्षण के एक भाग के रूप में त्रिवेंद्रम से परिज्ञापी रॉकेट के साथ ले जाए गए थे। वर्तमान पी.एस.4 मिशन के दौरान, (ई.एन.डब्ल्यू.आई._एल.पी.) परीक्षण को इलेक्ट्रॉन घनत्व तथा वैद्युत क्षेत्र विश्लेषक तरीके से आई.डी.ई.ए. परीक्षण के रूप में प्रचालित किया गया।
आई.डी.ई.ए. नीतभार ने अपने प्रारंभिक प्रमोचन चरण में आयनमंडल से होकर एक तुंगता-अक्षांश प्राप्त किया, जिसमें अक्षांशों के एक रेंज पर ऑयनमंडलों का तल तथा शीर्ष भाग शामिल था (चित्र 1 ख)। चित्र 1 (ग) अंतरराष्ट्रीय संदर्भ आयनमंडल (आई.आर.आई.) मॉडल तथा तापमंडल-आयनमंडल वैद्युतगतिकी सामान्य परिसंचरण मॉडल (टी.आई.ई.जी.सी.एम.) अनुरूपणों के साथ-साथ आई.डी.ई.ए.-एल.पी. (मोटा काला वक्र) से प्राप्त अंशाकित स्व-स्थाने इलेक्ट्रान घनत्व मानों को दर्शाता है। नोट किये जाने लायक रोचक पहलू यह है कि आई.डी.ई.ए. प्रेक्षण एक स्पष्ट दोहरे शिखर वाली संचरना दिखाते हैं, जबकि मॉडल अनुरूपण एकल शिखर की संरचना दिखाता है, जोकि आई.डी.ई.ए. नीतभार द्वारा लगभग 5 डिग्री पर देखे गए पहले शिखर से मिलता जुलता है। इससे यह संकेत मिलता है कि 23 जून 2017 को मौजूद पृष्ठभूमि दर्शाएं परीक्षणों (दूसरे शिखर) में देखे गए शीर्ष भाग विस्तार के प्रदर्शन के पक्ष में नहीं हैं। ऐसी स्थिति में, प्रथम चरण प्रज्वलन से अंतिम ग्राहक उपग्रह पृथक्करण (चित्र 2) तक रॉकेट प्रमोचन चरण के दौरान विभिन्न घटनाओं के संबंध में ऐसे शीर्ष भाग विस्तार उत्पन्न करने में रॉकेट प्रज्वलन या रेचन (निष्कासन) की भूमिका का अध्ययन किया जाता है। आई.डी.ई.ए. नीतभार को पी.एस.4 परिक्रमण प्लेटफार्म पर स्थापित किया गया था। अत: यह प्लेटफार्म के करीब होने वाली किसी घटना के प्रति संवेदनशील है। प्रचालनों के क्रम को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि पी.एस.4 प्रज्वलन 501 सेकेंड के करीब होता है। तथा यह गतिविधि लगभग 959 सेकेंड तक चौथे चरण के अलग होने तक चलती है। यह उल्लेखनीय है कि जैसे ही 501 सेकेंड के करीब पी.एस.4 प्रज्वलन शुरू हुआ, Ne में नाटकीय वृद्धि (द्वितीय शिखर) हुई थी तथा यह पृथक्करण चरण तक जारी रही। इस प्रकार, आई.डी.ई.ए. पी.एस.4 परीक्षण ने पास के आयनमंडल को मॉडुलित करने में रॉकेट प्रज्वलन और रेचक (निष्कासित) गैसों की विश्वसनीय भूमिका का प्रदर्शन करते हुए, पी.एस.एल.वी. के पी.एस.4 चरण के प्रचालन के साथ-साथ शीर्ष भाग इलेक्ट्रॉन घनत्व विस्तार/वृद्धि का स्व-स्थाने प्रेक्षण उपलब्ध कराया। परिणामों से यह संकेत मिलता है कि पी.एस.4 परिक्रमण स्टेशन का एकमात्र प्रक्षेप-पथ शीर्ष भाग इलेक्ट्रॉन घनत्व विस्तारों की जाँच करने के लिए एक आदर्श पथ के रूप में कार्य करता है। आगे, यह परीक्षण इस तथ्य को रेखांकित करता है कि नया परिक्रमण प्लेटफार्म निकट-भू अंतरिक्ष में बहु प्राचलों का मापन करने के लिए उपयोगी होगा।
चित्र 1क) आई.डी.ई.ए. नीतभार का फोटो (ख) आरंभिक प्रमोचन चरण के दौरान आई.डी.ई.ए. नीतभार प्रक्षेप पथ (ग) आई.डी.ई.ए.-टी.आई.ई.जी.सी.एम. मॉडल अनुरूपण के साथ तुलना
चित्र 2. प्रथम चरण प्रज्वलन से अंतिम ग्राहक उपग्रह पृथक्करण तक प्रमोचन के दौरान विभिन्न घटनाएं