20 अप्रैल, 2024
यूआर राव उपग्रह केंद्र (यूआरएससी), बेंगलूरु ने 19 अप्रैल, 1975 को भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट के सफल प्रक्षेपण के उपलक्ष्य में उपग्रह प्रौद्योगिकी दिवस (एसटीडी) - 2024 मनाया। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी दिवस-2024 प्रोफेसर यू आर राव के कुशल नेतृत्व में संपन्न आर्यभट्ट लॉन्च के 50वें वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है तथा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल करने वाले चंद्रयान -3, आदित्य-एल 1 और एक्सपोसैट जैसे हाल ही में संपन्न वैज्ञानिक मिशनों की सफलता से यह अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक प्रार्थना-गीत और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। अपने संबोधन के दौरान, श्री एम शंकरन, निदेशक, यूआरएससी ने पिछले 50 वर्षों में यूआरएससी की उल्लेखनीय उपलब्धियों और भविष्य के लिए इसकी योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने वर्ष 2000 से प्रतिवर्ष 19 अप्रैल को केंद्र में शानदार ढंग से उपग्रह प्रौद्योगिकी दिवस (एसटीडी) मनाने की परंपरा की भी याद दिलाई।
श्री एस. सोमनाथ, अध्यक्ष, इसरो/सचिव अं.वि. ने अपने संबोधन में भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों को गति देने के लिए नई उपग्रह प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने में यूआरएससी की अग्रणी भूमिका के महत्व पर बल दिया।
राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए उपग्रहों की महत्वपूर्ण भूमिका पर रक्षा मंत्री के पूर्व सलाहकार डॉ. जी सतीश रेड्डी द्वारा प्रतिष्ठित आर्यभट्ट व्याख्यान दिया गया।दूसरे वक्ता, बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस के सह-संस्थापक, श्री रोहन गणपति ने अत्याधुनिक उपग्रह प्रणोदन प्रणालियों और उनके स्वदेशी विकास पर व्याख्यान दिया।
समारोह के हिस्से के रूप में विभिन्न इसरो केंद्रों से उपग्रह प्रौद्योगिकी पर नवीन तकनीकी पत्रों का संकलन - एसटीडी-2024 की कार्यवाही, जारी किया गया। इस कार्यक्रम में केंद्र में नई प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच, स्पॉटलाइट में भविष्य के मिशनों में शामिल करने के लिए यूआरएससी द्वारा अग्रणी तकनीकी विकास को प्रदर्शित करने वाली एक वीडियो प्रस्तुति प्रदर्शित की गई।
उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी पत्रों की प्रस्तुति और पत्रों और पोस्टरों के प्रस्तुतकर्ताओं को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
समारोह के हिस्से के रूप में केंद्र की विभिन्न तकनीकी संस्थाओं द्वारा प्राप्त तकनीकी प्रगति को दर्शाने वाला एक पोस्टर प्रदर्शन भी आयोजित किया गया। एसटीडी-2024 में एक मंडप का उद्घाटन भी हुआ, जिसका शीर्षक "यूआरएससी गेटवे टू 2047" है, जो उन लक्ष्यों की निरंतर याद दिलाता है, जिन्हें यूआरएससी भविष्य में हासिल करने का प्रयास करेगा।