पराबैंगनी प्रतिबिंबन दूरबीन (यू.वी.आई.टी.)
पराबैंगनी प्रतिबिंबन दूरबीन या यू.वी.आई.टी. विशिष्ट 3-ईन-1 प्रतिबिंबन दूरबीन है। 230 कि.ग्रा. वजन वाला यह यू.वी.आई.टी. दृशीय, निकट पराबैंगनी (एन.यू.वी.) तथा दूरस्थ पराबैंगनी (एफ.यू.वी.) में एक साथ प्रेक्षण कर सकती है। यू.वी.आई.टी. में दो अलग-अलग दूरबीन हैं। इनमें से एक दृशीय (320-550 ने.मी.) तथा एन.यू.वी. (200-300 ने.मी.) में कार्य करती है। दूसरी केवल एफ.यू.वी. (130-180 ने.मी.) में कार्य करती है। ध्यान रहे हाइड्रोजन की प्रसिद्ध लाईमैन-ए लाईन 121.6 ने.मी. पर है जो एफ.यू.वी. का सुदूर छोर है और उससे भी आगे एक्स-किरण बैण्ड है जिसके लिए एस्ट्रोसैट में चार अलग-अलग दूरबीन हैं।
यू.वी.आई.टी. में 1.8 आर्कसेकण्ड का आकाशीय विभेदन है और 0.5 डिग्री का दृश्य क्षेत्र है। इसकी तुलना में गैलेक्स नासा द्वारा प्रमोचित पराबैंगनी दूरबीन में 1.2 डिग्री का बृहत् दृश्य क्षेत्र है परंतु 5 आर्कसेकण्ड का विभेदन।
प्रत्येक रिट्च्ये-केटियेन प्रकार के दो दूरबीनों में 35.5 से.मी. के व्यास का मुख्य दर्पण है जो ऐसी सामग्री से विलेपित है जो पराबैंगनी फोटॉन्स को कुशलतापूर्वक परावर्तित करता है। ये दर्पण हाईपरबॉलिक आकार में हैं ताकि प्रकाशिकीय त्रुटियों को कम किया जा सके, अंदर आने वाले प्रकाश को अन्य दर्पण पर परावर्तित किया जा सके ताकि प्रकाश को स्यंदक चक्र तथा संसूचक पर केंद्रित किया जा सके।
जैसे प्रकाशिकीय दूरबीनों में आसमान का लाल या नीला या हरे रेंज के तरंगदैर्घ्य में प्रतिबिंबन लेने हेतु स्यंदक होते हैं वैसे ही यू.वी.आई.टी. में भी भिन्न-भिन्न संकीर्ण तंरगदैर्घ्य बैण्डों में एन.यू.वी. एवं एफ.यू.वी. (तथा दृशीय) के प्रतिबिंब लेने हेतु स्यंदक होते हैं। ये स्यंदक चक्रों पर रखे होते हैं जिन्हें उन्हें उस प्रकाश पथ में लाया जा सकता है जिसमें खगोलविज्ञानी चाहता है।
स्यंदकों के बाद वास्तविक संसूचकों को रखा जाता है। ये फोटॉन की गणना करने के संसूचक हैं और प्रत्येक फोटॉन के आपतन का पृथक-पृथक स्थान व समय माप सकते हैं। ये समेकन मोड (सी.सी.डी. कैमरे के जैसे) में भी कार्य कर सकते हैं और दृशीय चैनल अधिकांशत: इसी मोड में कार्य करता है। इन्हें 'इंटेंसिफाइड सी.एम.ओ.एस.' पठन कैमरा का उपयोग करते हुए पढ़ा जाता है। वस्तुएं दृशीय की तुलना में पैराबैंगनी में अधिक - धुंधले होते हैं और इसलिए प्रत्येक फोटॉन को 0.25 मेगापिक्सल कैमरा पर पड़ने से पहले अत्यधिक प्रवर्धित किया जाता है। यू.वी.आई.टी. अब एकल पराबैंगनी फोटॉन और उसके आगमन के पांच मिलीसेकण्ड के संसूचक के लिए पर्याप्त संवेदनशील होता है। यू.वी.आई.टी. दृशीय क्षेत्र का एक सेकण्ड में 30 बार प्रतिबिंबन ले सकता है। (और विशेष मामलों में 200 बार भी)।
यू.वी.आई.टी. का डिजाइन और निर्माण करना चुनौतिपूर्ण था। इसमें विचित्र समस्याओं जैसे पराबैंगनी खगोलिकी, आधुनिक प्रौद्योगिकी का समावेश और प्रमोचन के दौरान तीव्र यांत्रिकी कंपन को सहन करने तथा बाह्य अंतरिक्ष के गंभीर ताप एवं विकिरण, का सामना करना था।
इंटेंसिफाइड सी.एम.ओ.एस. संसूचक अंदर आने वाले फोटॉन्स को विद्युत चार्ज में परिवर्तित कर के कार्य करता है इसलिए यदि यू.वी.आई.टी. अत्यधिक प्रकाश में आता है तो स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त हो सकता है। उपग्रह से प्रकीर्णित प्रकाश, पृथ्वी की सतह से परावर्तित प्रकाश, पृथ्वी के वायुमंडल में O2 जैसे कणों से उत्सर्जन जब सूर्य द्वारा उद्वेगित होते हैं और साथ ही सौर प्रणाली में धूल से प्रकीर्णित सूर्य प्रकाश भी यू.वी.आई.टी. की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं। इसलिए यह दूरबीन केवल रात्रि में प्रेक्षण करता है और इसकी आंतरिक सुरक्षा के लिए कई इलेक्ट्रोनिक तथा यांत्रिकी विशेषताएं हैं ताकि यह आगामी वर्षों में विज्ञान के क्षेत्र में कुछ विशेष उपलब्धि हासिल कर सके। यू.वी.आई.टी. के ज्यामितीय क्षेत्रफल तथा द्रव्यमान 1250 से.मी.2 तथा 231.8 कि.ग्रा. हैं।
बेंगलोर के भारतीय खगोलभौतिकी संस्थान (आई.आई.ए.) तथा पुणे के खगोलविज्ञान एवं खगोलभौतिकी अंतर विश्वविद्यालय केंद्र ( आई.यू.सी.ए.ए.) ने केनेडियन अंतरिक्ष ऐजेंसी (सी.एस.ए.) के सहयोग से इस नीतभार का विकास किया है।