सचिव, अं.वि. / अध्यक्ष, इसरो का वर्ष 2021 के लिए नव वर्ष संदेश “आगामी दशक के लिए मजबूत नींव”
भविष्य में जब हम विगत वर्ष 2020 का अवलोकन करेंगे, तब हमें वैश्विक कोविड-19 महामारी के कारण हमारे कार्यालयीन के साथ-साथ निजी जीवन में उत्पन्न हुई मुसीबतों और तकलीफों का स्मरण होगा। इस स्थिति के बावजूद भी वर्चुअल मोड में प्रणालियों के डिजाइन एवं विकास पर विपुल मात्रा में कार्य आगे बढ़ा। गगनयान एवं चंद्रयान-3 जैसे मुख्य तकनीकी मामलों पर विचार-विमर्श किया गया। वर्चुअल एल.सी.सी. एवं एस.सी.सी. की संकल्पना सामने आई और उसका कार्यान्वयन हुआ। दरअसल, इस प्रकार की कार्य पद्धति अत्यधिक दक्षतापूर्ण लगती है तथा यह एक नया मानदंड हो सकता है। यहाँ तक कि जहाँ पर क्षेत्र कार्य शामिल था, वहाँ पर भी न्यूनतम यात्रा और सामाजिक दूरी के साथ गतिविधियाँ संपन्न की गईं। समर्पित और मेहनती कार्मिकों का धन्यवाद है, जिन्होंने प्रगति की मशाल कायम रखी तथा वर्ष के अंत में हमारे दो विशाल प्रमोचनों को पूरा करना सुनिश्चित किया। इस कठिन समय के दौरान भी वित्तीय एवं मानव संसाधन के प्रतिबंधों के बावजूद भी इन उपलब्धियों की प्राप्ति वास्तव में प्रशंसनीय है तथा यह टीम इसरो की साधन संपन्न क्षमताओं का परिचय कराती है।
यह वर्ष वैश्विक अंतरिक्ष कार्यक्षेत्र में परिवर्तन का भी वर्ष है, जो प्रमोचक रॉकेट और समानव अंतरिक्ष उड़ान, जो कि अब तक सरकारी अंतरिक्ष एजेंसियों के कार्यक्षेत्र में थी; समेत अंतरिक्ष क्षेत्र के सभी पहलुओं में निजी कंपनियों की प्रतिभागिता द्वारा हुआ है। अपने देश में भी इससे अलग स्थिति नहीं है; देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में पहली बार हमारे पास मुठ्ठी भर उद्यमी हैं, जो अंतरिक्ष आधारित सेवाओं से अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में योगदान प्रदान करने के इरादे के साथ आद्योपांत प्रमोचक रॉकेटों और उपग्रहों के विकास के लिए आगे आये हैं। इस परिवर्तन को संज्ञान में लेते हुए अंतरिक्ष क्षेत्र में पहलों को नीतिगत समर्थन प्रदान कराने के लिए सरकार ने बिना समय गंवाए, इन पहलों की श्रृंखला की घोषणा की है, जिससे कि ऐसी कंपनियाँ अपने अस्तित्व को फिर से कायम कर सके एवं वाणिज्यिक सफलता प्राप्त कर सके। इस नीति के भाग के रूप में, अंतरिक्ष कार्यक्रम में भारतीय कंपनियों के संवर्धन और पोषण करने, विद्यमान क्षमताओं और सुविधाओं को सहक्रियाशील करने तथा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विनियमों के अनुपालन में आवश्यक प्राधिकार भी प्रदान कराने के लिए भारत सरकार ने समर्पित भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) की घोषणा की है। इस केंद्र का पूर्वगामी निकाय देश में 28 इच्छुक कंपनियों के साथ इंटरफेस करने के लिए तथा अनुप्रयोगों पर विचार करने के लिए अपने सभी प्रयास लगा रहा है, जब कभी ये कंपनियाँ प्रचालनात्मक बन जाएंगीं, इन-स्पेस के लिए अबाधित प्रचालन क्रियावली भी निर्माण हो सकेगी, जिसके शीघ्र ही साकार होने की उम्मीद है। निकट भविष्य में कुलशेखरपट्टनम में वित्तीय प्रमोचन स्थान की कमिशनिंग भी निजी अंतरिक्ष उद्यमियों को प्रमुख रूप से बढ़ावा देगी।
इस बीच, समूची अंतरिक्ष नीति के आवश्यक पहलुओं को विशिष्ट उपग्रह संचार नीति, सुदूर संवेदन आँकड़ा नीति, अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली नीति आदि, जो अंतरिक्ष क्षेत्र सुधारों के कार्यान्वयन में मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करने हेतु अंतिम मसौदा चरणों में है, को शामिल करते हुए देश में अंतरिक्ष प्रणाली विकास एवं प्रचालन को सुविधाजनक करने की आवश्यकता है। मुख्य रूप से, अंतरिक्ष क्षेत्र में क्षमताओं के विस्तार की नीति से अंतरिक्ष प्रणालियों में और अधिक आत्मनिर्भरता एवं वैश्विक नेतृत्व की ओर इस कार्यनीति क्षेत्र में नवोन्मेष को बढ़ावा मिलने की उम्मीदें हैं।
अंतरिक्ष क्षेत्र में विस्तार के साथ नवोन्मेष एवं विकास को प्रमुख रूप से केंद्रित करने के साथ इसरो का कार्य बढ़ने वाला है। देश में इसरो नवोन्मेष का पथ-प्रदर्शक है, जो मुख्यत: कठोर अंतरिक्ष पर्यावरण में विकास, योग्यता तथा विश्वसनीय प्रचालन के संबंध में अद्वितीय चुनौतियों के कारण है। हम जानते हैं कि प्रो. साराभाई एवं प्रो. धवन जैसे अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनकों ने कैसे अंतरिक्ष कार्यक्रम का बीजारोपण किया, जो उनके उत्तराधिकारियों के मार्गदर्शन में मजबूती से विकसित हुआ। यह विकास पूर्णत: समवर्ती स्वदेशीकरण के साथ विभिन्न अंतरिक्ष प्रणालियों के नवोन्मेष निष्पादन तथा प्रचालनीकरण पर आधारित है।
इसरो ने देश के अंदर उद्योग के विकास की ओर भी योगदान दिया है तथा कई सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को अंतरिक्ष कार्यक्रमों को बढ़ाने एवं योगदान प्रदान करने के लिए सशक्त किया है। जनवरी 2019 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन के दौरान हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने यह अवलोकन किया कि आई.आई.एस.सी., आई.आई.टी., टी.आई.एफ.आर., केंद्रीय विश्वविद्यालयों जैसी हमारी राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के मुख्य आधार पर अनुसंधान एवं विकास में हमारा सामर्थ्य निर्मित है और उन्होंने विस्तारित अनुसंधान पारिस्थितिक तंत्र की स्थापना का आव्हान किया। वर्तमान में, भारत में अनुसंधान एवं नवोन्मेष निवेश – संयुक्त राज्य अमेरिका के 2.8%, इज़राइल के 4.3% तथा दक्षिण कोरिया के 4.2% की तुलना में जी.डी.पी. का 0.69% है। हालांकि, अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के लिए हम इसरो बजट का लगभग 22% व्यय करते हैं। देश में ज्ञान के सृजन की ओर अनुसंधान में अधिक महत्व को ध्यान में रखते हुए सरकार अनुसंधान में निवेश को बढ़ाने के लिए तौर-तरीकों को भी सामने ला रही है। पूरा देश इसरो को ज्ञान के सृजन में अग्रणी के रूप में देखता है तथा इस दशक में हमारी गतिविधियाँ भविष्य की क्षमताओं की ओर अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के विस्तार हेतु उत्साह को प्रतिबिंबित करेंगीं।
पिछला दशक इसरो के लगभग सभी क्षेत्रों में कई नये प्रारंभों का दशक रहा है। उनमें से कुछ हैं, स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ जी.एस.एल.वी. एवं जी.एस.एल.वी. मार्क III का प्रचालनीकरण, मंगल कक्षित्र मिशन, एस्ट्रोसैट, नाविक समूह, भारी उच्च प्रवाह क्षमता उपग्रह तथा पंखयुक्त पिंड पनुरुपयोगी प्रमोचक रॉकेट तथा स्क्रैमजेट इंजन का प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन। जब हम आगामी दशक की ओर अवलोकन करते हैं, तब हमें इस बात से सजग होना होगा कि वैश्विक रूप से कई निजी कंपनियों के पदार्पण के चलते अंतरिक्ष क्षेत्र को बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिनके विकास प्रयासों का लक्ष्य किफ़ायती अंतरिक्ष परिवहन प्रणालियाँ उपग्रह समूहों के माध्यम से अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं की माँग के अनुसार सुपुर्दगी है। अंतरिक्ष प्रणालियों की अगली पीढ़ी को साकार करने के लिए निर्माण के नए प्रतिमानों के साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा मशीन लर्निंग में हुई प्रगति का अधिकाधिक उपयोग किया जा रहा है। 5जी. संयोजकता का निर्माण भी लगभग हो गया है तथा 5जी. पारिस्थितिक तंत्र के साथ-साथ इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आई.ओ.टी.) को सुविधाजनक बनाने के लिए उपग्रहों की भूमिका की स्थापना की गई है।
वैश्विक मार्गनिर्देशों की समनुरूपता में, दीर्घ उत्थापन प्रमोचक रॉकेट, सेमी-क्रायोजेनिक चरण, पुनरुपयोगी प्रमोचक रॉकेट, प्रगत नोदन, आगामी पीढ़ी उड्डयानिकी, प्रगत सामग्रियाँ, गतिकी अंतरिक्ष अनुप्रयोग तथा अंतरिक्ष आधारित सेवाओं के दक्ष समुच्चय के साथ-साथ उन्नत अंतरिक्ष विज्ञान मिशनों का हमें विकास करने की आवश्यकता है।
इस संबंध में, अल्पकालीन के साथ-साथ दीर्घकालीन में आवश्यक विस्तारित क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए इसरो के प्रत्येक केंद्रों को दशकीय योजना तैयार करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। मुझे खुशी है कि इसरो के केंद्रों/यूनिटों ने इस दशकीय योजना के कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से योगदान प्रदान किया है, जो राष्ट्रीय आवश्यकताओं, नई अंतरिक्ष नीति के साथ-साथ वैश्विक अंतरिक्ष कार्यक्षेत्र में परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान एवं नवोन्मेष पर अधिक ध्यान केंद्रित है।
इस दशक में:
वी.एस.एस.सी., जो अंतरिक्ष परिवहन प्रणालियों का एक अग्रणी केंद्र है, दीर्घ उत्थापन क्षमताओं की ओर प्रमोचक रॉकेट के विकास, आंशिक एवं पूर्णत: पुनरुपयोग प्राप्त करने तथा स्क्रैमजेट इंजन अनुसंधान में प्रगति प्राप्त करने की अपनी क्षमता को आगे बढ़ाएगा। इन सभी विकासों के लिए वैमानिकी, संरचनाएं, नोदन, उड्डयानिकी, रसायनों तथा सामग्रियों समेत कई क्षेत्रों में अंतर-विषयक अनुसंधान एवं विकास की आवश्यकता है।
एल.पी.एस.सी., जो द्रव नोदन प्रणालियों का एक अग्रणी केंद्र है, वह दीर्घ प्रतीक्षित उच्च प्रणोद सेमीक्रायोजेनिक नोदन क्षमता को फलीभूत करता है, जिससे हमारी जी.टी.ओ. नीतभार क्षमता को लगभग 5.5 टन बढ़ा सकने की उम्मीद है तथा एल.ओ.एक्स/मिथेन नोदन, हरीत नोदन के साथ विद्युतीय नोदन पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
यू.आर.एस.सी., जो उपग्रहों का अग्रणी केंद्र है, उसे भारत के अंतरिक्ष अवसंरचना की विस्तारित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नई कक्षीय प्रौद्योगिकियों के विकास एवं प्रमाणन की भारी चुनौती प्राप्त हुई है। आगामी दशक में, ब्रॉडबैंड संचार के लिए उपग्रह समूह, सारे अनुप्रयोग क्षेत्रों में सभी विद्युतीय उपग्रह प्लेटफॉर्म तथा उच्च निष्पादन उपग्रह प्लेटफॉर्मों पर बल दिया जाएगा।
सैक नये प्रौद्योगिकी नीतभारों को सुनिश्चित करेगा तथा परमाणु घड़ी एवं टी.डब्ल्यू.टी.ए. के लिए स्वदेशीकरण प्रयासों को भी पूरा करेगा। इस दशक में, सैक एवं एन.आर.एस.सी. को संग्रहण, संसाधन तथा प्रयोक्ता की उम्मीदों की समनुरूपता के साथ उपग्रह आँकड़ा सेवाओं की मांग पर सुपुर्दगी को सुनिश्चित करने की ओर कार्य करना है।
एस.डी.एस.सी., समानव अंतरिक्ष उड़ान के साथ-साथ नए दीर्घ उत्थापन रॉकेटों को सहायता प्रदान करने के लिए प्रमोचन अवसंरचना को बढ़ाने के लिए साक्षीदार होगा और संभवत: देश में निजी अंतरिक्ष परिवहन प्रणालियों के प्रारंभ के लिए सहायता और सुविधा प्रदान करेगा।
आई.पी.आर.सी. को नए नोदन प्रणालियों की योग्यता को सहायता देने के लिए अपनी परीक्षण सुविधाओं को अनुकूल बनाने की आवश्यकता है तथा नए सेमीक्रायोजेनिक एवं एल.ओ.एक्स./मिथेन चरणों को साकार करने के लिए अपनी समेकन सुविधाओं का भी विस्तार करना है।
आई.आई.एस.यू. न केवल नियोजित मिशनों के लिए अत्याधुनिक जड़त्वीय प्रणालियों को साकार करेगा बल्कि इस दशक में अंतरिक्ष विज्ञान एवं अन्वेषण मिशनों को सहायता प्रदान करने के लिए अपनी क्षमतओं को बढ़ाएगा।
लियोस, सुदूर संवेदन कैमरा के लिए अत्याधुनिक विद्युत-प्रकाशिकी संवेदनों, विकिरणमापक, तारा संवेदक प्रकाशिक छनन/प्रकाशिक मास्क, आई.आर. संसूचकों एवं आनति मापक आधारित एम.ई.एम.एस. को साकार करेगा।
इस्ट्रैक और एम.सी.एफ. समानव अंतरिक्ष उड़ान की भी भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने को शामिल करते हुए भू-प्रणालियों का उन्नयन करेंगें।
आई.आई.आर.एस., डेकू और आई.आई.एस.टी. को अंतरिक्ष क्षेत्र की गतिकी के समनुरूपता के साथ मानव संसाधन विकास तथा आउटरीच गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
पी.आर.एल., एन.ए.आर.एल. एवं उ.पू.-सैक को आगामी दशक में नये भारत की वैज्ञानिक आकांक्षाओं पर कार्य करना होगा, जहाँ पर समाज आर्थिक समाज से ज्ञान आधारित समाज में परिवर्तित होगा।
एस.सी.एल. देश में सशक्त माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स आधार के सृजन की ओर कार्य करेगा तथा अति विशाल स्तरीय समेकित परिपथ (वी.एल.एस.आई.) के क्षेत्र में क्षमताओं को बढ़ाएगा।
इसरो के प्रौद्योगिकी विकास एवं प्रगत अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के एक बड़े भाग को गगनयान कार्यक्रम तथा लंबे समय तक दीर्घकालीन समानव अंतरिक्ष उड़ान गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए निष्पादित करने की आशा है।
एच.एस.एफ.सी., इसरो के सभी केंद्र/यूनिटों के सहयोग के साथ मानव निर्धारित प्रमोचन रॉकेट, कक्षीय मॉड्यूल, एकत्रण स्थल एवं जहाजी मालधार, पुनरुद्वारक जीवन समर्थन प्रणालियाँ एवं अंतरिक्ष निवासों को शामिल करते हुए समानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए अनिवार्य क्षमताओं को बढ़ाने की ओर कार्य करेंगे।
यदि हम, हमारे अनुसंधान पदचिह्नों का विस्तार करने के लिए अलग चुनौती पर विचार करने के साथ हमारे सार्वजनिक उद्यमों (पी.एस.ई.) तथा उद्योग द्वारा अधिक माँग आधारित प्रचालनात्मक प्रमोचक रॉकेट तथा उपग्रह कार्यक्रमों प्रौद्योगिकी अंतरण तथा कार्यान्वयन की ओर परिवर्तन को भी संभालने की चुनौती को स्वीकार करते हैं, तो यह दशक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए अत्यंत आशाजनक एवं चुनौतिपूर्ण होने वाला है।
बहुत कम समय में, हमारे पास प्राप्त करने के लिए विविधता से युक्त मिशन हैं, जिनमें लघु उपग्रह प्रमोचक रॉकेट एस.एस.एल.वी. की प्रथम विकासात्मक उड़ान, प्रचालनात्मक भू-प्रतिबिंबन क्षमता, चंद्रयान-3, प्रथम सौर मिशन, आदित्य-एल1 तथा पहला भारतीय आंकड़ा रिले उपग्रह शामिल हैं। इस वर्ष एक और अन्य मुख्य मील का पत्थर अर्थात गगनयान कार्यक्रम के तहत पहली मानवरहित उड़ान के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
वर्ष 2020 में कुछ महीनों तक हुए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बावजूद भी, इसरो इस स्थिति से उभरा और कार्यरत रहा तथा इसरो ने जिस प्रकार से अगले दशक के लिए मजबूत नींव डालने हेतु सभी संसाधनों का उपयोग किया उसके अंदाज से मैं खुशी से आश्चर्यचकित हूँ। उन महीनों का प्रभावी उपयोग आत्म-विश्लेषण तथा वैयक्तिक दशकीय योजनाओं के कार्यान्वयन के साथ वैयक्तिक केंद्रों/यूनिटों में अनुसंधान एवं विकास तथा प्रौद्योगिकी विकास की समीक्षा के नियोजन के लिए किया गया।
मैं इस अवसर पर आप सभी को उस कठिन समय के दौरान कठोर परिश्रम करने तथा इसरो के ध्वज को ऊँचा रखने के लिए आप सभी का हृदय से सम्मान व्यक्त करता हूँ। मैं आपको और आपके परिवार के सदस्यों को खुशी, आशा एवं समृद्धि से भरे नव वर्ष तथा एक महान दशक की भी, जिसमें आप सभी अपने सपनों एवं आकांक्षाओं को पूरा कर सके, शुभकामनाएं देता हूँ।
धन्यवाद