सी.जेड.टी. प्रतिबिंबित्र द्वारा एक गामा-रे विस्फो5ट की पहचान
सी.जेड.टी.आई. प्रचालन के पहले स्पताह के दौरान, सुपरनोवा अवशेष कर्क नेबुला तथा ब्लैक होल स्रोत Cyg X-1 का मानीटरन किया गया। कर्क नेबुला को एक मानक कैंडल के तौर पर माना जा सकता है, जिसका प्रयोग समय निर्धारण तथा प्रतिबिंबन और बृहत अक्षेतर कोणों पर उपकरण की प्रतिक्रिया को मापने हेतु अंशांकित्र के तौर पर किया जाता है। सी.जेड.टी.आई. का एक प्रस्तावित लक्ष्य गामा-रे विस्फोट (जी.आर.बी.) जैसे दुर्लभ तथा आश्चर्यजनक घटनाओं का रिकार्ड करने हेतु ठोस एक्स-रे बैंड में आकाश का व्यापक कोण मानीटरन करना है।
सौभाग्यवश, सी.जेड.टी.आई. के प्रचालन के पहले दिन ही, स्विफ्ट उपग्रह द्वारा जी.आर.बी.151006ए. नामक गामा-रे विस्फोट का 09:55:01 UT पर संसूचन दर्ज किया गया। हम यह जानने के लिए उत्सुक थे कि क्या उस समय सी.जेड.टी.आई. प्रचालनात्मक था या नहीं (जोकि एस.ए.ए. के बाहर) तथा क्या जी.आर.बी. प्रेक्षण हेतु अनुकूल स्थिति में है या नहीं। एक त्वरित गणना यह दर्शाती है कि यह जी.आर.बी. सी.जेड.टी.आई. इंगित दिशा से 60.7 डिग्री दूर था तथा इस कोण पर लगभग 60 के.ई.वी. से अधिक ऊर्जाओं पर सी.जेड.टी.आई. इस जी.आर.बी. की ओर संवेदनशील होना चाहिए। उपकरण समय को अब भी परिशुद्ध रूप से अंशांकित करना बाकी है क्योंकि आँकड़ा विश्लेषण पाईपलाइन को कारगार बनाना अब भी शेष था। फिर भी कई नवयुवकों ने ब्रह्मंड:जी.आर.बी. 151006ए के छोरों से विस्फोट के इस संदेशवाहक द्वारा बहुमूल्य सूचना पाने हेतु प्रचुर मात्रा के आँकड़ों की खूब छान-बीन की।
हाँ, जी.आर.बी. ने अपने अस्तित्व की पहचान कराई जैसा कि रिकार्ड किए गए काउंट में हुई बढ़ोत्तरी से पता चला। इसे चित्र 1 में दर्शाया गया है। उच्च ऊर्जा पर (100के.ई.वी. से ऊपर) सी.जेड.टी.आई. के बगल में कवचन सामग्री को और अधिक पारदर्शी बनाने हेतु डिजाइन किया गया है तथा जी.आर.बी. समय के दौरान इसमें 100के.ई.वी. से ऊपर काउंट में महत्वपूर्ण तथा तीव्र उछाल देखे जा सकते है।
सी.जेड.टी.आई. का एक अत्यंत प्रत्याशित लक्षण है, संसूचक के साथ किस तरीके से वे प्रतिक्रिया दिखाते हैं उस पर आधारित एक्स-रे को पहचानने की इसकी क्षमता। यदि यह अप्रत्यास्थ प्रकीर्णन (जिसे कॉम्पटॉन प्रकीर्णन कहते हैं) द्वारा होता है तो उन्हें कुछ प्रकीर्णन सिद्धांतों का पालन करना होता है; जब सभी रिकार्ड किए गए घटनाओं को कॉम्पटॉन प्रकीर्णन मानदंड पर आधारित किया गया, तब सचमुच काउंट दर में महत्वपूर्ण उछाल पाए गए। चित्र-2, तथाकथित “कॉम्पटॉन” घटनाओं (जैसे कि, दोहरी घटनाएं जोकि कॉम्पटॉन प्रकीर्णन के सैद्धांतिक अपेक्षाओं की सभी आवश्यकताओं को पूरा करते है) को समय के प्रकार्य के तौर पर लगाया गया है। संदर्भ समय (समय जीरो) स्विफ्ट उपग्रह द्वारा रिपोर्ट किया गया जी.आर.बी. का ट्रिगर समय होता है।
इस सूचना को जी.सी.एन. द्वारा (एन.ए.एस.ए. द्वारा अनुरक्षित गामा रे समन्वयन नेटवर्क) वैज्ञानिक समुदाय को प्रसारित किया गया, तथा परिणामी जी.सी.एन. परिपत्र को चित्र 3 में दर्शाया गया है।
चित्र-1 : जी.आर.बी.151006ए की प्रेक्षित काउंट प्रोफाइल
चित्र-2 : जी.आर.बी. 151006ए के दौरान कॉम्पटॉन के प्रेक्षित काउंट प्रोफाइल
चित्र-3 : जी.सी.एन. परिपत्र 18422
गामा-रे विस्फोट - पूर्व के विस्फोट: गामा-रे विस्फोट जैसाकि नाम से पता चलता है, गामा-रे के विस्फोट हैं जोकि एकदम सहसा आकाश की भिन्न-भिन्न दिशाओं से आते हैं। इनकी खोज 60 के दशक में तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा गुप्त नाभिकीय शस्त्रों की जाँच को संभव बनाने हेतु अमरीकी वेला उपग्रहों द्वारा डिजाइन किया गया था। लंबे समय तक, यह रहस्यमयी बने रहे, परंतु नब्बे के अंतिम दशक में इटालियन-डच उपग्रह बैप्पो - एस.एक्स.ए. द्वारा मुलायम एक्स-रे (जिसे आफ्टर ग्लो कहा जाता है) में लंबे तरंगदैर्घ्य विलंब करने वाले विकिरणों का मापन करने में सफल हो पाया है। वर्तमान में इनके लक्षणों के मापन हेतु दो समर्पित उपग्रह हैं: स्विफ्ट तथा फर्मी उपग्रह। सैकड़ों जी.आर.बी. का संसूचन किया गया है तथा इनमें से कुछ इतने दूर हैं कि ऐसा लगता है कि इनका जन्म तब हुआ जब ब्रह्मांड एक अरब वर्ष से भी कम था (वर्तमान में ब्रह्मांड 13 अरब वर्ष पुराना है।
ऐसे में, सी.जेड.टी.आई. द्वारा एक और जी.आर.बी. का संसूचन कौन-सी बड़ी बात है?
बहुत बड़ी मात्रा में आँकड़ा उपलब्ध होने के बावजूद भी, जी.आर.बी. अभी तक रहस्य बना हुआ है। जी.आर.बी. की एक श्रेणी, जो विशाल जी.आर.बी. कहे जाते हैं, उनका संबंध नए निर्मित ब्लैक होल से है जबकि दूसरी श्रेणी, जो लघु जी.आर.बी. कहे जाते हैं, दो सघन वस्तुओं के विलय का संकेत माने जाते हैं। ऐसी एक उभरती हुई विचारधारा है जिसकी अभिधारणा है कि जी.आर.बी. की उत्पत्ति उच्च चुंबकीय क्षेत्र सहित न्यूट्रान तारों से होता है, जिसे मैग्नेटार कहा जाता है। जी.आर.बी. उत्पत्ति के बारे में जोर देता मौजूदा डेटाबेस बताता है कि गामा-रे विस्फोट की लक्षणो के बारे में सही जानकारी नहीं है तथा उत्सर्जन के लिए उत्तरदायी विकिरणी तंत्र की मात्रा निश्चित नहीं है।
स्विफ्ट उपग्रह, जैसाकि नाम से स्पष्ट है नए जी.आर.बी. की ओर तेजी से इंगित होते हैं तथा आफ्टर ग्लो की स्थिति का पता लगाते हैं; 150 के.वो.(केल्विन वोल्ट) से ऊपर इसकी प्रतिक्रिया सीमित है और यह ‘ठोस’ स्पैक्ट्रम सहित विभिन्न जी.आर.बी. के लिए चोटी की ऊर्जा जैसे स्पैक्ट्रम मानदंडों को लगाने में असमर्थ है। सी.जेड.टी.आई. के साथ एक समान प्रेक्षण, जोकि 250 के.वो.(केल्विन वोल्ट) तक संवेदनशील है, उत्तम स्पैक्ट्रम क्षमता है न कि 80-250 के.वो.(केल्विन वोल्ट) क्षेत्र में जी.आर.बी. अध्ययन के लिए, जोकि स्पैक्ट्रम मानदंडों के मापन में सहायता प्रदान करता है। जबकि दूसरी ओर फर्मी उपग्रह उच्च ऊर्जा उत्सर्जन में बहुत संवेदनशील है तथा कई लघु-ठोस जी.आर.बी. का संसूचन करते हैं; परंतु इसमें बहुत ही सीमित स्थलीकरण क्षमता है। सी.जेड.टी.आई. लघु-ठोस जी.आर.बी. में सहायता करता है तथा फर्मी के मुकाबले और अधिक बेहतर तरीके से स्थलीकरण क्षमताओं को जी.आर.बी.151006ए के विस्तृत विश्लेषण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है, इससे लंबे जी.आर.बी. के लिए स्पैक्ट्रल लक्षणों को प्रदान करते हुए तथा लघु जी.आर.बी. विज्ञान को समृद्ध करेगा (ऐसा अनुमान है कि एक वर्ष में 50 से 100 तक जी.आर.बी. संसूचित किए जाएंगे)।
परंतु, चित्र-2 में दर्शाया गया आकर्षक प्रोफाइल बड़ी बात है। सी.जेड.टी.आई. को जिस प्रकार डिजाइन किया गया है, उससे वह कॉम्पटॉन प्रकीर्णन घटनाओं के संसूचन में संवेदनशील है तथा जी.आर.बी.151006ए में इस क्षमता का प्रदर्शन निम्नलिखित कारण हेतु अत्यधिक महत्वपूर्ण है: कॉम्पटॉन प्रकीर्णन प्रक्रिया एक्स-रे घटना के ध्रुवीकरण में संवेदनशील है तथा यदि सी.जेड.टी.आई. कॉम्पटॉन प्रकीर्णन में संवेदनशील है, तब अवश्य ही यह ध्रुवीकरण लक्षणों की ओर भी संवेदनशील है। अत: चमकीले जी.आर.बी. के लिए ध्रुवीकरण आयाम के परिशुद्ध मूल्य का मापन किया जाना चाहिए (इस जी.आर.बी. कॉम्पटॉन प्रकीर्णन घटना के तौर पर संसूचित करीबन 500 काउंट है तथा यह अनुमान लगाया गया कि विश्वसनीय ध्रुवीकरण का मापन करने हेतु कम-से-कम 2000 काउंट की आवश्यकता है)। हालाँकि कुछ जी.आर.बी. में ध्रुवीकरण का मापन किया गया है, ऐसा पहली बार हुआ है कि ठोस एक्स-रे में जी.आर.बी. के स्पैक्ट्रल, समय निर्धारण, तथा ध्रुवीकरण का मापन साथ-साथ किया जा रहा है तथा इससे जी.आर.बी. के विकिरणी तंत्र को समझने में दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे।
इसी दौरान, जैसा कि कहा गया है: सी.जेड.टी.आई. प्रेक्षण के पहले सप्ताह के दौरान, सी.जेड.टी.आई. ने कर्क स्पंद तारा (चित्र 4 में दर्शाया गया है) के स्पंद अवधि का मापन किया, जिससे उपकरण के समय निर्धारण क्षमता का प्रदर्शन हुआ।
चित्र 4: कर्क प्रेक्षण का ऊर्जा स्पैक्ट्रम। 29.65 हर्ट्ज तथा इसके गुणांक के समतुल्य आवृत्ति पर इसकी गुणावृत्ति सहित कर्क स्पंद तारा आवृत्ति को स्पष्ट देखा जा सकता है