चंद्रमा पर एक्स – किरणों की सहायता से सोडियम प्रचुरता का चंद्र मानचित्र लिया गया होम
07 अक्तूबर, 2022
चित्र 1: मेयर (गहरे काले क्षेत्रों) और पठार (चमकीले या प्रकाशमान क्षेत्रों) के स्पष्ट रूपों का दर्शाता दृश्य प्रकाश में चंद्रमा का चित्र
चंद्रयान-2 कक्षित्र पर एक्स-किरण स्पेक्ट्रममापी क्लास ने पहली बार चंद्रमा पर सोडियम की प्रचुरता का मानचित्रण किया है।
चांदनी जो रात्रि के विशाल आकाश को प्रकाशमय करती है, वह चंद्रमा की सतह से सूर्य के प्रकाश के परावर्तन के कारण उत्पन्न होती है और चंद्रमा की सतह का अधिकांश भाग दीप्यमान चंद्र पठार है। अपोलो 11 के अंतरिक्षयात्री चट्टान मिट्टी के जो नमूने ले आए थे, उनसे पता चला कि प्राचीन चंद्र पटल के अवशेष ये क्षेत्र मुख्यत: प्लेगियोक्लास फेल्डस्पार श्रृंखला के समूह में सिलिकेट खनिजों से बने हैं।जबकि ये पृथ्वी पर पाए जाने वाले सामान्य खनिज हैं, फिर भी चंद्र नमूनों में खनिजों के अनेक प्रकार मौजूद हैं जिनमें सोडियम (जोकि एक वैकाल्पिक तत्व है) की अपेक्षा कैल्शियम तत्व की अधिकता है, जोकि पृथ्वी और चंद्रमा के संघटनात्मक अंतर का ही सूचक है। चंद्रमा पर सोडियम एवं पोटैशियमजैसे क्षारों सहित परिवर्तनशील तत्वों की हानि केकारण उस समय में मौजूद है,जब पृथ्वी एवं चंद्रमा की सौरमंडल में एक साथ उत्पत्ति हुई और जब सौरमंडल नया और अग्निमय था।
चंद्रमा से लाए गए नमूनों (अपोलो, लुना एवं चेंज) की उत्तरोत्तर प्रयोगशाला जाँचों से संघटनों की रेंज में वृद्धि हुई, परंतु मौलिक निष्कर्ष बने हुए हैं। तथापि, चंद्रमा से लाए गए नमूने चंद्रमा के कुछ विशिष्ट क्षेत्रों से हैं, जो आवश्यक रूप से वैश्विक चंद्र संघटन को नहीं दर्शाते। सोडियम उन तत्वों में से एक तत्व है, जिसका दृश्य या निकट अवरक्त तरंगदैर्ध्योंव में अर्थपूर्ण संकेत नहीं है तथा इस प्रकार इसे सुदूर संवेदन प्रेक्षणों द्वारा लक्षित नहीं किया गया है। चंद्रयान-1 एक्स-किरण प्रतिदीप्ति स्पेक्ट्रममापी (C1XS) ने एक्स-किरणों में इसकी विशेषतापूर्ण रेखा से सोडियम का पता लगाया, जिससे चंद्रमा पर सोडियम की मात्रा के मानचित्रण की संभावना उत्पन्न हुई।
ताराभौतिकी पत्रिकाओं में हाल ही में प्रकाशित कार्यों में चंद्रयान-2 ने अपने बृहत क्षेत्र एक्स-किरण स्पेक्ट्रममापी, क्लास का उपयोग करते हुए पहली बार चंद्रमा (चित्र-2) पर सोडियम की प्रचुरता का मानचित्रण किया। बेंगलूरु में इसरो के यू.आर.राव उपग्रह केंद्र में निर्मित,क्लास अपनी उच्च संवेदनशीलता एवं निष्पादन की वजह से सोडियम रेखा के स्पष्ट संकेत मुहैया कराता है। इस अध्ययन से पता चलता है कि उस संकेत का कुछ हिस्सा चंद्र कणों से क्षीण रूप से जुड़े सोडियम अणुओं के पतले परत से आ रहा होगा।
चित्र 3: चंद्रयान 2 से मिली जानकारियों से पता चलता है कि चंद्रमा की सतह पर सोडियम अणुओं के दो प्रकार हैं, कुछ ऐसे जो सतह पर क्षीण रूप से बंध हैं और कुछ ऐसे जो खनिजों के भाग हैं सौर विकिरण जैसे बाह्य कारक अत्यधिक आसानी से क्षीण रूप से बंधे अणुओं को मुक्त कर देते हैं और इस प्रकार चंद्र बहिर्मंडल में अणुओं के स्रोत का कार्य करते हैं।
यदि सोडियम परमाणु चंद्र खनिजों का भाग होते, तो सौर पवन या पराबैंगनी विकिरण द्वारा जितनी आसानी से उन्हें उद्वेलित किया जा सकता, उससे भी अधिक आसानी से उन्हें तब उद्वेलित किया जा सकता जब वे चंद्रमा की सतह पर होते। चंद्र सतह पर सोडियम के दिन के समय के विचलन को भी दर्शाया गया है जो बहिर्मंडल में परमाणुओं की सतत् आपूर्ति और इसे कायम रखने पर प्रकाश डालेगा।
चंद्रमा के पतले वायुमंडल में, जो ऐसा क्षेत्र है जहाँ परमाणु मुश्किल से एक-दूसरे से मिलते हैं, एक क्षारीय तत्व की उपस्थिति एक ऐसा रोचक पहलू है जो इसमें हमारी रुचि और बढ़ाता है। इस क्षेत्र को बहिर्मंडल नाम दिया गया, जिसकी शुरुआत चंद्रमा की सतह से होती है और अंतर-ग्रहीय अंतरिक्ष में विलय होते हुए कई हज़ारों किलोमीटर तक फैलती है। पॉटर एवं मोर्गन ने 1988 में पृथ्वी से चंद्र बहिर्मंडल में सोडियम अणुओं का मापन किया। तबसे, पृथ्वी की दूरबीनों ने चंद्रमा के चारों और इस धुँधली सोडियम प्रदीप्ति का प्रतिबिंब लिया है, जिसका रंग सोडियम वाष्प लैम्प द्वारा उत्सर्जित प्रकाश की तरह है। चंद्रयान-2 से मिली नई जानकारियों से चंद्रमा पर सतह-बहिर्मंडल अध्ययन के लिए एक दिशा मिलती है, जिससे बुध ग्रह और सौर प्रणाली तथा उससे भी परे के वायुरहित ग्रहों के लिए समान अध्ययनों में सहायता मिलेगी।
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