"विकसित भारत 2047 के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना" विषय पर उत्तराखंड के लिए राज्य स्तरीय सम्मेलन 2025 का आयोजन
होम / "विकसित भारत 2047 के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना" विषय पर उत्तराखंड के लिए राज्य स्तरीय सम्मेलन 2025 का आयोजन

09 जुलाई, 2025

उत्तराखंड सरकार के सहयोग से क्षेत्रीय सुदूर संवेदन केंद्र-उत्तर, एनआरएससी द्वारा 30 जून 2025 को मुख्यमंत्री शिविर कार्यालय, मुख्य सेवा सदन, देहरादून में ‘विकसित भारत 2047 के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना - हिमालयी राज्य से अंतर्दृष्टि’ विषय पर उत्तराखंड के लिए राज्य स्तरीय सम्मेलन 2025 का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम अगस्त 2025 में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन से पहले परामर्शों की एक शृंखला के भाग के रूप में आयोजित किया गया था। राष्ट्रीय सम्मेलन पहल के तहत परिकल्पित इन राज्य-स्तरीय सम्मेलनों का उद्देश्य अंतरिक्ष अनुप्रयोगों और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय दिशा-निर्देश तैयार करने हेतु राज्य-विशिष्ट दृष्टिकोणों और प्रचालन आवश्यकताओं को संकलित करना है।

माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर परमुख्य अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और इस बात पर ज़ोर दिया कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अब केवल वैज्ञानिक अनुसंधान तक ही सीमित नहीं रह गई है, बल्कि कृषि, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने इस आयोजन को माननीय प्रधानमंत्री के विकसित भारत @ 2047 के दृष्टिकोण को साकार करने में एक उपलब्धि बताया और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने की ऐतिहासिक उपलब्धि पर इसरो और वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड विज्ञान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसका लक्ष्य वैज्ञानिक उपकरणों को शासन और सेवा वितरण हेतु एकीकृत करना है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, अध्यक्ष, इसरो और सचिव, अंतरिक्ष विभाग, डॉ. वी. नारायणन ने विशेष उद्बोधन दिया और साइकिल पर रॉकेट ले जाने से लेकर चंद्रयान, मंगलयान और आदित्य-एल1 जैसे ऐतिहासिक मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा करने तक भारत की प्रेरक यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने वर्ष 2040 तक एक स्वतंत्र अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने और चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के भारत के दृष्टिकोण को साझा किया और तकनीकी उत्कृष्टता के प्रति देश की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव श्री आनंद बर्धन ने कहा कि उत्तराखंड अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को अपनाने और स्थायी वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

एनआरएससी के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उत्तराखंड में उपग्रह डेटा, विशेषकर ग्लेशियर झीलों की निगरानी, जंगल की आग का मानचित्रण, बादल फटने की भविष्यवाणी और ऋषिगंगा-चमोली घटना के दौरान आपदा प्रतिक्रिया के लिए अपरिहार्य हो गया है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भू-प्रेक्षण, संचार और नौसंचालन शासन व्यवस्था को बदल रहे हैं और भू-स्थानिक समाधानों को मुख्यधारा में लाने के लिए गहन साझेदारी का आह्वान किया।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उत्तराखंड में “अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों और अंतरिक्ष अवसंरचना की भविष्य की आवश्यकताओं” , पर दस्तावेज जारी किया, जिसे उत्तराखंड के 27 विभागों से प्राप्त जानकारी के आधार पर इसरो और यूएसएसी के अधिकारियों की टीम द्वारा तैयार किया गया है।

उत्तराखंड सरकार के सचिवों ने आठ प्रमुख क्षेत्रों पर विषयगत प्रस्तुतियाँ दीं। प्रधान सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगौली, नितेश झा और राज्य के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक का समापन डॉ. चौहान के संबोधन के साथ हुआ, जिन्होंने अगस्त 2025 में होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन की भूमिका तैयार की।

Student Interaction, Trivandrum