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Launch Kit at a glance

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VOD of PSLV-C47/Cartosat-3 launch

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प्रमोचन किट

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Launch Kit at a glance

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AstroSat: Announcement of Opportunity (AO) soliciting proposals for Ninth AO cycle observations

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Criteria for applying:

This announcement is open to Indian scientists/ researchers residing and working at institutes/Universities/colleges in India for 65% of time and to Non-Indian scientists/ researchers, Non-Resident Indians (NRIs), working at space agencies/ institutes/ Universities/ colleges around the globe for 20% time, who

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एस्‍ट्रोसैट: नौंवें ए.ओ. चक्र के प्रेक्षणों के लिए प्रस्‍ताव आमंत्रित करने की अवसर की घोषणा (ए.ओ.)

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आवेदन करने के मानदंड:

भारत में रहते हुए भारत के संस्‍थानों/विश्‍वविद्यालयों/महाविद्यालयों में 65% तक के समय की सेवा प्रदान कर चुके भारतीय वैज्ञानिकों/अनुसंधानकर्ताओं तथा संपूर्ण विश्‍व की अंतरिक्ष एजेंसियों/संस्‍थानों/विश्‍वविद्यालयों/महाविद्यालयों में 20% तक के समय की सेवा प्रदान कर चुके गैर-भारतीय वैज्ञानिकों/अनुसंधानकर्त्ताओं, अप्रवासी भारतीयों (एन.आर.आई.) हेतु यह घोषणा खुली है, जो

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Watch Live - Honb'le Prime Minister addressing the Nation

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Chandrayaan 2 - About Pragya Rover

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चंद्रयान – 2 – प्रज्ञान रोवर के बारे में

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दिनांक 07 सितंबर 2019 को 01:10 बजे (भा.मा.स.) से च्रंद्रमा पर विक्रम लैंडर के अवतरण का सीधा प्रसारण देखें।

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Launch Kit at a glance

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चंद्रयान-2 पूछे जाने वाले प्रश्न

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चंद्रयान-2 गैलरी

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चंद्रयान-2 मिशन पे-लेड

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चंद्रयान-2 स्पेसक्राफ्ट

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चंद्रयान-2 मिशन जानकारी

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Chandrayaan2 Home

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चंद्रयान-2- नवीनतम अद्यतन

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चंद्रयान 2

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Chandrayaan2 Gallery

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Chandrayaan2 FAQ

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Chandrayaan2 Home

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Chandrayaan2 Latest updates

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Chandrayaan2 Mission

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Chandrayaan2 Payloads

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Chandrayaan2 Spacecraft

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उन्‍नति

                                                                              (इसरो द्वारा यूनिस्‍पेस नैनो उपग्रह सम्‍मुचयन एवं प्रशिक्षण)

अंतरिक्ष विभाग (अं.वि.), भारत सरकार के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अन्‍य देशों के प्रतिभागियों, जो अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को विकसित करने में इच्‍छुक है, के लिए नैनो उपग्रह विकास पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम को आयोजित करने का प्रस्‍ताव दिया है।

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Launch Kit

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प्रमोचन किट

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उदीयमान सूर्य में अति प्रज्‍वाल: उल्‍कापिंडों से प्राप्‍त प्रमाण!

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हीडलबर्ग विश्‍वविद्यालय, जर्मनी के सहयोग से भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद में कार्यरत वैज्ञानिकों ने हाल ही में उगते हुए सूर्य से विशाल प्रज्‍वाल के बारे में रिपोर्ट की है। आधुनिक सूर्य से प्रेक्षित उच्‍च   एक्‍स-वर्ग के प्रज्‍वाल की तुलना में अति प्रज्‍वाल तीव्रता में करीब एक मिलियन गुना शक्तिशाली है।

नेचर एस्‍ट्रोनॉमी में यह लेख प्रकाशित किया गया – http:www.nature.com/articles/s41550-019-0716-0

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Super flares in Nascent Sun: Evidence from Meteorites!

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Scientists at Physical Research Laboratory, Ahmedabad working in collaboration with University of Heidelberg, Germany,have recently reported Giant flares from the embryonic Sun. The super-flare has been calculated to be about a million times stronger in intensity compared to the highest X-class flare observed from the modern Sun.

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Watch Live - Launch of PSLV-C45/EMISAT Mission

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प्रत्‍यक्ष देखें – पी.एस.एल.वी.-सी45/एमिसैट मिशन का प्रमोचन

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ISRO/DOS Organizes World’s Biggest Smart India Hackathon-2019 Grand Finale

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ISRO/DoS has been participating in the Smart India Hackathon (SIH), Software Edition, a 36 hour non-stop digital programming competition, being organised by MHRD since 2017. Its 3rd edition, SIH 2019, was held at Shri Sivananda Ashram, Ahmedabad during March 2 & 3, 2019. ISRO/DOS has been ‘Premier Partner’ in this initiative of All India Council for Technical Education (AICTE) under the aegis of Ministry of Human Resource Development.

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इसरो/अंतरिक्ष विभाग द्वारा विश्‍व का सबसे बड़ा स्‍मार्ट इंडिया हैकॉथन-2019 भव्‍य अंतिम प्रतियोगिता का आयोजन

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मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित 36 घंटे अबाधित डिजिटल प्रोग्रामिंग प्रतियोगिता, स्‍मार्ट इंडिया हैकॉथन (एस.आई.एच.), साफ्टवेयर संस्‍करण, में इसरो/अंतरिक्ष विभाग वर्ष 2017 से भाग लेता आ रहा है। 2 और 3 मार्च, 2019 को एस.आई.एच. 2019 का तृ‍तीय संस्‍करण अहमदाबाद के श्री शिवानंद आश्रम में आयोजित किया गया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की इस पहल में इसरो/अंतरिक्ष विभाग प्रमुख साझेदार रहा है। कुछ अत्‍यावश्‍यक समस्‍याओं, जिनका हम सामना करते हैं, उनका समाधान पाने हेतु विद्यार्थियों को एक मंच उपलब्‍ध कराने के लिए एस.आई.एच.

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Launch Kit

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लांच कीट

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GSAT-31 Brochure

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जीसैट-31 ब्रोशर

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लांच कीट

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Launch Kit

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UNispace Nanosatellite Assembly & Training by ISRO (UNNATI)

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As one of the leading space faring nations, India has been actively associated with United Nations Office for Outer Space Affairs (UNOOSA) as member of Committee on the Peaceful Uses of Outer Space (COPUOS) since its inception.

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इसरो द्वारा यूनिस्‍पेस नैनो उपग्रह समुच्‍चयन एवं प्रशिक्षण (उन्‍नति)

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अंतरिक्ष में प्रवीण अग्रणी राष्‍ट्रों में से एक, भारत बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर समिति (सी.ओ.पी.यू.ओ.एस.) के सदस्‍य के रूप में संयुक्‍त राष्‍ट्र बाह्य अंतरिक्ष कार्य कार्यालय (यू.एन.ओ.ओ.एस.ए.) के साथ उसकी शुरूआत से ही सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है।

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Watch Live launch of PSLV-C44 Mission

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पी.एस.एल.वी.-सी44 मिशन का प्रमोचन सीधा देखें

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PSLV-C44 Launch Brochure

 

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पी.एस.एल.वी.-सी44 प्रमोचन ब्रोशर

 

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अंतरिक्ष विभाग का मासिक सार

साल माह
2019
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Launch Kit

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लांच कीट

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Watch Live Launch of GSLV-F11/GSAT-7A

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GSLV-F11 / GSAT-7A Brochure

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Launch Kit

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GSAT-11 Mission Brochure

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Watch Live Launch of PSLV-C43 / HysIS Misson

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PSLV-C43 / HysIS Mission Brochure

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GSAT-11 Press Kit

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PSLV-C43 / HysIS Mission - Press kit

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Live Launch of GSLV MkIII-D2/GSAT-29 Mission

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GSLV Mk III - D2/GSAT-29 Mission Brochure

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Monthly Summary of Department of Space

Year Months
2019
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क्रायो एवं सेमी-क्रायो इंजनों हेतु कॉपर-क्रोमियम एवं जर्कोनियम-टाइटेनियम मिश्रधातु का स्वीदेशीकरण-सफलता की गाथा

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रोलिंग मिल लेआउटतांबा मिश्रधातु (Cu-0.5Cr-0.05Ti-0.5Zr) जी.एस.एल.वी. मार्क-II हेतु क्रायोजेनिक ऊपरी चरण (सी.यू.एस.) इंजन, जी.एस.एल.वी. मार्क-III हेतु सी.ई.20 इंजन और सेमी-क्रायो (एस.सी.) चरण के प्रणोद चैम्‍बर आंतरिक कवच एवं अंत:क्षेपित्र फलक कवच के निर्माण के लिए क्रायोजेनिक/सेमी-क्रायोजेनिक इंजनों के लिए महत्‍वपूर्ण एवं अतिआवश्‍यक  सामग्री है। यह सी.यू.एस.

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स्‍टोरी ऑफ द वीक : चंद्रमा पर जल

हिन्दी

मानव जीवन में चंद्रमा का एक विशि‍ष्‍ट स्‍थान है। पृथ्‍वी के सबसे निकटतम खगोलीय पिंड होने के नाते तथा चंद्रीय खोज में हुई वर्तमान उपलब्धियों के कारण चंद्रमा अध्‍ययन के एक महत्‍वपूर्ण पिंड के रूप में बना रहेगा। अपोलो युग के दौरान चंद्र पर हुए आरंभिक अवतरणों के बाद 1990 के आरंभिक समय तक चंद्रीय अध्‍ययन में एक ठहराव आ गया था, जिसके बाद, क्‍लेमेंटाइन (यू.एस.ए.एफ./नासा), लूनार प्रोस्‍पेक्‍टर (नासा), स्‍मार्ट-1 (ई.एस.ए.), कागुया (जापान), चैंग मिशन (चीन), चंद्रयान-1 (भारत), लूनार रिकोनेसन्स आर्बिटर (नासा), इत्‍यादि के प्रमोचन हुए।

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Water on the Moon

अंग्रेजी

Moon occupies a special place for humans. As the closest celestial object to Earth and with the recent advances made in lunar exploration, Moon will continue to be an important object of study. The early Moon landings during the Apollo era were followed by a lull in lunar studies until the early 1990s with the launch of Clementine (USAF/NASA) followed by Lunar Prospector (NASA), SMART-1 (ESA), Kaguya (Japan),Chang’e missions (China), Chandrayaan-1 (India), Lunar Reconnaissance Orbiter (NASA), etc.

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Indigenisation of Copper-Chromium-Zirconium-Titanium Alloy for Cryo and Semi-Cryo engines- A Success Story

अंग्रेजी

Rolling Mill LayoutCopper Alloy (Cu-0.5Cr-0.05Ti-0.05Zr) is an important and vital item required for cryogenic/semi-cryogenic engines for the realisation of thrust chamber inner shell and injector face plates of Cryogenic Upper Stage (CUS) engine for GSLV Mk-II, CE20 engine for GSLV Mk-III and Semi-Cryo (SC) stage.

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ISRO Doppler Weather Radars’ Role in the Kerala Flood Rescue Operation

अंग्रेजी

During the month of August 2018, most of the districts of Kerala, mainly, Iddukki, Patthanmthitta, Ernakulam, Trichur and Palakkad received more than expected rainfall (deviation by more than 164% as per India Meteorological Department (IMD) report) from this year’s South West monsoon. In just the first 20 days of the month, Kerala has received the highest rainfall for the entire month in 87 years, with Idukki district breaking a 111-year record for the highest rainfall for the month, as per IMD’s records. This rainfall has brought flood in several parts of the state.

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केरल की बाढ़ बचाव कार्य में इसरो डाप्लसर मौसम रेडार की भूमिका

हिन्दी

अगस्‍त, 2018 के दौरान केरल के अधिकतर जिलों, मुख्‍यत: इडुक्‍की, पत्‍तनमतिट्टा, एर्नाकुलम, त्रिशूर एवं मालक्‍कड़ में इस वर्ष के दक्षिण पश्चिम मानसून से अपेक्षाकृत से अधिक वर्षा (भारत मौसम विभाग (आई.एम.डी.) के अनुसार 164% से भी अधिक विचलन) हुई। माह के प्रथम 20 दिनों में ही, केरल में आई.एम.डी.

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छठा बेंगलूर एक्‍सपो 2018, 6-8 सितंबर, 2018

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6th Bangalore Space Expo 2018, 6-8 September 2018

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प्रेषानुकर क्षमता के लिए अनुरोध

दीर्घकालीन उपयोग हेतु प्रेषानुकर क्षमता के लिए अनुरोध                                                                 

आवेदन हेतु दिशा-निर्देश: यहाँ क्लिक करें  

आवेदन प्रपत्र: यहाँ क्लिक करें    

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Request transponder capacity

The HTS capacity on-board GSAT-11 and GSAT-19 satellites are available for open allotment. Interested users are requested to apply through ICRF. For any clarification, users may get in touch with SATCOM Programme Office (080 2217 2317; nilanjan@isro.gov.in)

Request for transponder capacity for long term use

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जुलाई-दिसंबर 2017

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Post-doctoral Fellowship

Post doctoral fellowships are offered by the following Centres of ISRO.

i). Physical Researtch Laboratory [PRL]

Post-Doctoral Fellowship in research areas of the Laboratory is offered for a maximum period of two years.

Research Areas :-

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Internships/ Projects/ Training

Education and Training in space science and technology is an integral part of the Indian Space Programme. Many of the Centres under Department of Space (DOS) have initiatives to support students in the area of space science and technology. The programmes include Internships [summer Internship, Winter Internship, Long Term Internship], curriculum based projects [Projects for B.E., B.Tech, M.E., M.Tech, etc], conduct of multi-theme and multi-level training programme / awareness workshops, etc.

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Related Links

Sponsored Research from ISRO Centres

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Space Technology Cells

ISRO has also set up Space Technology Cells at premiere institutions like Indian Institutes of Technology (IITs) - Bombay, Kanpur, Kharagpur & Madras; Indian Institute of Science (IISc), Bangalore and Joint Research Programme with Savitribai Phule Pune University (SPPU)  to carry out research activities in the areas of space technology and applications.

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Associate-ships/Research Scientists

                                                                                        

Research Associates (RA): The fellowship for Research Associates may be fixed as a consolidated amount at any of three pay levels given below depending upon the qualification and experience.

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Academia Initiatives

RESPOND

 

Overview

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Research Activities

RESPOND

 

Overview

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Research Fellowships

Junior Research Fellow (JRF) / Senior Research Fellow (SRF)

Research Fellow

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जीसैट-11

जीसैट-11 बहु बीम उच्‍च क्षमता वाला संचार उपग्रह है जो के.ए. एवं के.यू.-बैंड में कार्य करता है और नए बस में नियोजित है।
यह के.यू.-बैंड में 32 प्रयोक्‍ता बीम और के.ए.-बैंड में 8 गेटवे बीम मुहैया कराता है। इस नीतभार में के.ए. x के.यू.-बैंड अग्रेषण कड़ी प्रेषानुकर
और के.यू. x के.ए.-बैंड वापसी कड़ी प्रेषानुकर हैं।

 इस उपग्रह को वर्ष 2018 के उत्‍तरार्ध में कौरु, फ्रेंच गयाना से एरियान
 द्वारा प्रमोचित करने की योजना बनाई गई है।

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संगठनात्माक संरचना

Organisation Structure

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इसरो के केंद्र

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India
  1. सेमी-कण्ड क्ट र लेबोरेटरी (एस.सी.एल.)
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Li Ion Technology Transfer

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लीथियम-आयन प्रौद्योगिकी अंतरण

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Discovery of a Sub-Saturn Exoplanet around a Sun-like star

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The scientific team, led by Prof Abhijit Chakraborty of Physical Research Laboratory (PRL), Ahmedabad, have found a sub-Saturn or super-Neptune size planet (mass of about 27 Earth Mass and size of 6 Earth Radii) around a Sun-like star. The planet goes around the star in about 19.5days. The host star itself is about 600 light years away from the Earth.

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सूर्य जैसे तारे के चारों ओर उप-शनि बर्हिग्रह की खोज

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प्रोफेसर अभिजीत चक्रवर्ती, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पी.आर.एल.), अहमदाबाद के नेतृत्‍व में वैज्ञानिक टीम ने सूर्य जैसे तारे के चारों ओर उप-शनि या सुपर-नेप्‍च्‍यून आकार के ग्रह (पृथ्‍वी के द्रव्यमान का लगभग 27 गुणा और पृथ्‍वी की 6 गुणा त्रिज्‍या का आकार) की खोज की है। यह ग्रह लगभग 19.5 दिनों में तारे की परिक्रमा करता है। यह मेजबान तारा स्‍वंय ही पृथ्‍वी से लगभग 600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। इस खोज को माउंटआबू, भारत में पी.आर.एल. की गुरुशिखर वेधशाला में 1.2 मी. की दूरबीन से समेकित स्‍वदेशी रूप से डिजाइन किए गए ‘’पी.आर.एल.

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27th Landsat Technical Working Group Meeting held at Hyderabad

अंग्रेजी

The 27th Landsat Technical Working Group Meeting (LTWG-27) was held at Hyderabad during May 7-11, 2018, jointly organized by US Geological Survey (USGS) and ISRO. USGS organises LTWG meetings regularly and provides technical forum for Landsat International Cooperator to discuss on the issues related to Landsat data reception and future plans. USGS organises this meeting in different countries who are receiving the Landsat data and become the International Cooperator.

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हैदराबाद में आयोजित 27वीं लैंडसैट तकनीकी कार्यकारी समूह की बैठक

हिन्दी

हैदराबाद में 7-11 मई, 2018 के दौरान, संयुक्‍त राज्‍य भू-विज्ञान सर्वेक्षण (यू.एस.जी.एस.) तथा इसरो द्वारा संयुक्‍त रूप से 27वीं लैंडसैट तकनीकी कार्यकारी समूह की बैठक का आयोजन किया गया। यू.एस.जी.एस. नियमित रूप से एल.टी.डब्‍ल्‍यू.जी. बैठकों का आयोजन करता है तथा लैंडसैट आँकड़ा अभिग्रहण और भविष्‍य की योजनाओं से संबंधित मामलों पर चर्चा करने हेतु लैंडसैट अंतरराष्‍ट्रीय कार्पोरेटर हेतु तकनीकी मंच प्रदान करता है। यू.एस.जी.एस. इस बैठक का आयोजन उन अलग-अलग राष्‍ट्रों में करता है, जो लैंडसैट आँकड़ा प्राप्‍त करते हैं तथा अंतरराष्‍ट्रीय सहयोगी बनते हैं।

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Promoting Space Technology based Tools and Applications in Governance & Development – Manipur

अंग्रेजी

State Meet on "Promoting Space Technology based Tools and Applications in Governance & Development" was organised by Manipur State Remote Sensing Centre (MARSAC) and North Eastern Space Applications Centre (NE-SAC), ISRO on March 23, 2018 at Imphal, Manipur.

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शासन एवं विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित उपकरणों एवं अनुप्रयोगों का संवर्धन

हिन्दी

23 मार्च, 2018 को इम्‍फाल, मणिपुर में मणिपुर राज्‍य सुदूर संवेदन केंद्र (एम.ए.आर.एस.ए.सी.) तथा उत्‍तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (उ.पू.सैक), इसरो द्वारा ‘’ शासन एवं विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित उपकरणों एवं अनुप्रयोगों का संवर्धन’’ पर राज्‍य सम्‍मेलन का आयोजन किया गया। सितंबर 2015 में नई दिल्‍ली में अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार, द्वारा आयोजित राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन के अनुक्रम में यह राज्‍य सम्‍मेलन आयोजित किया गया, जिसमें माननीय प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया था कि सामाजिक लाभार्थ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अधिक प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देने हेतु राज्‍य स्‍तर पर वि

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Workshop on Satellite Navigation and Applications of NavIC held at NARL

अंग्रेजी

A two-day workshop on “Satellite Navigation and Applications of GNSS/NavIC” was organised during April 5-6, 2018 at  NARL, Gadanki. The aim of the workshop was to create awareness on the potential and use of Indian Regional Navigation Satellite System (IRNSS) – NavIC.

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एन.ए.आर.एल. में आयोजित उपग्रह नौवहन एवं नाविक के अनुप्रयोगों पर कार्यशाला

हिन्दी

एन.ए.आर.एल., गादंकी में 5-6 अप्रैल, 2018 के दौरान ‘’उपग्रह नौहवन एवं जी.एन.एस.एस./ कार्यशाला के दूसरे दिन के अनुप्रयोगों’’ पर दो-दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का उद्देश्‍य भारतीय प्रादेशिक नौवहन उपग्रह प्रणाली (आई.आर.एन.एस.एस.) – नाविक की संभाव्यता और उपयोग पर जागरूकता बढ़ाना था। इस कार्यशाला का अभिप्राय देश में नाविक एवं वैश्‍विक नौवहन उपग्रह प्रणाली (जी.एन.एस.एस.) के विभिन

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ओलिंपस् मॉन्‍स

हिन्दी

उक्‍त चित्र में मंगल वर्ण कैमेरा (एम.सी.सी.) का चित्र देखा जा सकता है जो 436.21 मी. के स्‍थानिक विभेदन के साथ 8,387 कि.मी. की तुंगता से 18 मार्च 2018 को लिया गया मंगल ग्रह के गोले का चित्र दर्शाता है । ओलिंपस मॉन्‍स् थारसिस क्षेत्र में एक बड़ा ज्‍वालामुखीय पर्वत है और संपूर्ण सौर मंडल में सबसे ऊँचा ग्रहीय पर्वत है जिसकी आधार-तल (डेटम) के ऊपर लगभग 21 कि.मी. की सम्मिट(ऐरो) ऊँचाई है। मंगल ~145o  सौर देशांतर पर है। ओलिंपस मॉन्‍स् के चारों ओर मेघ रचना देखी जा सकती है।

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Olympus Mons

अंग्रेजी

The figure shows Mars Colour Camera (MCC) picture taken on March 18, 2018 showing Martian disc imaged from an altitude of  8,387 km with a Spatial resolution of 436.21 m. Olympus Mons is a major volcanic mountain in the Tharsis region and is the tallest planetary mountain in entire Solar System with Its summit (arrow) height of about 21 km above datum. Mars is in ~145o solar longitude (Ls). The cloud formation around Olympus Mons is seen.

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Launch of PSLV-C41/IRNSS-1I Mission

Watch Live - Launch of PSLV-C41/IRNSS-1I Mission

 

Video Programme on Doordarshan

Video Programme on Doordarshan

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PSLV-C41/IRNSS-1I Mission Brochure

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Launch of PSLV-C41/IRNSS-1I Mission

Alternate Link

अंग्रेजी
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Sounding Rocket Experiments held to Study the Upper Atmosphere

अंग्रेजी

The 21st flight of ISRO’s RH300 Mk-II Sounding Rocket, was launched on April 06, 2018 at 19:30 Hrs IST from the Thumba Equatorial Rocket Launching Station (TERLS), VSSC, Thiruvananthapuram. In this launch, the single stage indigenous Sounding Rocket successfully expelled the chemical Trimethylaluminum (TMA) at altitudes between 90 - 108 km, marking the first successful TMA experiment with an indigenous rocket.

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ऊपरी वायुमंडल के अध्यायन के लिए किए गए परिज्ञापी राकेट परीक्षण

हिन्दी

इसरो के आर.एच.300 मार्क-III परिज्ञापी राकेट ने थुंबा भू-मध्‍य रेखीय राकेट प्रमोचन स्‍टेशन (टर्ल्‍स), वी.एस.एस.सी., तिरुवनंतपुरम से 06 अप्रैल, 2018 को 19:30 बजे 21वीं उड़ान भरी। इस प्रमोचन में, इस एकल चरणीय स्‍वदेशी परिज्ञापी राकेट ने स्‍वदेशी राकेट के साथ प्रथम सफल टी.एम.ए. परीक्षण को अंकित करते हुए 90-108 कि.मी की ऊँचाई पर ट्राईमिथेलएलुमिनियम (टी.एम.ए.) रसायन को सफलतापूर्वक निकाला।

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PSLV-C41/IRNSS-1I Mission Brochure

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जी.एस.एल.वी.-एफ08/जीसैट-6ए ब्रोशर

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Launch of GSLV-F08 / GSAT-6A Mission

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Launch of GSLV-F08 / GSAT-6A Mission - Watch live from 16:30 hrs (IST)

GSLV-F08 Video Programme on Doordarshan

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The Saga of Indian Remote Sensing Satellite System

अंग्रेजी

IRS-1A, the first of the series of indigenous state-of-art operating remote sensing satellites, was successfully launched into a polar sun-synchronous orbit on March 17, 1988 from the Soviet Cosmodrome at Baikonur. 

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भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह प्रणाली की गाथा

हिन्दी

 

आई.आर.एस.-1ए का सफल प्रमोचन पूरे देश के लिए गर्व का क्षण था जिसने राष्‍ट्र के प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन हेतु विभिन्‍न आवश्‍यकतओं को पूरा करने के लिए उपग्रहों की परिपक्‍वता को दर्शाया। इसके लिस-। में जमीन पर 148 कि.मी. के प्रमार्ज सहित 72.5 मीटर का स्‍थानिक विभेदन था।

लिस-।। में प्रत्‍येक 36.25 मीटर के स्‍थानिक विभेदन वाले दो अलग प्रतिबिंबन संवेदक थे - लिस-।।ए और लिस-।।बी, और इन्‍हें अंतरिक्षयान पर इस प्रकार से लगाया गया जिससे यह जमीन पर 146.98 कि.

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GSLV F08-GSAT6A Brochure

अंग्रेजी

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आई.एन.एस.-1सी में स्वदेशी रुप से विकसित धातु आधारित ओरिगेमी नीतभार का परीक्षण

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भारतीय नेनो उपग्रह -1सी (आई.एन.एस.-1सी), जो कि एक परीक्षणात्मक उपग्रह है, को एक सहयात्री नीतभार के रुप में 12 जनवरी, 2018 को पी.एस.एल.वी.-सी40 द्वारा प्रमोचित किया गया। यह भारतीय नेनो उपग्रह (

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July-Dec 2017

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Indigenously Developed Metal-based Origami Payload tested in INS-1C

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Indian Nano Satellite-1C (INS-1C) is an experimental satellite launched by PSLV-C40 on Jan 12, 2018 as a co-passenger payload. It is the third satellite in the Indian Nano Satellite (INS) series. The first two satellites (INS-1A and INS-1B) of this series were carried as co-passenger payloads by PSLV-C37 in February 2017.

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Olympus Mons Water ice Clouds

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Mars color camera (MCC) captured a spectacular image of Olympus Mons, the loftiest mountain in the Solar system,  on February 17, 2018 at a spatial resolution of  420 m from an altitude of 8075 km.  The bright (white) patches in the lower left part of the image show the  water ice clouds aligned along NW direction over the Olympus Mons. The volcanic flows spreading outward of the Mons and having large fracture patterns are also seen in the background.

 

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ओलिंपस् मॉन्‍स जल बर्फ मेघ

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मंगल रंगीन कैमरा द्वारा 8075 कि.मी. की तुंगता से 420 मी. के स्‍थानिक विभेदन पर      17 फरवरी, 2018 को सौर मंडल में गगनचुम्‍बी पर्वत, ओलम्‍पस मोन्‍स का शानदार प्रतिबिंब लिया गया। प्रतिबिंब के नीचे बाएं भाग में चमकीली (सफेद) पट्टियां ओलम्‍पस मोन्‍स पर उत्‍तर पश्चिम दिशा की पंक्ति में जल हिम मेघ दर्शाता है। मोन्‍स के बाहरी तरफ फैला हुआ ज्‍वालामुखीय प्रवाह और बृहत आंशिक पैटर्न भी पृष्‍ठभूमि में देखे जा सकते हैं।

 

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ISRO-NASA efforts towards resolving the issue of Asian Tropopause Aerosol Layer (ATAL)

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Atmospheric aerosol and clouds play important role in weather and climate. A recent discovery of high altitude (~ 16km) Aerosol layer occurring during monsoon in the south Asian region using CALIPSO (Cloud-Aerosol Lidar and Infrared Pathfinder Satellite Observation) has started puzzling the atmospheric scientists. Very little is known on the composition and the formation mechanisms of this intense aerosol layer. This layer is of concern since it could play an important role on the climate and weather.

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एशियाई क्षोभ सीमा ऐरोसोल परत (अटल) के मामले को सुलझाने की ओर इसरो-नासा प्रयास

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वायुमंडलीय एरोसोल तथा मेघ मौसम एवं जलवायु में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हाल ही में दक्षिण एशिया क्षेत्र में मानसून के दौरान सी.ए.एल.आई.पी.एस.ओ.

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Observation of Marine Atmospheric Boundary Layer (MABL) using RISAT-1 Data

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Radar Imaging Satellite-1 (RISAT-1) was launched on April 26, 2012 by PSLV-C19 from Sriharikota. RISAT-1 is the India’s first Synthetic Aperture Radar (SAR) which enables imaging of the earth surface features during both day and night under all weather conditions. RISAT-1 was designed to image the Earth’s surface in different modes; 1.High Resolution Scanning - HRS (Spotlight scanning, resolution less than 2 m), 2. Fine Resolution Scanning - FRS-1 (Stripmap scanning, resolution 3 m), FRS-2 (Stripmap Scanning, resolution 6 m) 3.

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रिसैट-1 आंकड़े का उपयोग करते हुए समुद्री वायुमंडलीय सीमा परत (एम.ए.बी.एल.) का प्रेक्षण

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रडार प्रतिबिंबन उपग्रह-1 (रिसैट-1) को श्रीहरिकोटा से पी.एस.एल.वी. सी19 द्वारा 26 अप्रैल, 2012 को प्रमोचित किया गया। रिसैट-1 भारत का प्रथम संश्‍लेषी द्वारक रडार (एस.ए.आर.) है जो सार्व मौसम परिस्थितियों में दोनों दिन एवं रात के दौरान भू सतह की आकृतियों का प्रतिबिंबन करना सक्षम बनाता है। रिसैट-1 का विभिन्‍न मोडों; 1. उच्‍च विभेदन क्रमवीक्षण - एच.आर.एस. (बिंदु प्रकाश क्रमवीक्षण, 2मी. से कम विभेदन), 2. परिष्‍कृत विभेदन क्रमवीक्षण - एफ.आर.एस.-1 (पट्टिका मानचित्र क्रमवीक्षण, विभेदन 3 मी.), एफ.आर.एस.-2 (पट्टिका मानचित्र क्रमवीक्षण, विभेदन 6 मी.), 3.

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Glimpses of Indian Space Program

अपरिभाषित

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Space Odessey

अपरिभाषित

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ISRO Develops MSETCL GIS Portal

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The central Regional Remote Sensing Centre (RRSC-C) / ISRO at Nagpur develops a web-based GIS Portal in collaboration with MSETCL, Mumbai towards spatial integration of information on Electrical Transmission Infrastructure. The RRSC-C was established by the Department of Space in 1986-87 to cater to a wide variety of users in central Indian states of Maharashtra, Madhya Pradesh and Chhattisgarh, to tackle the resources and environmental problems of the region using space technology.

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इसरो द्वारा एम.एस.ई.टी.सी.एल. जी.आई.एस. पोर्टल का विकास

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नागपुर स्थित मध्‍य प्रादेशिक सुदूर संवेदन केंद्र (आर.आर.एस.सी.-मध्‍य)/ इसरो ने विद्युत वितरण अवसंरचना पर सूचना के स्‍थानिक समेकन हेतु एम.एस.ई.टी.सी.एल., मुंबई के सहयोग से वेब आधारित जी.आई.एस.

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International Technical Meet on Quality Assurance

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Indian Space Research Organization (ISRO) Headquarters organised an International Technical Meet on Quality Assurance during January 24-25, 2018 at Antariksh Bhavan, Bengaluru. The theme of the Meet was “Sustenance of Mission Success through Quality Assurance”. The primary objective of this Meet  was to bring together the Quality agencies of various leading space organisations across the globe and discuss about the challenges being faced by Quality and Reliability agencies in the current arena.

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गुणवत्‍ता आश्‍वासन पर अंतर राष्‍ट्रीय तकनीकी सम्‍मेलन

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) मुख्‍यालय ने अंतरिक्ष भवन, बेंगलूरु में 24-25 जनवरी, 2018 के दौरान गुणवत्‍ता आश्‍वासन पर एक अंतर राष्‍ट्रीय तकीनकी सम्‍मेलन का आयोजन किया। इस सम्‍मेलन का विषय था ‘’गुणवत्‍ता आश्‍वासन के माध्‍यम से मिशन की सफलता कायम रखना’’। इस सम्‍मेलन का मुख्‍य उद्देश्‍य विश्‍व भर के विभिन्‍न अग्रणी अंतरिक्ष संगठनों के गुणवत्‍ता ऐजेंसियों को एक साथ लाना था तथा मौजूदा कार्यक्षेत्र में गुणवत्‍ता और विश्‍वसनीयता ऐजेंसियों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों पर चर्चा करना था। इस सम्‍मेलन ने प्रतिभागी अंतरिक्ष ऐजेंसियों के बीच ज्ञान तथा स

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Annual Report 2017-18 (Hindi)

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Golden Jubilee Celebration of TERLS

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Thumba began its operation with launch of Nike Apache, a two stage US sounding rocket weighing 715 kg with a payload of 30 kg which reached an altitude of 207 km on November 21, 1963 at 18.25 hrs fueling the beginning of modern rocket based research in India. After four years, on November 20, 1967 at 09.50 hrs the first indigenously developed sounding rocket Rohini-75 (RH-75) with a total weight of 7 kg and length 1020 mm and diameter 75 mm was launched and it reached an altitude of 9.3 km beginning the era of Indian rocketry. 

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टर्ल्‍स का स्‍वर्ण जयंती महोत्‍सव

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30 कि.ग्रा. के एक नीतभार के साथ 715 कि.ग्रा. वजनीय दो चरण वाले यू.एस. साउंडिंग राकेट, नाइकी अपाचे, के प्रमोचन के साथ थुंबा ने अपना प्रचालन प्रारंभ किया। यह भारत में आधुनिक रॉकेट आधारित अनुसंधान की शुरुआत को गति देते हुए 21 नवंबर 1963 को 18:25 बजे 207 कि.मी. की ऊँचाई पर पहुँचा। चार वर्षों बाद, 7 कि.ग्रा. कुल वजन, 1020 मि.मी. लंबाई तथा 75 मि.मी. व्‍यास वाले प्रथम स्‍वदेशी विकसित साउंडिंग रॉकेट रोहिणी-75 (आर.एच.-75) को 20 नवंबर 1967 को 09:50 बजे प्रमोचित किया गया और यह भारतीय रॉकेट विज्ञान युग का प्रारंभ करते हुए 9.3 कि.मी. की ऊँचाई पर पहुँचा।

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Annual Report 2017-18 (English)

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प्रशासन और विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित उपकरण और अनुप्रयोगों को बढ़ावा देना - उत्तर प्रदेश

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लखनऊ में 30 जनवरी 2018 को उत्तर प्रदेश (आरएसएसी-यूपी) के सुदूर संवेदन उपयोग केंद्र द्वारा "उत्तर प्रदेश में प्रशासन और विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित उपकरण और अनुप्रयोगों को बढ़ावा देना" विषय पर राज्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह राज्य सम्मेलन सितंबर 2015 के दौरान नई दिल्ली में अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन की अगली कड़ी है जिसमें माननीय प्रधान मंत्री ने अपने संबोधन में सामाजिक लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अधिक प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तर पर विभिन्न हितधारकों के साथ इस तरह के सम्म

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Promoting Space Technology based Tools and Applications in Governance & Development - Uttar Pradesh

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State Meet on “Promoting Space Technology based Tools and Applications in Governance & Development in Uttar Pradesh” was organised by Remote Sensing Applications Centre, Uttar Pradesh (RSAC-UP) on January 30, 2018 at Lucknow.

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Summary of proposed payload/mission

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प्रस्तावित पेलोड/मिशन का सार

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NRSC User Interaction Meet – 2018

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National Remote Sensing Centre (NRSC), Hyderabad conducted its annual User Interaction Meet (UIM-2018) during Jan 17-19, 2018 with a theme "Space4All : For Inclusive and Sustainable Growth". The objective of the meet was to show case the new products and services, as well as future missions useful for National development and Governance to the Geo-spatial industry, academia and user community. UIM-2018 was aiming to bring together the Geo-spatial Industry and user community to share their success stories and experiences.

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एनआरएससी उपयोगकर्ता अन्योन्यक्रिया सम्मेलन – 2018

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राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), हैदराबाद ने 17-19 जनवरी,  2018 के दौरान "स्पेस 4 ऑल: फार इनक्लुजिव एंड सस्टेनेबल ग्रोथ" विषय पर अपने वार्षिक उपयोगकर्ता इंटरैक्शन मीट (यूआईएम-2018) का आयोजन किया। सम्मेलन का उद्देश्य नए उत्पादों और सेवाओं के साथ-साथ भू-स्थानिक उद्योग, शिक्षार्थी और उपयोगकर्ता समुदाय के लिए राष्ट्रीय विकास और शासन के लिए उपयोगी भविष्य के मिशन को दिखाना था। यूआईएम-2018 का लक्ष्य भू-स्थानिक उद्योग और उपयोगकर्ता समुदाय को एक साथ लाना व अपनी सफलता की कहानियों और अनुभवों को साझा करने का लक्ष्य रहा था। यूआईएम-2018 ने भू-स्थानिक उद्योग के साथ-साथ उपयोगकर्

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इसरो का नैनो उपग्रह

इसरो नैनो उपग्रह (आईएनएस) बहुमुखी और मॉड्यूलर नैनो उपग्रह बस प्रणाली है, इसकी कल्पना भविष्य में विज्ञान और प्रायोगिक पेलोड के लिए की गई है। 3 किलो पेलोड और 11 किलो के कुल उपग्रह द्रव्यमान तक ले जाने की क्षमता के साथ, यह भविष्य के उपयोग के लिए बहुत अधिक अवसर प्रदान करता है। पीएसएलवी प्रमोचन वाहन पर बड़े उपग्रहों के साथ आईएनएस प्रणाली को सह-यात्री उपग्रह के रूप में विकसित किया गया है। इसके प्राथमिक उद्देश्यों में मांग सेवाओं को प्रमोचन करने के लिए मानक उपग्रह बस प्रदान करना और अभिनव पेलोड वहन करने का अवसर प्रदान करना शामिल है।

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ISRO Nano Satellites

ISRO Nano Satellites (INS) is a versatile and modular Nano satellite bus system envisioned for future science and experimental payloads. With a capability to carry up to 3 kg of payload and a total satellite mass of 11 kg, it offers immense opportunities for future use. The INS system is developed as a co-passenger satellite to accompany bigger satellites on PSLV launch vehicle. Its primary objectives include providing a standard satellite bus for launch on demand services and providing opportunity to carry innovative payloads.

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Chairman ISRO, Secretary DOS

 

  • Dr. K Sivan

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अध्यक्ष इसरो, सचिव अंतरिक्ष विभाग

 

  • Dr. K Sivan

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Watch Live PSLV-C40 / Cartosat-2 Series Satellite Mission

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पीएसएलवी-सी 40 / कार्टोसैट2 श्रृंखला उपग्रह मिशन का सीधा प्रसारण देंखे

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PSLV-C40 / Cartosat-2 Series Satellite Brochure

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पीएसएलवी-सी 40 / कार्टोसैट -2 श्रृंखला उपग्रह मिशन

भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन, इसके बयालीसवें उड़ान (पीएसएलवी-सी 40) में, भू अवलोकन के लिए 710 कि.ग्रा. कार्टोसैट -2 श्रृंखला उपग्रह और 30 सह-यात्री उपग्रहों, कुल 613 किलोग्राम वजनी उत्थापन भार  के साथ प्रमोचित किया जाएगा । पीएसएलवी-सी -40 का सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के शार, श्रीहरिकोटा के प्रथम प्रमोचन पैड (एफएलपी) से प्रमोचन किया जाएगा।

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पीएसएलवी-सी 40 / कार्टोसैट -2 श्रृंखला उपग्रह ब्रोचर

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PSLV-C40/Cartosat-2 Series Satellite Mission

India's Polar Satellite Launch Vehicle, in its forty second flight (PSLV-C40), will launch the 710 kg Cartosat-2 Series Satellite for earth observation and 30 co-passenger satellites together weighing about 613 kg at lift-off. PSLV-C40 will be launched from the First Launch Pad (FLP) of Satish Dhawan Space Centre (SDSC) SHAR, Sriharikota.

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Village Level Vegetation Monitoring Using Resourcesat Data

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Status of vegetation at village level plays an important role to assist policy makers as a decision support feature.

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1. परिचय और अनुसूची

एस्ट्रोसैट पहला समर्पित भारतीय खगोल विज्ञान मिशन है जिसका उद्देश्य एक्स-रे, यूवी और सीमित ऑप्टिकल स्पेक्ट्रल बैंड में एक साथ खगोलीय वेधशाला प्रदान करना है जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा संचालित है। उपग्रह भूमध्य रेखा पर कक्षा के 650 किमी के पास 6 डिग्री कक्षा आनति के साथ है ।

एस्ट्रोसैट ने कक्षा में दो साल और तीन महीने पूरा कर लिया है । वर्तमान में, तीसरे एओ चक्र प्रस्तावों को निष्पादित किया जा रहा है। आईएसएसडीसी वेबसाइट पर अवलोकित लक्ष्यों की सूचि के लिए प्रस्तावक लाल किताब देख सकते हैं ।  

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5.3 Publication

The proposers shall make available the salient results of the data analysis to the scientific community through publication in appropriate journals.  All the publications shall acknowledge the AstroSat data, by including a phrase “AstroSat -along with the name of the payload(s)” whose data is used for analysis/ interpretation in the abstract.

When publishing a paper using AstroSat data, please include the following acknowledgement.

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5.2 Data rights & obligations

The Principal Investigators (PIs) of all the proposals will have exclusive rights to all the data from the instruments he/ she has configured in the proposal amongst the co-aligned instruments (namely LAXPC, CZTI, SXT and twin telescope UVIT) for those fields that are observed with AstroSat against their proposals,

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5.1 Proprietary period

There shall be a Proprietary period associated with observational data from all AstroSat instruments and in all phases and years after launch. This "proprietary period" would begin from the date the Level-1 data is made available to the payload teams and /or PIs of AO proposal.

During this proprietary period, the data will NOT BE USED by any persons or teams other than those who submitted the proposal(s) for the observations, except in cases where the PIs of proposals themselves involve such other persons.

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5. Data processing, data rights and publication

After the completion of observation, the raw data received will be converted to Level-1 data at Indian Space Science Data Center (ISSDC).  ISSDC is responsible for governing the ingest, Quick look Display (QLD), processing (for level-0/1), archival (all levels, along with the auxiliary data) and dissemination of payload data.   The data will be in standard FITS format.

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4. Aspects of duplication

The general policy of the ASTROSAT is to avoid repeating the same observation, i.e. to avoid duplications.

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3.5 Proposal handling in APPS

The receipt of each incoming proposal will be automatically acknowledged.   At the end of submission date, the APPS will forward them to the ATAC for scientific review, while performing some assessments and preparing overall statistics on the response.   All the committees are constituted by Chairman, ISRO. 

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3.4 Preparing an ASTROSAT proposal

Proposers will need to register into the APPS before they can prepare proposals.Proposers  may  go  through  the  APPS  help  document  regarding  submission of  proposals.

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3.3.4 Bright Source Warning Tool (BSWT)

Help Page: http://uvit.iiap.res.in/Software/bswt/Help Present Version 1.6.1 (4 July 2016).   Aim of the tool is to inform the proposer whether the region of the sky around a science target is safe / unsafe for UVIT to take observations. The program scans for stars brighter than the safety threshold and lists out the count rates of these bright stars in all the 10 filters in the FUV and NUV telescopes.

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3.3.3 UVIT Exposure Time Calculator (ETC)

 Help Page: http://uvit.iiap.res.in/Software/etc/Help Present Version: 2.0.0 (03 May, 2016) The UVIT Exposure Time Calculator (ETC) will help assess the feasibility of an observation. It calculates the expected count rate from a source in various UVIT filters, followed by either i) The Signal-to-Noise Ratio (SNR) achieved for a given observation time, or ii) The time required to reach a given SNR.

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3.3.2 Portable Interactive Multi-Mission Simulator (PIMMS)

The AstroSat PIMMS package (downloadable from http://astrosat-ssc.iucaa.in/or accessed online at http://astrosat-ssc.iucaa.in:8080/WebPIMMS_ASTRO/index.jsp) is an implementation of the Portable Interactive Multi-Mission Simulator package, originally distributed from NASA/GSFC High Energy Astrophysics Science Archive Research Ce

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3.3.1 ASTROVIEWER - Tool to aid Celestial Source Viewing

The tool gives the view periods of a selected celestial source for a prolonged period of one year maximum.  Also, the view periods that satisfy all the constraints are provided orbit-wise so that the PIs of proposals can plan their observations more accurately and also season-wise.

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3.3 Proposal Preparation Tools

Proposers can use the following tools in order to prepare an AstroSat proposal. 

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3.2 APPS Instructions

Instructions to fill various entries within APPS to prepare proposals are available online.  APPS proposer’s guide can also be referred for this purpose.   Queries on APPS can be mailed to astrosathelp@iucaa.infor proposal preparation and submission.  Queries will be answered on best effort basis.

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3.1 Proposal preparation pre-requisites

Depending on the scientific requirement, proposals to AstroSat can be submitted for observation with a single or more instruments. Proposals are to be made as per APPS proposer’s guide and this procedures document.  Proposers can refer to redbook for the list of observed targets.

AstroSat proposals will require the following information at the minimum. 

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3. Overview of proposal preparation, validation, submission and selection

PIs of proposals  will have to submit proposals to ISRO by the deadline given in the ISSDC website using AstroSat Proposal Processing System (APPS) software. APPS is available online through http://www.issdc.gov.in.  APPS is not downloadable and cannot be used off-line. An APPS proposer’s guide is available in ISSDC and ASC websites which elaborates on the proposal submission procedure.   A summary is provided in this section.

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2.2 Targets of Opportunity (ToO) cycle

  • Proposals that require observation of phenomenon like outburst of a supernova or nova, observation of a new transient source or X-ray nova or study of characteristics of a source when it makes transition to a different state etc. and for which one cannot predict in advance the time of occurrence, must be submitted as ToO proposal and they will be reviewed by a separate ToO Committee.
  • A ToO cycle is always open for submitting proposals at present for any proposer. A provision of 5% observing time is reserved for ToO proposals. 
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2.1 AO cycle

AstroSat is operated in a pre-planned manner i.e proposers are not present at Mission Operations Complex during the execution of their observations.  Thus, all observations must be specified in full details in advance.

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2. Observing cycles

In this fourth AO cycle, 65% of observing time is available for Indian AO proposals and 20% of observing time is for International AO proposals.  5% time is allotted for Targets of Opportunity (ToO).  Rest of the 10% time in this cycle is allotted for collaborators and calibration.

2.1   AO cycle

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1. Introduction and Schedule

 AstroSat is the first dedicated Indian astronomy mission aimed at studying celestial sources in X-ray, UV and limited optical spectral bands simultaneously, thus providing a space astronomy observatory which is operated by the Indian Space Research Organisation (ISRO).  The satellite is at 650 km near-equatorial orbit with 6-degree orbital inclination.

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Announcement of Opportunity (AO) soliciting proposals for fourth AO cycle observations

Criteria for applying:

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एस्ट्रो सैट : अवसर की घोषणा (अ.की घो.) के चौथे दौर के प्रेक्षणों के लिए प्रस्ताफव माँगते हुए अवसर की घोषणा

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ए.ओ. प्रक्रियाएं

आवेदन करने के लिए मानदंड:

  • यह घोषणा भारत में रहने वाले भारतीय वैज्ञानिकों/शोधकर्ताओं और भारत के संस्थानों/विश्वविद्यालयों/ कॉलेजों में काम कर रहे हैं, उनके लिए खुला है जो

  • खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान कर रहे हैं और

  • आवश्यक वैज्ञानिक और तकनीकी औचित्य के साथ विशिष्ट लक्ष्य अवलोकनों के लिए प्रधान जांचकर्ता (पीआईएस) के रूप में प्रस्ताव पेश करने के लिए सुसज्जित हैं और

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रिसोर्ससैट डाटा का उपयोग करते हुए ग्रामीण स्तर पर वनस्पति मानीटरन

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ग्राम स्तर पर वनस्पति की स्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, ताकि नीति निर्माताओं को निर्णय समर्थन की सुविधा में सहायता मिल सके। अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, सैक / इसरो अहमदाबाद ने भू स्तर एनडीवीआई की गणना के लिए स्वचालित प्रणाली विकसित की है, जो भू अवलोकन डाटा और अभिलेख प्रणाली (वेदास) का मानसदर्शन के माध्यम से है। एक क्षेत्र की वनस्पति स्थिति को एनडीवीआई - सामान्यीकृत विविध वनस्पति सूची द्वा

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2.1 एओ चक्र

  • एस्ट्रोसैट पूर्व नियोजित ढंग से प्रचालित किया जा रहा है अर्थात प्रस्तावक उनकी अवलोकनों के निष्पादन के दौरान मिशन प्रचालन परिसर में मौजूद नहीं रहे। इस प्रकार, सभी अवलोकनों का अग्रिम में पूरा विवरण  निर्दिष्ट किया जाना चाहिए।
  • अक्तूबर 2018-सितंबर 2019 के दौरान एओ प्रस्तावों को क्रियान्वित करने के लिए समय अवलोकन का प्रतिशत 85% है और इसे चौथा एओ चक्र कहा गया है।
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2.2 लक्ष्य पाने के अवसर (टीओओ) चक्र

  •  सुपरनोवा या नोवा के प्रस्फोट की अद्भुत घटना के अवलोकन के लिए प्रस्ताव है कि, नए क्षणिक स्रोत या एक्स-रे नोवा या स्रोत की विशेषताओं के अध्ययन के अवलोकन के लिए जब यह दूसरी स्थिति आदि में परिवर्तित होती है और जिसके घटना के समय की कोई अग्रिम में भविष्यवाणी नहीं कर सकते जिसे टीओओ प्रस्ताव के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए और जिसकी टीओओ की अलग समिति द्वारा समीक्षा की जाएगी।
  • वर्तमान में किसी भी प्रस्तावक के लिए टीओओ चक्र हमेशा प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए खुला है। 5% का अवलोकन समय प्रावधान टीओओ प्रस्तावों के लिए आरक्षित है।
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3.1 प्रस्ताव तैयार करने के लिए पूर्व आवश्यकताएं

वैज्ञानिक आवश्यकता पर निर्भर करता है कि, एस्ट्रोसैट के लिए प्रस्तावों को एक या अधिक उपकरणों के साथ अवलोकन के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है। प्रस्तावों को एपीपीएस प्रस्तावक गाइड और इस प्रक्रियाओं के दस्तावेज़ के अनुसार बनाया जाएगा। प्रस्तावक अवलोकित लक्ष्य की सूची के लिए लालकिताब का संदर्भ ले सकते हैं।

एस्ट्रोसैट प्रस्तावों पर कम से कम निम्न जानकारी की आवश्यकता होगी।

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3.2 एपीपीएस अनुदेश

प्रस्ताव तैयार करने के लिए एपीपीएस में विभिन्न प्रविष्टियों को भरने के अनुदेश ऑनलाइन उपलब्ध हैं । इस उद्देश्य के लिए एपीपीएस प्रस्तावक गाइड का भी संदर्भ लिया जा सकता है। एपीपीएस के संबंध में पूछताछ,  प्रस्ताव तैयार करने और प्रस्तुत करने के लिए astrosathelp@iucaa.in मेल से भेजा जा सकता है। प्रश्नों के उत्तर अच्छी तरह से दिए जाएंगे।

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3.3.1 एस्ट्रोव्यूवर - खगोलीय स्रोत दर्शन में सहायक उपकरण

उपकरण अधिकतम एक साल की लम्बी अवधि तक चयनित खगोलीय स्रोत के दर्शन के लिए अवधि प्रदान करता है। इसके अलावा, देखने की अवधि सभी व्यवरोधों को दूर कर कक्षानुसार प्रदान की जाती है ताकि प्रस्तावक अपने अवलकोनों की अत्यधिक सही ढंग से और मौसम के लिहाज से भी योजना बना सकें। यूवीआईटी पेलोड उपयोगकर्ताओं के लिए, ग्रहण के दौरान अवलोकन अवधि जोकि सभी परिकल्पित व्यवरोधों को दूर कर अलग फाइल में उपलब्ध है क्योंकि अधिकतर यूवीआईटी केवल ग्रहण में ही देखी जाती है । उपकरण दैनिक आधार पर उपलब्ध नवीनतम कक्षा जानकारी का उपयोग करने के लिए डिजाइन किया गया है और ग्राफिकल भूखंडों में विभिन्न व्यवरोध कोण वि

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3.3.2 सुवाह्य अन्योन्यक्रिया बहु मिशन अनुकारक (पीआरएमएमएस)

एस्ट्रोसैट पीआरएमएमएस पैकेज (http://astrosat-ssc.iucaa.in/ से डाउनलोड या http://astrosat-ssc.iucaa.in:8080/WebPIMMS_ASTRO/index.jsp पर ऑनलाइन उपलब्ध है) सुवाह्य अन्योन्यक्रिया बहु मिशन अनुकारक के कार्यान्वयन का पैकेज है जो मूल रूप से नासा/जीएसएफसी उच्च ऊर्जा खगोल भौतिकी विज्ञान आर्काइव अनुसंधान केंद्र (HEASARC) द्वारा वितरित किया गया है। यह कार्यान्वयन एस्ट्रोसैट एक्स-रे उपकरणों के प्रभावी क्षेत्र भी शामिल है और विभिन्न इनपुट वर्णक्रम मॉडल के LAXPC, SXT, CZ

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3.3.3 यूवीआईटी एक्सपोजर समय कैलक्यूलेटर (ईटीसी)

सहायता पृष्ठ: http://uvit.iiap.res.in/Software/etc/Help वर्तमान संस्करण: 2.0.0 (03 मई, 2016)। UVIT एक्सपोजर समय कैलक्यूलेटर (ईटीसी) में अवलोकन की व्यवहार्यता का आकलन के लिए मदद करेगा। यह विभिन्न UVIT फिल्टरों के स्त्रोत से वांछित गिनती दर की गणना करेगा, या इसके अनुवर्ति i) सिग्नल के लिए रव अनुपात (SNR) दिए गए अवलोकन समय के लिए हासिल की है, या ii) SNR तक पहुंचने के लिए आवश्यक समय। उपयोगकर्ता खगोलीय स्रोत/स्पेक्ट्रा के विस्तार जैसे तारा, कृष्णिका, आकाशगंगा, बिजली कानून, आदि या अपलोड करने के लिए अपने स्वयं के स्पेक्ट्रम

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3.3.4 दीप्त स्रोत चेतावनी उपकरण (BSWT)

सहायता पृष्ठ: http://uvit.iiap.res.in/Software/bswt/Help  वर्तमान संसंकरण 1.6.1 (4 जुलाई 2017)। उपकरण का उद्देश्य प्रस्तावक को यह सूचित करना है कि UVIT अवलोकनों के लिए विज्ञान लक्ष्य के आसपास के आकाश का क्षेत्र सुरक्षित/असुरक्षित है । सभी FUV और NUV दूरबीनों के 10 फिल्टरों में सुरक्षा देहली से दीप्त तारों के लिए कार्यक्रम स्कैन करता है और दीप्त तारों की गिनती दरों सूची बद्ध करता है । यह कार्यक्रम लक्ष्य वस्तु के 20 आर्कमिन दायरे में सभी चमकदार तारों की पहचान करता है। इस वेबसाइट पर दिशा-निर्देशों के दस्तावेज भी देखें

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3.4 एस्ट्रोसैट प्रस्ताव तैयार करना

प्रस्तावक को प्रस्ताव तैयार करने पहले एपीपीएस में पंजीकरण करने की आवश्यकता है । प्रस्तावक एपीपीएस मदद के माध्यम से प्रस्ताव प्रस्तुत करने के बारे में दस्तावेज को देखें।

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3.5 एपीपीएस में प्रस्ताव प्रबंध

प्रत्येक प्रस्ताव प्राप्त होने की पावती स्वचालित रूप से दी जाएगी। प्रस्तुत करने की अंतिम के तारीख के बाद, एपीपीएस प्रस्तावों को वैज्ञानिक समीक्षा, कुछ आकलन परिणत करने और प्रतिक्रिया पर समग्र आँकड़ों की तैयारी करने के लिए एटीएसी को भेजेगा। अध्यक्ष, इसरो द्वारा सभी समितियां गठित की गई है।

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4. दोहराव की अभिमुखता

एस्ट्रोसैट की सामान्य नीति यह है कि अवलोकन का आवर्तन, अर्थात दोहराव से बचना है।

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5.1 मालिकाना अवधि

सभी एस्ट्रोसैट उपकरणों से अवलोकन डेटा के साथ और सभी चरणों और प्रक्षेपण के सालों बाद भी मालिकाना अवधि जुड़ी होती है । नीतभार समूहों और / या एओ प्रस्ताव के पीआईएस के लिए यह "मालिकाना अवधि" लेवल -1 डेटा उपलब्ध होने की तिथि से शुरू होगी।

इस मालिकाना अवधि के दौरान, डेटा किसी भी व्यक्ति या अवलोकनों के लिए प्रस्ताव (वों) को प्रस्तुत किए समूहों,  उन मामलों में जहां प्रस्तावकों या पीआई खुद अन्य व्यक्तियों की तरह शामिल हुआ हो को छोड़कर अन्य टीमों द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

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5.2 डेटा अधिकार और दायित्व

प्रधान जांचकर्ता(पीआईएस) का सभी प्रस्तावों के सभी सह गठबंधन उपकरणों (अर्थात् एलएएक्सपीसी, सीजेडटीआई, एसएक्सटी और जुड़वां दूरबीन यूवीआईटी)के पूरे डेटा पर उन क्षेत्रों के एस्ट्रोसैट के साथ अवलोकित अपने प्रस्तावों के लिए विशेष अधिकार होगा ।

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5.3 प्रकाशन

प्रस्तावक समुचित पत्रिकाओं में प्रकाशन के माध्यम से वैज्ञानिक समुदाय के लिए डेटा विश्लेषण के परिणाम उपलब्ध करेंगे। सभी प्रकाशनों में जिसका डेटा सार में विश्लेषण/व्याख्या के लिए प्रयोग किया जाता है उस "एस्ट्रोसैट के नीतभार(रों) के नाम के साथ" एस्ट्रोसैट डेटा के लिए आभार प्रकट करेंगे ।

पेपर प्रकाशन के लिए जब एस्ट्रोसैट डेटा का उपयोग किया जाता है, निम्नलिखित स्वीकृति शामिल करें।

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5. डाटा संसाधन, डाटा अधिकार और प्रकाशन

अवलोकन के पूरा होने के बाद, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डाटा केंद्र (आईएसएसडीसी ) में प्राप्त कच्चे डेटा को लेवल-1 डेटा में परिवर्तित किया जाएगा। आईएसएसडीसी नीतभार डेटा के ग्रहण, त्वरित ध्यान प्रदर्शन (क्यूएलडी), प्रसंस्करण (लेवल-0/1 के लिए), अभिलेखीय (सभी स्तरों, सहायक डेटा के साथ) और प्रचार-प्रसार के प्रचालन के लिए जिम्मेदार है। यह डेटा मानक एफआईटीएस फार्मेट में होगा ।

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2. अवलोकन चक्र

इस चौथे एओ चक्र में, भारतीय एओ के प्रस्तावों के लिए 65% निरीक्षण समय उपलब्ध है और 20% अवलोकन समय अंतर्राष्ट्रीय एओ प्रस्तावों के लिए है। अवसर के लक्ष्य (टीओओ) के लिए 5% समय आवंटित किया गया है। इस चक्र में शेष 10% समय सहयोगियों और अंशांकन के लिए आवंटित किया गया है।

2.1 एओ चक्र

एस्ट्रोसैट पूर्व नियोजित ढंग से प्रचालित किया जा रहा है अर्थात प्रस्तावक उनकी अवलोकनों के निष्पादन के दौरान मिशन प्रचालन परिसर में मौजूद नहीं रहे। इस प्रकार, सभी अवलोकनों का अग्रिम में पूरा विवरण  निर्दिष्ट किया जाना चाहिए।

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3. प्रस्ताव तैयार करने, पुष्टीकरण, प्रस्तुत करना और चयन का संक्षिप्त विवरण

प्रस्तावक के पीआई को एस्ट्रोसैट प्रस्ताव संसाधन प्रणाली (एपीपीएस) सॉफ्टवेयर का उपयोग कर आईएसएसडीसी वेबसाइट में दी गई समय सीमा के भीतर इसरो को प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा। एपीपीएस http://www.issdc.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन उपलब्ध है। एपीपीएस डाउनलोड नहीं होता है और न ही ऑफ लाइन में उपयोग किया जा सकता है। एपीपीएस प्रस्तावक गाइड आईएसएसडीसी और एएससी वेबसाइटों में उपलब्ध कराया जाएगा जो प्रस्ताव प्रस्तुत करने की प्रक्रिया बताते हैं । इस खंड में सारांश प्रदान किया गया  है।

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3.3 प्रस्ताव तैयार करने की सामग्री

प्रस्तावक एस्ट्रोसैट प्रस्ताव तैयार करने के लिए निम्नलिखित साधनों का उपयोग कर सकते हैं।

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अवसर की घोषणा (एओ) चौथे एओ चक्र अवलोकनों के लिए प्रस्तावों की मांग

एओ प्रक्रिया

आवेदन करने के लिए मानदंड:

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Announcement of Opportunity (AO) soliciting proposals for fourth AO cycle observations

AO procedures

Criteria for applying:

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अंतरिक्ष आयोग

Shri. A S kiran Kumar
श्री ए.एस.किरण कुमार
(सचिव, अंतरिक्ष विभाग)
अध्यक्ष
Shri. Nripendra Misra
श्री नृपेंद्र मिश्र
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Space Commission

Shri. A S kiran Kumar
Shri. A S Kiran Kumar
(Secretary, Department of Space)
Chairman 
Shri. Nripendra Misra
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Resourcesat -2A Completes One Year in Space

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India, with nearly 3.3 million sq.km. geographical area, is endowed with natural resources such as forests, crop lands, water resources, minerals, wetlands, snow and glaciers etc. The accurate information on the availability of natural resources and their optimal management is vital for sustainable development and overall socio-economic growth of the country.

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रिसोर्ससैट -2 ए ने अंतरिक्ष में एक वर्ष पूरा किया

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भारत, लगभग 33 लाख वर्ग किलोमीटर का भौगोलिक क्षेत्र, प्राकृतिक संसाधन जैसे वन, फसल भूमि, जल संसाधन, खनिज, आद्रभूमि, बर्फ और हिमनदों आदि से संपन्न है। प्राकृतिक संसाधन और उनके इष्टतम प्रबंधन की उपलब्धता पर सटीक जानकारी सतत विकास और देश की समग्र सामाजिक-आर्थिक समृद्धि के लिए आवश्यक है ।

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Silver Jubilee Journey of LEOS

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The Laboratory for Electro-Optics Systems (LEOS), Bengaluru is one of the premier units of Indian Space Research Organisation (ISRO) under Department of Space (DOS). Since its constitution dated back to 1992 in Bangalore’s industrial hub located at Peenya, LEOS has been associated with the design, development and production of precise attitude sensors for all LEO, GEO and interplanetary missions along with the development and delivery of high-resolution optical systems for remote sensing and meteorological payloads.

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लियोस की रजत जयंती तक की यात्रा

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विद्युत-प्रकाशिकी तंत्र प्रयोगशाला (लिओस), बेंगलूर अंतरिक्ष विभाग (अं.वि.) के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की प्रमुख इकाइयों में से एक है। चूंकि इसकी स्थापना 1992 में बैंगलोर के औद्योगिक हब पीन्या में की गई थी, तब से लिओस सभी एलईओ, जीईओ और अंतरग्रहीय मिशन के लिए सटीक संवेदक के डिजाइन, विकास और उत्पादन, साथ ही उच्च विभेदन प्रकाशिक प्रणालियों के विकास और वितरण के साथ सुदूर संवेदन और मौसम संबंधी पेलोड से जुड़ा हुआ है । पीन्या के औद्योगिक शेड में 25 साल पहले इसकी विनम्र यात्रा शुरू हुई जो अब अच्छी तरह से स्थापित विश्व स्तर के निर्माण, परीक्षण और कोटिंग की सुविधा

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Promoting Space Technology Tools and Applications in Governance and Development - Tamil Nadu

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Tamil Nadu State Planning Commission together with the Institute of Remote Sensing (IRS), Anna University organised the "Tamil Nadu State Meet" on “Promoting Space Technology Tools and Applications in Governance and Development” recently at Anna University, Chennai.

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अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी उपकरण और अनुप्रयोगों का प्रशासन और विकास में प्रवर्तन – तमिलनाडु

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सुदूर संवेदन संस्थान (आईआरएस) के साथ तमिलनाडु राज्य योजना आयोग द्वारा हाल ही में अन्ना विश्वविद्यालय ने "तमिलनाडु राज्य सम्मेलन" को "अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी उपकरण और अनुप्रयोगों का प्रशासन और विकास में प्रवर्तन" पर अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई में आयोजित किया।

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International Seminar on ISP: ‘Trends and Opportunities for Industry’

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The International Seminar on Indian Space Programme (ISP): ‘Trends and Opportunities for Industry’ was organised by Indian Space Research Organisation (ISRO), Antrix Corporation Limited  in coordination with Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry (FICCI) at New Delhi during November 20-21, 2017.

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आईएसपी पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी: 'उद्योग के लिए रुझान और अवसर'

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड  के द्वारा इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के समन्वय से नई दिल्ली में नवंबर 20-21, 2017 के दौरान 'उद्योग के लिए रुझान और अवसर' विषय पर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम (आईएसपी) पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी: का आयोजन किया गया था।

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APRSAF-24 held in Bengaluru

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The 24th session of the Asia-Pacific Regional Space Agency Forum (APRSAF-24) was organised at Bengaluru, India during November 14 -17, 2017.  APRSAF-24 was co-organised by the Department of Space (DOS) / Indian Space Research Organisation (ISRO), the Ministry of Education, Culture, Sports, Science and Technology of Japan (MEXT) and the Japan Aerospace Exploration Agency (JAXA) with the theme “Space Technology for Enhance

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बेंगलुरू में एपीआरएसएएफ -24 आयोजित

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एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय अंतरिक्ष एजेंसी फोरम (एपीआरएसएएफ -24) का 24वां सत्र 14-17 नवंबर, 2017 के दौरान भारत के बेंगलुरु में आयोजित किया गया था। अंतरिक्ष विभाग (अं.वि.)/ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) व शिक्षा मंत्रालय, संस्कृति, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जापान (एमईएक्सटी) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) के साथ "उन्नत प्रौद्योगिकी और विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी" विषय पर एपीआरएसएएफ -24 को स

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Latest image of Mars taken by MCC

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Mars Colour Camera on-board Mars Orbiter Mission (MOM) captured this spectacular image of flood carved channel system of Kasei Valles on January 12, 2018. Kasei Valles is known to be largest outflow channel system on Mars extending more than 2400 km. The image is first one to be captured by MOM in the year 2018 and correspond to solar longitude (Ls) 113 on Mars. Thin cloud patches are also  seen in the bottom portion of image corresponding to higher altitudes of Kasei Valles.

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एमसीसी द्वारा लिया गया मंगल का नवीनतम प्रतिबिंब

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प्रतिबिंब में 2.2 किमी के स्थानिक विभेदन के साथ मंगल डिस्क का हिस्सा दिखाई दे रहा है। प्रतिबिंब  में थारसिस क्षेत्र में प्रमुख ज्वालामुखी जैसे ओलिंपस मॉन्स, अर्सिया मॉन्स, पैवनिस मॉन्स और एस्केरियस मॉन्स स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।

मंगल 85o सौर देशांतर (एलएस) में है और इस मौसम के दौरान एस्केरियस मॉन्स के आसपास अपेक्षित बादल गठन (बाण द्वारा) को देखा जा सकता है।

यह एमसीसी प्रतिबिंब 9 नवंबर, 2017 को 42,433 किमी की ऊंचाई से लिया गया था और इसमें रंग सुधार किया गया है।

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ISRO Organises INTROMET-2017

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The International Tropical Meteorology Symposium (INTROMET-2017) was organised by the Indian Meteorological Society, Ahmedabad Chapter (IMSA) and Space Applications Centre (SAC), ISRO, Ahmedabad during November 7 - 10, 2017. India has been one of the front-runners in the field of space based earth observation and weather monitoring.

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इसरो ने इन्ट्रोमेट -2017 का आयोजन किया

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7-10 नवंबर, 2017 को अंतर्राष्ट्रीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संगोष्ठी  (इन्ट्रोमेट-2017) भारतीय मौसम विज्ञान सोसायटी, अहमदाबाद अध्याय (आईएमएसए) और अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), इसरो, अहमदाबाद द्वारा  आयोजन किया गया था। भारत, अंतरिक्ष आधारित भू अवलोकन और मौसम मानीटरण के क्षेत्र में अगुआ है। उपग्रहों की इन्सैट श्रृंखला कई सारे डोमेन से डेटा प

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एस्ट्रोसैट सीजेडटी प्रतिबिंबित्र ने पहले चरण में क्रैब पल्सर के एक्स-रे ध्रुवीकरण का समाधान किया

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CZT Imager of AstroSat measures first phase resolved X-ray polarisation of Crab pulsar

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X-ray polarisation: All types of electromagnetic radiation, like X-rays and optical light, are bundles of energy called photons defined by an electric vector, and an orthogonal magnetic vector. The electric vectors are mostly random in orientation, but quite often, they are aligned to a particular direction depending on the conditions in the source of these photons.

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पीएसएलवी-सी 40/कार्टोसैट -2 श्रृंखला उपग्रह मिशन

कार्टोसैट -2 श्रृंखला उपग्रह कर्टोसैट -2 श्रृंखला में अनुवर्ति मिशन है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य उच्च विभेदन दृश्य विशिष्ट स्थान प्रतिबिंबन प्रदान करना है। यह काल-विलंब समाकलन (टीडीआई) मोड में प्रचालनीय पैनक्रोमेटिक और बहु स्पेक्ट्रमी कैमरे को वहन करता है और उच्च विभेदन डेटा वितरित करने में सक्षम है। कार्टोसैट-2 श्रृंखला उपग्रह को पीएसएलवी-सी 40 द्वारा सह-यात्री उपग्रहों के साथ प्रमोचन किया जाएगा।

पीएसएलवी-सी 40/कार्टोसैट -2 मिशन का प्रमोचन दिसंबर 2017 के दूसरे पखवाड़े के दौरान किया जाएगा।

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जीएसएलवी-एफ -08/जीसैट -6ए मिशन

जीसैट -6ए, जीसैट -6 के समान, उच्च शक्ति एस-बैंड संचार उपग्रह है जिसकी I-2K बस में 2140 किलोग्राम के उत्थापन द्रव्यमान के साथ संरूपित की गई है। अंतरिक्ष यान का मिशन जीवन 10 वर्षों के लिए योजनाबद्ध है। उपग्रह 6एम एस-बैंड खुलनीय ऐन्टेना, हस्तधारित भू टर्मिनल और नेटवर्क प्रबंधन तकनीकों के प्रदर्शन जैसे प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए मंच प्रदान करेगा जो भविष्य के उपग्रह आधारित मोबाइल संचार अनुप्रयोगों में उपयोगी हो सकते हैं। जीसैट -6ए को जीएसएलवी-एफ -08 द्वारा प्रमोचन करने की योजना है।

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जीएसएलवी-एमके।।।-डी 2/जीसैट-29 मिशन

जीसैट -29 इसरो के उन्नत आई-3के बस के आसपास संरूपित किया गया है और जीएसएलवी-एमके।।। की दूसरी विकास उड़ान के लिए पेलोड होगा। यह का X केयू बहु बीम और प्रकाशी संचार पेलोड को पहली बार वहन करता है। मिशन का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम संसाधन केंद्रों (वीआरसी) के लिए डिजिटल विभाजन की दूरी को पाटने का है ।

जी.एस.एल.वी.-मार्कIII-डी2/जीसैट-29 मिशन को वर्ष 2018 के उत्‍तरार्ध में प्रमोचित करना निर्धारित है।

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जी.एस.एल.वी. मार्कIII/ चंद्रयान-2 मिशन

भारत के दूसरे चंद्र मिशन, चंद्रयान-2 में कक्षित्र, लैंडर (विक्रम) एवं रोवर (प्रज्ञान) नाम के तीन माड्यूल हैं। कक्षित्र एवं लैंडर माड्यूल यांत्रिक रूप से अंतरापृष्ठित किए जाएंगे और एक साथ समेकित माड्यूल के रूप में रखे जाएंगे तथा जी.एस.एल.वी. मार्क-III प्रमोचक राकेट में समायोजित किए जाएंगे। लैंडर के भीतर रोवर स्थित है। जी.एस.एल.वी.

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38th Asian Conference on Remote Sensing

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 The 38th Asian Conference on Remote Sensing (ACRS-2017) was successfully organised during October 23-27, 2017 at New Delhi. The theme of the conference was Space Applications: Touching Human Lives. It was jointly organised by Asian Association on Remote Sensing (AARS), Indian Society of Remote Sensing (ISRS) and Indian Society of Geomatics (ISG) and Co-hosted by ISRO.

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सुदूर संवेदन पर 38वां एशियाई सम्मेलन

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सुदूर संवेदन पर 38वां एशियाई सम्मेलन (एसीआरएस-017) नई दिल्ली में 23-27, 2017 के दौरान सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था। सम्मेलन का विषय स्पेस एप्लिकेशन:टचिंग ह्यूमन लिवज था । यह संयुक्त रूप से एशियाई एसोसिएशन ऑफ रिमोट सेंसिंग (एएआरएस), इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईएसआरएस) और इंडियन सोसाइटी ऑफ जीओमेटिक्स (आईएसजी) द्वारा आयोजित किया गया था और इसरो द्वारा सह-प्रायोजित किया गया था। एसीआरएस-017 एशिया और आसपास से विकसित और विकासशील देशों से छात्रों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, नीति निर्माताओं, पेशेवरों और व्यवसायियों को एक साथ लाने के लिए मंच है। सम्मेलन का मुख्य उ

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ETS - A System for Transportation of Small Satellite and Flight Hardware

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The Space programme in the country is executed through ISRO Centre/Units spread across the country, each one with a specific responsibility ranging from the conceptual design to building and operating variety of space systems. The satellites, which are built at ISRO Satellite Centre (ISAC), Bengaluru needs to be transported to the country’s spaceport at Satish Dhawan Space Centre (SDSC), Sriharikota for the launch.

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ईटीएस - लघु उपग्रह और उड़ान हार्डवेयर के परिवहन के लिए प्रणाली

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पूरे देश में फैले इसरो केंद्र/यूनिटों के माध्यम से देश में अंतरिक्ष कार्यक्रम को क्रियान्वित किया जाता है, हर एक की वैचारिक डिजाइन से लेकर अंतरिक्ष प्रणालियों के विभिन्न प्रकार के निर्माण और प्रचालन के लिए विशिष्ट जिम्मेदारी होती है। उपग्रह जिन्हें इसरो उपग्रह केंद्र (आईजैक) , बेंगलुरु में बनाया जाता है उन्हें प्रमोचन के लिए देश के अंतरिक्षपोर्ट सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी), श्रीहरिकोटा तक पहुंचाया जाता है। उपग्रहों के सुरक्षित परिवहन के लिए आईजैक ने उपग्रह परिवहन प्रणाली (एसट

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ISRO Celebrates World Space Week-2017

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World Space Week (WSW) is an international annual celebration of space science and technology, observed during the week of 04-10 October. The commencing and concluding dates of world space week recalls two important dates in space history.

October 04, 1957: Journey to space started with the launch of the first man-made Earth satellite, Sputnik 1.

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इसरो ने विश्व अंतरिक्ष सप्ताह -2017 मनाया

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विश्व अंतरिक्ष सप्ताह [वर्ल्ड स्पेस वीक (डब्लूएसडब्लू)] अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक उत्सव है, जो 4-10 अक्टूबर के सप्ताह के दौरान मनाया गया था। विश्व अंतरिक्ष सप्ताह की उद्घाटन और समापन तिथियां अंतरिक्ष इतिहास में दो महत्वपूर्ण तिथियां को याद दिलाती हैं-

अक्टूबर 04, 1957: प्रथम मानव निर्मित भू उपग्रह, स्पुतनिक 1 के प्रमोचन के साथ अंतरिक्ष में यात्रा शुरू हुई।

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Global Shot of Mars taken by MOM

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This image covers Mars Disc in a Perspective/Ortho view with 3.5 km per pixel resolution and obtained after the blackout period experienced by MOM.  Olympus mons, and three volcano systems Arsia mons, Pavonis mons, Ascraeus mons opposite to Olympus mons system are seen prominently in this shot. 

This is the  latest picture by MCC on Oct 08, 2017 from an altitude of 70,157 km.  This RGB image has been color corrected for better visual appeal.

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मोम द्वारा लिया गया वैश्विक चित्र

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मोम द्वारा 3.5 किमी प्रति पिक्सल विभेदन पर और ब्लैकआउट अवधि के गुजरने के बाद मंगल डिस्क को आच्छादित करते हुए परिदृश्य/यथार्थ दृश्य के साथ प्रतिबिंब लिया गया । इस चित्र में स्पष्ट रूप से ओलिम्पस मोन्स प्रणाली के सामने ओलिम्पस मोन्स, और तीन ज्वालामुखी प्रणाली अरसिया मोन्स, पाओनिस मोन्स, एस्क्रायस मोन्स दिखाई देते हैं ।

यह अक्तूबर 08, 2017 को एमसीसी द्वारा 70,157किमी की ऊंचाई से लिया गया अद्यतन चित्र है । आरजीबी प्रतिबिंब के बेहतर परिदृश्यता के लिए रंग सुधारा गया है ।

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Successful completion of One Year of Service by SCATSAT-1 Scatterometer

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SCATSAT-1, the state-of-the-art satellite with a dedicated Scatterometer payload was launched on September 26, 2016. It is a continuity mission for Oceansat-2 Scatterometer (OSCAT) to provide wind vector data products for weather forecasting, cyclone detection and tracking services to the users.

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स्कैटसैट-1 स्कैट्रोमीटर द्वारा एक वर्ष की सेवा का सफल समापन

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स्कैटसैट-1, समर्पित स्कैट्रोमीटर पेलोड के साथ अत्याधुनिक उपग्रह को 26 सितंबर, 2016 को प्रमोचन किया गया था। यह मौसम पूर्वानुमान, चक्रवात का पता लगाने के लिए पवन सदिश डेटा उत्पादों और उपयोगकर्ताओं को ट्रैकिंग सेवाएं को उपलब्ध कराने के लिए ओशियनसैट-2 स्कैट्रोमीटर (ओएससीएटी) के लिए निरंतरता मिशन है । स्कैटसैट-1 ओएससीएटी के डिजाइन की तरह है, क्रमशः एचएच और वीवी ध्रुवीकरण के साथ जमीन पर 49° और 57° की कोण के पेंसिल बीम डिजाइन के साथ दो बीम के साथ कू-बैंड मे

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Many Satellites Celebrated Birth Anniversary during last week of September

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Mars Orbiter Mission (MOM), the maiden interplanetary mission of ISRO, launched on November 5, 2013, was successfully inserted into Martian orbit on September 24, 2014 in its first attempt. MOM completed three years orbiting around the Planet Mars as on September 24, 2017.

 

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सितंबर के आखिरी सप्ताह के दौरान कई उपग्रहों का जन्मदिवस मनाया गया

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5 नवंबर, 2013 को प्रमोचित मंगल कक्षित्र मिशन(मोम), इसरो ने प्रथम प्रयास में अंतर्गहीय मिशन को 24 सितंबर, 2014 को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक डाला था। मोम ने सितंबर 24, 2017 को मंगल ग्रह के चारों ओर तीन साल की कक्षाएं पूरी कीं।

  • इस अवसर पर, अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम कार्यालय, इसरो मुख्यालय ने 25 सितंबर, 2017 को 'एमओएम विज्ञान सम्मेलन' का आयोजन किया।

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एस्ट्रोसैट विज्ञान सम्मेलन

पहला समर्पित भारतीय खगोल विज्ञान मिशन, एस्ट्रोसैट, जिसे 28 सितंबर, 2015 को लॉन्च किया गया, कक्षा में दो साल पूरा किया। एस्ट्रोसैट मिशन की अनूठी विशेषता यह है कि एक ही उपग्रह से विभिन्न खगोलीय वस्तुओं को एक साथ बहु-तरंगदैर्ध्य अवलोकनों (ऑप्टिकल, यूवी और एक्स-रे) को सक्षम करता है।

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AstroSat Science Meet

The first dedicated Indian Astronomy mission, AstroSat which was launched on September 28, 2015 completed two years in orbit. A unique feature of Astrosat mission is that it enables simultaneous multi-wavelength observations (optical, UV and X-rays) of various astronomical objects with a single satellite.

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MOM Science Meet

Mars Orbiter Mission (MOM), the maiden interplanetary mission of ISRO, launched on November 5, 2013, was successfully inserted into Martian orbit on September 24, 2014 in its first attempt.  MOM completed three years as on September 24, 2017, though the designed mission life of MOM was six months. The Satellite is in good health and continues to work as expected. Scientific analysis of the data, which is being received from the Mars Orbiter spacecraft, is in progress.

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मोम विज्ञान सम्मेलन

5 नवंबर, 2013 को प्रमोचित मंगल कक्षित्र मिशन (मोम), इसरो के प्रथम अंतर्ग्रहीय मिशन को 24 सितंबर, 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था। मोम ने 24 सितंबर, 2017 को तीन वर्ष पूरे किये, हालांकि मोम मिशन के जीवन का डिज़ाइन छह महीने का था। उपग्रह का स्वास्थ्य अच्छा है और उम्मीद के मुताबिक काम करना जारी रखा है। मार्स कक्षित्र अंतरिक्ष यान से प्राप्त आंकड़ों का वैज्ञानिक विश्लेषण प्रगति पर है।

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Operationalisation of Thunderstorm Nowcasting Services over NE Region using DWR data

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North Eastern Space Applications Centre (NESAC) has been providing thunderstorm nowcasting (forecasting up to 4 hours) services for North Eastern Region (NER) of India since 2015 under the North Eastern Regional node for Disaster Risk Reduction (NER-DRR) initiatives. This was done using the data from satellite imager and sounder onboard INSAT-3D / INSAT-3DR, automatic weather station data, and by analysing numerical weather forecast data.

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डीडब्लूआर डाटा का इस्तेमाल करते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र में झंझावात अद्यप्रसारण सेवा का प्रचालनीकरण

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पूर्वोत्तर अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनईसैक 2015 से पूर्वोत्तर क्षेत्रीय नोड (एनईआर-डीआरआर) की पहल के रूप में पूर्वोत्तर क्षेत्रीय नोड के तहत भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के लिए झंझावात अद्यप्रसारण (4 घंटे तक का पूर्वानुमान) सेवाएं प्रदान कर रहा है। यह इन्सैट-3डी/इन्सैट-डीडीआर सैटेलाइट इमेजर और साउंडर, स्वचालित मौसम स्टेशन के आंकड़ों और सांख्यिक मौसम पूर्वानुमान डेटा का विश्लेषण करने के लिए डेटा का उपयोग करता था। हालांकि, इस आंकड़े का उपयोग करके पता लगाना, ट्रैक करन

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test careers

ICRB Careers

Current Openings

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परीक्षण अवसर

आईसीआरबी अवसर

Current Openings

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Monitoring Larsen C Rift propagation, Calving and Iceberg Deformation: through VEDAS developed Automatic Technique

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Antarctica, the southernmost continent, is an ice-covered land mass. 90% of world’s fresh water is in Antarctica. It is broadly divided in to East Antarctica and West Antarctica. Antarctic Peninsula is one of the test beds for monitoring climate variation.

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लार्सन सी रिफ्ट प्रचार, कैलगिंग और हिमशैल विरूपण की निगरानी: वेदास के माध्यम से विकसित स्वचालित तकनीक

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अंटार्कटिका, आखरी दक्षिणी महाद्वीप, बर्फ से ढका हुआ भू भाग है। दुनिया के ताजे पानी का 90% अंटार्कटिका में है । यह मोटे तौर पर पूर्व अंटार्कटिका और पश्चिम अंटार्कटिका में विभाजित है । अंटार्कटिक प्रायद्वीप जलवायु परिवर्तन की निगरानी के लिए परीक्षण बेड में से एक है। अंटार्कटिका की बर्फ की व्यापक श्रेणियों में बर्फ की शीट (व्यापक अवधि तक बर्फ की परत से आच्छादित भूभाग), बर्फ शेल्फ (भूभाग से स्थायी रूप से संलग्न अस्थिर बर्फ परत), हिमशैल (अस्थिर भू बर्फ), ग्लेशियर (धीरे ​​खीसकने वाला बर्फ खंड), बर्फ वृद्धि (भूमिगत बर्फ शेल्फ) और समुद्री बर्फ (जम गया हुआ सागर जल)।

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Jan-June 2017

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जनवरी-जून 2017

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सूचना का अधिकार

आर.टी.आई. अधिनियम, 2005 के तहत आवेदन प्रस्‍तुत करने हेतु निर्देश

अंतरिक्ष विभाग/ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की उपलब्धियाँ

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NARL Studies tropical tropopause aerosol layer using in-situ observations in collaboration with NASA

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Aerosols, Radiation and Trace Gases Group (ARTG) of National Atmospheric Research Laboratory is engaged in studying atmospheric aerosols, trace gases, radiations, clouds and their interactions. Aerosols, the sub-micron size particles suspended in air are produced from a variety of man-made as well as natural processes such as vehicle exhaust, waste-burning, wind blown dust, volcanic eruptions etc.

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एनएआरएल ने नासा के सहयोग से इन-सीटू अवलोकनों का उपयोग करते हुए उष्णकटिबंधीय ट्रोपोपॉज़ का अध्ययन किया

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 राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला का एरोसोल, विकिरण एवं अल्पमात्रिक गैस समूह (एआरटीजी)  वायुमंडलीय एरोसोल, अल्पमात्रिक गैस, विकिरण, बादलों और उनकी अन्योन्यक्रिया के अध्ययन में लगा हुआ है। एयरोसोल, वायु में निलंबित उप माइक्रोन आकार के कणों को कई तरह से मानव निर्मित और प्राकृतिक प्रक्रियाओं जैसे कि वाहन निकास, अपशिष्ट जलाने, पवन द्वारा उड़ाई धूल, ज्वालामुखी विस्फोट आदि से जनित होता है। ये एयरोसोल पहले अधिकतर पृथ्वी के वायुमंडल की सतह से कुछ किलोमीटर तक सीमित रहते हैं । ज्वालामुखी विस्

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पीएसएलवी-सी39/आईआरएनएसएस-1एच ब्रोचर

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PSLV-C39/IRNSS-1H Brochure

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Haze Removal Algorithm developed for Cartosat Images

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High resolution optical imaging Earth Observation Satellite (EOS) systems such as CARTOSAT provide multi-spectral remote sensing data in the visible and near-infrared (VNIR) wavelengths of the order of sub-meter to few-meters. These datasets can be used in a variety of applications, particularly associated with precise mapping, monitoring and change detection of earth’s surface, if top of the atmosphere (TOA) measurements can be properly compensated for atmospheric absorption and scattering effects.

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कार्टोसैट प्रतिबिंबों के लिए धुंध हटाने के एल्गोरिथ्म का विकास

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उच्च विभेदन ऑप्टिकल प्रतिबिंबन भू अवलोकन उपग्रह (ईओएस) प्रणाली जैसे कि कोर्टोसैट उप-मीटर के आदेश के कुछ-मीटर के लिए दृश्यमान और निकट-अवरक्त (वीएनआईआर) तरंग दैर्ध्यों में बहु-वर्णक्रमीय सुदूर संवेदन डेटा प्रदान करता है। इन डेटासेट का उपयोग विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जा सकता है, विशेष रूप से सटीक मानचित्रण, मॉनिटरन और भू सतह के परिवर्तन का पता लगाने, अगर वायुमंडल (टीओए) के ऊपरी भाग में वायुमंडलीय अवशोषण और फैलाव प्रभावों के लिए ठीक से जांचा जा सकता है। मौजूदा भौतिक विज्ञान आधारित वायुमंडलीय सुधार (एसी) मल्टी/हाइपर-स्पेक्ट्रल सुदूर संवेदन डेटा में एल्गोरिदम भू डे

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जीएसएलवी-एफ01 / एड्यूसैट ब्रोचर

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जीएसएलवी-डी2 / जीसैट-2 ब्रोचर

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पीएसएलवी-सी8 ब्रोचर

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National Workshop on Popularisation of Remote Sensing Based Maps and Geo-spatial Information

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A National Workshop on Popularisation of Remote Sensing Based Maps and Geo-spatial Information was organised jointly by ISRS and ISRO on the eve of National Remote Sensing Day on August 11, 2017 at Indian Institute of Remote Sensing (IIRS), Dehradun.  National Remote Sensing Day (August 12) is celebrated every year on the occasion of birth anniversary of Dr. Vikram Sarabhai, the Father of the Indian Space Program.

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सुदूर संवेदन आधारित मानचित्र और भू-स्थानिक सूचना को लोकप्रिय बनाने के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला

हिन्दी

भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस), देहरादून में 11 अगस्त, 2017 को राष्ट्रीय सुदूर संवेदन दिवस की पूर्व संध्या पर आईएसआरएस और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से रिमोट सेन्सिंग आधारित मानचित्र और भू-स्थानिक सूचना को लोकप्रिय बनाने के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ.

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पीएसएलवी-सी6 ब्रोचर

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ISRO Organises an Outreach Programme in Hindi at Ranchi

अंग्रेजी

Creating awareness among the general public, especially students, about the benefits that have accrued from India‘s applications driven space programme to the society and the progress made by the country in space science and technology has been given utmost importance at ISRO.

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इसरो द्वारा रांची में हिंदी में आउटरीच कार्यक्रम का आयोजन

हिन्दी

सामान्य जनता में, विशेष रूप से छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करना, जो कि भारत के अनुप्रयोगों द्वारा प्रचालित अंतरिक्ष कार्यक्रमों से समाज को पहुंचाए जाने वाले लाभ और अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश द्वारा की गई प्रगति को इसरो ने अत्यधिक महत्व दिया गया है। महत्वपूर्ण कार्यक्रमों पर मीडिया अभियान, सोशल मीडिया के माध्यम से अभियान, प्रदर्शनियों का आयोजन, व्याख्यान जैसे छात्रों के साथ अन्योन्यक्रिया सत्र, प्रश्नोत्तरी कार्यक्रमों, जल रॉकटों बनाना और प्रमोचन करना, प्रकाशन, वीडियो वृत्तचित्रों इत्यादि जैसे शैक्षिक गतिविधियों को उन्हें ध्यान में रखते हुए तैयार

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ISRO Develops Optical Imaging Detector Array for Hyperspectral Imaging Applications

अंग्रेजी

ISRO is endeavouring to enter the domain of operational hyperspectral imaging from earth orbit. To find a suitable detector array for the proposed  Hyperspectral Imaging Satellite’s (HySIS) payload in terms of performance and delivery schedule for meeting the project requirements, a detailed survey was conducted.

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इसरो ने हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग एप्लीकेशन के लिए ऑप्टिकल इमेजिंग डिटेक्टर एरे का विकास किया है

हिन्दी

इसरो पृथ्वी की कक्षा से प्रचालनीय हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग के क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास कर रहा है। प्रोजेक्ट की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रदर्शन और वितरण कार्यक्रम के संदर्भ में प्रस्तावित हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट(HySIS) पेलोड के लिए उपयुक्त संसूचक व्यूह खोजने के लिए, विस्तृत सर्वेक्षण किया गया।

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पीएसएलवी-सी15 ब्रोचर

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जीएसएलवी-एफ06 / जीसैट-5पी ब्रोचर

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एनएनआरएमएस मई 2017

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Space Science Glossary

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अंतरिक्ष विज्ञान शब्दावली

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Flood Monitoring using SCATSAT-1 Satellite

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Monsoon was active over different regions of India especially in Gujarat, Eastern Uttar Pradesh, Western Bihar, Assam and lately in West Bengal during mid July 2017. Heavy rains have created severe floods in these regions with extreme flood in parts of Gujarat and neighboring areas. Districts namely Banaskantha, Ahmedabad, Gandhinagar, Mehsana, Patan, Sabarkantha etc., recorded more than 300% rainfall above average level during July 20, 2017 to July 26, 2017. 

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स्कैटसैट-1 उपग्रह का उपयोग कर बाढ़ मानीटरण

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भारत के विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर गुजरात, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार, असम और हाल ही में जुलाई 2017 के मध्य में पश्चिम बंगाल में मॉनसून सक्रिय था। भारी बारिश ने इन क्षेत्रों में गुजरात और पड़ोसी क्षेत्रों में भारी बारिश के साथ बाढ़ आई । बानसकांठा, अहमदाबाद, गांधीनगर, मेहसाना, पाटन, साबरकांठा आदि जिलों में जुलाई 20, 2017 से 26 जुलाई, 2017 के दौरान, औसत वर्षा से 300% अधिक दर्ज की गई है।

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जीएसएलवी-एफ -08 / जीएसएटी -6 ए मिशन

स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ जीएसएलवी की अगली उड़ान 2017 की चौथी तिमाही के दौरान होने वाली है, जो जीएसएटी-6 ए संचार उपग्रह का प्रमोचन करेगा।

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टेंडर

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एंट्रिक्सी द्वारा सामाजिक रूप से प्रासंगिक गतिविधियों का निष्पाएदन

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​एंट्रिक्‍स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ए.सी.एल.), जो कि इसरो का वाणिज्यिक और विपणन अंग है, विश्‍व भर में अतरराष्‍ट्रीय ग्राहकों को अंतरिक्ष उत्‍पादों और सेवाओं को प्रदान करने हेतु कार्यरत है। पूर्णत: अत्‍याधुनिक सुविधाओं से लैस, एंट्रिक्‍स सरल उप-प्रणाली से जटिल अंतरिक्षयान को शामिल करते हुए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की आपूर्ति से कई अंतरिक्ष उत्‍पादों, संचार, भू-प्रेक्षण तथा वैज्ञानिक मिशनों को समाहित करते हुए कई विभिन्‍न अनुप्रयागों; सुदूर संवेदन आंकड़ा सेवा, प्रेषानुकर पट्टा सेवा;

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Antrix Undertakes Activities of Social Relevance

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Antrix Corporation Limited (ACL), the commercial and marketing arm of ISRO, is engaged in providing Space products and services to international customers worldwide.

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Indigenous Ship Bound Terminal tracks PSLV-C38 Trajectory Successfully

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SBT Antenna ConcpetualISRO Telemetry, Tracking and Command Network (ISTRAC), Bengaluru is entrusted with the major responsibility to provide tracking support for all the satellite and launch vehicle missions of ISRO. ISTRAC has also been mandated to provide space operations support for Deep Space Missions of ISRO.

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स्वदेशी जहाज पर लगे टर्मिनल ने पीएसएलवी-सी 38 के प्रक्षेप पथ का सफलतापूर्वक अनुवर्तन किया

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SBT Antenna Concpetualइसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (इस्ट्रैक), बेंगलुरु को इसरो के सभी उपग्रह और प्रक्षेपण वाहन अभियानों के लिए ट्रैकिंग समर्थन प्रदान करने की प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस्ट्रैक को इसरो के गहन अंतरिक्ष मिशनों के लिए अंतरिक्ष प्रचालन समर्थन प्रदान करने का भी जिम्मा दिया गया है। गहन अंतरिक्ष मिशनों क

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एनएनआरएमएस ई-बुलेटिन

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NNRMS e-Bulletin

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Outreach Facility at NRSC Inaugurated

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National Remote Sensing Centre (NRSC) established a new Outreach Facility at Jeedimetla Campus in Hyderabad to cater to the ever growing requirements of capacity building in Space-based applications.  The facility was inaugurated by Shri A.S.Kiran Kumar, Chairman, ISRO / Secretary, Department Of Space on June 26, 2017.  This facility caters to several activities like Training and Capacity Building, Information Kiosks, Content Generation, Outsourcing

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गुजरात के कुछ हिस्सों में 24 जुलाई, 2017 को स्कैटसैट-1 (कु-बैंड, स्थूल विभेदन) और सेंटिनेल-1ए (सी-बैंड, उच्च विभेदन) का विलय कर जलप्लावन जानकारी

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राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) ने अंतरिक्ष-आधारित अनुप्रयोगों में क्षमता निर्माण की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए हैदराबाद में जेदीमेटला परिसर में नई आउटरीच सुविधा की स्थापना की। इस सुविधा का उद्घाटन 26 जून, 2017 को अंतरिक्ष विभाग के सचिव, /इसरो के अध्यक्ष श्री ए.एस.किरण कुमार द्वारा किया गया। यह सुविधा प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, सूचना कियोस्क, सामग्री निर्माण, आउटसोर्सिंग और जनसंचार जैसे कई गतिविधियों को पूरा करती है, जिन्हें समानां

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जीसैट -17 ब्रोचर

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GSAT-17 Brochure

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Discovery of new suprathermal proton population around the Moon by SARA onboard Chandrayaan-1

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A new group of suprathermal protons are discovered near the Moon by the Sub-keV Atom Reflecting Analyzer (SARA) experiment on Chandrayaan-1 - the first Indian lunar mission. These protons are found to exist on the sunlit side as well as the night side of the Moon.  

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चन्द्रयान -1 के ऑनबोर्ड पर सारा द्वारा चंद्रमा के चारों ओर नए सुपरथर्मल प्रोटॉन आबादी की खोज

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पहले भारतीय चंद्र मिशन चन्द्रयान-1 के उप-केव एटम रिफ्लेक्टिंग एनालाइज़र (एसएआरए) प्रयोग द्वारा चन्द्रमा के निकट सुप्राथरमल प्रोटोन का नया समूह खोजा गया । ये प्रोटॉन चंद्रमा पर सूरज की रोशनी की ओर और अंधकार की ओर पाए गए हैं।

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सीजेडटी प्रतिबिंब ने गामा-रे प्रस्फोट का पता लगाया

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सीजेडटीआई प्रचालन के पहले सप्ताह के दौरान, सुपरनोवा अवशेष क्रैब नेबुला और ब्लैक होल स्रोत सीवायजी एक्स-1 की मानीटरण की गई। क्रैब नेबुला को मानक मोमबत्ती के रूप में माना जा सकता है और इसे समय और प्रतिबिंब के लिए कैलीब्रेटर के रूप में उपयोग किया जाता है, और बड़े अक्षेतर कोणों में उपकरण की प्रतिक्रिया को मापने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। सीजेडटीआई के अनुमानित उद्देश्यों में से एक गामा-रे प्रस्फोट (जीआरबी) जैसी विचित्र और दुर्लभ घटनाओं को रिकॉर्ड करने के लिए हार्ड एक्स-रे बैंड में आकाश के चौड़े कोण का मानिटरण करना है।

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ढका हुआ ज्वालामुखी थारिस थोलस

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Shield Volcano Tharsis Tholus

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अनुलग्नक

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अनुलग्नक -1

 

मोम-एमसीसी के निर्दिष्टीकरण:

                                     

स्थैतिकी सैंपल

 5 × 5m2 (from 100 km orbit)  

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पीएसएलवी-सी 38 / कार्टोसैट -2 श्रृंखला ब्रोचर

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PSLV-C38 / Cartosat-2 Series Satellite Brochure

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मंगल कक्षित्र मिशन पर विस्तृत किताब

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मंगल कक्षित्र मिशन पर विस्तृत किताब

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एस्ट्रोसैट ड्राफ्ट

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टायटे क्रेटर - मार्स कलर कैमरा से लिया गया प्रतिबिंब

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टायटे क्रेटर, ऑक्सिया पलुस के मंगल ग्रह के चतुर्भुज में स्थित है, जो 0.37 ° उ. और 19.65 डिग्री प. पर स्थित है। इसका व्यास 18.4 किमी है और इसे टायटे फिलीपींस के नाम पर रखा गया है। मंगल कलर कैमरे ने 13 अगस्त 2015 को इस प्रतिबिंब को 170 मीटर के विभेदन के साथ 3419 किमी की ऊंचाई पर से ले लिया है ।

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Mars Orbiter Mission Completes 1000 Days in Orbit

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Mars Orbiter Mission (MOM), the maiden interplanetary mission of ISRO, launched on November 5, 2013 by PSLV-C25 got inserted into Martian orbit on September 24, 2014 in its first attempt.  MOM completes 1000 Earth days in its orbit, today (June 19, 2017) well beyond its designed mission life of six months. 1000 Earth days corresponds to 973.24 Mars Sols (Martian Solar day) and MOM completed 388 orbits.

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मंगल कक्षित्र मिशन ने कक्षा में 1000 दिन पूरे किए

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पीएसएलवी-सी 25 द्वारा मंगल कक्षित्र मिशन (मोम), इसरो के पहले अंतरग्रहीय मिशन का प्रमोचन 5 नवंबर, 2013 को किया गया था, जिसने पहले प्रयास में 24 सितंबर, 2014 को मोम को कक्षा में रखा था। आज (19 जून, 2017) छह महीने के डिजाइन मिशन जीवन से कहीं अधिक काल के लिए मोम ने अपनी कक्षा में 1000 पृथ्वी दिवस पूरे किए । 1000 पृथ्वी दिवस 973.24 मंगल सोल (मंगल ग्रह का सौर दिन) से मेल खाता है और मोम ने 388 कक्षाएं पूरी की हैं।

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ओफ़िर चस्मा भू-भाग का 3 डी चित्रण

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अंतरिक्ष विभाग में इलेक्ट्रानिक रूप में उपलब्ध या रखी गई जानकारी

 

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प्रस्तावों का मूल्यांकन

संभाव्य प्रमुख जांचकर्ताओं के लिए यह एओ मंगल के भूवैज्ञानिक और वायुमंडलीय डोमेन में नए अनुसंधान की ओर अग्रसर होने और क्षेत्रीय और साथ ही साथ स्थानीय स्तर पर मोम डेटा का इस्तेमाल करने वाली विशिष्ट तकनीकों के विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से है। इसके लिए, इस एओ के प्रतिक्रिया में प्राप्त प्रस्तावों को मुख्य रूप से वैज्ञानिक/तकनीकी गुणों के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा। प्रस्तावों को चुनने में मुख्य तत्व, अन्य बातों के अलावा, होंगे:

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डेटा उपलब्धता

मंगल कक्षा में मोम को रखे जाने की तिथि से एक वर्ष के लॉक-इन अवधि को पूरा करने के बाद एओ के तहत प्रस्ताव के मूल्यांकन के बाद चयनित प्रस्तावों के प्रमुख जांचकर्ताओं (पीआई) को डेटा उपलब्ध कराया जाएगा। 'डेटा' शब्द प्रत्येक पेलोड की डाटा प्रोसेसिंग सुविधा के उत्पादन और संग्रहित डाटा उत्पादों को संदर्भित करता है और अनुलग्नक 6 में वर्णित सूचीबद्ध उत्पादों के रूप में वितरित किया जाता है। पीआई को मंगल कक्षित्र मिशन से डेटा के अधिकतम उपयोग पर जोर देना चाहिए। हालांकि, वे अपने अनुसंधान में पूरक के लिए अन्य अंतर्राष्ट्रीय अभियानों के डेटा का उपयोग भी कर सकते हैं। पीआई

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प्रमोचन पश्च अद्यतन

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जनवरी 18, 2014
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उपयोग की शर्तें

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स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन और चरण

क्रायोजेनिक रॉकेट चरण अधिक कुशल है और यह ठोस और भू-संग्रहणीय द्रव प्रणोदक रॉकेट चरणों की तुलना में प्रज्वलित प्रणोदक के हर किलोग्राम के लिए अधिक बल देता है। क्रायोजेनिक प्रणोदक (द्रव हाइड्रोजन और द्रव ऑक्सीजन) के साथ भू-संग्रहणीय द्रव और ठोस प्रणोदक की तुलना में बहुत अधिक विशिष्ट आवेग (दक्षता का उपाय) प्राप्त होता है, यह पेलोड के लिए वास्तविक लाभ देता है।

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जलवायु और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की चौथी आकलन रिपोर्ट (2007) ने धरती के भविष्य की खतरनाक तस्वीर का अनुमान लगाया है। रिपोर्ट में 1906 से 2005 तक वैश्विक औसत तापमान में 0.74oC की वृद्धि का अनुमान है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि पृथ्वी के वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) की सघनता में लगातार वृद्धि हुई है। संक्षेप में, जलवायु परिवर्तन से संबंधित कुछ तथ्यों और आंकड़े इस प्रकार हैं:

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पीएसएलवी-सी22 ब्रोचर

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मंगल रंगीन कैमरा (एमसीसी) से 23-04-2015 को पिटल क्रेटर का प्रतिबंब

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पिटल क्रेटर मंगल के ओपीर प्लैनम क्षेत्र में स्थित प्रभावी क्रेटर है, जो कि वाल्स मेरिनेरिस क्षेत्र के पूर्वी भाग में स्थित है। यह प्रतिबिंब 23-04-2015 को मंगल रंगीन कैमरा (एमसीसी) द्वारा 808 किमी की ऊंचाई से ~42 मीटर के स्थानिक विभेदन में लिया गया है।

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मंगल रंगीन कैमरा (एमसीसी) द्वारा देखा गया टायर्रनस मॉन्स

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Tyrrhenus Mons

25-02-2015 को मार्स कलर कैमेरा (एमसीसी) द्वारा 3192 किलोमीटर की ऊंचाई से 166 मीटर के स्थानिक विभेदन पर लिया गया हेस्पेरिया प्लमम क्षेत्र में टायर्रनस मॉन्स का प्रतिबिंब।

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बाखुइसन क्रेटर का एमसीसी प्रतिबिंब

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इस प्रतिबिंब को लगभग 450 किमी x 450 किमी क्षेत्र में 220मी. प्रति पिक्सेल रिजॉल्यूशन के साथ मंगल ग्रह की सिनस सबाइस चतुर्भुज में शामिल, जिसमें दक्षिणी गोलार्ध में बड़े बेसिन 64 किमी व्यास आकार का प्रभावी संरचना के सदस्य बाखुइसेन क्रेटर है। इन आकृति के ऊपर और नीचे कई छोटे क्रेटर दिखाई देते हैं।

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इसरो केंद्रीकृत भर्ती बोर्ड (आईसीआरबी) द्वारा भर्ती से संबंधित पूछताछ करने और इसरो मुख्यालय द्वारा भर्ती के लिए:

प्रशासनिक अधिकारी, इसरो मुख्यालय
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मंगल रंगीन कैमरा (एमसीसी) द्वारा लिया गया हेस्पीरिया प्लैनम क्षेत्र का हिस्सा

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प्रतिबिंब हेस्पीरिया प्लैनम क्षेत्र का हिस्सा है, जो 31-03-2015 को मंगल रंगीन कैमरा (एमसीसी) द्वारा 1132 किलोमीटर की ऊंचाई से 58 मीटर के स्थानिक विभेदन में लिया गया था। झुर्रीदार लकीरें और छोटे व्यास के क्रेटर स्पष्ट रूप से इस प्रतिबिंब में दिखते हैं। संपीड़न संबंधी तनाव के कारण ग्रहों की सतह पर झुर्रीदार लकीरे बनती हैं। रिज का मतलब रैखिक/कड़ाही नुमा

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MCC Image of Bakhuysen Crater

अंग्रेजी

Bakhuysen Crater

This image covers about  450 km x 450 km area with 220 m per pixel resolution in sinus Sabaeus quadrangle of Mars, having Bakhuysen Crater of 64 km diameter size qualifying for large basin impact structure candidate in the southern hemisphere. There are many small craters seen above and below these features.

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मंगल रंगीन कैमरे द्वारा लिया गया कोमास सोला क्रेटर के आसपास का क्षेत्र

हिन्दी

कोमास सोला क्रेटर के आसपास के क्षेत्र का मंगल रंगीन कैमरा (एमसीसी) द्वारा 03-02-2015 को 3493 किमी की ऊंचाई से 179 मीटर के स्थानिक विभेदन में लिया गया था। इस प्रतिबिंब में विभिन्न क्रेटर में काट क्षेत्र का सेट, कोमास सोला क्रेटर के दक्षिण में स्पष्ट रूप से देखा गया है। प्रतिबिंब में विभिन्न आयाम क्रेटर और नीचे दाहिनी ओर भाग में हवा की धारयों भी स्पष्ट रूप से

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06-05-2015 को मंगल रंगीन कैमरा (एमसीसी) द्वारा लिया गया मादिम वालिस

हिन्दी

06-05-2015 को मंगल रंगीन कैमरा (एमसीसी) द्वारा लिया गया मादिम वालिस का प्रतिबिंब का हिस्सा दिखता है, जो मंगल रंगीन कैमरे (एमसीसी) द्वारा 06-05-2015 को 31 मीटर की के स्थानिक विभेदन पर से 595 किलोमीटर ऊंचाई की दूरी लिया गया था । इस क्षेत्र के माध्यम से विभाजित फ्लिवल चैनल और प्रभाव क्रेटर स्पष्ट रूप से इस प्रतिबिंब में दिखता है।

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01-05-2015 को मंगल रंगीन कैमरा (एमसीसी) द्वारा लिया गया थउमासिया प्लैनम क्षेत्र में स्थित शिकन रिज का हिस्सा था

हिन्दी

प्रतिबिंब में मादिम वालिस का हिस्सा दिखता है, जो मंगल रंगीन कैमरे (एमसीसी) द्वारा 06-05-2015 को 31 मीटर की के स्थानिक विभेदन पर से 595 किलोमीटर ऊंचाई की दूरी लिया गया था। इस क्षेत्र के माध्यम से विभाजित फ्लिवल चैनल और प्रभाव क्रेटर स्पष्ट रूप से इस प्रतिबिंब में दिखता है।

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The first developmental flight of GSLV-Mk-III

अंग्रेजी

With the successful first developmental flight - GSLV Mk-III D1, carrying the high through put satellite GSAT-19, India has achieved self-reliance in launching 4 ton class satellite to Geosynchronous Transfer Orbit (GTO).

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जीएसएलवी-एमके-III की पहली विकासात्मक उड़ान

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पहले सफल विकासात्मक उड़ान जीएसएलवी एमके - III डी 1 का जीसैट -19, उन्नत उपग्रह को वहन करने के साथ-साथ भारत ने 4 टन श्रेणी के उपग्रह को भूतुल्यकाली स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में प्रमोचन करने में आत्मनिर्भरता हासिल की है।

पीएसएलवी और जीएसएलवी जैसे परिचालन प्रमोचन वाहनों के वर्तमान बेड़े के साथ, भारत जीटीओ के लिए 2.2 टन तक संचार उपग्रहों को प्रमोचन करने की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है। जीएसएलवी एमके-।।। के उड़ान के साथ, पेलोड क्षमता दोगुनी हो गई है जो संचार उपग्रहों को प्रमोचन करने की राष्ट्रीय आवश्यकता को पूरा करेगा।

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मंगल कक्षित्र मिशन के ऑऩबोर्ड मंगल रंगीन कैमरे द्वारा देखा गया गेल क्रेटर

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इन्सैट-3डी इमेजर और साउंडर से प्राप्त भू-भौतिक पैरामीटर (जीपीआर)

प्रचालन के शुरुआती चरण के रूप में सैक-बोपल में आईएमडीपीएस सॉफ्टवेयर में डाटा रिसेप्शन चेन (आरएफ एंड एंटीना सेगमेंट), डेटा अधिग्रहण और क्विक लुक सिस्टम (डीएक्यूएलएस), डेटा प्रोडक्ट्स (डीपी) इमेजर एंड साउंडर दोनों के लक्षण वर्णन में विभिन्न प्रकार के वांछित प्रारूप में और महत्वपूर्ण जीपीआर के कुछ जनन हैं। प्रपथम विश्लेषण और प्रारंभिक परिणाम इन्सैट-3डी मौसम विज्ञान से प्राप्त किए जाते हैं और डेटा उत्पाद और जीपीआर अच्छी तरह प्राप्त हुए हैं। आगे संविरचन और वैधीकरण और प्रारंभिक कक्षा परीक्षण(आईओटी) माउंट किया गया है और आगे काम चल रहा है ताकि मौसम की भविष्यवाणी के लिए पूरी तरह स

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प्रमोचन संरूपण

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मंगल कक्षित्र मिशन (मोम) का अवलोकन

मंगल कक्षित्र मिशन (मोम) अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह की कक्षाओं में नजदीकी बिंदु करीबन 300 किमी की दूरी पर (पेरियाप्सीस) में सबसे ऊपरी अण्डाकार कक्षा में परिक्रमा कर रहा है और दूरस्थ बिंदु (एपॉप्सिस) ~ 71,000 किमी है। मंगल के भूमध्य रेखा के संबंध में कक्षा की आनति ~ 150 डिग्री है, जैसा कि अपेक्षित है इस कक्षा में, अंतरिक्षयान को मंगल ग्रह की परिक्रमा करने के लिए ~73 घंटे लगते हैं। उपकरणों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है।

मंगल कलर कैमरा (एमसीसी)

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अभिरूची के विशिष्ट क्षेत्र

अभिरूची के प्रमुख क्षेत्रों को प्रत्येक उपकरण के सामने सूचीबद्ध किए गए हैं। नीचे दिए गए विषय केवल संकेतक हैं और पीआई स्वतंत्र रूप से सीधे प्रासंगिकता के अन्य संभावित विषयों को सुझाव देने के लिए स्वतंत्र हैं। प्रस्तावों के अभिरूची के विषयों में उल्लिखित उन क्षेत्रों में से कई का संयोजन भी हो सकता है।

मंगल कलर कैमरा (एमसीसी)

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प्रस्ताव तैयारी के लिए दिशानिर्देश

संभावित पीआई को निम्नलिखित खंडों में वर्णित प्रारूप में प्रस्ताव प्रस्तुत करना चाहिए। कवर पृष्ठ का प्रारूप अनुलग्नक-7 में दिया गया है। विस्तृत प्रस्ताव का प्रारूप अनुलग्नक-8 में दिया गया है।

प्रस्ताव के प्रारूप में प्रिंसिपल इनवेस्टीगेटर और इंस्टीट्यूशन के प्रमुख द्वारा हस्ताक्षरित घोषणापत्र भी शामिल है।

 प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए अनुदेश

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नियम और शर्तें

  • प्रस्तावों के चयन प्रस्ताव समग्र योग्यता के आधार पर संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा महत्वपूर्ण समीक्षा प्रक्रिया पर आधारित हैं ।
  • इसरो किसी कारण के बिना किसी भी समय परियोजना के किसी भी भाग या उसके पूरे समर्थन को रद्द करने का अधिकार सुरक्षित है।
  •  प्रदान किए गए डेटा सेट केवल प्रस्ताव में निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए उपयोग किए जाने चाहिए। इसरो/ डीओएस की पूर्व अनुमति के बिना परियोजना कर्मियों को मोम डेटा के पट्टे या ऋण का अधिकार नहीं है।
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अनुलग्नक

 

अनुलग्नक -1

मोम-एमसीसी के निर्दिष्टीकरण

                                

एमसीसी: पेलोड सुविधाएं

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फॉर्म बी

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प्रस्ताव प्रारूप

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पीएसएलवी-सी2 ब्रोचर (अंग्रेजी)

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जीएसएलवी एमके।।। डी1/जीसैट-19 मिशन ब्रोचर (अंग्रेजी)

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जीएसएलवी एमके।।। प्रमोचनों की सूची

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List of GSLV Mk III Launches

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Enhanced use of Space based Applications in Governance and Development- Madhya Pradesh

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Madhya Pradesh State organised a State Meet on “Promoting Space Technology based Tools and Applications in Governance and Development” on April 24, 2017 in Bhopal. Potential areas of applications, prepared jointly by the line Departments, Department of Science & Technology, GoMP and ISRO/ Department of Space covering 20 departments of MP, were presented during the State Meet.

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शासन और विकास में अंतरिक्ष आधारित अनुप्रयोगों का संवर्धित उपयोग- मध्य प्रदेश

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भोपाल में 24 अप्रैल, 2017 को मध्य प्रदेश राज्य ने "शासन और विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित उपकरण और अनुप्रयोगों का प्रचार" पर राज्य स्तरीय अधिवेशन का आयोजन किया। राज्य अधिवेशन के दौरान क्रियारत विभागों, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, गोएमपी और इसरो/अंतरिक्ष के विभाग द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किए गए अनुप्रयोगों के संभावित क्षेत्रों को मध्यप्रदेश के 20 विभागों को कवर किया गया। मंत्रालयों/ विभागों में लगभग 300 प्रतिनिधियों, 51 जिलों और 25 केंद्र सरकार संगठनों ने इस राज्य अधिवेशन में भाग लिया जिसमें अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, कलेक्टर और उप सचिवों को मध्य प्रद

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GSLV Mark III-D1 / GSAT-19 Brochure

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फिशिंग हैमलेट टू रेड प्लैनेट-अंग्रेजी में लिखी ई-कितीब डाउनलोड करें

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(Please use any epub reader to open the book)

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मंगल कक्षित्र से ओलंपस मॉन्स-प्रतिबिंब

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ओलंपस मॉन्स सौर मंडल में सबसे बड़ी ज्वालामुखी है जो मंगल ग्रह पर मौजूद है। ओलंपस मोन्स की ऊंचाई पृथ्वी पर सबसे बड़ी चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से लगभग तीन गुना है।

थारिस ज्वालामुखी  अर्सिया मोन्स, पैवनिस मॉन्स और अस्रेअस मॉन्स हैं। थारिस मोंटे ज्वालामुखी के उत्पाद हैं और वे टेक्टोनिक प्रक्रियाओं से जुड़े हुए हैं जो इस क्षेत्र में व्यापक क्रस्टल विरूपण का कारण था।

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पीएसएलवी-C29 / टेलीओस मिशन ब्रोचर (अंग्रेजी)

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पीएसएलवी-सी30/एस्ट्रोसैट ब्रोचर (अंग्रेजी)

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पीएसएलवी-सी27 / आईआरएनएसएस-1डी ब्रोचर (अंग्रेजी)

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एमसीसी से लिया गया मोजावे क्रेटर का प्रतिबिंब

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मोजावे ~ 3 मिलियन वर्ष पुराना प्रभावी क्रेटर (व्यास में 58 किमी) है और मंगल ग्रह के ऑक्सिया पैलस चतुष्कोण में स्थित है। इसका भूमि रूप पृथ्वी पर दक्षिणपश्चिम अमेरिकी के मोजावे रेगिस्तान के समान है।

एमसीसी ने यह प्रतिबिंब 155 मीटर के विभेदन के साथ 2987 किलोमीटर की ऊंचाई से 4 अगस्त, 2015 को  लिया है ।

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मोम से मंगल ग्रह की पूर्ण डिस्क छवि

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यह 55000 किमी की दूरी से लिया गया मार्स फुल डिस्क का स्नैपशॉट है । उत्तरी ध्रुव स्पष्ट रूप से इस शॉट में देखा गया है। यह उच्च गतिकी रेंज (एचडीआर) छवि को एक ही दृश्य के कई शॉट्स से तैयार किया गया था जिससे कि धूंधली से बेहतर ढंग से उज्ज्वल फीचर को देखा जा सके ।

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इसरो ने 2014 के लिए शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार प्राप्त किया

2014 के लिए शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को नई दिल्ली में आज, मई 18, 2017 को आयोजित समारोह में, प्रस्तुत किया गया था।

इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट (आईजीएमटी) के अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की उपस्थिति में, पूर्व प्रधान मंत्री और आईजीएमटी न्यासी, डॉ मनमोहन सिंह द्वारा पुरस्कार प्रदान किया गया, और इसरो की ओर से श्री ए.एस. किरण कुमार, अध्यक्ष, इसरो ने ग्रहण किया गया।

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आपातकालीन प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय डाटाबेस (एनडीईएम) संस्करण 3.0 का विमोचन

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भारत सरकार ने सभी सरकारी एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों के सामूहिक प्रयासों के माध्यम से आपदा प्रबंधन के लिए समग्र, एकीकृत और सक्रिय बहु आपदा और प्रौद्योगिकी चालित रणनीति विकसित करके  सुरक्षित और आपदा प्रतिरोध क्षमता पूर्ण भारत बनाने की नीति पर विचार किया है।

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National Database for Emergency Management (NDEM) Version 3.0 Released

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Government of India has envisaged a policy to build a safer and disaster resilient India by developing a holistic, integrated and proactive multi disaster and technology driven strategy for disaster management through collective efforts of all government agencies and non-government organisations.

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ISRO Receives Indira Gandhi Prize for Peace, Disarmament and Development for 2014

The Indira Gandhi Prize for Peace, Disarmament and Development for 2014 was presented to the Indian Space Research Organisation (ISRO) at a function today, May 18, 2017 in New Delhi.

The Prize was presented by former Prime Minister and IGMT trustee, Dr Manmohan Singh, in the presence of Mrs Sonia Gandhi, Chairperson of the Indira Gandhi Memorial Trust (IGMT), and was received by Shri A.S. Kiran Kumar, Chairman, ISRO on behalf of ISRO.

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स्कैनिंग स्काई मॉनिटर (एसएसएम) ऑनबोर्ड एस्ट्रोसैट पेलोड को प्रचालनीय किया गया - 12 अक्टूबर, 2015

स्कैनिंग स्काई मॉनिटर (एसएसएम) अपने बड़े फ़ील्ड ऑफ़ व्यू (एफओवी) में एक्स-रे स्रोतों का पता लगाने और  क्षणिक एक्सरे आकाश का मानीटरण करेगा। इसमें 1डी कोडित मास्क और संबंधित इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ प्रत्येक लगभग तीन समान डिटेक्टर इकाइयां शामिल हैं। एसएसएम के सभी तीन मॉड्यूल एक ही प्लेटफॉर्म पर रोटेशन करने में सक्षम हैं। एसएसएम पेलोड को नीचे चित्र-1 के आंकड़े में नीचे दिया गया है। प्रसंस्करण इलेक्ट्रॉनिक्स और प्लेटफ़ॉर्म मोटर ड्राइव इलेक्ट्रॉनिक्स अंतरिक्ष यान खंड के भीतर रखे गए हैं।

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एस्ट्रोसैट का आवेश कण मानीटर (सी.पी.एम.) प्रचालनात्मक हुआ

भारत का पहला बहु तरंगदैर्घ्‍य अंतरिक्ष वेधाशाला एस्‍ट्रोसैट 28 सितंबर, 2015 को 650 कि.मी. की कक्षा में इसरो के विश्‍वसनीय प्रमोचक राकेट पी.एस.एल.वी. द्वारा सफलतापूर्वक प्रमोचित किया गया। एस्‍ट्रोसैट उपग्रह में कक्षीय पथ पर उच्‍च ऊर्जा वाले कणों के संसूचन हेतु आवेशित कण मानीटर (सी.पी.एम.) रखा है जो आवश्‍यक कार्रवाई हेतु अन्‍य नीतभारों को चेतावनी प्रदान करता है। सी.पी.एम.

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मंगल के बड़े क्षेत्र का एमसीसी से लिया गया स्नैपशॉट

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इस एमसीसी स्नैपशॉट में कोओगोन वाल्ले और ऑक्सिया पलस से नीचे की ओर फोकस क्षेत्र तक के बड़े क्षेत्र को दायें शीर्ष तक शामिल किया गया है। ऑक्सिया पलस क्षेत्र के प्रचुर मात्रा में मिट्टी के खनिजों का अध्ययन किया गया है। यह नक्शा एमसीसी डेटा सेट को सही करता है जिसे पहले के मंगल अवलोकन मिशन से प्राप्त मौजूदा नक्शे पर मढ़ा जा सकता है। उच्च, कम अल्बेडो क्षेत्र में कई क्रेटर एक साथ दिखाई देते हैं।

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पीएसएलवी-सी33 / आईआरएनएसएस-1जी ब्रोचर (अंग्रेजी)

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पीएसएलवी- सी32/आईआरएनएसएस-1एफ ब्रोचर (अंग्रेजी)

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मंगल भूभाग के स्नैपशॉट

मंगल ग्रह के स्नैपशॉट को 30 दिसंबर, 2015 को 26,300 किमी की दूरी पर लिया गया। प्रतिबिंब में मंगल के प्रमुख ज्वालामुखी दिखाई देते हैं। थारिस मोंटेस, एस्केरियस मॉन्स और थारिस थोलस के प्रतिबिंब दिखाई देते हैं।

 

 

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एस्ट्रोसैट का मॉडल खुद बनाएं

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Astrosat paper model template

 

 

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वित्तीय फार्मेट


परियोजना एवं योजना

  • Format for Grant - In - Aid Bill
  • Format for Electronic Fund Transfer
  • Format for Fund Utilisation Certificate

सम्मेलन / सेमिनार / संगोष्ठी

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एस्ट्रोसैट पर (अंग्रेजी) किताब का विमोचन - मुफ्त प्रति डाउन लोड करें

 

 

 

 

 

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मंगल का टायरेंनम चतुर्भुज

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यह प्रतिबिंब लगभग 393 किमी x 393 किमी क्षेत्र में मंगल के टायरेंनम चतुर्भुज को 140 मीटर प्रति पिक्सेल विभेदन के साथ कवर करता है, जिसमें दृश्य के तल में म्यूएलर प्रभाव क्रेटर होता है। म्यूएलर 120 किमी चौड़ा क्रेटर है ।

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जीसैट -17

जीएसएटी -17 संचार उपग्रह है जो I-3K विस्तारित बस पर 3,425 किलोग्राम उत्थापन द्रव्यमान और 6 किलोवाट बिजली उत्पादन क्षमता के साथ संविरचित किया गया है। उपग्रह के प्रेषानुकरों में सी-बैंड, निम्न विस्तारित सी-बैंड और ऊपरी विस्तारित सी-बैंड प्रेषानुकर शामिल हैं। अंतरिक्ष यान में सीXएस और एसXसी एमएसएस ट्रांसपोंडर भी हैं, साथ ही डीआरटी और खोज एवं बचाव पेलोड भी है।

जून 2017 के अंत में फ्रेंच गुयाना से एरियन -5 लॉन्च वाहन द्वारा उपग्रह का प्रमोचन किया जाना निर्धारित है।

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पीएसएलवी-सी38/कार्टोसैट-2 श्रेणी उपग्रह

कार्टोसैट-2 श्रेणी उपग्रह मिशन, कार्टोसैट-2 श्रेणी के मिशन का अनुवर्ती है, जो उच्च विभेदन दृश्य विशिष्ट स्थान प्रतिबिंब प्रदान करने के प्राथमिक मिशन के उद्देश्य से है। यह इस श्रृंखला में पहले उपग्रहों के विन्यास के समान है ।

विदेशों के सह-यात्री उपग्रहों के साथ कार्टोसैट-2 श्रेणी उपग्रह का पीएसएलवी-सी38 द्वारा 500 किमी के नाममात्र ऊंचाई में प्रमोचन किया जाएगा।

पीएसएलवी-सी38/कार्टोसैट-2 श्रेणी उपग्रह मिशन को 2017 के जून महीने में एसडीएससी शार, श्रीहरिकोटा से प्रमोचन किया जाएगा।

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पीएसएलवी-सी20 ब्रोचर (अंग्रेजी)

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पीएसएलवी-सी21 ब्रोचर (अंग्रेजी)

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पीएसएलवी-सी30/एस्ट्रोसैट मिशन

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एस्ट्रोसैट के लिए सॉफ्ट एक्सरे टेलिस्कोप (एसएक्सटी) के साथ पहली लाइट

सितंबर 28, 2015 को एस्ट्रोसैट ऑनबोर्ड पर लॉन्च किए गए मृदु एक्स-रे ग्रेझिंग घटना दोगुना प्रतिबिम्बित टेलीस्कोप (नीचे दिखायी गयी ऑप्टिक और कैमरा के साथ) अपने फोकस पर शीतल सीसीडी के साथ पेश किया गया है।

 

     

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फ्लैमरियन - प्रभावी क्रेटर का एमसीसी प्रतिबिंब

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यह एमसीसी चित्र 10 जुलाई, 2016 को 5,439 किमी की ऊंचाई से लिया गया था । इसमें इंडस वालिस में स्थित फ्लैमरियन नामक प्रभावी क्रेटर शामिल है। विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के कारण फ्लैमरियन में कई परतें जमा हैं। यह चित्र उज्ज्वल और कम अल्बेडो सुविधाओं के साथ भारी क्रेटर परिदृश्य दिखाता है।

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जी.एस.एल.वी.-एफ.05/इन्सै्ट-3डी.आर. ब्रोचर (अंग्रेजी)

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स्वदेशी अंतरिक्ष सामग्री (आईएसएम) डाटा शीट

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एसएलवी प्रमोचनों की सूची

 

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एएसएलवी प्रमोचनों की सूची

 

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पीएसएलवी-सी34 ब्रोचर (अंग्रेजी में)

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शार, श्रीहरिकोटा, भारत से किए गए प्रमोचन

 

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उपग्रहों की सूची

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पीएसएलवी-सी35 ब्रोचर

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जीसैट-18 ब्रोचर (अंग्रेजी में)

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इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (इस्ट्रैक): एस्ट्रोसैट मिशन का समर्थन करता है

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एस्ट्रोसैट ने कक्षा में 100 दिन पूरे किए

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एस्ट्रोसैट प्रथम लाइट: सीजेडटी इमेजर क्रैब नेबुला की ओर देख रहा है

एस्ट्रोसैट, भारत की पहली मल्टी-तरंग दैर्घ्य अंतरिक्ष वेधशाला, 28 सितंबर, 2015 को इसरो के विश्वसनीय प्रमोचन वाहन पीएसएलवी द्वारा 650 किलोमीटर की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रमोचित किया गया था। इसके बाद प्रत्येक पेलोड को प्रचालनीय करने की प्रक्रिया शुरू हुई। आरोपित कण मॉनिटर (सीपीएम) पहला पेलोड था जिसे प्रचालनीय बनाया गया तदुपरांत कैडमियम जस्ता टेल्यूरैड इमेजर (सीजीटीआई) को प्रचालनीय बनाया गया जो कि एस्ट्रोसैट ऑनबोर्ड पर हार्ड एक्स-रे डिटेक्टर था। सीजेडटीआई को 5 अक्टूबर, 2015 को पूरी तरह से चालू किया गया था। फिर, 6 अक्टूबर को, एस्ट्रोसैट, वर्ष 1054 में चीनी खगोलविदों द्वारा पाई

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पीएसएलवी-सी36 ब्रोचर (अंग्रेजी में)

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PSLV-C38 / Cartosat-2 Series Satellite

Cartosat-2 Series Satellite mission is a follow on mission in the Cartosat-2 Series with the primary mission objective of providing high-resolution scene specific spot imagery. This is similar in configuration to earlier satellites in the series.

The Cartosat-2 Series Satellite along with co-passenger satellites from abroad is planned to be launched by PSLV-C38 into a nominal altitude of 500 km.

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स्वायत्त निकाय

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सार सारणी

1

शीर्षक

(पेलोड प्रस्तावित)  

 

 

2

श्रेणी*

 

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शुक्र के अध्ययन हेतु अंतरिक्ष आधारित प्रयोगों के लिए अवसर की घोषणा (एओ)

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, अवलोकन क्षमता और कम्प्यूटेशनल प्रौद्योगिकियों में प्रगति के कारण सौर प्रणाली के अध्ययन में पिछले कुछ दशकों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इसने सौर मंडल में जटिल प्रक्रियाओं की विविधता के बारे में हमारे ज्ञान और समझ को बढ़ाया है। ग्रहों के उत्पन्न होने की प्रणालियों और विकसित होने के तरीके के रूप में मिला यह सुराग काफी दिलचस्प है, और वे अलग-अलग और एक-दूसरे के समान कैसे हैं ।

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संलग्नक के साथ परीक्षण पड़ाव

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मीडिया

 प्रेस

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सोशल मीडिया

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स्कैटसैट-1 प्रचालनीय उत्पाद

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अप्रैल 19, 2017

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Observing Reservoir and River Water Levels from Satellite Altimetry

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Water security and management require regular monitoring of available water resources such as reservoirs, river, lakes, ponds, soil moisture etc. to devise strategies for water resources planning in the country. Prediction of hydrological extreme events such as drought and flood is crucial for decision-making. Developments in the field of Radar altimetry (SARAL – ALTIKA) is helping to measure fluctuations in water levels of major reservoirs and rivers in India.

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उपग्रह तुंगतामिति से जलाशय और नदी जल स्तर का अवलोकन

हिन्दी

जल सुरक्षा और प्रबंधन में जल संसाधनों की योजना के लिए रणनीति तैयार करने के लिए जलाशयों, नदी, झीलों, तालाबों, मिट्टी की नमी आदि जैसे जल संसाधनों की नियमित मानीटरन की आवश्यकता होती है। जल-विज्ञानिक आपद घटनाओं की भविष्यवाणी जैसे कि सूखा और बाढ़ निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण है। रडार तुंगतामिति के क्षेत्र में विकास (SARAL - ALTICA) भारत में प्रमुख जलाशयों और नदियों के जल स्तरों में उतार-चढ़ाव को मापने में मदद कर रहा है।

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3.5 एपीपीएस में प्रस्ताव प्रबंध

प्रत्येक प्रस्ताव प्राप्त होने की पावती स्वचालित रूप से दी जाएगी। प्रस्तुत करने की अंतिम के तारीख के बाद, एपीपीएस प्रस्तावों को वैज्ञानिक समीक्षा, कुछ आकलन परिणत करने और प्रतिक्रिया पर समग्र आँकड़ों की तैयारी करने के लिए एटीएसी को भेजेगा। अध्यक्ष, इसरो द्वारा सभी समितियां गठित की गई है।

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3.4 एस्ट्रोसैट प्रस्ताव तैयार करना

प्रस्तावक को प्रस्ताव तैयार करने पहले एपीपीएस में पंजीकरण करने की आवश्यकता है । प्रस्तावक एपीपीएस मदद के माध्यम से प्रस्ताव प्रस्तुत करने के बारे में दस्तावेज को देखें।

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3.2 एपीपीएस अनुदेश

प्रस्ताव तैयार करने के लिए एपीपीएस में विभिन्न प्रविष्टियों को भरने के अनुदेश ऑनलाइन उपलब्ध हैं । इस उद्देश्य के लिए एपीपीएस प्रस्तावक गाइड का भी संदर्भ लिया जा सकता है। एपीपीएस के संबंध में पूछताछ,  प्रस्ताव तैयार करने और प्रस्तुत करने के लिए astrosathelp@iucaa.in मेल से भेजा जा सकता है। प्रश्नों के उत्तर अच्छी तरह से दिए जाएंगे।

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3.1 प्रस्ताव तैयार करने के लिए पूर्व आवश्यकताएं

वैज्ञानिक आवश्यकता पर निर्भर करता है कि, एस्ट्रोसैट के लिए प्रस्तावों को एक या अधिक उपकरणों के साथ अवलोकन के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है। प्रस्तावों को एपीपीएस प्रस्तावक गाइड और इस प्रक्रियाओं के दस्तावेज़ के अनुसार बनाया जाएगा। प्रस्तावक अवलोकित लक्ष्य की सूची के लिए लालकिताब का संदर्भ ले सकते हैं।

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2.1 एओ चक्र

एस्ट्रोसैट पूर्व नियोजित ढंग से प्रचालित किया जा रहा है अर्थात प्रस्तावक उनकी अवलोकनों के निष्पादन के दौरान मिशन प्रचालन परिसर में मौजूद नहीं रहे। इस प्रकार, सभी अवलोकनों का अग्रिम में पूरा विवरण  निर्दिष्ट किया जाना चाहिए।

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1. परिचय और अनुसूची

एस्ट्रोसैट पहला समर्पित भारतीय खगोल विज्ञान मिशन है जिसका उद्देश्य एक्स-रे, यूवी और सीमित ऑप्टिकल स्पेक्ट्रल बैंड में एक साथ खगोलीय वेधशाला प्रदान करना है जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा संचालित है। उपग्रह भूमध्य रेखा पर कक्षा के 650 किमी के पास 6 डिग्री कक्षा आनति के साथ है ।

एस्ट्रोसैट ने कक्षा में डेढ़ साल पूरा कर लिया है । वर्तमान में, दूसरे एओ चक्र प्रस्तावों को निष्पादित किया जा रहा है।

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4. दोहराव की अभिमुखता

एस्ट्रोसैट की सामान्य नीति यह है कि अवलोकन का आवर्तन, अर्थात दोहराव से बचना है।

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5.1 मालिकाना अवधि

सभी एस्ट्रोसैट उपकरणों से अवलोकन डेटा के साथ और सभी चरणों और प्रक्षेपण के सालो बाद भी मालिकाना अवधि जुड़ी होती होगी । नीतभार समूहों और / या एओ प्रस्ताव के पीआई के लिए यह "मालिकाना अवधि" लेवल -1 डेटा उपलब्ध होने की तिथि से शुरू होगी।

इस मालिकाना अवधि के दौरान, डेटा किसी भी व्यक्ति या अवलोकनों के लिए प्रस्ताव (वों) को प्रस्तुत किए समूहों,  उन मामलों में जहां प्रस्तावकों या पीआई खुद अन्य व्यक्तियों की तरह शामिल हुआ हो को छोड़कर अन्य टीमों द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

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5.3 प्रकाशन

प्रस्तावक समुचित पत्रिकाओं में प्रकाशन के माध्यम से वैज्ञानिक समुदाय के लिए डेटा विश्लेषण के परिणाम उपलब्ध करेंगे। सभी प्रकाशनों में जिसका डेटा सार में विश्लेषण/व्याख्या के लिए प्रयोग किया जाता है उस "एस्ट्रोसैट के नीतभार(रों) के नाम के साथ" एस्ट्रोसैट डेटा के लिए आभार प्रकट करेंगे ।

 पेपर प्रकाशन के लिए जब एस्ट्रोसैट डेटा का उपयोग किया जाता है, निम्नलिखित स्वीकृति शामिल करें।

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5. डाटा संसाधन, डाटा अधिकार और प्रकाशन

अवलोकन के पूरा होने के बाद, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डाटा केंद्र (आईएसएसडीसी ) में प्राप्त कच्चे डेटा को लेवल-1 डेटा में परिवर्तित किया जाएगा। आईएसएसडीसी नीतभार डेटा के ग्रहण, त्वरित ध्यान प्रदर्शन (क्यूएलडी), प्रसंस्करण (लेवल-0/1 के लिए), अभिलेखीय (सभी स्तरों, सहायक डेटा के साथ) और प्रचार-प्रसार के प्रचालन के लिए जिम्मेदार है। यह डेटा मानक एफआईटीएस फार्मेट में होगा ।

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5.2 डेटा अधिकार और दायित्व

प्रधान जांचकर्ता(पीआईएस) का सभी प्रस्तावों के सभी सह गठबंधन उपकरणों (अर्थात् एलएएक्सपीसी, सीजेडटीआई, एसएक्सटी और जुड़वां दूरबीन यूवीआईटी)के पूरे डेटा पर उन क्षेत्रों के एस्ट्रोसैट के साथ अवलोकित अपने प्रस्तावों के लिए विशेष अधिकार होगा ।

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2. अवलोकन चक्र

इस तीसरे एओ चक्र में, भारतीय एओ के प्रस्तावों के लिए 45% निरीक्षण समय उपलब्ध है और 10% अवलोकन समय अंतर्राष्ट्रीय एओ प्रस्तावों के लिए है। अवसर के लक्ष्य (टीओओ) के लिए 5% समय आवंटित किया गया है। इस चक्र में शेष 40% समय पेलोड टीमों और अंशांकन के लिए आवंटित किया गया है।

2.1 एओ चक्र

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2.2 लक्ष्य पाने के अवसर (टीओओ) चक्र

  • सुपरनोवा या नोवा के प्रस्फोट की अद्भुत घटना के अवलोकन के लिए प्रस्ताव है कि, नए क्षणिक स्रोत या एक्स-रे नोवा या स्रोत की विशेषताओं के अध्ययन के अवलोकन के लिए जब यह दूसरी स्थिति आदि में परिवर्तित होती है और जिसके घटना के समय की कोई अग्रिम में भविष्यवाणी नहीं कर सकते जिसे टीओओ प्रस्ताव के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए और जिसकी टीओओ की अलग समिति द्वारा समीक्षा की जाएगी।
  • किसी भी प्रस्तावक के लिए टीओओ चक्र हमेशा प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए खुला है। 5% का अवलोकन समय प्रावधान टीओओ प्रस्तावों के लिए आरक्षित है।
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3.3 प्रस्ताव तैयार करने की सामग्री

प्रस्तावक एस्ट्रोसैट प्रस्ताव तैयार करने के लिए निम्नलिखित साधनों का उपयोग कर सकते हैं।

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3. प्रस्ताव तैयार करने, पुष्टीकरण, प्रस्तुत करना और चयन का संक्षिप्त विवरण

प्रस्तावक के पीआई को एस्ट्रोसैट प्रस्ताव संसाधन प्रणाली (एपीपीएस) सॉफ्टवेयर का उपयोग कर आईएसएसडीसी वेबसाइट में दी गई समय सीमा के भीतर इसरो को प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा। एपीपीएस http://www.issdc.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन उपलब्ध है। एपीपीएस डाउनलोड नहीं होता है और न ही ऑफ लाइन में उपयोग किया जा सकता है। एपीपीएस प्रस्तावक गाइड आईएसएसडीसी और एएससी वेबसाइटों में उपलब्ध कराया जाएगा जो प्रस्ताव प्रस्तुत करने की प्रक्रिया बताते हैं । इस खंड में सारांश प्रदान किया गया  है।

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जीएसएलवी-एफ09 ब्रोचर (अंग्रेजी)

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जलवायु और पर्यावरण संबंधी उपयोगों के लिए उपग्रह

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नौसंचालन के लिए उपग्रह

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आपदा प्रबंधन अनुप्रयोगों के लिए उपग्रह

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भू अवलोकनों के लिए उपग्रह

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जीएसएलवी प्रमोचनों की सूची

SN शीर्षक
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पीएसएलवी प्रमोचनों की सूची

SN शीर्षक
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ई-खरीद वेबसाइट दिनांक 7 अप्रैल 2017 तक रखरखाव के अधीन

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NARL MST Radar Observations Help Resolve Ionospheric Echoing Riddle

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The high power, large aperture Mesosphere-Stratosphere-Troposphere (MST) Radar established at NARL, Gadanki nearly two and half decades ago, was designed to study the middle and upper atmospheric dynamics. This radar has made a major contribution in resolving a 50-year old ionospheric echoing riddle.

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एनएआरएल एमएसटी रडार अवलोकन ने आयनमंडलीय गूंजन रेडल को हल करने में सहायता किया

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लगभग ढ़ाई दशक पहले एनएआरएल, गढ़ांकी में स्थापित उच्च शक्ति, बड़े एपर्चर मध्यमंडल-समतापमंडल-क्षोभमंडल (एमएसटी) रडार को मध्यम और ऊपरी वायुमंडलीय गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया था। इस रडार ने 50 वर्षीय आयनमंडलीय प्रतिध्वनि पहेली को हल करने में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस पहेली को पृथ्वी के आयनमंडल में 140-170 किमी की ऊँचाई क्षेत्र में दिन के दौरान रडार प्रतिध्वनियों से जोड़ा जाता है, जहां प्रबल विद्युतप्रवाह/विद्युत क्षेत्र का कोई ज्ञात स्रोत नहीं है और प्लाज्मा अस्थिरता के विकास को बढ़ाने वाले घनत्व ढाल नहीं हैं। मह

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Tyrrhenum quadrangle of Mars

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Tyrrhenum quadrangle

This image covers about  393 km x 393 km area with 140 m per pixel resolution in Tyrrhenum quadrangle of Mars, having Mueller impact crater in the bottom of the scene. Mueller is a 120 km wide crater.

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Announcement of Opportunity (AO) soliciting proposals for third AO cycle observations

Criteria for applying:

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अवसर की घोषणा (एओ) तीसरे एओ चक्र अवलोकनों के लिए प्रस्तावों की मांग

एओ प्रक्रिया

आवेदन करने के लिए मानदंड:

 

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GSLV F09 Brochure

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5.3 Publication

The proposers shall make available the salient results of the data analysis to the scientific community through publication in appropriate journals.  All the publications shall acknowledge the AstroSat data, by including a phrase “AstroSat -along with the name of the payload(s)” whose data is used for analysis/ interpretation in the abstract.

When publishing a paper using AstroSat data, please include the following acknowledgement.

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5.2 Data rights & obligations

The Principal Investigators (PIs) of all the proposals will have exclusive rights to all the data from the instruments he/ she has configured in the proposal amongst the co-aligned instruments (namely LAXPC, CZTI, SXT and twin telescope UVIT) for those fields that are observed with AstroSat against their proposals,

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5.1 Proprietary period

There shall be a Proprietary period associated with observational data from all AstroSat instruments and in all phases and years after launch. This "proprietary period" would begin from the date the Level-1 data is made available to the payload teams and /or PIs of AO proposal.

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5. Data processing, data rights and publication

After the completion of observation, the raw data received will be converted to Level-1 data at Indian Space Science Data Center (ISSDC).  ISSDC is responsible for governing the ingest, Quick look Display (QLD), processing (for level-0/1), archival (all levels, along with the auxiliary data) and dissemination of payload data.   The data will be in standard FITS format.

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4. Aspects of duplication

The general policy of the ASTROSAT is to avoid repeating the same observation, i.e. to avoid duplications.

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3.4 Preparing an ASTROSAT proposal

Proposers will need to register into the APPS before they can prepare proposals.    Proposers  may  go  through  the  APPS  help  document  regarding  submission of  proposals.

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3.5 Proposal handling in APPS

The receipt of each incoming proposal will be automatically acknowledged.   At the end of submission date, the APPS will forward them to the ATAC for scientific review, while performing some assessments and preparing overall statistics on the response.   All the committees are constituted by Chairman, ISRO. 

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3.3 Proposal Preparation Tools

3.3       Proposal Preparation Tools

Proposers can use the following tools in order to prepare an AstroSat proposal. 

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3.2 APPS Instructions

Instructions to fill various entries within APPS to prepare proposals are available online. APPS proposer’s guide can also be referred for this purpose. Queries on APPS can be mailed to astrosathelp@iucaa.in for proposal preparation and submission. Queries will be answered on best effort basis.

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3.1 Proposal preparation pre-requisites

Depending on the scientific requirement, proposals to AstroSat can be submitted for observation with a single or more instruments. Proposals are to be made as per APPS proposer’s guide and this procedures document.  Proposers can refer to redbook for the list of observed targets.

AstroSat proposals will require the following information at the minimum. 

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3. Overview of proposal preparation, validation, submission and selection

PIs of proposals  will have to submit proposals to ISRO by the deadline given in the ISSDC website using AstroSat Proposal Processing System (APPS) software. APPS is available online through http://www.issdc.gov.in.  APPS is not downloadable and cannot be used off-line. An APPS proposer’s guide is available in ISSDC and ASC websites which elaborates on the proposal submission procedure.  A summary is provided in this section.

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2.2 Targets of Opportunity (ToO) cycle

  • Proposals that require observation of phenomenon like outburst of a supernova or nova, observation of a new transient source or X-ray nova or study of characteristics of a source when it makes transition to a different state etc. and for which one cannot predict in advance the time of occurrence, must be submitted as ToO proposal and they will be reviewed by a separate ToO Committee.
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2.1 AO cycle

AstroSat is operated in a pre-planned manner i.e proposers are not present at Mission Operations Complex during the execution of their observations.  Thus, all observations must be specified in full details in advance.

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2. Observing cycles

In this third AO cycle, 45% of observing time is available for Indian AO proposals and 10% of observing time is for International AO proposals.  5% time is allotted for Targets of Opportunity (ToO).  Rest of the 40% time in this cycle is allotted for payload teams and calibration.

2.1       AO cycle

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1. Introduction and Schedule

AstroSat is the first dedicated Indian astronomy mission aimed at studying celestial sources in X-ray, UV and limited optical spectral bands simultaneously, thus providing a space astronomy observatory which is operated by the Indian Space Research Organisation (ISRO).  The satellite is at 650 km near-equatorial orbit with 6-degree orbital inclination.

AstroSat completed one year and six months in orbit.  Currently, the second AO cycle proposals are being executed.

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July-Dec 2016

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जुलाई-दिसं 2016

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Indigenisation of Space Materials (ISM) Data Sheet

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ISRO Develops "Solar Calculator" Android App

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Computation of solar energy potential is essential to select the locations for solar photovoltaic (PV) thermal power plants. The use of remote sensing observations from geostationary satellite sensors is ideal to capture space-time variability of surface insolation. An android App for the computation of solar energy potential has been developed by Space Applications Centre (SAC), ISRO, Ahmedabad at the behest of Ministry of New and Renewable Energy, Govt. of India.

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इसरो ने "सौर कैलकुलेटर" एंड्रॉइड ऐप का विकास किया

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सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) थर्मल पावर प्लांटों के लिए स्थानों का चयन करने के लिए सौर ऊर्जा क्षमता की गणना आवश्यक है। भूस्थिर उपग्रह संवेदक से सुदूर संवेदन अवलोकन का उपयोग सतह के अंदरूनीपन की अंतरिक्ष-समय की विविधता को कैप्चर करने के लिए आदर्श है। सौर ऊर्जा क्षमता की गणना के लिए एंड्रॉइड ऐप को अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), इसरो, अहमदाबाद द्वारा नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के आदेश पर, विकसित किया गया है। भारत की सौर ऊर्जा का दोहन के लिए पीवी सौर पैनलों की स्थापना बहुत उपयोगी उपकरण है।

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SCATSAT-1 Operational Products

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Apr 19, 2017

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SUMMARY TABLE

1

Title

(Payload Proposed)   

 

 

2

Category *

 

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Announcement of Opportunity (AO) for Space Based Experiments to Study Venus

Solar system studies have seen a remarkable growth in the last few decades, due to advances in space technology, observational capabilities and computational technologies. This has enhanced our knowledge and understanding of the diversity of complex processes across the Solar system. It is quite interesting to find clues as to how the planetary systems might have originated and evolved, and how they are different and similar to each other.

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Satish Dhawan Wind Tunnel Complex Commissioned at VSSC

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In the quest to reduce the cost of access to space and to extend the frontiers of space exploration, ISRO has ventured into Reusable Launch Vehicle (RLV) and Re-entry missions, Air-breathing propulsion technology demonstration and Interplanetary missions. These missions encounter design criticalities at Hypersonic Mach number regime and need rigorous aero-thermodynamic characterisation at these

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एस्ट्रोसैट पर किताब विमोचित - मुफ्त प्रति डाउनलोड करें

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इन्सैट 3 डीआर प्रतिबिंबक से लिए गए प्रथम आईआर प्रतिबिंब

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 इन्सैट 3 डीआर प्रतिबिंबक से 17 सितं, 2016 को 09.00 बजे आईएसटी पर लिए गए प्रथम आईआर प्रतिबिंब

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जीएसएलवी-डी6 / जीसैट-6 मिशन ब्रोचर (अंग्रेजी में)

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वीएसएससी में सतीश धवन पवन टनल कॉम्प्लेक्स की स्थापना की गई

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अंतरिक्ष तक पहुंच की लागत को कम करने और अंतरिक्ष अन्वेषण की सीमाओं को बढ़ाने के लिए, इसरो ने पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहन(आरएलवी) और पुनः प्रवेश मिशन, वायु-श्वसन प्रणोदन प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और अंतर्गहीय मिशनों में कदम रखा है। इन मिशनों पर हाइपरसोनिक माख संख्या व्यवस्था में डिजाइन की क्रांतिकी आती हैं और इन

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इसरो ने स्मार्ट इंडिया हैकथॉन -2017 ग्रैंड फ़िनाले का आयोजन किया

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), अंतरिक्ष विज्ञान विभाग (अं.वि.) ने अहमदाबाद नोडल सेंटर के लिए अप्रैल 1-02, 2017 के दौरान गुजरात यूनिवर्सिटी कन्वेंशन हॉल, अहमदाबाद, गुजरात में स्मार्ट इंडिया हैकथॉन-2017 (एसआईएच -2017) ग्रांड फ़िनाले का आयोजन किया। यह ग्रांड फ़िनाले के दौरान पूरे भारत में 29 अलग-अलग नोडल केंद्रों (26 स्थानों) पर एक साथ 36 घंटे अ-बाध डिजिटल प्रोग्रामिंग प्रतिस्पर्धा आयोजित की गई थी।

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ISRO Organises Smart India Hackathon-2017 Grand Finale

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Indian Space Research Organisation (ISRO), Department of Space (DOS), organised Smart India Hackathon-2017 (SIH-2017) Grand Finale, at Gujarat University Convention Hall, Ahmedabad, Gujarat during April 01-02, 2017 for Ahmedabad Nodal Centre. This Grand Finale was a 36 hours non-stop digital programming competition held simultaneously at 29 different Nodal Centers (26 Locations) across India.

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मंगल पर एरिडानिया क्वोडरेंगल

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यह प्रतिबिंब लगभग 310 किमी x 310 किमी क्षेत्रफल में 154 मीटर प्रति पिक्सेल विभेदन के साथ मंगल के एरिडानिया चतुर्भुज में, ठीक मारे सिमेरियम के निकट और मल्लर क्रेट के दक्षिणी गोलार्ध के बाईं ओर स्थित है, जिसका भौगोलिक क्षेत्रफल (24 द., 133 पू,) पर केंद्रित है ।

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Autonomous Bodies

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E-Procurement Website Under Maintenance till Apr 7th, 2017

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ISRO signs Three MoUs with Government of Andhra Pradesh for use of Geo-spatial Technology

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Government of Andhra Pradesh (Govt. of AP) signed Memorandum of Understanding (MoUs) with ISRO for the deployment of space technology in governance and development of the State. Following are the three MoUs signed for utilisation of geo-spatial technology in Meteorological Services, Disaster Management and Water Resources Management:

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इसरो ने भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए आंध्र प्रदेश सरकार के साथ तीन समझौते पर हस्ताक्षर किए

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राज्य के शासन और विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की परिनियोजन के लिए आंध्र प्रदेश सरकार (एपी सरकार) ने इसरो के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। मौसम विज्ञान सेवाओं, आपदा प्रबंधन और जल संसाधन प्रबंधन में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए हस्ताक्षरित तीन एमओयू निम्नलिखित हैं:

राज्य के प्रायोगिक मौसम संबंधी सेवाओं के लिए एपी सरकार और सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र,शार (एसडीएससी शार), इसरो, श्रीहरिकोटा के बीच समझौता ज्ञापन

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Eridania Quadrangle of Mars

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Eridania Quadrangle

This image covers about  310 km x 310 km area with 154 m per pixel resolution in Eridania quadrangle of Mars, adjacent to Mare Cimmerium on it right and Muller crate to its left in the southern hemisphere at areographic region centered around  (24 S, 133 E).

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Observation of Suprathermal Argon in Mars Exosphere

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The outermost region of a planetary atmosphere, called the exosphere, is the tenuous region where the mean free path of the particles is much larger compared to the scale height. The altitude over which the atmospheric density decreases by about a factor of 2.7 compared to its previous level is called the scale height. In the upper atmosphere of a planet, this depends on the mass of the species, temperature of the species, and the gravity of the planet.

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मार्स बहिर्मंडल में सुप्राथर्मल अर्गान का अवलोकन

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ग्रहों के वायुमंडल का बाहरी क्षेत्र, जिसे बहिर्मंडल कहा जाता है, वह सूक्ष्म क्षेत्र है जहां कणों मुक्त पथ का मतलब पैमाना ऊंचाई की तुलना में काफी बड़ा है। जिस ऊंचाई पर वायुमंडलीय घनत्व इसके पिछले स्तर की तुलना में 2.7 के कारक से घट जाता है उसे पैमाना ऊँचाई कहा जाता है। ग्रह के ऊपरी वायुमंडल में, यह प्रजातियों के द्रव्यमान, प्रजातियों के तापमान, और ग्रह के गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करता है। मंगल कक्षित्र मिशन (मोम) ऑनबोर्ड के प्रयोग से एमईएनसीए (मार्स एक्सोस्फ़ेयरिक न्यूट्रल रचना विश्लेषक) द्वारा इस क्षेत्र का पता लगाया जा रहा है। मेनका ने मंगल ग्रह के बाहरी क्षेत्र में 'गर्म

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एस्ट्रोसैट ऑनबोर्ड पर एलएक्सपीसी उपकरण द्वारा विभिन्न एक्स-रे स्रोतों का विहंगम

बृहत क्षेत्र एक्सरे आनुपातिक काउंटर (एलएएक्सपीसी) उपकरण कक्षा में पहली बार अक्तूबर 19, 2015 को पूरी तरह से चालू किया गया। डिटेक्टर अंशांकन (डिटेक्टर गैस की शुद्धि, लब्धि समायोजन और ऊर्जा विभेदन) और क्रैब नेबुला, सीएएस-ए, 4 यू 0115+63 (एक्स-रे पल्सर) की पहले प्रकाश अवलोकनों के परिणाम जीआरएस जैसे कुछ ब्लैक होल एक्सरे बायनेरिज़ 1915+105, साइग एक्स -1, और साइग एक्स -3 यहां मौजूद हैं। ये परिणाम प्रारंभिक विश्लेषण पर आधारित होते हैं और विस्तारपूर्वक विश्लेषण चल रहा है। क्रैब के पार क्रॉस स्कैन से पता चलता है कि सभी तीन एलएक्सपीसी डिटेक्टर 8 आर्क मिनट के भीतर गठबंधन करते हैं।.

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कक्षा में एस्ट्रोसैट ऑनबोर्ड पराबैंगनी प्रतिबिंब टेलिस्कोप (यूवीआईटी) पेलोड से लिया पहला लाइट प्रतिबिंब

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पराबैंगनी प्रतिबिंब टेलीस्कोप (यूवीआईटी) बहु-तरंग दैर्ध्य उपग्रह एस्ट्रोसैट का लंबा तरंगदैर्ध्य चक्षू है, जो दूरबीन को एक्स-रे से लेकर पराबैंगनी तक स्पेक्ट्रल कवरेज देता है। उपग्रह को 28 सितंबर, 2015 को प्रमोचन किया गया था। प्रमोचन के तुरंत बाद एक्सरे टेलिस्कोप का परीक्षण किया गया । यूवीआईटी के उपप्रणाली, उदा.

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अवसर की घोषणा (एओ) पहले एओ चक्र अवलोकनों के लिए याचना प्रस्ताव

एस्ट्रोसैट एओ प्रक्रियाएं

एस्ट्रोसैट पहला समर्पित भारतीय खगोल विज्ञान मिशन है जिसका उद्देश्य एक्स-रे, यूवी और सीमित ऑप्टिकल स्पेक्ट्रल बैंड में साथ-साथ खगोलीय वेधशाला प्रदान करना है जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा प्रचालित है।

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आईयूसीएए, पुणे में एस्ट्रोसैट सहायता सेल (एएससी) स्थापित किया गया है

28 सितंबर 2015 को प्रमोचन किए गए एस्ट्रोसैट मिशन ने 15 अप्रैल, 2016 से अपना प्रदर्शन सत्यापन पूरा कर लिया है और विज्ञान प्रचालन शुरू कर दिया है। उपकरण टीमों के लिए निश्चित समय पर अवलोकनों का  चरण वर्तमान में चल रहा है। अक्टूबर 2016 से, वेधशाला अभिगम भारतीय विज्ञान समुदाय से अतिथि पर्यवेक्षकों के लिए खुलेगा। समेकित प्रस्तावों के आधार पर अवलोकन समय दिया जाएगा।

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भविष्य के मंगल कक्षित्र मिशन के लिए अवसर की घोषणा (एओ) (मोम-2)

मंगल ग्रह पर भूआकृतिक सुविधाएं जल्दी गर्म और गीली जलवायु, और शायद आदिम जीवन के उद्भव के लिए अनुकूल रही है। मंगल ग्रह अद्वितीय माना जाता है जिसके गठन और इसके विकास के दौरान पृथ्वी पर मौजूद प्रक्रियाओं की तरह का अनुभव किया है । हाल की खोजों से पता चला है कि मंगल ग्रह के पास विविध सतहों के रिकार्ड हैं जोकि 3जीए से पहले भूगर्भीय प्रक्रियाएं, और हाल ही के ज्वालामुखी, पिछले कुछ वर्षों के दौरान 100 मिलियन घटनाओं के अपक्षय का परिणाम के रूप में बने । यह पूरे भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड अभी तक चंद्रमा या पृथ्वी पर पाए जाने हैं, और इसलिए नए मंगल मिशन ग्रहों की विकासवादी प्रक्रियाओं, के बारे

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एस्ट्रोसैट प्रथम लाइट: सीजेडटी इमेजर क्रैब नेबुला की ओर देख रहा है

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जीएसएलवी-एफ 05 / इन्सैट-3डीआर

इन्सैट-3डीआर, इन्सैट-3डी का अनुवर्ती मौसम संबंधी उपग्रह मिशन है, जिसे भूसमकालीक कक्षा में 74 डिग्री पूर्व देशांतर में स्थापित किया जाना है। इसमें दो मौसम संबंधी पेलोड होते हैं, अर्थात्, 6 चैनल इमेजर और 19 चैनल साउंडर। इसके अतिरिक्त, इन्सैट एसएएस और आर सेवाओं को निरंतरता प्रदान करने के लिए इसमें डेटा रिले ट्रांसपोंडर (डीआरटी) और उपग्रह आधारित खोज एवं बचाव(एसएएस एंड आर) पेलोड भी भेजा गया है। उपग्रह का डिजाइन मौसम संबंधी पूर्वानुमानों और मौसम की भविष्यवाणी और आपदा की चेतावनी के लिए तापमान और नमी के मामले में वायुमंडल के ऊर्ध्वाधर प्रोफाइल के जनन, मौसम और सतह के मानीटरण के लि

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मानव संसाधन

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ISRO Joins 36th Indian Scientific Expedition to Antarctica

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The National Centre for Antarctic and Ocean Research (NCAOR), Ministry of Earth Sciences, Government of India, organises the Indian Scientific Mission to Antarctica every year and ISRO has been participating for a long time.

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इसरो अंटार्कटिका के 36वें भारतीय वैज्ञानिक अभियान में शामिल हुआ

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अंटार्कटिक और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीएओआर), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार हर साल अंटार्कटिका में भारतीय वैज्ञानिक मिशन का आयोजन करता है और इसरो लंबे समय से इसमें भाग ले रहा है। इस साल, इस 36वें भारतीय वैज्ञानिक अभियान में, इसरो से दो टीमें (अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), अहमदाबाद से दो सदस्य और राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र(एनआरएससी), हैदराबाद से चार (शोधकर्ता) भाग ले रहे हैं।

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प्रश्न पत्र

वैज्ञानिक/इंजीनियरScientist/Engineer - 'SC'

 

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ब्रोचर

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विशेष प्रकाशन

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बजट एवं लेखा

बजट का विहंगावलोकन(2017-18)

आउटकम बजट (हिंदी)

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भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस) देहरादून में डिजिटल इंडिया सप्ताह

डिजिटल इंडिया सप्ताह समारोह भाग के रूप में भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान(आईआईआरएस), देहरादून, निम्नलिखित कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है।

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सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (एससीएल), चंडीगढ़ में डिजिटल इंडिया सप्ताह

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम पर प्रस्तुति

एससीएल के कर्मचारियों के बीच में जागरूकता के लिए जुलाई 07, 2015 को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम पर प्रस्तुति का आयोजन किया गया। एससीएल सूचना सुरक्षा दल के सूचना सुरक्षा अधिकारी (एससीएल) द्वारा प्रस्तुतीकरण किया गया था और सभी डिवीजनों के कर्मचारियों के क्रॉस-सेक्शन ने इसमें भाग लिया गया था। इसमें लगभग 80 प्रतिभागी थे।

प्रस्तुति के बाद, प्रतिभागियों के लिए अन्योन्यक्रिया सत्र आयोजित किया गया था जहां डिजिटल इंडिया कार्यक्रम और संबंधित साइबर सुरक्षा मुद्दे पर खुलकर चर्चा हुई थी।

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इसरो जडत्वीय प्रणाली यूनिट (आईआईएसयू) त्रिवेंद्रम में डिजिटल इंडिया सप्ताह

 वीकेसी परिसर में डिजिटल इंडिया सप्ताह आयोजित किया गया था। वीकेसी परिसर में कम स्टाफ को ध्यान में रखते हुए, कार्यक्रम को उच्च प्रभावशाली घटना के रूप में मनाया गया था, जो पूरे स्टाफ के लिए प्रासंगिक था। कार्यक्रम 07/07/2015 के अपराह्न को आधे दिन के सत्र के रूप में आयोजित किया गया था। यह पुस्तकालय और संगोष्ठी समिति, वीकेसी के तत्वावधान में आयोजित किया गया था। सभी आईआईएसयू-सीएमएसई कर्मचारियों को ईमेल के माध्यम से आमंत्रित करके पर्याप्त प्रचार दिया गया। आईआईएसयू और सीएमएसएस नोटिसबोर्ड में नोटिस लगाए गए थे।

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विकास एवं शिक्षा संचार यूनिट (डेकू) अहमदाबाद में डिजिटल इंडिया सप्ताह

1 जुलाई से 7 जुलाई 2015 तक "डिजिटल इंडिया" सप्ताह के रूप में मनाया गया। वैज्ञानिक/तकनीकी 45 स्टाफ संख्या के साथ डेकू में डिजिटल इंडिया समारोह में निम्नलिखित योगदान दिया है:

डेकू ने इन-हाउस संवर्धित वास्तविकता ऐप - साकार विकसित किया है। इस एप्लीकेशन को माननीय डॉ. जितेंद्र सिंह, अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री द्वारा नई दिल्ली में इसरो के अध्यक्ष श्री ए.एस.किरण कुमार की मौजूदगी में विमोचन किया गया था और सैक इंटरनेट वेबसाइट से लिंक के साथ इसरो पोर्टल पर अपलोड करने के लिए इसरो मुख्यालय को भेज दिया गया है।

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राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) में डिजिटल इंडिया सप्ताह

एनआरसी में 07.07.2015 को 10.00 - 13.00 बजे तक आधे दिन के कार्यक्रम सत्र में इसरो के जियोपोर्टल भुवन, सुदूर संवेदन के सामाजिक लाभ पर व्याख्यान और एनआरएससी के वरिष्ठ अधिकारियों के प्रश्नोत्तर को शामिल करते हुए आयोजित किया गया । डॉ.पी.जी.दिवाकर, डीडी (आरएस और जीआईएस) ने सभी का स्वागत किया और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों की भूमिका और समाज पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने इसरो के कई अन्य गतिविधियों का भी संक्षिप्त रूप से वर्णन किया, जो डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंग जैसे टेली एजुकेशन, टेली मेडिसिन आदि को बढ़ावा देते हैं। श्री बी.गोपाल कृष्णा, डीडी (डीपीपीए एंड डब्लूएए) ने

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द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) वलियमला, तिरुवन्तपुरम में डिजिटल इंडीया सप्ताह

 

कर्मचारी पोर्टल

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अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक) अहमदाबाद में डिजिटल इंडिया वीक

भारत के माननीय प्रधान मंत्री द्वारा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लोकार्पण के साथ, अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ने डिजिटल इंडिया सप्ताह मनाया । डिजिटल इंडिया सप्ताह के भाग के रूप में, प्रधान मंत्री द्वारा उद्घाटन संबोधन का व्यापक प्रचार किया गया था और सैक कर्मियों को पूरे कार्यक्रम को देखने के लिए सुगम बनाने के लिए संपूर्ण व्यवस्था की गई थी।

1 जुलाई, 2015 को आयोजित गतिविधियों के फोटो

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डेकू का सी.एम.ई. कार्यक्रम - एक सामाजिक अनुसंधान परिप्रेक्ष्य

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इसरो का दूरचिकित्‍सा कार्यक्रम देश भर में जरूरतमंद रोगियों को गुणवत्‍ता वाली सेवाएँ प्रदान करने की दूरदर्शिता के साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के एक समाजोपयोगी अनुप्रयोग के रूप में शुरू हुआ। इसके अनुसरण में, इसरो ने विभिन्‍न्‍न अस्‍पतालों/मेडिकल कॉलेजों के लिए उपग्रह संचार (सैटकॉम) संयोजकता, नैदानिक उपकरण, दूरचिकित्‍सा हार्डवेयर तथा साफ्टवेयर का प्रबंध किया। यह नेर्टव‍क उपग्रह आधारित है, जिसके नेटवर्क केंद्रीय हब बेंगलूर में स्थित है।

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CME Programme of DECU- A Social Research Perspective

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The telemedicine programme of ISRO started as one of the societal applications of space technology, with a vision to provide quality medical services to the needy patients across the country. In this pursuit, ISRO had arranged Satellite Communication (Satcom) connectivity, diagnostic equipment, telemedicine hardware and software to various hospitals/medical colleges. The network is satellite based, with its central hub located in Bengaluru.

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हित के विशिष्ट क्षेत्र

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टेरेन मैपिंग कैमरा (टीएमसी)

टेरेन मैपिंग कैमरा (टीएमसी) के आंकड़ों के उपयोग के लिए हित के निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रस्ताव आमंत्रित कर रहे हैं:

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अनुसूची

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प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए समय सीमा: 30 नवम्बर, 2015
प्रधान अन्वेषक को मूल्यांकन के परिणामों की अधिसूचना: 31 दिसंबर, 2015

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चंद्रयान -1 मिशन का अवलोकन

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चंद्रयान -1 मिशन ने 100 किमी (प्रारंभिक चरण के दौरान) और 200 किमी (मिशन के बाद के चरण के दौरान) वृत्ताकार चंद्र ध्रुवीय कक्षा की ऊंचाई से डेटा का अधिग्रहण किया। इस खंड में टीएमसी और HySI उपकरणों और उनके डेटा उत्पादों की विशेषताओं पर संक्षिप्त जानकारी प्रदान की जाती हैं।

टेरेन मैपिंग कैमरा (टीएमसी)

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Human Resources

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प्रस्तावों का मूल्यांकन

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चंद्रयान -1 मिशन के समग्र उद्देश्यों की जानकारी धारा 1.0 में दी के साथ, अवसर की घोषणा (एओ) संभावित प्रधान अन्वेषक के लिए (पीआई) चंद्रयान -1 स्थानीय/क्षेत्रीय माप पर डेटा चंद्रमा के भूवैज्ञानिक डोमेन में नए अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा और उपयोग द्वारा विशिष्ट तकनीक के विकास को प्रोत्साहित करने के  उद्देश्य से है । इस दिशा में, एओ के प्रस्तावों पर प्राप्त प्रतिक्रिया के संबंध में मुख्य रूप से वैज्ञानिक/तकनीकी योग्यता के आधार पर विचार कर मूल्यांकन किया जाएगा । प्रस्तावों की विशेषताओं का मूल्यांकन करने के सैक द्वारा समिति गठित की जाएगी। प्रस्तावों के चयन के लिए अन्य बातों

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डेटा की उपलब्धता

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शब्द "डेटा" यानि चंद्रयान -1 टीएमसी, HysI डेटा उत्पाद जो अंतरिक्ष उपयोग केंद्र(इसरो), अहमदाबाद में डाटा प्रोसेसिंग की सुविधा में उत्पादित किए जाते है और भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डाटा सेंटर (ISSDC), बंगलौर के माध्यम से उपलब्ध हैं। डेटा सेट ISSDC की वेबसाइट के माध्यम से मुफ्त में आसानी से उपलब्ध हैं। चंद्रयान -1 टीएमसी, HySI डेटा उत्पादों का विवरण अनुबंध 3 में दिया गया है । टीएमसी के कवरेज का विवरण, इक्वेटोरियल और ध्रुवीय क्षेत्रों पर HySI डेटा सेट को चित्र 1 और 2 में दिखाया गया है । इन परियोजनाओं के तहत परिभाषित के अनुसार पीआई आवश्यकता के अनुसार डाउनलोड करके इन डेटा सेट का

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NARL Celebrates Silver Jubilee of Establishment of MST Radar

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A high power 53 MHz Mesosphere-Stratosphere-Troposphere (MST) Radar was established in 1992 as a national facility for atmospheric research at National Atmospheric Research Laboratory (NARL), Department of Space Govt. of India Gadanki. The MST Radar is a state-of-the-art instrument capable of providing estimates of atmospheric parameters with very high resolution on a continuous basis.

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NARL ने एमएसटी रडार की स्थापना की रजत जयंती मनाई

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राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला (NARL), गडांकी, भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के तहत उच्च शक्ति 53 मेगाहर्ट्ज मध्य मंडल-समतापमंडल-क्षोभमंडल (एमएसटी) रडार को वायुमंडलीय अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय सुविधा के रूप में 1992 में स्थापित किया गया था। एमएसटी रडार के अत्याधुनिक उपकरण सतत आधार पर बहुत उच्च विभेदन के साथ वायुमंडलीय मापदंडों का अनुमान उपलब्ध कराने में सक्षम हैं।

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प्रस्ताव तैयार करने के लिए दिशानिर्देश

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संभावित पीआई को प्रस्ताव निम्न वर्गों में वर्णित प्रारूप में प्रस्तुत करना चाहिए। कवर पेज के लिए प्रारूप अनुबंध-4 में दिया गया है । विस्तृत प्रस्ताव के लिए प्रारूप अनुबंध-5 में दिया गया है । प्रस्ताव के प्रारूप में घोषणा जिसपर प्रधान अन्वेषक और संस्था के प्रमुख द्वारा हस्ताक्षर किया जाना भी शामिल है।

प्रस्ताव प्रस्तुत करने के अनुदेश

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डॉ.विक्रम साराभाई

  • डॉ.विक्रम साराभाई
  • बायो डाटा
  • पुरस्कार एवं सम्मान
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प्रचालन

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50th High Performance Motor Case (HPS3) for Third Stage of PSLV Realised

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India’s workhorse launcher Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV), one of the most reliable launch vehicles, has 38 consecutively successful flights so far. It has been in service for more than two decades and has launched various satellites including historic missions like Chandrayaan-1, Mars Orbiter Mission, Space Capsule Recovery Experiment and Indian Regional Navigation Satellite System (NavIC). With its three configurations, PSLV has proved its multi-payload, multi-mission, multi-orbit capability in a single launch and its geosynchronous launch capability.

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पीएसएलवी के तीसरे चरण के लिए 50वां उच्च निष्पादन मोटर केस (HPS3) तैयार किया गया

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भारत का वर्कहार्स प्रमोचक ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी), सबसे अधिक विश्वसनीय प्रमोचन वाहनों में से एक है, जिसने अब तक 38 लगातार सफल उड़ानें की है। इसकी सेवा दो दशकों से अधिक के लिए ली गई है और इसने चंद्रयान -1, मंगल कक्षित्र मिशन, स्पेस कैप्सूल रिकवरी एक्सपेरीमेंट और भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (NavIC) की तरह ऐतिहासिक मिशन सहित विभिन्न उपग्रहों का प्रमोचन किया है। अपने तीन विन्यास के साथ एकल प्रक्षेपण में पीएसएलवी ने बहु पेलोड, मल्टी मिशन, बहु कक्षा क्षमता और भू-तुल्यकालिक प्रक्षेपण क्षमता को साबित कर दिया है। पीएसएलवी ने फरवरी 2017 तक 226 उपग्रहों का

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एस्ट्रोसैट

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एस्ट्रोसैट

नई सहस्राब्दी में, अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान समुदाय पहले कभी नहीं किया ऐसे शक्तिशाली दूरबीनों को खगोल विज्ञान के ज्ञान की सीमाओं को लांघने के लिए कई अंतरिक्ष मिशन के प्रमोचन की योजना बना रहा है।

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सेमिनार के लिए समर्थन

रिसपांड कार्यक्रम के तहत इसरो के प्रासंगिक विषयों पर सेमिनारों के आयोजन की दिशा में शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, तकनीकी समितियों / संघों और अन्य को संगोष्ठियों / सम्मेलन / कार्यशालाएं आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। निर्धारित प्रारूप में अनुरोध ब्रोशर, पत्र आदि भेजा जाना है -

वैज्ञानिक सचिव,

इसरो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन मुख्यालय

अंतरिक्ष विभाग,भारत सरकार,

अंतरिक्ष भवन,

बीईएल रोड, बैंगलोर 560 231

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अंतरिक्ष आयोग1

डॉ राधाकृष्णन

सचिव, अंतरिक्ष विभाग

अध्यक्ष

श्री नृपेंद्र मिश्रा

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव

सदस्य

श्री अजीत कुमार डोभाल

प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

सदस्य

श्री अजित कुमार सेठ

कैबिनेट सचिव

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The Unique Triumph of PSLV-C37

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On February 15, 2017, PSLV-C37, the 39th mission of the workhorse launch vehicle of ISRO, injected ISRO’s Cartosat-2 Series Satellite weighing 714 kg and two ISRO Nano-satellites namely INS-1A (8.4 kg) & INS-1B (9.7 kg) and 101 Nano-satellites, from six foreign countries into a Sun-Synchronous Orbit (SSO) at an orbit of 506 km above earth, with an inclination of 97.46°. The mass of nano-satellites varied from 1 to 10 kg. The total weight of all the 104 satellites carried on-board PSLV-C37 was 1378 kg.

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पीएसएलवी-C37 ब्रोचर

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पीएसएलवी-C37 की अनोखी सफलता

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15 फरवरी, 2017 का, पीएसएलवी-C37, इसरो के विश्वसनीय प्रक्षेपण यान का 39वां मिशन है, जिसने 714 किलो के इसरो के कार्टोसेट -2 सीरीज उपग्रह और दो इसरो नैनो उपग्रह अर्थात् आईएनएस-1ए (8.4 किलो) और आईएनएस-1 बी (9.7 किग्रा) वजन के और छह विदेशी देशों के 101 नैनो उपग्रहों को पृथ्वी से ऊपर 506किमी की सूर्य-समकालिक कक्षा (एसएसओ) में, 97.46 डिग्री के झुकाव के साथ कक्षा में अंतक्षेपण किया । विविध नैनो उपग्रहों का भार 1 से 10 किलोग्राम तक है । पीएसएलवी-C37 के ऑनबोर्ड पर वहन किए सभी 104 उपग्रहों का कुल वजन 1,378 किलोग्राम था।

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PSLV-C37 Lift Off and on-Board Camera Video

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PSLV-C37 Successfully Launches 104 Satellites in a Single Flight

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In its thirty ninth flight (PSLV-C37), ISRO's Polar Satellite Launch Vehicle successfully launched the 714 kg Cartosat-2 Series Satellite along with 103 co-passenger satellites today morning (February 15, 2017) from Satish Dhawan Space Centre SHAR, Sriharikota. This is the thirty eighth consecutively successful mission of PSLV.  The total weight of all the 104 satellites carried on-board PSLV-C37 was 1378 kg.

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पीएसएलवी-सी37 उत्थापन एवं ऑनबोर्ड कैमरा वीडियो

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पीएसएलवी-C37 के एक ही उड़ान से 104 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रमोचन

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अपनी उनतालीसवीं उड़ान (पीएसएलवी-C37) में, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार, श्रीहरिकोटा से इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान ने 714 किलो कार्टोसैट -2 सीरीज उपग्रह के साथ 103 सह-यात्री उपग्रहों का आज सुबह (15 फरवरी, 2017) को सफलतापूर्वक प्रमोचन किया। यह पीएसएलवी का लगातार अडतीसवां सफल मिशन है। पीएसएलवी-C37 के ऑनबोर्ड पर भेजे गए गए सभी 104 उपग्रहों का कुल वजन 1,378 किलोग्राम था।

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PSLV-C37 Brochure

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असम में प्रचालनीय बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली (FLEWS) के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी निवेशन

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उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनई-सैक),शिलांग में स्थित, अं.वि.

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Space Technology Inputs to Operationalise Flood Early Warning System (FLEWS) in Assam

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North Eastern-Space Applications Centre (NE-SAC), located at Shillong, is a joint initiative of DOS and North Eastern Council (NEC) to provide developmental support to the North Eastern Region (NER) using space science and technology. The Indian sub-continent is one of the most affected due to chronic flood events mostly induced by periodic monsoon rainfall.

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मंगल ग्रह से जुड़े तीन क्रेटर

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इस छवि को मंगल ग्रह पर फैले मार्गारिटीफायर चतुर्भुजाकार में 55 किमी x 55 किमी क्षेत्र के अहाते में 28 एम प्रति पिक्सेल विभेदन के साथ लिया गया है। इस छवि में तीनों जुड़े क्रेटर बाहरी रिम्स के अनवलप का चित्रण है।

Tइस एमसीसी तस्वीर को 534 किलोमीटर की ऊंचाई से 26 दिसंबर, 2016 को लिया गया था। इस आरजीबी छवि को बेहतर दृश्य अपील के लिए रंग संवर्धन किया गया है।

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इसरो के नैनो उपग्रह

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पीएसएलवी-C37 इसरो के दो नैनो उपग्रह आईएनएस -1 ए और आईएनएस -1 बी को भी वहन करता है। इसरो के नैनो उपग्रह (आईएनएस) बहुमुखी और मॉड्यूलर नैनो उपग्रह बस प्रणाली पर भविष्य में विज्ञान और प्रायोगिकी पेलोड हैं। पीएसएलवी पर बड़े उपग्रहों के साथ आईएनएस प्रणाली सह यात्री उपग्रह के रूप में विकसित किया गया है।

आईएनएस प्रणाली का प्राथमिक उद्देश्य इस प्रकार हैं:

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ISRO Nano Satellites

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ISRO Nano Satellites (INS) is a versatile and modular Nano satellite bus system envisioned for future science and experimental payloads. With a capability to carry up to 3 kg of payload and a total satellite mass of 11 kg, it offers immense opportunities for future use. The INS system is developed as a co-passenger satellite to accompany bigger satellites on PSLV launch vehicle. Its primary objectives include providing a standard satellite bus for launch on demand services and providing opportunity to carry innovative payloads.

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Three linked Craters of Mars

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Three linked Craters of Mars 

This image covers about  55 km x 55 km area with 28 m per pixel resolution in Margaritifer quadrangle of Mars.  This image portrays the envelope of three linked craters outer rims.

This MCC picture was taken on December 26, 2016 from an altitude of 534 km. This RGB image has been color enhanced for better visual appeal.

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उपग्रह नेविगेशन कार्यक्रम

उपग्रह नेविगेशन सेवा वाणिज्यिक और सामरिक अनुप्रयोगों के साथ उभरती हुई उपग्रह आधारित प्रणाली है। इसरो उपग्रह आधारित नेविगेशन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं की उभरते मांगों को पूरा करने हेतु और उपयोगकर्ता को स्थिति, नेविगेशन और समय आधारित स्वतंत्र उपग्रह नेविगेशन प्रणाली की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, इसरो जीपीएस आधारित भू संवर्धित नौसंचालन (गगन) प्रणाली स्थापित करने में हवाई अड्डा प्राधिकरण(एएआई) के साथ संयुक्त रूप से काम कर रहा है। उपयोगकर्ता के लिए स्वदेशी प्रणाली पर आधारित स्थिति, नेविगे

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नौसंचालन

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Indigenous development of Telemetry & Telecommand Processor (TTCP)

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ISRO Satellite Centre (ISAC), Bengaluru, is the lead centre for conceptualisation, design, development, fabrication, integration and testing of complex satellite technology. Spacecraft Checkout Group of ISAC is responsible for integrated spacecraft testing to ensure the flight worthiness of the spacecraft built at ISAC. During the testing, ground systems will communicate to spacecraft via the same uplink and downlink signals, as in space.

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दूरमिति और दूरादेश प्रोसेसर का स्वदेशी विकास (TTCP)

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इसरो उपग्रह केंद्र (आईजैक), बेंगलुरू, संकल्पना, डिजाइन, विकास, निर्माण, एकीकरण और जटिल उपग्रह प्रौद्योगिकी के परीक्षण के लिए प्रमुख केंद्र है। आईजैक का अंतरिक्ष यान चेकआउट समूह आईजैक में निर्मित अंतरिक्ष यान के एकीकृत अंतरिक्ष यान परीक्षण की उड़ान पात्रता सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। परीक्षण के दौरान, भू प्रणाली, अंतरिक्ष की तरह अपलिंक और डाउनलिंक संकेतों के माध्यम से अंतरिक्ष यान के साथ संचार करेंगे । अंतरिक्ष यान आम तौर पर इसरो प्रारूप का दूरमिति और दूरादेश (डाउनलिंक और अपलिंक) का उपयोग करता है, जिसके लिए स्वदेशी उपकरणों का इ

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संबंधित लिंक

  • एन्ट्रिक्‍स कार्पोरेशन लिमिटेड
  • भुवन पोर्टल
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Related Links

  • Antrix Corporation Limited
  • Bhuvan Portal
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डॉ. के. राधाकृष्णन (2009-2014)

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