मेघ-ट्रॉपिक-1 का नियंत्रित पुन:-प्रवेश प्रयोग होम/ मेघ-ट्रॉपिक-1 का नियंत्रित पुन:-प्रवेश प्रयोग

मार्च 05, 2023

इसरो 7 मार्च 2023 को एक बंद निम्न भू कक्षा में भ्रमणशील उपग्रह, अर्थात् मेघ-ट्रॉपिक-1 (एम.टी.1) के नियंत्रित पुन:-प्रवेश के चुनौतीपूर्ण प्रयोग के लिए तैयारी कर रहा है। एम.टी.1 को 12 अक्टूबर, 2011 को इसरो और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी, उष्णकटिबंधीय मौसम और जलवायु अध्ययन के लिए सी.एन.ई. के एक संयुक्त उपग्रह उद्यम के रूप में प्रमोचित किया गया था। हालांकि उपग्रह का मिशन जीवनकाल मूल रूप से 3 वर्ष था, लेकिन एक दशक से अधिक समय तक उपग्रह ने क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु मॉडल का समर्थन करने वाले मूल्यवान डेटा सेवाएं 2021 तक प्रदान करना जारी रखा।

"यू.एन./आई.ए.डी.सी. अंतरिक्ष मलबा उपशमन दिशानिर्देश किसी एल.ई.ओ. (निम्न भू कक्षा) वस्तु को उसके जीवनकाल के अंत में नष्ट करने की सिफारिश करते हैं, अधिमानतः एक सुरक्षित संघात क्षेत्र में नियंत्रित पुन:-प्रवेश के माध्यम से, या इसे एक ऐसी कक्षा में लाकर जहां कक्षीय जीवनकाल 25 वर्ष से कम है। किसी भी पश्च-मिशन आकस्मिक विभंजन के जोखिम को कम करने के लिए ऑन-बोर्ड ऊर्जा स्रोतों के "निष्क्रियकरण" की भी सिफारिश की जाती है।"

लगभग 1000 किलोग्राम वजन वाले एम.टी.1 का कक्षीय जीवनकाल, 867 किमी की ऊंचाई वाली 20 डिग्री नति वाली प्रचालनशील कक्षा में 100 साल से अधिक रहा होगा। लगभग 125 किलोग्राम ऑन-बोर्ड ईंधन अपने मिशन के अंत में अप्रयुक्त रहा जो आकस्मिक विभंजन के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। प्रशांत महासागर में निर्जन स्थान में संघात के लिए पूरी तरह से नियंत्रित वायुमंडलीय पुन:-प्रवेश को प्राप्त करने के लिए यह बचे हुए ईंधन के पर्याप्त होने का अनुमान लगाया गया। नियंत्रित पुन: प्रविष्टियों में लक्षित सुरक्षित क्षेत्र के भीतर संघात सुनिश्चित करने के लिए बहुत कम ऊंचाई तक कक्षा में नीचे लाना शामिल है। आम तौर पर, बड़े उपग्रह/ रॉकेट पिंड जो पुन:-प्रवेश पर वायु-तापीय विखंडन से बच जाने की संभावना रखते हैं, उनसे जमीनी हताहत जोखिम को सीमित करने के लिए नियंत्रित पुन:-प्रवेश कराया जाता है। हालांकि, ऐसे सभी उपग्रहों को विशेष रूप से जीवन के अंत में नियंत्रित पुन:-प्रवेश कराने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एम.टी.1 को नियंत्रित पुन:-प्रवेश के माध्यम से निम्न भू कक्षा प्रचानल के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया था जिसने पूरी प्रक्रिया को बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया। इसके अलावा, पुराने उपग्रह की ऑन-बोर्ड समस्याएं, जिसमें कई प्रणालियों ने अतिरिक्तता खो दी और निम्नतर निष्पादन दर्शाया, और परिचालन जटिलताओं में मूल रूप से डिज़ाइन की गई कक्षीय ऊंचाई से कठोर वायुमंडलीय परिस्थितियों में उप-प्रणालियों को बनाए रखा। अध्ययन, विचार-विमर्श और मिशन प्रचालन, उड़ान की गतिशीलता, वायुगतिकीय, नोदन, नियंत्रण, नौवहन, तापीय और इसरो केंद्रों में अन्य उप-प्रणाली डिजाइन टीमों के बीच विचार विनिमय के आधार पर इन चुनौतियों को दूर करने के लिए तालमेल के साथ कार्य करने वाली प्रचालन टीम द्वारा अभिनव कार्ययुक्तियों को लागू किया गया।

प्रशांत महासागर में 5°द से 14°द अक्षांश और 119°प से 100°प देशांतर के बीच एक निर्जन क्षेत्र को एम.टी.1 के लिए लक्षित पुन:-प्रवेश क्षेत्र के रूप में पहचाना गया। अगस्त 2022 से, कक्षा को उत्तरोत्तर कम करने के लिए 18 कक्षा युक्तिचालन किए गए। डी-ऑर्बिटिंग के बीच, उपग्रह के कक्षीय क्षय को प्रभावित करने वाले वायुमंडलीय ड्रैग की भौतिक प्रक्रिया में बेहतर अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए विभिन्न सौर पैनल अभिविन्यासों पर एरो-ब्रेकिंग अध्ययन भी किए गए थे। कई बाधाओं को ध्यान में रखते हुए अंतिम डी-सपोर्ट रणनीति को डिज़ाइन किया गया है, जिसमें जमीनी स्टेशनों पर पुनः-प्रवेश ट्रेस की दृश्यता, लक्षित क्षेत्र के भीतर जमीनी संघात, और उप-प्रणालियों की स्वीकार्य प्रचालन स्थिति, विशेष रूप से अधिकतम प्रदेय प्रणोद और प्रणोदकों की अधिकतम फायरिंग अवधि शामिल है। 7 मार्च 2023 को भारतीय मानक समय 16:30 से 19:30 के बीच अंतिम दो डी-बूस्ट ज्वलन की संभावना है। वायु-तापीय अनुकरण से पता चलता है कि पुन:-प्रवेश के दौरान उपग्रहों के किसी भी बड़े टुकड़े की वायुतापीय उष्णता से बचने की संभावना नहीं है।

बाह्य अंतरिक्ष में सुरक्षित और टिकाऊ प्रचालनों के लिए प्रतिबद्ध एक जिम्मेदार अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में, इसरो निम्न भू कक्षा पिंडों के मिशन के बाद निपटान पर यू.एन./आई.ए.डी.सी. अंतरिक्ष मलबा उपशमन दिशानिर्देशों के बेहतर अनुपालन के लिए सक्रिय रूप से प्रयास करता है। एम.टी.1 का पुन:-प्रवेश प्रयोग प्रवर्तमान प्रयासों के एक भाग के रूप में किया गया है क्योंकि पर्याप्त बचे हुए ईंधन के साथ इस उपग्रह ने प्रासंगिक पद्धतियों का परीक्षण करने और पृथ्वी के वायुमंडल में सीधे पुन:-प्रवेश करके मिशन के बाद निपटान से संबद्ध प्रचालन बारीकियों को समझने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया।