क्रायो एवं सेमी-क्रायो इंजनों हेतु कॉपर-क्रोमियम एवं जर्कोनियम-टाइटेनियम मिश्रधातु का स्वीदेशीकरण-सफलता की गाथा
तांबा मिश्रधातु (Cu-0.5Cr-0.05Ti-0.5Zr) जी.एस.एल.वी. मार्क-II हेतु क्रायोजेनिक ऊपरी चरण (सी.यू.एस.) इंजन, जी.एस.एल.वी. मार्क-III हेतु सी.ई.20 इंजन और सेमी-क्रायो (एस.सी.) चरण के प्रणोद चैम्बर आंतरिक कवच एवं अंत:क्षेपित्र फलक कवच के निर्माण के लिए क्रायोजेनिक/सेमी-क्रायोजेनिक इंजनों के लिए महत्वपूर्ण एवं अतिआवश्यक सामग्री है। यह सी.यू.एस. इंजन के संचालन इंजनों (एस.ई.) सी.यू.एस. एवं सी.ई. 20 इंजनों के गैस जनित्र एस.सी. इंजन के अंत:क्षेपित्रों, पूर्व-ज्वालक एवं पायरों घटकों के लिए भी आवश्यक है।
इन परियोजनाओं में तांबा मिश्रधातु की प्लेटों, विभिन्न विमाओं की छड़ों एवं गढ़ी गई वस्तुओं की आवश्यकता होती है। इन प्लेटों के लिए 12 मि.मी. से 18 मि.मी. तक मोटाई और 850 मि.मी. चौड़ाई की आवश्यकता होती है। इस मिश्रधातु की 30 मि.मी. से 300 मि.मी. तक के व्यास वाली छड़ो एवं गढ़ी गई वस्तुओं की भी आवश्यकता होती है।
सी.यू.एस., सी.ई.20 एवं एस.सी. के लिए एन.एफ.टी.डी.सी., हैदराबाद के माध्यम से स्वदेशीकरण के प्रयास किए गए थे। गलन क्षमता को 1000 कि.ग्रा. तक बढ़ाया गया था और परियोजना की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु 1500 मि.मी. की चौड़ाई वाले प्लेट रोलिंग मिल की स्थापना की गई थी। इस मिश्रधातु का उपयोग करते हुए सी.यू.एस., का सी.ई.20 एवं सेमी-क्रायो परियोजनाओं हेतु सभी आवश्यक उत्पाद सफलतापूर्वक निर्मित किए गए हैं। सामान्य एवं 13% बढ़ाई गई प्रणोद क्षमता में 200 सेकंडों तक इस तांबा मिश्रधातु का उपयोग करते हुए सी.यू.एस. इंजन की तप्त जांच आई.पी.आर.सी., महेंद्रगिरि में पूरी की गई थी। यह इंजन जी.एस.एल.वी. मार्क-II के क्रायोजेनिक चरण को शक्ति प्रदान करेगा, जिसका इस वर्ष नवंबर में जीसैट-7ए. द्वारा प्रमोचन निर्धारित किया गया है।
प्रक्रिया प्रवाह: गलन भट्ठी से ढलाई सिलिकाएं 375 से 400 कि.ग्रा. तक के भार वाली आवरण की सिलिकाओं में निर्मत की गई हैं। इन्हें गढ़ी गई प्लेटों के रूप में परिवर्तित किया गया है, जो रोलिंग हेतु तैयार आवरित प्लेटों के लिए फिर से गढ़ा जाता है। वांछित आकार की प्लेटें तप्त रोलिंग प्रक्रिया के माध्यम से सृजित की जाती हैं।.
Products Realised:
इस प्रयास में आईं प्रमुख चुनौतियां:
- परिवेश एवं उच्च तापमानों में डिजाइन की गई रासायनिक एवं यांत्रिक गुणों को प्राप्त करने हेतु रासायनिक संघटन एवं गलन प्रक्रिया का इष्टतमीकरण।
- प्रापण में महत्वपूर्ण वृद्धि के परिणामस्वरूप ज्यादा चौड़ाई वाली प्लेटों के लिए यू.टी. में त्रुटियों से बचने के लिए दाब फोर्जन का इष्टतमीकरण।
- 10 मिनट तक 980 डिग्री से.ग्रे. से 20 मिनट तक 750 डिग्री से.ग्रे. तक इष्टतमीकरण तप्त उपचार द्वारा परिष्कृत कणों का प्रापण।
- पराश्रव्य ट्रांसड्यूसर (यू.टी.) – आर.टी. प्रोब के साथ सामान्य बीम एवं श्रेणी ‘ए’ स्वीकृति मानदंड के साथ कोण बीम क्रमवीक्षण।
- प्लेटों से नमूनों पर बंक जांचें, जो 20 मिनट तक 7500 सें.ग्रे. पर तापानुशीतन के पश्चात आकार की क्षमता सुनिश्चित करने हेतु वायु शीतलन की शर्त पर थे।
स्वदेशीकरण के लाभों में निम्नलिखित शामित हैं:
- आयात की तुलना में अत्यंत लागत प्रभावी।
- मेसर्स एन.एफ.टी.डी.सी., हैदराबाद में सुविधाओं की स्थापना के माध्यम से आत्म-निर्भरता, जो कि वांतरिक्ष गुणवत्ता वाले Cu-Cr-Zr-Ti मिश्रधातु के उत्पादन हेतु विश्वभर में जानी-मानी दूसरी प्रसंस्करण यूनिट है।
- स्थापना में कम लागत
- अंगीकृत उपलब्ध सुविधाओं को पुर्नसज्जा का क्रम।
- भारत में विभिन्न यूनिटों के माध्यम से रोलिंग मिल घटकों का डिजाइन कार्य एवं निर्माण तथा एन.एफ.टी.डी.सी. में समेकित।
- एन.एफ.टी.डी.सी. में मौजूदा गलन भट्ठी कुंडलियों की गलन क्षमता को 1000 कि.ग्रा. तक बढ़ाने हेतु संशोधित किया था।