स्कैोटसैट- 1 - मौसम पूर्वानुमान, चक्रवात खोज एवं अनुवर्तन हेतु उपग्रह
ओशनसैट-2 उपग्रह के द्वारा प्रमोचित नीतभारों में से एक प्रकीर्णमापी उपकरण द्वारा संग्रहित वैश्चिक पवन आंकड़ा, चक्रवात खोज एवं मौसम पूर्वानुमान अनुप्रयोगों हेतु अति महत्वपूर्ण है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रयोक्ताओं द्वारा प्रयोग किया गया था और समुद्र विज्ञान संबंधी अध्ययनों हेतु महत्वपूर्ण उपकरण साबित हुआ। स्कैटसै-1, पूर्व में ओशनसैट-2 उपग्रह द्वारा ले जाए गए प्रकीर्णमापी नीतभार के क्रम में अगला मिशन है।
समुद्री सतह पर वायु सदिश की तीव्रता एवं दिशा मौसम भविष्यवाणी के साथ-साथ चक्रवातों का पता लगाने एवं अनुवर्तन हेतु मुख्य प्राचल है। पवन सदिश उत्पादों के सृजन के जरिए प्रयोक्ता समुदायों हेतु मौसम पूर्वानुमान सेवाएं मुहैया कराना स्कैटसैट-1 के उद्देश्य हैं। स्कैटसैट-1 द्वारा ले जाए गए के.यू. बैंड प्रकीर्णमापी नीतभार में वर्ष 2009 में प्रमोचित ओशनसैट-2 द्वारा ले जाए गए समान नीतभार की तुलना में उन्नत गुण हैं।
स्कैटसैट-1 इसरो के छोटे उपग्रह ‘आई.एम.एस.-2बस’ में बनाया गया है और अंतरिक्षयान का भार 371 किलोग्राम है। अंतरिक्षयान 98.1 डिग्री की आनति पर 720 किमी की तुंगता की सूर्य तुल्यकाली कक्षा में कार्य करेगा। यह ध्रुवीय परिक्रमा करने वाला उपग्रह होगा तथा सम्पूर्ण विश्व की आवृत करने में दो दिन लगाएगा। सभी मौसम प्रचालनों में निरंतर 24X7 के साथ इस उपग्रह का संभावित जीवन काल पांच वर्ष है। वायु गति 3मी./से. से 30मी./से. की रेंज तथा 0-360 डिग्री की दिशाओं में मापी जाती है। अंतत: समुद्र पर 25कि.मी.X25कि.मी. की वायु सदिश ग्रिड पूरे विश्व हेतु सृजित की जाएगी।
यह उपग्रह ओशनसैट-2 द्वारा प्रमोचित उपकरण के समान 13.515 गीगाहर्ट्ज में प्रचालित के.यू. बैंड क्रमवीक्षण प्रकीर्णमापी रडार उपकरण है। नीतभार उपकरण सागर वायु-समुद्र संपर्को, सागर घूर्णन पर वायु प्रारुप एवं मौसम प्रारुपों पर उनके समग्र प्रभावों के अध्ययन हेतु वैश्विक रूप से प्रयोग किए जाने वाला महत्वपूर्ण उपकरण होगा। इस अंतरिक्षयान से मौसम संबंधी गुणवत्तापूर्ण डेटा प्राप्त होने की आशा है जिससे हिमालय में हिम निर्माण तथा गलन, भारतीय समुद्री तट के निकट चक्रवात निर्माण, ग्रीनलैंड हिम गलन इत्यादि संबंधी सटीक जानकारी प्रदान की जा सकेगी।
प्रकीर्णमापी रडार के सिद्धांत पर काम करता है जब रडार सागर की सतह की ओर ऊर्जा स्पंदनों का विकिरण करता है तो वैद्युत चुम्बकत्व लहरों एवं समुद्र सतह की लहरों के बीच संपर्क के कारण पश्च प्रकीर्णन उत्पन्न होता है जोकि सागर पर सतह वायु की गति एवं दिशा का कार्य है।
पश्च-प्रकीर्णित संकेत प्राप्त करने की यह प्रक्रिया 1400 कि.मी. का प्रमार्ज देने वाले उपग्रह की गति के साथ शंकुरुपी क्रमवीक्षण एवं घूर्णन करने वाले ऐटेंना के साथ किया जाता है। संग्रहित आंकड़ों पर यान में ही प्रक्रिया की जाती है ताकि पश्च-प्रकीर्णित पावर/संकेतों के सृजन का अनुमान लगाया जा सके और आंकड़़ों को रिकार्डर पर संग्रहित किया जाता है। यह रिकार्ड किया हुआ आंकड़ा बाद में भू केंद्र में भेजे जाते हैं जिन्हें वैश्विक प्रयोक्ताओं हेतु वायु सदिश में परिवर्तित किया जाता हैं।
ये वायु सदिश चक्रवात निर्माण, इसकी गति एवं इसके समुद्र तट पर पहुंचने की सटीक भविष्यवाणी में मौसम वैज्ञानिकों के लिए सहायक होंगे। यह स्मणीय है कि सागर वायु सदिश आंकड़े, वर्ष 2013 में ओडिशा तट ‘फाइलिन’ चक्रवात की सटीक भविष्यवाणी करने में सहायक रहे जिससे इसका प्रभाव कम करने और मानव जाति एवं पशुधन को बचाने में सहायता मिली।
स्कैटसैट-1 एक वैश्विक मिशन है और इसरो द्वारा विकसित प्रकीर्णमापी से सृजित आंकड़े मौसम अध्ययनों एवं वैश्विक जलवायु परिवर्तन अध्ययनों में कार्यरत सभी को वैश्विक मौसम आंकड़ा मुहैया कराने हेतु अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा एवं यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी संगठन, यूमेटसैट द्वारा भी प्रयोग किया जाएगा।