सातवें ए.ओ. चक्र के प्रेक्षणों हेतु प्रस्तावों के अनुरोध हेतु अवसर की घोषणा (ए.ओ.)
ए.ओ. की क्रियाविधि
आवेदन करने हेतु मानदंड
यह घोषणा ऐसे भारतीय वैज्ञानिकों/अनुसंधानकर्ताओं, जो 55% समय भारत में रहते हुए यहाँ के संस्थानों/विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में कार्यरत हैं तथा ऐसे अप्रवासी भारतीयों (एन.आर.आई.), जो 20% समय विश्व भर की एजेंसियों/संस्थनों/ विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में कार्यरत हैं, के लिए खुली हुई है, जो कि
- खगोलिकी के क्षेत्र में अनुसंधान में लगे हुए हैं और
- आवश्यक वैज्ञानिक एवं तकनीकी स्पष्टीकरण के साथ विशिष्ट लक्ष्य वाले प्रेक्षणों हेतु प्रधान अन्वेषकों (पी.आई.) के रूप में प्रस्ताव प्रस्तुत करने हेतु सुसज्जित हैं और
- आंकड़े का विश्लेषण कर सकते हैं, यदि लक्ष्य का अनुमोदनों के आधार पर प्रेक्षण किया गया हो।
1. प्रस्तावना एवं कार्यक्रम
एस्ट्रोसैट प्रथम समर्पित भारतीय खगोलीय मिशन है जिसका लक्ष्य भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा प्रचालित अंतरिक्ष खगोलिकी वेधशाला मुहैया कराते हुए एक साथ एक्स-किरण एवं यू.वी. स्पेक्ट्रमी बैंडों में खगोलीय स्रोतों का अध्ययन करना है। यह उपग्रह 6 डिग्री की कक्षीय आनति पर भू मध्यरेखीय कक्षा के निकट 650 कि.मी. की दूरी पर है।
एस्ट्रोसैट ने कक्षा में तीन वर्ष और पांच महीने पूरे कर लिए हैं। वर्तमान में, पांचवें/छठवें ए.ओ. चक्र के प्रस्ताव निष्पादित किए जा रहे हैं। प्रस्तावकर्ता प्रेक्षण किए गए लक्ष्यों की सूची हेतु आई.एस.एस.डी.सी. की वेबसाइट में रेड बुक (Red Book) का संदर्भ ले सकते हैं।
नीतभारों के तकनीकी ब्यौरे एस्ट्रोसैट बुक में दिए गए हैं। मिशन एवं नीतभारों के ब्यौरे इसरो की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। नीतभारों के तकनीकी ब्यौरे एस्ट्रोसैट हैंडबुक में दिए गए हैं।
एस्ट्रोसैट के प्रेक्षण समय का महत्वपूर्ण हिस्सा भारतीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों को प्रस्तावों के पी.आई. को उपलब्ध कराया गया है। अवसर की घोषणा के माध्यम से एस्ट्रोसैट समय की उपलब्धता करायी जाएगी। आई.एस.एस.डी.सी. वेबसाइट पर एस्ट्रोसैट प्रस्ताव प्रसंस्करण प्रणाली (ए.पी.पी.एस.) सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रस्तावों का इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रस्तुतीकरण करने में इस ए.ओ. की प्रतिक्रिया में प्रस्ताव जमा करने की आवश्यता होगी। जमा किए प्रस्तावों की वैज्ञानिक योग्यता एवं तकनीकी संभाव्यता हेतु एस्ट्रोसैट समय आबंटन समिति (ए.टी.ए.सी.) एवं एस्ट्रोसैट तकनीकी समिति (ए.टी.सी.) द्वारा समीक्षा की जाएगी।
प्रेक्षणों की मिशन कार्यक्रम के अनुसार योजना बनाई जाएगी। पी.आई. को प्रसंस्कृत स्तर-1 के आंकड़ों को डाउनलोड करने हेतु सफल प्रेक्षण के समापन के पश्चात सूचित किया जाएगा। 12 महीनों के स्वामित्व के पश्चात्, जो दिन स्तर-1 से शुरू होती है, पी.आई. को मुहैया कराई जाती है, अभिसंग्रहित आंकड़े पंजीकृत प्रयोक्ताओं हेतु खुले होंगे तथा आई.एस.एस.डी.सी. में उपलब्ध कराए जाएंगे।
सातवें ए.ओ. चक्र हेतु प्रस्ताव मांगते हुए यह ए.ओ. भारतीयों के साथ-साथ एस्ट्रोसैट खगोलिकी समय का उपयोग करने हेतु प्रधान अन्वेषकों (पी.आई.) के रूप में अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावकों के लिए भी है। प्रेक्षण अक्तूबर 2019 से सितंबर 2020 (लगभग एक वर्ष) की अवधि के बीच पूरे किए जाएंगे।
निश्चित तारीखों एवं प्रस्ताव प्रस्तुतीकरण के संबंध में सभी घोषणाएं भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान आंकड़ा केंद्र (आई.एस.एस.डी.सी.) की वेबसाइट (http://www.issdc.gov.in) एवं ऐस्ट्रोसैट विज्ञान सहायता कोष्ठ (ए.एस.सी.) की वेबसाइट (http://astrosat-ssc.iucaa.in/) से किए जाएंगे।
प्रस्ताव से संबंधित सभी मामलों हेतु प्रस्ताव के प्रधान अन्वेषक (पी.आई.) इसरो के लिए एकल सम्पर्क बिंदु हैं। पी.आई. को प्रस्तुत किए गए प्रस्तावों की स्थिति के बारे में ई-मेल के माध्यम से सूचित किया जाएगा। यह अपेक्षित है कि ए.ओ. परियोजना पूरी करने हेतु आवश्यक सुविधाएं संबंधित मेजवान संस्थानों द्वारा मुहैया कराई जाएंगी।
प्रस्ताव प्रस्तुत करने की समय सीमा की आई.एस.एस.डी.सी. एवं ए.एस.सी. वेबसाइट पर घोषणा की जाएगी।
2. प्रेक्षण करने हेतु चक्र
इस सातवें ए.ओ. चक्र में, भारतीय ए.ओ. प्रस्तावों हेतु 55% प्रेक्षण समय और अंतरराष्ट्रीय ए.ओ. प्रस्तावों हेतु 20% प्रेक्षण समय उपलब्ध है। 5% समय अवसर के लक्ष्यों (टी.ओ.ओ.) के लिए आबंटित है। 7% समय परंपरागत प्रस्तावों हेतु आबंटित है। इस चक्र में शेष 13% का समय सहयोगियों एवं अंशांकन हेतु आबंटित है।
2.1 ए.ओ. चक्र एस्ट्रोसैट पूर्व-योजित तरीके से प्रचालित है अर्थात प्रस्तावकर्ता अपने प्रेक्षणों के निष्पादन के दौरान मिशन प्रचालन काम्पलेक्स में उपस्थित नहीं होते हैं। इस प्रकार, सभी प्रेक्षण पूर्व में ही पूर्ण ब्यौरे के साथ विनिर्दिष्ट होने चाहिए।
- अक्तूबर 2019-सितंबर, 2020 के दौरान ए.ओ. प्रस्ताव निष्पादित करने हेतु प्रेक्षण समय का प्रतिशत 87% है और इसे सातवाँ ए.ओ. चक्र कहा गया है।
- 87% में से 55% समय विशेषरूप से एस्ट्रोसैट वेधशाला समय का उपयोग करने हेतु प्रधान अन्वेषकों (पी.आई.) के रूप में भारतीय प्रस्तावकर्ताओं हेतु है। वे खगोल विज्ञान क्षेत्र के वैज्ञानिक अनुसंधान में शामिल इच्छुक अनुसंधानकर्ताओं, वैज्ञानिकों एवं बृहत खगोल विज्ञान के समुदाय हो सकते हैं और जो आवश्यक वैज्ञानिक एवं तकनीकी स्पष्टीकरण के विशिष्ट लक्ष्य के प्रेक्षणों हेतु प्रधान अन्वेषकों (पी.आई.) के रूप में प्रस्ताव प्रस्तुत करने हेतु सुसज्जित हैं तथा आंकड़े का विश्लेषण कर सकते हैं यदि लक्ष्य का अनुमोदनों के आधार पर प्रेक्षण किया जाता है। इसके अतिरिक्त, 20% समय वैश्विक खगोलिकी समुदाय के अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावकों हेतु है।
- सभी चुनिंदा ए.ओ. प्रस्ताव प्रेक्षण कार्यक्रम में शामिल किए जाएंगे। तथापि, इस ए.ओ. चक्र में अनुमोदित कुछ प्रेक्षण उपरोक्त अवधि से बाहर निर्धारित किए जा सकते हैं यदि इसकी प्रचालनात्मक आवश्यकता है जिसे एस्ट्रोसैट मिशन द्वारा मुहैया कराया जाएगा।
- प्रस्तावकर्ताओं से अनुरोध है कि योजित प्रेक्षणों का किसी प्रकार की पुनरावृत्ति न करें और निष्पादित प्रेक्षणों की पुनरावृत्ति, यदि कोई हो, को सावधानीपूर्वक स्पष्ट करना चाहिए। प्रस्तावकर्ताओं को एस्ट्रोसैट का उपयोग करते हुए पहले से किए जा रहे प्रेक्षणों हेतु वस्तुओं एवं उपकरण पैरामीटर की सूची की जांच करनी चाहिए। इन लक्ष्यों से निहित रेड बुक (Red Book) आई.एस.एस.डी.सी. वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी। इनमें से किसी भी लक्ष्य का प्रेक्षण करने हेतू इच्छुक प्रस्तावक को स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसा करना क्यों आवश्यक है और प्रस्तातिव प्रेक्षणों से कौन सी अतिरिक्त सूचना प्राप्त होगी। खण्ड 4 भी देखें।
- वैज्ञानिक समीक्षा के दौरान प्रस्तावों पर कार्रवाई करते समय ए.टी.ए.सी. द्वारा पुनरावृत्तियों की जांच निष्पादित की जाएंगी।
2.2 अवसर के लक्ष्य (टी.ओ.ओ.) के चक्र
- प्रस्ताव जिनमें अधिनव तारा या नवतारा का प्रस्फोटन, नए अस्थायी स्रोत या एक्स-किरण नवतारा का प्रेक्षण या स्रोत के विशेष गुणों का अध्ययन, जब यह विभिन्न अवस्था में परिवर्तन करता है, आदि जिसके लिए घटना के समय के पहले ही भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, जैसी परिघटना के प्रेक्षण की आवश्यकता होती है, को टी.ओ.ओ. प्रस्ताव के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए और इनकी अलग टी.ओ.ओ. समिति द्वारा समीक्षा की जाएगी।
- किसी भी प्रस्तावकर्ता के लिए वर्तमान में प्रस्तावों को प्रस्तुत करने हेतु हमेशा एक टी.ओ.ओ. चक्र खुला रहेगा। टी.ओ.ओ. प्रस्तावों के लिए 5% प्रेक्षण समय आरक्षित रखने का प्रावधान है।
- टी.ओ.ओ. के आबंटित समय के दौरान टी.ओ.ओ. प्रस्ताव का प्रयोग करते हुए प्रेक्षणों के आँकड़ों को तत्काल सार्वजनिक किया जाएगा।
- यदि इस समय का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया गया तो इसे ए.ओ. प्रस्तावों के समय में जोड़ दिया जएगा।
- पूर्व अनुमानित टी.ओ.ओ. वे टी.ओ.ओ. हैं जिनकी स्रोत स्थिति तो ज्ञात है परंतु प्रेक्षण समय के बारे में ज्ञात नहीं होता अथवा अप्रत्याशित होता है। पूर्व अनुमानित टी.ओ.ओ. के लिए प्रस्ताव को ए.पी.पी.एस. के माध्यम से भी प्रस्तुत किया जा सकता है, जिसकी समीक्षा ए.टी.ए.सी. समिति द्वारा की जाएगी। प्रस्ताव को अनुमति दिलाने के लिए पुख्ता वैज्ञानिक स्पष्टीकरण होना आवश्यक है तथा इसे स्वीकार्यता हेतु प्राथमिकता ‘ए.’ पाना भी जरूरी है (पूर्व अनुमानित टी.ओ.ओ. तथा प्रस्तावों के लिए प्राथमिकता रैंकिंग पर ब्यौरे हेतु ए.एस.सी. वेबसाइट पर उपलब्ध ए.पी.पी.एस. प्रस्तावकर्ताओं की गाइड देखें) तथापि, जब वह घटना घटे, मूल प्रस्तावकर्ता के पी.आई. द्वारा प्रस्ताव की समय सूची तैयार करने के लिए टी.ओ.ओ. चक्र के तहत प्रस्तुत टी.ओ.ओ. ट्रिगर प्रस्ताव किया जाना होगा। यह आँकड़ा अधिकारी ए.ओ. प्रस्तावों के समान होंगे।
2.3 परंपरागत चक्र
एस्ट्रोसैट परंपरागत प्रेक्षण कार्यक्रमों हेतु भी प्रस्ताव आमंत्रित हैं। इन्हें प्रेक्षण समय हेतु पर्याप्त आवश्यकता सहित दीर्घकालीन मूल्य के केंद्रित कार्यक्रमों के लिए बनाया गया है। अक्तूबर 2019 से सितंबर 2019 के दौरान, कम-से-कम एस्ट्रोसैट को टकटकी लगाए देखने के 2 मेगा सेकेंड (7%) समय को परंपरागत कार्यक्रमों के लिए समर्पित किया जाएगा। परंपरागत कार्यक्रमों का चयन तथा उनका क्रियान्वयन समुदाय की ओर से एस्ट्रोसैट विज्ञान कार्यकारी समूह द्वारा किया जाएगा। परंपरागत आँकड़ा हेतु कोई लॉक-इन-पीरियड नहीं होगा। वैज्ञानिक औचित्य सहित परियोजना के उपाय तथा इसके परंपरागत मूल्य के लिए एक स्पष्ट दलील को ए4 आकार के पृष्ठ पर लिखकर विज्ञान कार्यकारी समूह (astrosat-swg@iucaa.in) को भेजा जा सकती है।
इन परंपरागत प्रस्तावों को अप्रैल/मई, 2019 में नए चक्र (ए.08) के द्वारा माँगा जाएगा।
3. प्रस्ताव की तैयारी, वैधीकरण, प्रस्तुति तथा चयन का सिंहावलोकन
प्रस्तावों के पी.आई. को एस्ट्रोसैट प्रस्ताव प्रसंस्करण प्रणाली (ए.पी.पी.एस.) सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते हुए आई.एस.एस.डी.सी. वेबसाइट में दी गई अंतिम तिथि तक इसरो को प्रस्ताव प्रस्तुत करने होंगे। ए.पी.पी.एस. https://apps.issdc.gov.in:8181/apps/auth/login.jsp के माध्यम से ऑनलाइन उपलब्ध है। ए.पी.पी.एस. को डाउनलोड नहीं किया जा सकता है तथा ऑफलाइन इनका प्रयोग नहीं किया जा सकता है। आई.एस.एस.डी.सी. तथा ए.एस.सी. वेबसाइट में ए.पी.पी.एस. प्रस्तावकर्ता गाइड उपलब्ध है जो प्रस्ताव प्रस्तुति प्रक्रिया पर विवरण प्रदान करता है। इस भाग में एक संक्षिप्त सार प्रदान किया गया है।
3.1 प्रस्ताव तैयारी हेतु पूर्वापेक्षित
वैज्ञानिक आवश्यकता के अनुसार, एस्ट्रोसैट के लिए प्रस्ताव एक अथवा एक से अधिक उपकरणों सहित प्रेक्षण के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है। प्रस्तावों को ए.पी.पी.एस. प्रस्तावकर्ता गाइड तथा इस प्रक्रिया दस्तावेज के अनुसार तैयार किया जाना होगा। प्रस्तावकर्ता प्रेक्षित लक्ष्यों की सूची के लिए रेडबुक देख सकते हैं।
एस्ट्रोसैट प्रस्ताव हेतु कम-से-कम निम्नलिखित सूचना की आवश्यकता होगी।
- स्रोत निर्देशांक, स्रोत कोणीय आकार यदि विस्तारित हो, वी.-परिमाण, 2-10 के.ई. वी. अभिवाह, विभिन्न उपकरणों के लिए अनुमानित काउंट दर, अनावरण समय, यू.वी.आई.टी. चमकीला स्रोत सूची, पी.डी.एफ. प्रारूप में लक्ष्य के प्रेक्षणों की साध्यता हेतु एस्ट्रोदृश्यक परिणाम (खंड 3.3 में सूचीबद्ध), एस्ट्रोसैट उपकरणों का प्रयोग करें।
- उपकरण मोड, फिल्टर, आदि जैसे उपकरण संरूपण मानदंड (हैंडबुक देखें)
- वैज्ञानिक तथा तकनीकी औचित्य
3.2 ए.पी.एस.एस. निर्देश
प्रस्ताव तैयार करने हेतु ए.पी.एस.एस. में विभिन्न प्रविष्टियाँ भरने हेतु निर्देश ऑनलाइन उपलब्ध हैं। इसके लिए ए.पी.एस.एस. प्रस्तावकर्ता की दिग्दर्शिका को भी देखा जा सकता है। प्रस्ताव बनाने/तैयार करने तथा भेजने हेतु, ए.पी.एस.एस. पर सवालों को astrosathelp@iucaa.in पर मेल किया जा सकता है। सवालों/प्रश्नों के जवाब देने के हरसंभव प्रयास किए जाएँगे।
3.3 प्रस्ताव तैयारी उपकरण
प्रस्तावकर्ता एक एस्ट्रोसैट प्रस्ताव बनाने हेतु निम्नलिखित उपकरणों का प्रयोग कर सकते हैं:
- रूचि के लक्ष्य हेतु एस्ट्रोसैट दृश्यता अवधि निर्धारण हेतु एस्ट्रोव्यूअर (https://issdc.gov.in/astroviewer/index.html)
- स्रोत गणना दर का अनुमान लगाने हेतु पी.आई.एम.एम.एस. (http://astrosat-ssc.iucaa.in:8080/WebPIMMS_ASTRO/index.jsp)
- एक एस्ट्रोनॉमिकल स्रोत हेतु आवश्यक एक्सपोजर/उद्भासन समय का अनुमान लगाने हेतु यू.वी.आई.टी. उद्भासन समय गणक (http://uvit.iiap.res.in/Software/etc)
वी.आई.एस.चैनल के फिल्टरों को व्यवस्थित करने हेतु यू.वी.आई.टी. चमकीला स्रोत चेतावनी उपकरण (http://uvit.iiap.res.in/Software/bswt), ताकि निम्न सुनिश्चित किया जा सके।
- अति उद्भासन से संसूचक की सुरक्षा
- एस/सी. के अपवाह (ड्रिफ्ट) की निगरानी करने हेतु क्षेत्र में तारों से सिग्नल की पर्याप्ता
- एस्ट्रोसैट की अनुमानित/निश्चित लक्ष्य समयसूची जाँचने हेतु एस्ट्रोसैट समयसूची दर्शी (https://astro.issdc.gov.in:9321/MCAP/)
- स्पेक्ट्रमी अनुकार उपकरण यथा एक्स-किरण स्पेक्ट्रमी फिट्टिंग पैकेज (एक्स.एस.पी.ई.सी; https://heasarc.gsfc.nasa.gov/xanadu/xspec/), अन्योन्यक्रियाशीलता स्पेक्ट्रमी व्याख्या प्रणाली (आई.एस.आई.एस: http://space.mit.edu/CXC/ISIS/), निदर्श एवं फिट्टिंग पैकेज (शेर्पा; http://cxc.harvard.edu/sherpa4.4/) जो ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
3.3.1 एस्ट्रोव्यूअर-आकाशीय स्रोत देखने में मदद हेतु उपकरण
अधिकतम एक वर्ष लंबी अवधि हेतु यह उपकरण एक चयनित आकाशीय स्रोत का एक दृष्टि अवधि देता है। दृश्य अवधि जो सभी अवरोधों का समाधान करता है वे भी कक्षावार प्रदान कराये जाते हैं ताकि प्रस्तावकर्ताओं के प्रधान अन्वेषक अपने प्रेक्षणों को अधिक परिशुद्धता/यथार्थता से ऋतुवार आयोजित कर सकें। यू.वी.आई.टी. नीतभार प्रयोक्ताओं हेतु, ग्रहण के समय दृश्य अवधि समय, जो सभी संभावित व्यवरोधों का समाधान करता है, एक अलग फाइल में उपलब्ध है क्योंकि यू.वी.आई.टी. की केवल ग्रहण के दौरान ही प्रेक्षित किये जाने की अपेक्षा की जाती है। प्रत्येक दिन की उपलब्ध अद्यतन कक्षा सूचना को प्रयोग करने हेतु इस उपकरण को डिजाइन किया गया है तथा यह ग्राफिकल भागों में विभिन्न व्यवरोध कोण विशेषताएं उपलब्ध कराता है ताकि जी.ओ. प्रेक्षणों हेतु आयोजन के दौरान स्थिति को देख सके। चयनित स्रोत की दृश्य अवधि कक्षावार संग्रहित की जाती है तथा जी.ओ. के प्रयोग करने हेतु सारणी रूप में उपलब्ध कराई जाती है। चूँकि निश्चित स्रोतों हेतु रैम कोण व्यवरोध कक्षा झुकाव से करीब होने के कारण आता जाता रहता है। अत: इस निर्गत की सारणी में व्यवरोध समाधान के लिए फ्लैग ‘0’ तथा व्यवरोध विरोध के लिए फ्लैग ‘1' है। एक ग्राफिकल प्रयोक्ता अंतरापृष्ठ कार्यक्रम प्रयोक्ता को दूर से अन्योन्यक्रिया करने व आवश्यक जानकारी प्राप्त करने देता है। अतिरिक्त सूचना यथा ग्रहण एवं उपग्रह प्रवेश/निर्गत भी उपलब्ध कराया जाता है।
ज्यामितीय व्यवरोध
- रैम कोण (+रोल एवं वेग वेक्टर) >12°
- समापक (+रोल एवं चमकीला भू लिंब) >12°
- सूर्यकोण (+रोल एवं सूर्य) >65°
- कोण बी./डब्ल्यू. + वाई.ए.डब्ल्यू एवं सूर्य >90° के मध्य, कोण तारा संवेदक एवं सूर्य >50° के मध्य
- कोण बी./डब्ल्यू. +रोल एवं एल्बिडो >12° के मध्य
3.3.2 सुवाह्य अन्योन्यक्रिया बहु मिशन अनुकारक (पी.आई.एम.एम.एस.)
एस्ट्रोसैट पी.आर्इ.एम.एम.एस. पैकेज (http://astrosat-ssc.iucaa.in से डाउनलोड किया जा सकता है या http://astrosat-ssc.iucaa.in:8080/WebPIMMS_ASTRO/index.jsp पर देखा जा सकता है) मूल रूप से नासा/जी.एस.एफ.सी. उच्च ऊर्जा तारा भौतिकी विज्ञान अभिसंग्रह अनुसंधान केंद्र (एच.ई.ए.एस.ए.आर.सी.) से वितरित सुवाह्य अन्योन्यक्रिया बहुमिशन अनुकारक पैकेज का एक क्रियान्यवन है। इस कार्यान्यवन में एस्ट्रोसैट एक्स किरण उपकरणों का प्रभावी क्षेत्र शामिल है तथा अनेक प्रकार की निवेश स्पेक्ट्रम मॉड्लों हेतु, एल.ए.एक्स.पी.सी.; एस.एक्स.टी., सी.जेड.टी.आई. तथा एस.एस.एम. में स्रोत गणना दरों का अनुमान लगाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। डाउनलोड किये जाने योग्य रूप में एक प्रयोक्ता मैनुअल वितरित किया गया है तथा वेब पी.आई.एम.एम.एस. वर्शन हेतु ऑनलाइन सहायता उपलब्ध है।
प्रतिक्रिया फाइलें: प्रतिक्रिया मैट्रिक्स फाइलें तथा अनुमानित पृष्ठभूमि स्पेक्ट्रम एस.ए.एक्स.पी.सी., एस.एक्स.टी. तथा सी. जेड.टी.आई. नीतभारों हेतु वेबसाइट http://astrosat-ssc.iucaa.in पर उपलब्ध हैं। एक्स किरण स्रोतों हेतु स्पेक्ट्रम अनुकारकों को पूरा करने में इनका उपयोग किया जा सकता है। जैसे, HESOFT XSPEC में फेकइट कमांड के साथ।
3.3.3 यू.वी.आई.टी. उद्भासन समय गणक (ई.टी.सी.)
सहायता पृष्ठ: http://uvit.iiap.res.in/Software/etc/Help मौजूदा वर्शन 2.0.0 (03 मई, 2016)। यू.वी.आई.टी. उद्भासन समय गणक (ई.टी.सी.) एक प्रेक्षण की संभाव्यता का अनुमान लगाने में मदद करेगा। यह अनेक यू.वी.आई.टी. फिल्टरों में एक स्रोत से अपेक्षित गणना दर की गणना करता है जिसके बाद या तो : (1) दिये गए प्रेक्षित समय में प्राप्त सिगनल से रव तक का अनुपात (एस.एन.आर.) अथवा (2) एक दिये गए एस.एन.आर. तक पहुँचने हेतु आवश्यक समय प्राप्त किया जाता है। उपयोगकर्ता स्टार, ब्लैक-बॉडी, आकाशगंगा, शक्ति नियम इत्यादि जैसे खगोलीय स्रोतों/स्पेक्ट्रम की रेंज से चुन सकते हैं या अपना स्रोत स्पेक्ट्रम अपलोड कर सकते हैं।
3.3.4 चमकीला स्रोत चेतावनी उपकरण (वी.एस.डब्लू.टी.)
सहायता पृष्ठ: http://uvit.iiap.res.in/Software/bswt/Help मौजूदा वर्शन 2.0.0 (26 अप्रैल, 2017)। उपकरण का उद्देश्य प्रस्तावकर्ता को सूचित करना है कि एक वैज्ञानिक लक्ष्य के चारों तरफ का भाग यू.वी.आर्इ.टी. हेतु प्रेक्षण लेने के लिए सुरक्षित या असुरक्षित है। यह कार्यक्रम ऐसे तारों का क्रमवीक्षण करता है जो सुरक्षा सीमा से अधिक चमकीले हैं तथा एफ.यू.वी. एवं एन.यू.वी. दूरबीनों में सभी 10 फिल्टरों में इन चमकीले तारों के गणना दरों की सूची बनाता है। यह कार्यक्रम लक्षित पिंड के 20 आर्कमिन त्रिज्या के अंदर सभी चमकीले तारों की पहचान करता है। इसी वेबसाइट पर दिशा-निर्देश दस्तावेज भी देखें। कृपया नोट करें कि यू.वी.आई.टी. द्वारा प्रयोग की गई अद्यतन प्रक्रिया के अनुसार, यह निर्गत मात्र वी.आई.एस. (320-520 नैनोमीटर) के फिल्टरों की जाँच करने के लिए उपयोग किया जाता है; एन.यू.वी./एफ.यू.वी. फिल्टरों हेतु जाँच इस सूची के साथ नहीं की जाती है। अत: निम्नालिखित अनिवार्य जाँचें आवश्यक हैं
यू.वी.आई.टी. प्रेक्षणों हेतु की जाने वाली अनिवार्य जाँच
यू.वी.आई.टी. बहुत चमकीले स्रोत का प्रेक्षण करने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है तथा प्रेक्षण के यू.वी.आई.टी. क्षेत्र में चमकीले स्रोत की उपस्थिति हार्डवेयर में “चमकीला पिंड प्रवर्तक” उत्पन्न कर सकता है जो तीनों संसूचकों को बंद कर देगा। इसके अतिरिक्त, यू.वी.आई.टी. क्षेत्र के करीब एक अति चमकीले स्रोत की उपस्थिति अनुमति सीमा के परे अत्याधिक विकिरण फैला देगा। यू.वी.आई.टी. में से एक वी.आर्इ.एस. चैनल, अंतरिक्ष यान अनुवर्तन हेतु मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है। यह प्रस्तावकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि उनके प्रस्तावित प्रेक्षणों के दौरान सुचारु अनुवर्तन सुनिश्चित हो। अत: प्रस्तावकर्ताओं को यू.वी.आई.टी. प्रेक्षणों हेतु एक प्रस्ताव तैयार करने में अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। इसकी कठोरता से संस्तुति की जाती है कि प्रस्तावकर्ता यू.वी.आई.टी. प्रेक्षणों के लिए की जाने वाली अनिवार्य जाँचों हेतु दस्तावेज में विस्तृत रूप से वर्णित दिशा-निर्देश का पालन करें (कृपया इसे देखें http://astrosat-ssc.iucaa.in/uploads/APPS/AstroSat_proposers_guide_6March2018.pdf, v1.3, 03 मार्च 2018)।
3.4 एक एस्ट्रोसैट प्रस्ताव तैयार करना
प्रस्ताव तैयार करने से पहले प्रस्तावकर्ताओं को पहली बार ए.पी.पी.एस. में पंजीकरण करने की आवश्यकता पड़ेगी। प्रस्ताव जमा करने के बारे में, प्रस्तावकर्ता ए.पी.पी.एस. सहायक दस्तावेज को पढ़ सकते हैं।
3.5 ए.पी.पी.एस. में प्रस्ताव नियामन
प्रत्येक आवक प्रस्ताव की रसीद स्वत: संज्ञान में ली जाएगी। जमा करने की तारीख के आखिर में, ए.पी.पी.एस. वैज्ञानिक समीक्षा हेतु प्रतिक्रिया पर कुल सांख्यिकी निर्माण तथा कुछ निर्धारण करते हुए ए.टी.ए.सी. के लिए उन्हें अग्रेषित कर देगा। सभी समितियाँ इसरो के अध्यक्ष द्वारा गठित की जाएँगी।
ए.टी.ए.सी. प्रत्येक प्रस्ताव को क, ख तथा ग के रूप में प्राथमिकता देगी (तथा आवश्यकतानुसार प्रत्येक प्रस्ताव का श्रेणी निर्धारण करेगी)। ए.टी.ए.सी. कुछ प्रस्तावकर्ताओं को किसी प्रस्ताव में प्रेक्षण समय या लक्ष्य की संख्या को कम करने के लिए कह सकती है। ऐसे प्रस्ताव संशोधन हेतु प्रधान अन्वेषकों को उपलब्ध कराए जाएँगे। प्रस्तावकर्ता निर्धारित समयसीमा से पहले ए.टी.ए.सी. द्वारा सिफारिश किये गए परिवर्तनों हेतु एक संशोधित प्रस्ताव जमा कर सकेंगे। यदि समयसीमा से पहले संशोधन नहीं किया गया तो ऐसे प्रस्ताव सफल प्रस्ताव की सूची से बाहर कर दिये जाएँगे।
प्रेक्षण करने की तकनीकी संभाव्यता मिशन प्रचालन टीम की मदद से एस्ट्रोसैट तकनीकी समिति द्वारा संचालित की जाएगी।
वह मापदंड जो योजना बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है कि कौन-सा प्रेक्षण एक विशेष कक्षा के दौरान पूरा किया जाएगा, प्रेक्षणों की प्राथमिकता है जैसा कि ए.टी.ए.सी. तथा ए.टी.सी. द्वारा नियत किया गया है। हालाँकि प्रचालनात्मक कारणों से कोई गारंटी नहीं दी जा सकती कि एक विशेष प्रेक्षण, चाहे किसी भी श्रेणी का हो, को वास्तव में संपन्न किया जाएगा।
4. पुनरावृत्ति के पहलू
एस्ट्रोसैट की सामान्य नीति है कि किसी प्रेक्षण की पुनरावृत्ति नहीं हो यानि उसे दोहराने से बचना चाहिए।
सामान्यतया एक पुनरावृत्ति लक्ष्य निर्देशांकों तथा मुख्य प्रेक्षणी मापदंडों (विशेष रूप से उपकरण एवं प्रेक्षणी प्रकार) को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाता है। एक प्रस्तावित प्रेक्षण दूसरे वाले की पुनरावृत्ति करता है यदि अपेक्षित वैज्ञानिक आंकड़ा आवश्यक रूप से वही हो या निम्न आवश्यकता (यानि निम्न प्रदर्शन समय) का हो; और इसलिए निरुत्साहित किया जाता है। परंतु परिवर्तनशीलता अध्ययन हेतु कई बार उसी उपकरण संरूपण के साथ उसी लक्ष्य का प्रेक्षण करने हेतु स्वीकृति है। इसके अतिरिक्त, बृहद विस्तारित पिण्डों में स्रोत के सामीप्य में अनेक निर्देश आवश्यक हो सकते हैं यथा 2 डिग्री व्यास में आकाशगंगा के कोमा क्लस्टर का चित्र लेना ताकि इसकी विरिअल सीमा को कवर किया जा सके तथा इनके ऐसे निर्देशांक हो सकते हैं जो स्रोत के पिछले प्रेक्षण से अधिक अलग नहीं हैं।
पुनरावृत्ति के मामलों को निर्दिष्ट कर उनका समाधान करने की जिम्मेदारी ए.टी.ए.सी. पर है। ए.टी.ए.सी. एक प्रस्तावित प्रेक्षण में उन्हीं लक्ष्यों के प्रेक्षणों तथा पिछले चक्र (साइकिल) के एक प्रेक्षण की अनुमति दे सकता है। ये उन प्रस्तावों तक सीमित रहना चाहिए जो विश्वसनीय प्रमाण प्रदान कराते हैं कि अतिरिक्त आंकड़ा वैज्ञानिक प्रसंग का है।
5. आंकड़ा प्रक्रमण, आंकड़ा अधिकार तथा प्रकाशन
प्रेक्षण के पूर्ण होने के उपरांत, प्राप्त नया आंकड़ा भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान आंकड़ा केंद्र (आई.एस.एस.डी.सी.) में स्तर-1 आंकड़ा में रूपांतरित किया जाएगा। आई.एस.एस.डी.सी. इन्जेस्ट त्वरित देखे प्रदर्शक (क्यू.एल.डी.), प्रकमण (स्तर-011 हेतु), पुरालेखी (सभी स्तर, सहायक आंकड़े के साथ) तथा नीतभार आंकड़ा के वितरण हेतु जिम्मेदार है। आंकड़ा मानक एफ.आई.टी.एस. प्रारूप में होगा।
स्तर-1 आंकड़ा आई.एस.एस.डी.सी. वेबसाइट से विज्ञान विश्लेषण तथा उच्च स्तर के आंकड़ा उत्पाद उत्पन्न करने हेतु नीतभार टीमों या प्रस्ताव के प्रधान अन्वेषकों द्वारा डाउनलोड किया जा सकता है। ए.एस.सी. वेबसाइट पर नमूना आंकड़ा, सॉफ्टवेयर तथा उपयोगिताएं उपलब्ध हैं।
प्रधान अन्वेषक को प्रक्रमित स्तर-1 आंकड़ा के डाउनलोड हेतु सफल प्रेक्षण के पूरा होने के उपरान्त सूचित कर दिया जाएगा। स्तर-1 से स्तर-2 तक से मानक पाइपलाइन सॉफ्टवेयर तथा अन्य उच्च स्तर के मानक उत्पाद आई.एस.एस.डी.सी. वेबसाइट के जरिए प्रस्तावों के प्रधान अन्वेषकों को उपलब्ध करा दिये जाएँगे।
5.1 स्वामित्व अवधि
प्रमोचन के बाद सभी अवस्थाओं एवं वर्षों में सभी एस्ट्रोसैट उपकरणों से प्रेक्षणात्मक आँकड़े से संबंधित एक स्वामित्व अवधि होगी। जिस तारीख को स्तर-1 आंकड़ा नीतभार समूहों तथा/या ए.ओ. प्रस्ताव के प्रधान अन्वेषकों को उपलब्ध कराए जाएँगे, तब से यह “स्वामित्व अवधि शुरु होगी”।
इस स्वामित्व अवधि के दौरान, यह आंकड़ा प्रेक्षणों हेतु प्रस्ताव भेजने वाले व्यक्तियों को छोड़कर किन्हीं अन्य व्यक्तियों या समूहों द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा सिवाय ऐसे मामलों के जहाँ प्रस्ताव के प्रधान अन्वेषकों ने स्वयं ऐसे अन्य व्यक्तियों को शामिल किया हो।
ए.ओ. चक्र आंकड़ा हेतु स्वामित्व अवधि 12 माह है। स्वामित्व अवधि के उपरांत, सभी आंकड़ा आई.एस.एस.डी.सी. लोक पुरालेख में रख दिया जाएगा जो राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय रूप से उपागम्य है। नीतभार प्रचालन केंद्रों (पी.ओ.सी.) की जिम्मेदारी आई.एस.एस.डी.सी. को गुणवत्तापूर्ण रिपोर्ट सहित स्तर-2 उत्पाद उपलब्ध कराना है। अवसर के लक्ष्य (टी.ओ.ओ.) के प्रेक्षण जो टी.ओ.ओ. प्रेक्षण समय से लिये जाते हैं को तुरंत स्तर-1 आंकड़ा हेतु तैयार किया जाएगा तथा आई.एस.एस.डी.सी. पुरालेख में रखा जाएगा। ये आंकड़े गैर-स्वामित्व वाले होते हैं तथा प्रेक्षण के तुरंत बाद लोगों के लिए खुले होते हैं।
5.2 आंकड़ा अधिकार तथा बाध्यताएं
सभी प्रस्तावों के प्रधान अन्वेषकों के पास उन उपकरणों से प्राप्त सभी आंकड़ों पर एकमात्र अधिकार होगा जिसे उन्होंने उन क्षेत्रों – जो उनके प्रस्तावों के प्रति एस्ट्रोसैट से प्रेक्षित किए गए हैं- हेतु सह-संरेखित उपकरणों (जैसे एल.ए.एक्स.पी.सी., सी.जेड.टी.आई, एस.एक्स.टी. तथा युगल दूरबीन यू.वी.आई.टी.) में से प्रस्ताव में संरूपित किए हैं।
प्रस्ताव के प्रधान अन्वेषक के पास प्रेक्षण के प्रेक्षित क्षेत्र में अन्य संसूचित वस्तुओं हेतु आंकड़ा अधिकार होगा जब तक कि वे अन्यथा सूचित न करें। वर्तमान में लक्ष्य आंकड़े तथा क्षेत्र आंकड़े को अलग करने का कोई तरीका नहीं है। प्रस्ताव के प्रधान अन्वेषक मुख्य लक्ष्य के अलावा क्षेत्र पिंडो के आंकड़े के विश्लेषण हेतु नीतभार समूह (तथा उसके विपरीत) के साथ सहयोग कर सकते हैं।
ऐसे उपकरणों का आंकड़ा अधिकार जिन्हें प्रधान अन्वेषक द्वारा संरूपित किया गया हो, नीतभार समूह द्वारा पिगी बैंक व्यवस्था हेतु खोल दिया जाएगा। ऐसे आंकड़े नीतभार समूह को उपलब्ध कराए जाएँगे तथा स्वामित्व वाली अवधि ए.ओ. प्रस्ताव की भाँति ही रहेगी।
किसी उपकरण समूह या प्रधान अन्वेषक के पास स्वामित्व वाली अवधि की समाप्ति से पहले आई.एस.एस.डी.सी. आंकड़ा पुरालेख में आंकड़ा रखने हेतु सिफारिश करते हुए आई.एस.एस.डी.सी. समूह (issdc_team@istrac.gov.in) को प्रतिलिपि सहित astrosathelp@iucaa.in को ईमेल भेज कर स्वामित्व वाली अवधि को कम करने का अधिकार है।
5.3 प्रकाशन
प्रस्तावकर्ता उपयुक्त पत्रिकाओं में प्रकाशन के जरिए आंकड़ा विश्लेषण के प्रमुख परिणामों को वैज्ञानिक समुदाय को उपलब्ध कराएँगे। सभी-प्रकाशन “एस्ट्रोसैट - नीतभार के नाम सहित” – वाक्यांश जोड़ते हुए जिसका आंकड़ा सारांश में विश्लेषण हेतु प्रयोग किया गया है – एस्ट्रोसैट आंकड़ा का संज्ञान लेंगे।
कोई भी पत्र/लेख प्रकाशित करते समय एस्ट्रोसैट आंकड़े का प्रयोग करते हुए कृपया निम्नलिखित आभार शामिल करें।
“इस प्रकाशन में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान आंकड़ा केंद्र (आई.एस.एस.डी.सी.) में पुरालेखित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एस्ट्रोसैट मिशन से प्राप्त आंकड़े का प्रयोग किया गया है”।
यदि कोई प्रयोगकर्ता पहले प्रकाशित एस्ट्रोसैट परिणामों का उपयोग करता है तथा अन्य व्याख्या या प्रतिरूपण कर चुका है तो निम्नलिखित कथन आभार में शामिल किया जाए।
“यह शोध (अंशत: या एक महत्वपूर्ण सीमा तक) भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान आंकड़ा केंद्र (आर्इ.एस.एस.डी.सी.) पर पुरालेखित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एस्ट्रोसैट मिशन से प्राप्त परिणामों पर आधारित है”।
एस्ट्रोसैट आंकड़े से व्युत्पन्न तथा अपने स्वयं के इस्तेमाल के लिए उपयोगकर्ता द्वारा शैक्षणिक पत्रों या पत्रिकाओं या किसी अन्य प्रकाशनों में प्रकाशित किसी या सभी परिणामों को इसरो अपनी रिपोर्ट तथा प्रकाशनों में ऐसे पत्रिकाओं अथवा प्रकाशकों का विधिवत संदर्भ/आभार देते हुए प्रयोग कर सकता है।