इसरो ने लद्दाख की त्सो कार घाटी में अंतरिक्ष अनुरूप मिशन का आयोजन किया
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01 अगस्त, 2025

भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, इसरो द्वारा संचालित एक राष्ट्रीय प्रयास है जिसका उद्देश्य सौर मंडल में मानव उपस्थिति का विस्तार करना है, जिसकी शुरुआत पृथ्वी की निचली कक्षा (एलईओ) तक मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों से होगी और वर्ष 2040 तक भारतीय चालक दल द्वारा चंद्र अवतरण का लक्ष्य प्राप्त करना होगा। इसके लिए मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों से जुड़ी विभिन्न शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और प्रचालन संबंधी चुनौतियों का समाधान करने हेतु आवश्यक भारतीय विषयगत आँकड़े तैयार करने के लिए व्यवस्थित अध्ययन करना आवश्यक है। इस संबंध में, एक विशिष्ट मानव अंतरिक्ष मिशन के कुछ पहलुओं का अनुरूपण करने वाले वातावरण में भू-आधारित अनुरूप मिशन मानव स्वास्थ्य और प्रदर्शन संबंधी जोखिमों को समझने का अवसर प्रदान करते हैं।

इसरो का मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी) इसरो के आगामी मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए इस प्रयास का नेतृत्व कर रहा है। एचएसएफसी टीम ने नवंबर, 2024 में लद्दाख मानव अनुरूप मिशन (एलएचएएम) का नेतृत्व किया और साथ ही जुलाई, 2025 में इसरो के गगनयात्री से जुड़े हाल ही में संपन्न दस दिवसीय पृथक्करण अध्ययन 'अनुगामी' में भी भागीदारी की। इस प्रयास को जारी रखते हुए 31 जुलाई, 2025 को, सचिव, अंतरिक्ष विभाग और अध्यक्ष, इसरो डॉ. वी. नारायणन ने लद्दाख की त्सो कार घाटी में हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लैनेटरी एक्सप्लोरेशन (होप) अनुरूप मिशन सेटअप का उद्घाटन किया।

अपने उद्घाटन भाषण के दौरान, डॉ. वी. नारायणन ने इस बात पर जोर दिया कि यह अनुरूप मिशन सिर्फ़ एक अनुकरण नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक पूर्वाभ्यास है। उन्होंने यह भी कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी के दृष्टिकोण के अनुरूप, भारतीय उद्योग जगत की अधिक भागीदारी के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोल दिया गया है। एक उद्योग भागीदार के साथ यह अनुरूप मिशन भारतीय अंतरिक्ष परितंत्र में आकार ले रहे सार्वजनिक-निजी तालमेल के नए युग को दर्शाता है।

उद्घाटन के बाद, उद्योग साझेदार 10-दिवसीय (1 से 10 अगस्त, 2025 तक) होप अनुरूप मिशन का आयोजन करेंगे, जिसमें आईआईएसटी और आरजीसीबी, त्रिवेंद्रम; आईआईटी हैदराबाद; आईआईटी बॉम्बे; और एयरोस्पेस चिकित्सा संस्थान, बैंगलोर जैसे सहयोगी राष्ट्रीय संस्थानों के चयनित प्रयोग शामिल होंगे। इन संस्थानों के अन्वेषक, दो अनुरूप मिशनों के चालक दल सदस्यों की एपिजेनेटिक, जीनोमिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं की जाँच करेंगे और स्वास्थ्य-निगरानी प्रोटोकॉल, ग्रहीय सतह संचालन को मान्य करेंगे, तथा नमूना संग्रह और सूक्ष्मजीव विश्लेषण तकनीकों को परिष्कृत करेंगे।

एचएसएफसी द्वारा आयोजित इन अनुरूप मिशनों के माध्यम से उत्पन्न मूल्यवान डेटा, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन, चालक दल के कार्यप्रवाह और पर्यावरण अनुकूलन में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करके भविष्य के भारतीय मानव अन्वेषण मिशनों के लिए प्रोटोकॉल और बुनियादी ढांचे के डिजाइन का आधार बनेगा।

चालक दल के रहने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया होप 8 मीटर व्यास का आवास मॉड्यूल और प्रचालन एवं सहायक प्रणालियों के लिए 5 मीटर व्यास का एक उपयोगिता मॉड्यूल है, जो निर्बाध कार्यप्रवाह के लिए अन्तः संबंधित हैं। त्सो कार घाटी को इस अनुरूप मिशन के लिए विशेष रूप से इसलिए चुना गया था क्योंकि इसकी पर्यावरणीय समानताएँ प्रारंभिक मंगल ग्रह से काफी मिलती-जुलती हैं- जैसे उच्च पराबैंगनी प्रवाह, निम्न वायुदाब, अत्यधिक ठंड और खारे स्थायी तुषार की उपस्थिति।

Secretary, DOS & Chairman, ISRO inaugurating the space analog mission

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HOPE Setup at Tso Kar Valley, Ladakh

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