पी.आर.एल. वैज्ञानिकों के द्वारा एस्ट्रोसैट की मदद से लिन नामक अनूठे तारे का रहस्योद्घाटन
एक महत्वपूर्ण खोज के रूप में, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पी.आर.एल.), अहमदाबाद के खगोलशास्त्रियों की एक टीम ने एस.यू. लिन नामक एक अनूठे तारे की प्रकृति को समझने के लिए भारत के एस्ट्रोसैट अंतरिक्ष वेधशाला के ऑनबोर्ड परा-बैंगनी प्रतिबिंबन दूरबीन (यू.वी.आई.टी.) से प्राप्त डेटा का उपयोग किया। उन्होंने इस प्रक्रिया में यू.वी.आई.टी. की यू.वी. दूरबीन क्षमता का पहली बार उपयोग किया, तथा सिम्बायोटिक तारों के नाम वाले तारकीय पिंडों के श्रेणी पर नई जानकारी प्राप्त की।
एस.यू. लिन को लंबे समय से साधारण लाल विशालकाय तारे के रूप में जाना जाता रहा है, जो कि अत्यंत बृहद तारों की श्रेणी में आता है, और जो तारकीय विकास के अंतिम चरण में बने। हालांकि, वर्ष 2016 में यह देखा गया कि एस.यू. लिन से तीक्ष्ण एक्स.-किरण उत्सर्जन हो रहा है। इससे यह संशय बढ़ा कि इस तारे के पास एक छिपा हुआ गर्म साथी तारा है, जिसके श्वेत बौना तारा होने का अनुमान लगाया जाता है, तथा जो मध्यवर्ती-द्रव्यमान के तारो के समाप्त होने पर अंतिम बचा हुआ हिस्सा होता है। श्वेत बौने तारे सुर्य के द्रव्यमान के बराबर हो सकते हैं, फिर भी वे आकार में पृथ्वी के बराबर होते हैं।
एस.यू. लिन के पास एक श्वेत बौना तारा होने के प्रस्ताव/सुझाव से ऐसी प्रणालियों की हमारी समझ को चुनौती मिली है। एक श्वेत बौने तारे तथा एक लाल विशाल तारे वाले युग्मतारा तारकीय प्रणालियों को सिम्बायोटिक प्रणाली के रूप में जाना जाता है। इस सिम्बायोटिक प्रणाली में श्वेत बौने तारे तथा लाल विशाल तारे की अंतर्क्रिया से अभिवृद्धि छल्ला (एक्रीशन डिस्क), जेटों, आयनीकृत सिम्बायोटिक नीहारिका, तारकीय वायु की अंतर्क्रिया जैसी अनेक जटिल भौतिकीय गोचरों में वृद्धि होती है। इसके कारण सिम्बायोटिक्स सबसे अधिक रोचक खगोलभौतिकी प्रयोगशालाओं में से एक माने जाते हैं। विशिष्ट सिम्बायोटिक प्रणाली और अनेक अवयवों का एक आरेखीय चित्र, चित्र-1 में दिया गया है। भू-आधारित दूरबीनों का उपयोग कर, अन्य आयनीकरण प्रकारों के प्रकाशिक स्पेक्ट्रम में प्रेक्षित अनेक उच्च आयनीकरण प्रकारों के तीव्र उत्सर्जन पंक्तियों की उपस्थिति द्वारा इन सिम्बायोटिक प्रणालियों को पारंपरिक रूप से चिह्नत तथा अभिलक्षणित किया जाता है। हालांकि, एस.यू. लिन के प्रकाशिक वर्णक्रम में ये पंक्तियाँ मौजूद नहीं थीं, जिनसे इसके सिम्बायोटिक प्रकृति पर प्रश्न खड़ा होता है।
चूँकि, श्वेत बौने तारे गर्म होते हैं और अधिकांशत: यू.वी. (पराबैगनी) रेंज में विकिरण उत्पन्न करते हैं, अत:, श्वेत बौने तारे की उपस्थिति को स्थगित करने का अधिक निश्चित तरीका परा-बैगनी (यू.वी.) प्रेक्षण हैं। तथापि, पराबैगनी विकिरण पृथ्वी के वायुमंडल को भेद नहीं सकता और उसे केवल अंतरिक्ष आधारित पराबैगनी दूरबीनों तथा उपकरणों से संसूचित किया जा सकता है। किंतु वर्तमान में, अंतरिक्ष में कुछ ही दूरबीन हैं तथा स्पक्ट्रोस्कोपिक क्षमता वाले यू.वी. दूरबीन दुर्लभतम हैं।
ऐसी स्थिति में, भारत के एस्ट्रोसैट अंतरिक्ष वेधशाला तथा इसके नीतभारों में से एक यू.वी.आई.टी.-पराबैगनी प्रतिबिंबन दूरबीन ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। वेधशाला के ऑनबोर्ड लगे उपकरण तारों के पराबैगनी स्पेक्ट्रम को रिकार्ड करने में सक्षम हैं, और यह एक ऐसी विशेषता थी जो अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई। पी.आर.एल. टीम अनेक प्रेक्षण सुविधाओं तथा उपकरण समूहों और सर्वाधिक उल्लेखनीय यू.वी.आई.टी. की मदद से एस.यू. लिन का वर्ष 2016 से प्रेक्षण कर रही है। पृथ्वी से इस तारे को आई.आई.ए.-एच.सी.टी. पर लगे एच.ई.एस.पी. उपकरण से, तथा स्वदेशी एम.एफ.ओ.एस.सी.-पी. स्पेक्ट्रोग्राफ और आबू पर्वत में पी.आर.एल. 1.2 मी. दूरबीन पर लगे निकट-अवरक्त कैमरे तथा स्पेक्ट्रोमीटर से प्रेक्षित किया गया।
उत्सर्जन रेखाओं के साथ चिह्नित एस.यू. लिन का एस्ट्रोसैट-यू.वी.आई.टी. स्पेक्ट्रम तुलना के लिए तीन अन्य सिम्बायोटिक प्रणालियों (ई.आर. डेल, एस.वाई. मस तथा ए.एस.210) को भी दर्शाया गया है।
एस्ट्रोसैट-यू.वी.आई.टी. उपकरण से प्राप्त एस.यू. लिन के दूर-यू.वी. (1300-1800 आंग्स्ट्रॉम) स्पेक्ट्रम ने विशेष सिम्बायोटिक तारों (चित्र-2) वाले स्पेक्ट्रम में सिलिकॉन (एस.आई.आई. IV), कार्बन (सी. IV), ऑक्सीजन (ओ.III) तथा नाइट्रोजन (एन.III) की उत्सर्जन रेखाओं को दिखाया। उच्च विभेदन प्रकाशिक स्पेक्ट्रम कुछ उत्सर्जन रेखाओं की क्षीण उपस्थित को दर्शाता है, जो सिम्बायोटिक तारों के प्रकाशिक स्पेकट्रम में विशेषत: देखे जाते हैं। प्रकाशिक तथा एन.आई.आर. स्पेक्ट्रा के साथ-साथ, यू.वी. स्पेक्ट्रम एस.यू. लिन की सिम्बायोटिक प्रकृति की पुष्टि करता है। यू.वी. प्रेक्षणों के अनुकूल एक साधारण सैद्धांतिक मॉडल का उपयोग करते हुए आगे यह दर्शाया गया कि एस.यू. लिन में श्वेत बौना तारा पारंपरिक सिम्बायोटिक प्रणाली (लगभग ̴100 से ̴1000 सौर चमक) में श्वेत बौने तारे की तुलना में कम परिमाण की चमक (0.16 सौर चमक) की कोटि का है। इसके बजाय, सिम्बायोटिक गोचर श्वेत बौने तारे के चारो ओर अभिवृद्धि छल्ला (अक्रीशन डिस्क) (0.66 सौर चमक) से क्षीण यू.वी. विकिरण द्वारा सर्वाधिक रूप से चालित होता है। यही कारण है कि प्रकाशिक स्पेक्ट्रम में उत्सर्जन रेखाएं क्षीण हैं तथा एस.यू. लिन के सिम्बायोटिक प्रकृति को पहले भू-आधारित प्रेक्षणों से स्थापित नहीं किया जा सकता था।
तारकीय खगोलशास्त्र के लिए एस.यू. लिन की प्रकृति का विभेदन एक महत्वपूर्ण परिणाम होता है। हमारी आकाशगंगा में केवल कुछ सौ सिम्बायोटिक प्रणालियाँ हैं। यह उनके हजारों की संख्या के पुर्वानुमान के विपरीत है। निम्न विभेदन प्रकाशिक स्पेक्ट्रा में तीव्र उत्सर्जन रेखाओं की उपस्थिति सिम्बायोटिक तारों को चिह्नित तथा आविष्कृत करने की पारंपरिक विधि रही है। हालांकि, ये पारंपरिक विधियाँ एस.यू. लिन प्रकार की सिम्बायोटिक्स का संसूचन करने में असफल होंगी। पी.आर.एल. टीम द्वारा प्राप्त इन वर्तमान परिणामों ने एस.यू. लिन प्रकार की सिम्बायोटिक प्रणालियों के अस्तित्व को स्थापित किया है। इसकी उच्च संभावना है कि एस.यू. लिन प्रकार के अनेक सिम्बायोटिक तारों का अस्तित्व है, जिनका पारंपरिक विधियों से अभी तक संसूचन नहीं हो पाया। और यह एक कारण हो सकता है कि क्यों अब तक सिम्बायोटिक प्रणालियों की अपेक्षित संख्या से भी कम संख्या खोजी गई है।
यह भी नोट करना महत्वपूर्ण है कि ये निष्कर्ष कम प्रसिद्ध स्पेक्ट्रोस्कोपिक क्षमता वाले यू.वी.आई.टी. उपकरण से प्राप्त किये गए हैं, जिसे प्रारंभिक रूप से एक प्रतिबिंबन उपकरण की भांति डिजाइन किया गया है।
संदर्भ :
विपिन कुमार, मुदित के. श्रीवास्तव, दिपांकर पी.के. बैनर्जी, विशाल जोशी, यू.वी. स्पेक्ट्रोस्कोपी कन्फर्म्स एस.यू. लिन टु बी ए सिम्बायोटिक स्टार, मंथली नोटिसेस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी : खंड, 500, अंक 1, जनवरी 2021, पृष्ठ एल.12-एल.16;
https://doi.org/10.1093/mnrasl/slaa159