भारतीय जन स्वास्थ्य, शिलांग के अधिकारियों के लिए सुदूर संवेदन तथा जीआईएस उपकरणों पर दो दिवसीय प्रशिक्षण
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26 नवंबर, 2025

एनई-सैक, इसरो ने आरआरएससी-उत्तर, एनआरएससी के सहयोग से 6–7 नवंबर, 2025 के दौरान भारतीय जन स्वास्थ्य संस्थान (आईआईपीएच), शिलांग के अधिकारियों के लिए "सुदूर संवेदन और जीआईएस उपकरण के उपयोग" विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। यह प्रशिक्षण एनई-सैक आउटरीच सुविधा में आयोजित किया गया, जिसमें आरआरएससी-उत्तर के अधिकारियों ने दूरस्थ रूप से भाग लिया। यह प्रशिक्षण "मेघालय में स्क्रब टाइफस तथा अन्य जूनोटिक एवं वेक्टर-जनित रोगों (जेडवीबीडी) का महामारी विज्ञान" शीर्षक वाले परियोजना हेतु इसरो–एएचपीआई सहयोग के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसे आरआरएससी-उत्तर/एनआरएससी, आईआईपीएच शिलांग और एनई-सैक द्वारा संयुक्त रूप से क्रियान्वित किया जा रहा है।

स्क्रब टाइफस बुखार, एक वेक्टर-जनित जीवाणु रोग, उत्तर-पूर्वी भारत में बढ़ रहा है और क्षेत्र की नम उपोष्णकटिबंधीय जलवायु तथा भूमि उपयोग के पैटर्न जैसे कारक उन कीटों (चिगर्स) के लिए अनुकूल वास स्थान प्रदान कर रहे हैं। जीवाणु संक्रमण से होने वाले इस बुखार को यदि समय रहते उपचार न मिले तो फेफड़ों और गुर्दों के विफल होने के कारण मृत्यु का कारण बन सकता है। भू-प्रेक्षण (ईओ) आधारित विश्लेषण के साथ जीआईएस प्रणालियाँ इस रोग की निगरानी करने और इसके निवारण हेतु कार्यों को प्राथमिकता देने में महत्वपूर्ण सहायता कर सकती हैं।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य अधिकारियों को ईओ डेटा के माध्यम से मानचित्रण और मानीटरन हेतु ओपन-सोर्स जीआईएस उपकरणों के अनुप्रयोग से परिचित कराना था। इसमें ओपन-टूल्स का उपयोग करते हुए स्थानिक डेटा मॉडलिंग के विभिन्न पहलुओं तथा गहन फील्ड इन्वेंटरी पर भी चर्चा की गई।इस प्रशिक्षण कार्यक्रम ने जन स्वास्थ्य अधिकारियों की भू-स्थानिक डेटा संग्रहण और विश्लेषण क्षमता को सुदृढ़ किया। यह महामारी विज्ञान और स्वास्थ्य मानीटरन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के उपयोग हेतु व्यापक सहयोगात्मक लक्ष्यों को सहायता प्रदान करेगा।

भारतीय जन स्वास्थ्य, शिलांग के अधिकारियों के लिए सुदूर संवेदन तथा जीआईएस उपकरणों पर दो दिवसीय प्रशिक्षण
भारतीय जन स्वास्थ्य, शिलांग के अधिकारियों के लिए सुदूर संवेदन तथा जीआईएस उपकरणों पर दो दिवसीय प्रशिक्षण