इसरो द्वारा फूलने योग्य वायुगतिक मंदन (आई.ए.डी.) के साथ नई प्रौद्योगिकी का सफल प्रदर्शन – भावी मिशनों के लिए बहु अनुप्रयोगों के साथ कायापलट (गेम चेंजर) होम/ प्रेस विज्ञप्ति / इसरो द्वारा फूलने योग्य वायुगतिक मंदन (आई.ए.डी.) के साथ नई प्रौद्योगिकी का सफल प्रदर्शन
आज दोपहर 12.20 बजे टर्ल्स, थुबा से रोहिणी परिज्ञापी रॉकेट में वी.एस.एस.सी. द्वारा डिजाइन और विकसित किए गए आई.ए.डी. की सफलतापूर्वक परीक्षण उड़ान की गई। इस आई.ए.डी. को प्रारंभ में वलित किया गया तथा रॉकेट की नीतभार खण्ड के अंदर रखा गया। आई.ए.डी. लगभग 84 कि.मी. की तुंगता पर फूल ने के पश्चात परिज्ञापी रॉकेट के नीतभार भाग के साथ वायुमंडल के माध्यम से अवतरित हुआ। फुलाव हेतु वायुचालित प्रणाली का विकास एल.पी.एस.सी. द्वारा किया गया था। आई.ए.डी. ने वायुगतिक खिंचाव के माध्यम से नीतभार के वेग को क्रमबद्ध रूप से कम किया तथा पूर्वानुमानित प्रक्षेप-पथ का अनुकरण किया। यह पहला अवसर है जब आई.ए.डी. को प्रयुक्त चरण की पुनः प्राप्ति के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। इस मिशन के सभी उद्देश्य सफलतापूर्वक प्रदर्शित किए गए।
इस आई.ए.डी. के पास रॉकेट के प्रयुक्त चरणों की पुनः प्राप्ति, मंगल या शुक्र ग्रह पर नीतभारों का अवतरण करने तथा समानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए अंतरिक्ष निवास बनाने जैसे विविध अंतरिक्ष अनुप्रयोगों की प्रचुर संभावना हैं।
रोहिणी परिज्ञापी रॉकेटों का उपयोग, सामान्यतः इसरो के साथ-साथ तथा भारतीय और विदेशी वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की जा रही नई प्रौद्योगिकियों के उड़ान प्रदर्शन के लिए उपयोग में लाया जाता है। आज की उड़ान में, आई.ए.डी. के साथ-साथ आई.ए.डी. के फूलने और उसके उड़ान का चित्र लेने वाली सूक्ष्म वीडियो प्रतिबिंबन प्रणाली जैसे नए अव्यवों, लघु सॉफ्टवेयर द्वारा निश्चित रेडियो दूरमिति प्रेषित्र, एम.ई.एम.एस. आधारित ध्वनिक संवेदक और अनेक नई क्रियाविधियों का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया। बाद में, मुख्य मिशनों में क्रियान्वित किया जाएगा। परिज्ञापी रॉकेट ऊपरी वायुमंडल में प्रयोग के लिए आकर्षक मंच प्रदान करता है।
इस प्रमोचन के प्रत्यक्षदर्शी, श्री एस. सोमनाथ, अध्यक्ष, इसरो, सचिव, अं.वि. ने कहा कि “यह प्रदर्शन फूलने योग्य वायुगतिकी मंदन प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए लागत प्रभावी प्रयुक्त चरण की पुनः प्राप्ति के लिए मार्ग प्रशस्त करता है तथा इस आई.ए.डी. प्रौद्योगिकी को शुक्र और मंगल पर इसरो के भावी मिशनों के लिए भी उपयोग किया जा सकता है”।
डॉ. एस. उन्निकृष्णन नायर, निदेशक, वी.एस.एस.सी. तथा डॉ. वी. नारायणन, निदेशक, एल.पी.एस.सी. सहित इसरो के वरिष्ठ पदाधिकारी भी इस प्रमोचन के प्रत्यक्षदर्शी रहे।
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