25 नवंबर, 2023
आज विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में आयोजित एक भव्य समारोह में, इसरो ने 21 नवंबर, 1963 को थुंबा भूमध्यरेखीय रॉकेट प्रमोचन स्टेशन से निक-अपाचे परिज्ञापी रॉकेट के प्रमोचन के साथ अंतरिक्ष में अपने प्रथम प्रमोचन की 60वीं वर्षगांठ मनाई।
डॉ. जितेंद्र सिंह, राज्य मंत्री, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की सुशोभित हुआ और उन्होंने कार्यक्रम का उद्घाटन किया।श्री एस सोमनाथ, अध्यक्ष, इसरो और सचिव, अंतरिक्ष विभाग के ने समारोह की अध्यक्षता की। श्री वी मुरलीधरन, राज्य मंत्री, विदेश मंत्रालय ने सभा को संबोधित किया। श्री जी माधवन नायर, इसरो के पूर्व अध्यक्ष, विभिन्न इसरो केंद्रों (वीएसएससी, एलपीएससी, एसडीएससी, एचएसएफसी, आईपीआरसी और आईआईएसयू) के निदेशकों, वीएसएससी के पूर्व निदेशकों, प्रारंभिक वर्षों के दौरान अपनी सेवाएं प्रदान करने वाले पूर्व कर्मचारियों सहित उल्लेखनीय गणमान्य व्यक्तियों और इसरो केंद्रों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भव्य समारोह में भाग लिया।
जयंती समारोहों के हिस्से के रूप में, इसरो के अतीत, वर्तमान और भविष्य के कार्यक्रमों को दर्शाने वाली एक प्रदर्शनी आयोजित की गई थी। रोहिणी 200, थुम्बा से 2452 एनडी - परिज्ञापी रॉकेट प्रमोचन ने इस कार्यक्रम में एक शानदार अनुभूति का समावेश किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रमोचन नियंत्रण केंद्र के पास एक हीरक जयंती स्मारक का अनावरण किया, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की छह दशकों की उपलब्धियों का प्रतीक है।
शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, अध्यक्ष एस सोमनाथ के साथ एक बातचीत सत्र के लिए इसरो ने तिरुवनंतपुरम जिले के विभिन्न स्कूलों के 60 छात्रों को आमंत्रित किया। इसके अलावा, सार्वजनिक बाह्यसंपर्क पहल के हिस्से के रूप में शहर में तीन प्रमुख स्थानों पर प्रमोचन रॉकेटों के पैमानीकृत मॉडल को दर्शाने वाली संस्थापनाओं को नियोजित ढंग से रखा गया।
इस आयोजन के दौरान, जिसमें भारत के अंतरिक्ष महागाथा के 60 वर्षों के उत्सव को चिह्नित किया गया था, अध्यक्ष एस सोमनाथ ने घोषणा की कि आने वाले महीनों में विभिन्न इसरो केंद्रों में हीरक जयंती समारोह का विस्तार होगा, जिसका समापन 23 अगस्त को मनाये जान वाले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर होगा। उत्सव का उद्देश्य न केवल इसरो के शानदार इतिहास को प्रतिबिंबित करना है, बल्कि अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की निरंतर प्रगति में योगदान करने के लिए वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की अगली पीढ़ी को प्रेरित करना है।