12 फरवरी, 2025
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद के वैज्ञानिकों ने एक नए एक्सोप्लैनेट, टीओआई-6038ए बी की खोज की है, जो एक घने उप-शनि के आकार का है, जिसका द्रव्यमान 78.5 पृथ्वी द्रव्यमान और एक विस्तृत द्विआधारी प्रणाली में 6.41 पृथ्वी त्रिज्या के बराबर है। यह ग्रह हर 5.83 दिनों में एक गोलाकार कक्षा में एक चमकीले, धातु-समृद्ध एफ-प्रकार के तारे की परिक्रमा करता है। टीओआई-6038ए बी, नेप्च्यून-जैसे एवं विशाल गैस एक्सोप्लैनेट के बीच पारगमन क्षेत्र में स्थित है, जिसे "उप-शनि" कहा जाता है, वह श्रेणी जो हमारे सौर मंडल में अनुपस्थित है और ग्रहों के बनने और विकास का अध्ययन करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
यह खोज माउंट आबू के गुरुशिखर में पीआरएल की माउंट आबू वेधशाला में 2.5-मीटर दूरबीन से जुड़े अत्याधुनिक पारस-2 स्पेक्ट्रोग्राफ का उपयोग करके दूसरे एक्सोप्लैनेट के खोज को चिह्नित करती है। इसके अलावा, पारस-1 और पारस-2 स्पेक्ट्रोग्राफ के संयुक्त प्रयासों का उपयोग करके पता लगाया गया यह पांचवाँ एक्सोप्लैनेट है। यह उन्नत खगोलीय यंत्रीकरण में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता को दर्शाता है, जिसमें पारस-2 स्पेक्ट्रोग्राफ एशिया में उच्चतम-विभेदन स्थिर अरीय वेग (आरवी) स्पेक्ट्रोग्राफ है। पीआरएल के 2.5-मीटर टेलीस्कोप से प्राप्त उच्च-स्थानिक विभेदन चित्तिदार प्रतिबिंबन पारगमन संकेत के साथ पारस-2 से प्राप्त सटीक अरीय-वेग डेटा, जिसका उपयोग ग्रह के द्रव्यमान को मापने के लिए किया गया था, संक्रमण संकेत की ग्रहीय प्रकृति को मान्यता प्रदान करने और खोज में अत्यधिक महत्वपूर्ण था।
टीओआई-6038ए बी उच्च घनत्व (1.62 ग्राम/सेमी³) वाला है, जो इसे ऐसे घने उप-शनि ग्रहों के बीच रखता है, जिनके बारे में यह माना जाता है कि यह उच्च-उत्केंद्रता ज्वारीय प्रवासन (एचईएम) या प्रारंभिक डिस्क-संचालित प्रवासन जैसे अद्वितीय तंत्रों के माध्यम से बनता है। इसका मेजबान तारा, टीओआई-6038ए, एक द्विआधारी प्रणाली का हिस्सा है, जिसके साथ के-प्रकार का तारा, टीओआई-6038बी भी है, जो 3217AU दूर स्थित है। यह व्यापक द्विआधारी साथी, ग्रह के घनत्व और कक्षीय विशेषताओं के साथ, इसके गठन और प्रवासन के बारे में दिलचस्प सवाल उठाता है। जबकि साथी दीर्घकालिक क्षोभ के माध्यम से ग्रह की कक्षा को प्रभावित कर सकता है, वहीं प्रारंभिक विश्लेषण से यह पता चलता है कि ये प्रभाव इसकी करीबी कक्षा को पूरी तरह से स्पष्ट नहीं कर सकते हैं। विशेष रूप से, यह द्विआधारी प्रणाली में खोजा गया केवल पांचवां उप-शनि एक्सोप्लैनेट है।
टीओआई-6038ए बी की आंतरिक संरचना का प्रारंभिक विश्लेषण इसके कुल द्रव्यमान का लगभग 3/4 (0.75) का एक विशाल चट्टानी कोर और H/He आवरण के शेष द्रव्यमान का संकेत देता है। यह स्थलीय ग्रहों और विशाल गैसों के बीच पारगमन में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। प्रणाली की चमक इसे वायुमंडलीय लक्षण वर्णन और स्पिन-ऑर्बिट संरेखण अध्ययन के लिए एक उत्कृष्ट उम्मीदवार बनाती है, जो एक्सोप्लैनेट प्रवासन पर सिद्धांतों को परिष्कृत कर सकती है। इसके अतिरिक्त, इस प्रणाली में अज्ञात साथियों की खोज इसके विकास को आगे बढ़ाने वाले कारकों को और अधिक उजागर कर सकती है।
Details of Paper:
S. Baliwal, R. Sharma, A. Chakraborty, et al. (2024), “TOI-6038 A b: A dense sub-Saturn in the transition regime between the Neptunian ridge and savanna”,
The Astronomical Journal,