6 मई, 2024
इसरो एलवीएम3 की नीतभार क्षमता को बढ़ाने और भविष्य के प्रमोचन रॉकेटों के लिए एलओएक्स केरोसिन नोदक संयोजन पर काम करने वाले 2000kN प्रणोद अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन विकसित कर रहा है। द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) इसरो के अन्य प्रमोचन रॉकेट केंद्रों की सहायता से अर्ध-क्रायोजेनिक नोदन प्रणालियों के विकास के लिए अग्रणी केंद्र है। नोदन मॉड्यूलों का समुच्चयन और परीक्षण इसरो नोदन कॉम्प्लेक्स (आईपीआरसी), महेंद्रगिरि में किया गया। इंजन के विकास के भाग के रूप में टर्बोपंप को छोड़कर इंजन पॉवर हेड प्रणाली की संपूरक पूर्ण ज्वालक ज्वलन परीक्षण सामग्री को तैयार किया गया। पहला ज्वलन परीक्षण 2 मई, 2024 को आईपीआरसी, महेंद्रगिरी में अर्ध-क्रायो एकीकृत इंजन परीक्षण सुविधा (एसआईईटी) में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया, जिसे हाल ही में भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया। पूर्व-ज्वालक के सुचारू और निरंतर ज्वलन का प्रदर्शन किया गया, जो अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन के स्टार्ट होने के लिए महत्वपूर्ण है।
स्टार्ट ईंधन एम्पुल के उपयोग से अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन का ज्वलन हासिल किया जाता है, इसमें वीएसएससी द्वारा विकसित ट्राइएथाइल एल्युमनाइड और ट्राइथाइल बोरोन के संयोजन का उपयोग किया जाता है, और इसरो मे पहली बार 2000kN अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन में इसका उपयोग किया गया। अभिलक्षणन के लिए विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) की नोदन अनुसंधान प्रयोगशाला प्रभाग (पीआरएलडी) सुविधा में अनेक इंजेक्टर प्राथमिक स्तर के प्रज्वलन परीक्षण किए गए। द्रव रॉकेट इंजन प्रणालियों के विकास में ज्वलन प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक है। अर्ध-क्रायो पूर्व-ज्वालक के सफल ज्वलन के साथ, अर्ध-क्रायो इंजन विकास में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की। इसके बाद इंजन पावरहेड परीक्षण सामग्री और पूरी तरह से एकीकृत इंजन पर विकास परीक्षण किए जाएंगे। 120 टन नोदक भरण के साथ अर्ध-क्रायो चरण का विकास भी प्रगति पर है।
अर्ध-क्रायोजेनिक नोदन प्रणालियों के विकास में अर्ध-क्रायो पूर्व-ज्वालक का सफल ज्वलन इसरो की एक बड़ी उपलब्धि है।
Figure 1 Preburner ignition test article and Hot test