01 जुलाई, 2025
Hon Prime Minister announcing Gaganyaan Program on 15 Aug 2018 from the ramparts of Red Fort.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने प्रमुख गगनयान मिशन पर सतत और संकल्पित प्रगति कर रहा है। इस मिशन के तहत इसरो ने भारतीय वायु सेना के चार परीक्षण पायलटों का चयन किया और गगनयान मिशन की तैयारी के रूप में विदेशों के साथ-साथ भारत में भी व्यापक प्रशिक्षण प्रदान दिया। वर्तमान में ये सभी इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र का हिस्सा हैं और गगनयान मिशन हेतु विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में व्यक्तिगत रूप से इन चार अंतरिक्ष यात्रियों को उनके पंख प्रदान कर उनके साहस का सम्मान किया और भारत की मानव अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की। गगनयान कार्यक्रम द्वारा प्राप्त की गई प्रमुख उपलब्धियों में टीवी-डी1 परीक्षण उड़ान में कर्मीदल बचाव प्रणाली का सफल प्रदर्शन, गगनयान-1 मानव रहित मिशन के लिए उन्नत हार्डवेयर का एकीकरण और अंतरिक्ष यात्रियों का निरंतर प्रशिक्षण शामिल है। अनुवर्ती निरस्त मिशनों के लिए भी तैयारियाँ प्रगति पर हैं। प्रथम मानव रहित परीक्षण उड़ान वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में निर्धारित है, जबकि भारत का प्रथम मानव युक्त अंतरिक्ष मिशन वर्ष 2027 की पहली तिमाही तक होने की संभावना है।
इन विकास कार्यों की नींव एक निर्णायक राष्ट्रीय दृष्टिकोण के क्षण में रखी गई - जब भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 15 अगस्त 2018 को औपचारिक रूप से गगनयान कार्यक्रम की घोषणा की, जिसने भारत को अपने स्वदेशी संसाधनों के माध्यम से अंतरिक्ष में अपने स्वयं के अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की राह पर अग्रसर किया गया।
उनके मार्गदर्शन में ही इसरो और अमेरिका के बीच इस संयुक्त सहयोग की नींव रखी गई थी। वर्ष 2023 में अमेरिका की उनकी ऐतिहासिक यात्रा और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ उनकी मुलाकात के दौरान एक व्यापक साझेदारी के तहत एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजने के लिए इस मिशन की परिकल्पना की गई थी।
आज, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को 25 जून 2025 को एक्सिओम मिशन 4 (एएक्स-04) के सफल प्रमोचन की घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है। यह मिशन अमेरिका के फ्लोरिडा के कैनेडी अंतरिक्ष केन्द्र के प्रमोचन परिसर 39ए से स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट पर भारतीय समयानुसार 12:01 बजे चार अंतरराष्ट्रीय चालक दल सदस्यों के साथ रवाना हुआ। एएक्स-04 चालक दल में कमांडर पैगी व्हिटसन, भारत से पायलट शुभांशु शुक्ला और पोलैंड से मिशन विशेषज्ञ स्लावोज़ उज़्नान्स्की तथा हंगरी से टिबोर कापू शामिल हैं।
Ax-04 Crew (L to R) Shubhanshu Shukla (India), Peggy Whitson (USA), Sławosz Uznański (Poland), Tibor Kapu (Hungary)
प्रमोचन यान और ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने त्रुटिहीन प्रदर्शन किया तथा चरण पृथक्करण से लेकर कक्षा में प्रवेश तक सभी मिशन उपलब्धियां प्राप्त कीं, जो अपेक्षित मापदंडों के भीतर थे। निम्नलिखित प्रमुख कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुए, जिनमें आई.एस.एस. पर एक्सपीडिशन 73 चालक दल के साथ एक्सिओम-04 चालक दल का स्वागत समारोह भी शामिल है।
निम्न तालिका में 30 जून 2025 तक भारत के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा आई.एस.एस. पर पूरी की गई प्रमुख गतिविधियों का विवरण दिया गया है।
उपरोक्त गतिविधियों के चित्र निम्नलिखित हैं
Dragon approaching ISS
Dragon docked to ISS
Hatch opening
Welcome ceremony
Experiment set-up
Experiment in progress
Honourable Prime Minister interacting with Gaganyatri Shubhanshu Shukla
Falcon 9 on Launch pad 39A
70 मीटर ऊंचा, फाल्कन 9 एक दो-चरणीय प्रमोचन यान है जिसे अभिवर्धक चरण की पुनः प्रयोज्यता के लिए डिज़ाइन किया गया है। फाल्कन 9 को इसके अभिवर्धक चरण में नौ मर्लिन इंजन और दूसरे चरण में एक एकल वैक्यूम-अनुकूलित मर्लिन इंजन द्वारा शक्ति प्रदान की जाती है, दोनों ही नोदक के रूप में तरल ऑक्सीजन (एलओएक्स) और आरपी-1 (परिष्कृत केरोसिन) का उपयोग करते हैं। यह उत्थापन पर 7,600 किलोन्यूटन से अधिक प्रणोद उत्पन्न करता है। यह इस मिशन का सहयोग करने वाले फाल्कन 9 के अभिवर्धक चरण की दूसरी उड़ान होगी, जिसने पहले एक स्टारलिंक मिशन प्रमोचित किया था। चरण पृथक्करण के बाद फाल्कन 9 का अभिवर्धक चरण फ्लोरिडा में केप कैनावेरल स्पेस फ़ोर्स स्टेशन पर अवतरण क्षेत्र (एलजेड-1) पर उतरा।
क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए एक पुन: प्रयोज्य क्रू मॉड्यूल भी है। इस मिशन का सहयोग करने वाले ड्रैगन अंतरिक्ष यान की यह पहली उड़ान है। ड्रैगन कैप्सूल को सात अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, हालाँकि यह आमतौर पर चार को ले जाता है। एक्सिओम-04 के लिए इसे चार-व्यक्ति अंतरराष्ट्रीय चालक दल के लिए अनुकूलित किया गया था। कैप्सूल में टचस्क्रीन नियंत्रण, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के साथ स्वचालित डॉकिंग और प्रमोचन के दौरान किसी भी विसंगति के मामले में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक एकीकृत आपातकालीन बचाव की प्रणाली है। सौर पैनल अंतरिक्ष यान के लिए बिजली की आपूर्ति करते हैं। कैप्सूल एक उन्नत जीवन सहयोग प्रणाली से भी सुसज्जित है जो अंदर हवा के दबाव, तापमान और ऑक्सीजन के स्तर को नियंत्रित करता है। एक बार आई.एस.एस. से जुड़ जाने के बाद यह कैप्सूल पूरे प्रवास काल तक उससे जुड़ा रहता है, तथा प्रयोगशाला और सुरक्षित वापसी वाहन दोनों के रूप में कार्य करता है।
International Space Station
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) अंतरिक्ष में एक प्रयोगशाला है। लगभग 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए, आईएसएस लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा करता है, जो हर 90 मिनट में एक परिक्रमा पूरी करता है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के प्रमोचन पैड 39ए पर एक फुटबॉल के आकार का फाल्कन 9, आद्योपांत लगभग 109 मीटर लंबा है और इसका वजन लगभग 420 टन है। स्टेशन में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान और कनाडा सहित अंतरराष्ट्रीय भागीदारों द्वारा योगदान किए गए कई परस्पर जुड़े मॉड्यूल शामिल हैं। ये मॉड्यूल प्रयोगशालाओं, आवास, डॉकिंग पोर्ट और भंडारण क्षेत्रों के रूप में काम करते हैं। वर्ष 2000 से आईएसएस पर लगातार मानव उपस्थिति के साथ अंतरिक्ष यात्री कई तरह की गतिविधियाँ करते हैं - जीव विज्ञान, भौतिकी और पृथ्वी प्रेक्षण जैसे विषयों में सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण में वैज्ञानिक प्रयोग करने से लेकर जीवन सहयोग और सघन अंतरिक्ष मिशनों के लिए उन्नत तकनीकों का परीक्षण करने तक। यह स्टेशन चिकित्सा अनुसंधान, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन, शैक्षिक आउटरीच और पृथ्वी की निगरानी हेतु संचालन की सुविधा भी देता है।
एक्सिओम-04 मिशन में इसरो की भागीदारी भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण ही संभव हो पाई है। उनके मार्गदर्शन में ही इसरो और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच इस संयुक्त सहयोग की नींव रखी गई। इस मिशन की परिकल्पना वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक अमेरिकी यात्रा और व्यापक साझेदारी के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भेजने के लिए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ उनकी बैठक के दौरान की गई थी।
सचिव, अंतरिक्ष विभाग, अध्यक्ष ,अंतरिक्ष आयोग और अध्यक्ष, इसरो डॉ. वी नारायणन के नेतृत्व में इसरो स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने जून 2025 के पहले सप्ताह में टेक्सास के ह्यूस्टन में जॉनसन स्पेस सेंटर (जेएससी), फ्लोरिडा के मेरिट द्वीप में कैनेडी स्पेस सेंटर (केएससी), स्पेसएक्स, एक्सिओम स्पेस और ब्लू ओरिजिन की विभिन्न सुविधाओं का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल ने प्रगति और तैयारी की निगरानी करने तथा एक्सिओम-04 मिशन में भारत की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने और सक्षम करने के साथ-साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में नए सहयोग के अवसरों का पता लगाने के लिए कई एजेंसियों के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ मुलाकात की।
ड्रैगन में हार्नेस की समस्या, आरोहण गलियारे का मौसम, फाल्कन 9 अभिवर्धक चरण में रिसाव और आईएसएस के ज़्वेज़्दा मॉड्यूल में रिसाव जैसी समस्याओं के कारण प्रमोचन को कई बार पुनर्निर्धारित किया गया था। इसरो प्रतिनिधिमंडल ने सभी मुद्दों को हल करने में रचनात्मक भूमिका निभाई। इसरो ने अपना रुख स्पष्ट किया कि मिशन के जोखिमों और चालक दल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, उत्थापन के लिए प्रमोचन को मंजूरी देने से पहले सभी समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए। सभी मुद्दों को हल करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त समय को देखते हुए, 19 जून को निर्धारित प्रमोचन को रद्द कर दिया गया। इसरो प्रतिनिधिमंडल यह पता चलने पर भारत लौट आया। बाद में, सभी मुद्दों के समाधान के पश्चात 25 जून 2025 को प्रमोचन निर्धारित किया गया। इसरो प्रतिनिधिमंडल प्रमोचन के साथ-साथ उत्तरोत्तर कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए वापस लौटा। गगनयान पूल से इसरो अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को एएक्स-04 मिशन के लिए मिशन पायलट और चालक दल के मुख्य सदस्य के रूप में चुना गया है, जबकि गगनयान पूल से इसरो अंतरिक्ष यात्री प्रशांत बी. नायर को मिशन के लिए चालक दल के पूर्तिकर सदस्य के रूप में नामित किया गया है।
ISRO delegation at Johnson Space Mission Control Centre
Shubhanshu Shukla
Prashanth B Nair
शुभांशु शुक्ला और प्रशांत बी. नायर दोनों ने कई अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं में गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इसमें नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर, ह्यूस्टन में एक्सिओम स्पेस के मुख्यालय और स्पेसएक्स के ड्रैगन मिशन सिमुलेटर में प्रशिक्षण शामिल है। प्रशिक्षण मॉड्यूल में उन्नत अंतरिक्ष यान प्रणाली, आपातकालीन प्रोटोकॉल, वैज्ञानिक नीतभार संचालन, सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण अनुकूलन, अंतरिक्ष चिकित्सा और उत्तरजीविता प्रशिक्षण शामिल हैं। उन्होंने मैक्सिको के जंगल में नासा के राष्ट्रीय बाह्य नेतृत्व कार्यक्रम (एनओएलपीएस) में भी भाग लिया, जहाँ टीम के सामंजस्य और तनाव के तहत लचीलापन पर ध्यान केंद्रित किया गया था। यह प्रशिक्षण अंतरिक्ष यात्री की तत्परता के उच्चतम मानकों को दर्शाता है, जो उन्हें भारत के अंतरिक्ष खोजकर्ताओं के बढ़ते कैडर का गौरवशाली प्रतिनिधि बनाता है।
एक्सिओम-04 मिशन के शुरुआती हफ्तों में चालक दल कई प्रमोचन-पूर्व प्रोटोकॉल और अंतिम तैयारियों से गुज़रा। इनमें नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर में गहन ब्रीफिंग, एकीकृत अनुरूपण और प्रणाली परिचित सत्र शामिल थे। एक मानक प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, चालक दल ने चिकित्सकीय रूप से फिट रहने तथा संक्रमण के संभावित स्रोतों से बचे रहने को सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य स्थिरीकरण संगरोध में प्रवेश किया। प्रमोचन से ठीक पहले एक औपचारिक चालक दल हस्तांतरण समारोह आयोजित किया गया था, जहाँ एक्सिओम-04 के चालक दल ने आधिकारिक तौर पर मिशन की ज़िम्मेदारियाँ संभालीं और उन्हें औपचारिक रूप से मिशन संचालन टीमों को सौंप दिया गया। इन गतिविधियों ने सुनिश्चित किया कि चालक दल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की अपनी यात्रा के लिए शारीरिक, मानसिक और परिचालन रूप से पूरी तरह से तैयार था।
कक्षा में अपने 14-दिवसीय प्रवास के दौरान, चालक दल विविध प्रकार की वैज्ञानिक और परिचालन गतिविधियों को अंजाम देगा। इनमें जीवन विज्ञान और द्रव गतिकी में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण प्रयोग, मानव शरीर विज्ञान अनुसंधान, स्वास्थ्य निगरानी और निदान के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शन, भू प्रेक्षण प्रतिबिंबन और भारत में छात्रों के साथ शैक्षिक आउटरीच सत्र शामिल हैं। यह मिशन लंबी अवधि के चालक दल वाले मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रचालन परीक्षण स्थल के रूप में भी काम करेगा, जो अंतरिक्ष यात्री के कल्याण, तंत्र व्यवहार और बहु-एजेंसी समन्वय में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा।
इस मिशन के हिस्से के रूप में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भारतीय वैज्ञानिक प्रयोगों का एक समूह आयोजित किया जा रहा है, जो सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण विज्ञान में भारत के अनुसंधान समुदाय के महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाता है। प्रमुख भारतीय संस्थानों द्वारा डिजाइन और इसरो द्वारा समन्वित किए गए ये प्रयोग, खाद्य सूक्ष्म शैवाल पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण और आईएसएस विकिरण के प्रभाव की जांच, अंतरिक्ष में सलाद के बीजों का अंकुरित होना और चालक दल के पोषण के लिए इसकी प्रासंगिकता, अंतरिक्ष में यूटार्डिग्रेड पैरामैक्रोबियोटस एसपी. बीएलआर स्ट्रेन का अस्तित्व, पुनरुद्धार, प्रजनन और ट्रांसक्रिप्टोमिक विश्लेषण तथा सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के तहत मांसपेशियों के उत्थान पर चयापचय पूरक के प्रभाव जैसे क्षेत्रों में फैले हुए हैं। अन्य प्रयोग सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में इलेक्ट्रॉनिक प्रदर्श के साथ मानव संपर्क और खाद्य फसल के बीजों की वृद्धि और उपज पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव की जांच करेंगे।
एएक्स-04 मिशन पर उड़ान भरने वाले भारतीय वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए, मेसर्स रेडवायर स्पेस, यूएसए, नीतभार एकीकरण गतिविधियों का समन्वय कर रहा है। रेडवायर ने तकनीकी सत्यापन और आईएसएस के नीतभार की आवश्यकताओं के अनुपालन सहित प्रमुख चरणों की सुविधा प्रदान की। प्रत्येक प्रयोग को उड़ान के लिए तैयार नीतभार पात्र में भर दिया जाता है। रेडवायर हार्डवेयर हैंडलिंग प्रोटोकॉल के विकास का भी सहयोग करते हुए यह सुनिश्चित कर रहा है कि भारतीय प्रयोगों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सुरक्षित रूप से तैनात और संचालित किया जा सके, जिससे भारत के अनुसंधान समुदाय के लिए सार्थक वैज्ञानिक परिणाम प्राप्त हो सकें।
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को श्रद्धांजलि देने हेतु शुभांशु शुक्ला बेहतरीन भारतीय हस्तशिल्प का चयन करके अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जा रहे हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन, अहमदाबाद के छात्रों द्वारा डिज़ाइन की गई ये प्रतीकात्मक वस्तुएँ भारत के पारंपरिक कला रूपों की विविधता, शिल्प कौशल और कालातीत सुंदरता को दर्शाती हैं, जिन्हें विभिन्न क्षेत्रों और सामग्रियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है। ये टुकड़े अंतरिक्ष में सांस्कृतिक राजदूत के रूप में काम करते हैं। आईएसएस पर उनकी यात्रा न केवल भारत की कलात्मक विरासत का जश्न मनाती है, बल्कि उन कारीगरों की पीढ़ियों का भी सम्मान करती है जो इन परंपराओं को जीवित रखना जारी रखते हैं।
एएक्स-04 मिशन इसरो के आगामी गगनयान मिशन के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेगा। यह अंतरराष्ट्रीय चालक दल के एकीकरण, चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक तैयारी, वास्तविक समय स्वास्थ्य दूरमिति, प्रयोग निष्पादन और चालक दल-भू समन्वय की बारीकियों में व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है। ये जानकारियाँ भारत के पहले स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए मिशन नियोजन, सुरक्षा सत्यापन और अंतरिक्ष यात्री की तत्परता को सीधे प्रभावित करेंगी।
इस अवसर पर इसरो भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता है, जिनके दूरदर्शी निर्णय ने भारत को एएक्स-04 मिशन में भाग लेने में सक्षम बनाया। भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान महत्वाकांक्षाओं के लिए उनका अटूट सहयोग और वैश्विक भागीदारी का लाभ उठाने में उनका विश्वास, भारत को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि तक ले आया है। प्रधानमंत्री का नेतृत्व अंतरिक्ष में भारत के भविष्य को सहयोगात्मक, आत्मविश्वासी और शांतिपूर्ण अन्वेषण के लिए प्रतिबद्ध बनाने में लगा हुआ है।
अंतरिक्ष एक ऐसा क्षेत्र है जिसे सहयोग से ही खोजा जा सकता है। एक्सिओम-04 मिशन में इसरो की भागीदारी इसी भावना को प्रतिध्वनित करती है। यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग की विरासत का अनुसरण करता है जिसने वर्ष 1984 में सोवियत सोयुज पर सवार होकर राकेश शर्मा को अंतरिक्ष में भेजा था। आज, चार दशक बाद, एक और भारतीय इस बार एक्सिओम स्पेस, स्पेसएक्स और नासा के सहयोग से अंतरिक्ष की यात्रा कर रहा है। इस मिशन की अगुवाई में सभी भागीदार एजेंसियों द्वारा प्रदर्शित व्यावसायिकता, समर्पण और वैज्ञानिक उत्कृष्टता वास्तव में प्रेरणादायक रही है। इसरो दुनिया भर में हमारे समकक्षों द्वारा दिखाई गई साझेदारी और सौहार्द की गहराई से सराहना करता है।
यह कक्षा में एक छोटा कदम है, लेकिन मानव अंतरिक्ष उड़ान और वैज्ञानिक खोज के क्षेत्र में भारत की एक बड़ी छलांग है।
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