डॉ. के. शंकरसुब्रमणियम, इसरो को आदित्य-एल.1 मिशन के प्रधान वैज्ञानिक के रूप में पदनामित किया गया। होम
19 अक्तूबर, 2022
आदित्य-एल.1, भारत से प्रथम वेधशाला श्रेणी का अंतरिक्ष आधारित सौर मिशन है। अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के प्रथम लग्रांजी बिन्दु के चारों ओर प्रभामंडल में स्थापित किया जाएगा। एल.-1 बिन्दु के चारों ओर उपग्रह के पास बिना किसी उपगूहन/ग्रहणों से सूर्य को लगातार देखने की मुख्य सुविधा है। यह अवस्था सौर गतिविधियों को निरंतर रूप से प्रेक्षण करने की बड़ी सुविधा मुहैया करता है। आदित्य-एल.1, विद्युत–चुम्बकीय एवं कण संसूचकों को उपयोग करते हुए प्रकाशमंडल, वर्णमंडल एवं सूर्य (प्रभामंडल) के प्रेक्षण हेतु सात नीतभारों का वहन करता है। एल.1 के विशिष्ट प्रेक्षण स्थल से चार नीतभार सीधे तौर पर सूर्य का प्रेक्षण करते हैं और शेष तीन नीतभार लग्रांजी बिन्दु एल.1 पर कणों एवं क्षेत्रों का स्वस्थाने अध्ययन पूरा करते हैं।
डॉ. शंकरसुब्रमणियम के. यू.आर. राव उपग्रह केंद्र (यू.आर.एस.सी.), बेंगलूरु के वरिष्ठ सौर वैज्ञानिक हैं। उन्होंने भारतीय ताराभौतिकी संस्थान, बेंगलूरु के माध्यम से बेंगलूरु विश्वविद्यालय से भौतिकी में पी.एच.डी. की उपाधि हासिल की है। उनके पसंदीदा अनुसंधान क्षेत्रों में सौर चुम्बकत्व क्षेत्र, प्रकाशिकी एवं यंत्रीकरण शामिल हैं। उन्होंने विभिन्न क्षमताओं में इसरो के एस्ट्रोसैट, चंद्रयान-1 एवं चंद्रयान-2 मिशनों में अपना योगदान दिया है। वर्तमान में, वे यू.आर.एस.सी. के अंतरिक्ष खगोल विज्ञान समूह (एस.ए.जी.) के प्रमुख हैं। एस.ए.जी., आदित्य-एल.1, एक्सपोसैट के आगामी मिशनों एवं चंद्रयान-3 नोदन माड्यूल पर लगे वैज्ञानिक नीतभारों के विकास कार्य में संलग्न है। वे आदित्य-एल.1 पर लगे एक एक्स-किरण नीतभार के लिए प्रमुख जाँचकर्ता भी हैं। डॉ. शंकरसुब्रमणियम के. आदित्य-एल.1 विज्ञान कर्मचारी समूह के प्रमुख भी हैं, जिसमें सौर विज्ञान अनुसंधान में कार्यरत भारत के विभिन्न संस्थानों से सदस्य शामिल हैं।