मेघा-ट्रॉपिक्स-एस.सी.ए.आर.ए.बी./3 द्वारा ऊष्ण कटिबंधों के ऊपर मेघ विकिरण बल के दैनिक परिवर्तन के बहु-वार्षिक प्रत्यक्ष प्रेक्षण
मेघ भू-वायुमंडल प्रणाली के विकिरण बजट के बृहद्त्तम मॉड्यूलेटर होते हैं तथा उनकी मौसम एवं जलवायु का नियंत्रण करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। ये अंकीय वायुमंडलीय मॉडलों एवं पृथ्वी के ऊर्जा बजट के परिमाणन में बृहद्त्तम अनिश्चितताओं में से मेघों के संघट्ट विकिरण तथा संबाधित फीडबैक हैं। ये लघुतरंग मेघ विकिरण बल (एस.डब्ल्यू.सी.आर.एफ.) का संबंध मेघों द्वारा लघुतरंग (सौर) अभिवाह को अंतरिक्ष में वापस परावर्तित करने से है। दीर्घतरंग मेघ विकिरण बल मेघों द्वारा भू-वायुमंडलीय प्रणाली के भीतर समग्र स्थलीय दीर्घतरंग विकिरण का परिमाण है। एस.डब्ल्यू.सी.आर.एफ. एवं एल.डब्ल्यू.सी.आर.एफ. का योग वास्तविक मेघ विकिरण बल (एन.सी.आर.एफ.) होता है।
एस.सी.ए.आर.ए.बी./3 नीतभार निम्न-आनत (19.980 डिग्री) कक्षा भारतीय-फ्रांसीसी परावर्तित ब्रॉडबैंड एवं उत्सर्जित विकिरण अपनी 51 दिवसीय पुरस्सरण चक्र के दौरान आयन मंडल के ऊपर विभिन्न स्थानिक समय (एल.टी.) में परावर्तित ब्रॉडबैंड एवं उत्सर्जित विकिरण का मापन करते हैं। समूचे आयन मंडल के ऊपर टू-ऑफ-एटमॉसफियर (टी.ओ.ए.) में एल.डब्ल्यू.सी.आर.एफ. एवं एस.डब्ल्यू.सी.आर.एफ. के बहु वर्ष औसत दैनिक परिवर्तनों के पहले सीधे प्रेक्षण निर्माण करने में एम.टी.- एस.सी.ए.आर.ए.बी./3 की इस अद्वितीय प्रकृति का उपयोग किया गया है। वर्ष 2012-2016 के दौरान मौसम विज्ञानी एवं समुद्र विज्ञान उपग्रह आँकड़े प्राप्त हुए। इसके अतिरिक्त मौसमी औसत सी.आर.एफ. तथा इसके दैनिक परिवर्तनों के परिमाणन के लिए यह अध्ययन बताता है कि अब तक अनेक विशिष्ट लक्षणों की खोज नहीं हुई है।
पहली बार इस अध्ययन द्वारा एशियाई ग्रीष्म वर्षा मौसम के दौरान दक्षिण पश्चिमी बंगाल की खाड़ी पर ‘’अवरोधित मेघाच्छादन समूह’’ के स्थानिक विस्तार में वास्तविक दैनिक परिवर्तन पर प्रकाश डाला गया। यह 09-15 एल.टी. के दौरान 5 के गुणन के साथ रात के न्यूनतम की तुलना में अधिकतम होता है। सी.आर.एफ. का दैनिक परिवर्तन, दोगुने अंतर ऊष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र के साथ संबद्ध सी.आर.एफ. का दैनिक परिवर्तन जो कि, वर्ष भर पश्चिमी प्रशांत महासागर के ऊपर स्थायी रूप से बना रहता है, इसे पहली बार उजागर किया गया। पहली बार इस अध्ययन द्वारा ज्ञात हुआ है कि टी.ओ.ए. पर एन.सी.आर.एफ. के परिमाण तथा इसके क्षेत्रीय परिवर्तन सामान्य एवं ई.आई.एन.आई.ओ. अवधियों के दौरान विशिष्ट रूप से समान है, क्योंकि महासागरीय क्षेत्रों के ऊपर एस.डब्ल्यू.सी.आर.एफ. परिवर्तनों की प्रतिपूरण होती है। महाद्वीपों के ऊपर 18-21 एल.टी. तथा समुद्रों के ऊपर 00-06 एल.टी. के दौरान, संवहनीय क्षेत्रों के ऊपर एल.डब्ल्यू.सी.आर.एफ. के दैनिक परिवर्तन बढ़ जाते है। औसतन, ऊष्णकटिबंधों पर एन.सी.आर.एफ. दिन के समय पर्याप्त शीतलता एवं रात्रि के समय ऊष्णता उत्पन्न करते हैं। इससे सतह पर अभिवाह के दैनिक परिवर्तन घटते हैं तथा इसलिए सतही तापमान का दैनिक परिवर्तन, परिणामस्वरूप परिसंचार के रूपांतरण का पुनर्निवेशन हो सकता है।
यह अध्ययन अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एस.पी.एल.), विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वी.एस.एस.सी.) में किया गया तथा इसके परिणाम हाल ही में क्लाइमेट डायनामिक्स (https://doi.org/10.1007/s00382-020-05441-w) में प्रकाशित किए गए हैं। एस.पी.एल./वी.एस.एस.सी. में संपन्न पूर्व के अध्ययन में एम.टी.-एस.सी.ए.आर.ए.बी. प्रेक्षणों का उपयोग ग्रीष्म ऋतु के दौरान उच्च आविलत खनिज धूल युक्त अरब सागर (पश्चिम एशिया से वाहित धूल) तथा अटलांटिक सागर (सहारा के वाहित धूल) के ऊपर टी.ओ.ए. में बल देते हुए एरोसोल विकिरण के दैनिक परिवर्तन के पहली बार सीधे प्रेक्षण लेने में हुआ। (https://ieeexplore.ieee.org/document/8004524)
चित्र 1: चारों मौसमों के दौरान (2012-2016 के लिए औसतन) दिन के समय (बायां पैनल) एवं रात्रि के समय (दायां पैनल) के दौरान मौसमी औसत समग्र मेघ विकिरणी बल (एन.सी.आर.एफ.:इकाई डब्ल्यू.एम.-2) का औसतन डी.जे.एफ.= उत्तरी शीतकाल (दिसंबर-फरवरी), एम.ए.एम.-उत्तरी बसंत (मार्च-मई), जे.जे.ए.= उत्तरी ग्रीष्मकाल (जून-अगस्त), एस.ओ.एन.= उत्तरी पतझड़ (सितंबर-नवंबर) ।