सूर्य जैसे तारे के चारों ओर उप-शनि बर्हिग्रह की खोज
प्रोफेसर अभिजीत चक्रवर्ती, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पी.आर.एल.), अहमदाबाद के नेतृत्व में वैज्ञानिक टीम ने सूर्य जैसे तारे के चारों ओर उप-शनि या सुपर-नेप्च्यून आकार के ग्रह (पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 27 गुणा और पृथ्वी की 6 गुणा त्रिज्या का आकार) की खोज की है। यह ग्रह लगभग 19.5 दिनों में तारे की परिक्रमा करता है। यह मेजबान तारा स्वंय ही पृथ्वी से लगभग 600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। इस खोज को माउंटआबू, भारत में पी.आर.एल. की गुरुशिखर वेधशाला में 1.2 मी. की दूरबीन से समेकित स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए ‘’पी.आर.एल. उन्नत त्रिज्य-वेग आबू-नभ खोज’’ (पारस) स्पेक्टोग्राफ का उपयोग करते हुए ग्रह का द्रव्यमान मापते हुए किया गया था। यह देश में अपने प्रकार का पहला स्पेक्टोग्राफ है; जिसे तारे के चारों ओर गुजरते हुए ग्रह के द्रव्यमान को माप सकता है और इस खोज से भारत चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने तारों के चारों ओर ग्रहों की खोज की है। विश्व में ऐसे कुछ ही स्पेक्टोग्राफ मौजूद हैं (मुख्यत: यू.एस.ए. और यूरोप में) जो ऐसे सटीक मापन कर सकते हैं। ग्रह का सतही तापमान लगभग 6000 सें. है क्योंकि यह मेजबान तारे के बहुत नजदीक है (पृथ्वी-सूर्य की दूरी से 7 गुणा नजदीक है)। इस वजह से यहां जीवन संभव नहीं है, परंतु यह खोज ग्रहों के सुपर-नेप्च्यून या उप-शनि जैसे ग्रहों की उत्पत्ति की क्रियाविधि समझने हेतु महत्वपूर्ण है।
यह ग्रह ई.पी.आई.सी. 211945201बी. या के.2-236बी. के नाम से जाना जाएगा। प्रारंभ में, इस स्रोत को नासा के.2 (केप्लर 2) प्रकाशभित्ति से ग्रहीय candidate पाया गया था क्योंकि यह स्थाई नहीं था जो कि पृथ्वी पर तारा एवं प्रेक्षक के बीच आने वाला ग्रहीय पिंड है क्योंकि यह तारे के चारों ओर परिक्रमा करता है और इसलिए यह तारे के मंद प्रकाश को बाधित कर देता है। ग्रह पिंड द्वारा बाधित प्रकाश की मात्रा को मापते हुए, हम ग्रह का व्यास या आकार माप सकते हैं। यह 6 पृथ्वी त्रिज्य तक पाया गया था। तथापि, गलत धनात्मक संभाव्यता गणनाओं से जोड़ा गया के.2 प्रकाशमापी आंकड़ा प्रणाली की ग्रहीय प्रकृति की पुष्टि करने में उपयुक्त नहीं था। अत:, पिंड के द्रव्यमान का स्वतंत्र मापन इस खोज हेतु आवश्यक था, जो पारस स्पेक्टोग्राफ द्वारा बनाया गया था।
किसी भी ग्रह द्वारा अपने मेजबान तारे पर किए गए गुरुत्वाकर्षण खिचाव के कारण, वह अपने द्रव्यमान के समान केंद्र के आस-पास डगमगाने लगता है, जिससे स्पैक्ट्रा हिलने लगता है और इसका मापन पारस जैसे परिशुद्ध तथा स्थिर उच्च विभेदन स्पेक्ट्रोग्राफ द्वारा किया जाता है। पी.आर.एल. के वैज्ञानिकों ने प्रणाली की प्रकृति की जांच हेतु पारस स्पेक्ट्रोग्राफ का प्रयोग करते हुए 420 दिनों (करीबन 1.5 वर्ष) की समय-आधार रेखा में लक्ष्य का प्रेक्षण किया। मेजबान तारे के डगमगाहट के आयाम को मापते हुए, ग्रह का द्रव्यमान करीब 27+14एमपृथ्वी पाया गया।
द्रव्यमान तथा त्रिज्या के आधार पर, मॉडल आधारित गणनाएं दर्शाती हैं कि कुछ द्रव्यमान का 60-70% हिम, सिलिकेट तथा लौह मात्रा जैसे भारी तत्व हैं। यह संसूचन आवश्यक है क्योंकि इससे 10-70एमपृथ्वी के बीच द्रव्यमान तथा 4-8आरपृथ्वी के बीच त्रिज्या वाले पक्के बाह्य ग्रह, जिनके द्रव्यमान तथा त्रिज्या 50% अथवा उससे बेहतर परिशुद्धता में मापे जाते हैं, की सूची में एक छोटी सी वृद्धि होगी । द्रव्यमान तथा त्रिज्या के इस प्रकार के परिशुद्ध मापन सहित मात्र 23 ऐसी प्रणालियों (वर्तमान को शामिल करते हुए) के बारे में आज की तारीख में मालूम है।
चित्र शीर्षक: पारस द्वारा पी.आर.एल., माउंटआबू में 1.2 मी. दूरबीन सहित प्रेक्षित के.2-236 के त्रिज्य वेग (आर.वी.) आंकड़ा बिंदु काला ठोस वक्र मॉडल आर.वी. वक्र को दर्शाता है। यह मॉडल मेज़बान तारे के डगमगाहट को दर्शाता है तथा इसका आयाम बाह्य ग्रह के.2-236बी. का द्रव्यमान प्रदान करता है।
इस अनुसंधान कार्य के बारे में अमरीकी खगोलीय सोसाइटी के स्वामित्व वाले खगोलीय पत्रिका के जून अंक में जानकारी दी जाएगी तथा इसका प्रकाशन आई.ओ.पी. पब्लिशिंग द्वारा किया जाएगा (इस लेख का डी.ओ.आई. 10.3847/3881/ए.ए.सी.436 है।)