29 फरवरी, 2024
इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), तिरुवनंतपुरम ने 27 फरवरी, 2024 को एक ऐतिहासिक कार्यक्रम की मेजबानी की, जब भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के मातृ केंद्र की अपनी पहली यात्रा की। यात्रा के दौरान उन्होंने इसरो की तीन बहुत महत्वपूर्ण सुविधाओं का उद्घाटन कर राष्ट्र को समर्पित किया और इसरो केंद्रों में गगनयान गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा की। जिन सुविधाओं का उद्घाटन किया गया उनमें वीएसएससी की ट्राइसोनिक विंड टनल, इसरो नोदन कॉम्प्लेक्स (आईपीआरसी), महेंद्रगिरि की सेमी-क्रायोजेनिक एकीकृत इंजन और चरण परीक्षण सुविधा और सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, एसएचएआर की पीएसएलवी एकीकरण सुविधाएं शामिल थीं। देशभर में फैले सभी इसरो केंद्र इस कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़े।
वीएसएससी के डॉ. श्रीनिवासन सभागार में आयोजित समारोह में, माननीय प्रधान मंत्री और कार्यक्रम में उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों यथा - केरल के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, केरल के माननीय मुख्यमंत्री श्री पिनाराई विजयन और माननीय विदेश और संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री वी मुरलीधरन का स्वागत श्री एस. सोमनाथ, अध्यक्ष, इसरो/सचिव, अं.वि. ने किया।
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ‘विंग सेरेमनी का आयोजन' था, जिसमें प्रख्यात गगनयान मिशन के लिए नामित चार अंतरिक्ष यात्रियों को राष्ट्र के सामने पेश किया गया और माननीय प्रधान मंत्री ने उन्हें विंग पैच प्रदान किए। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अजित कृष्णन, अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला ने पैच प्राप्त किए।
अपने संबोधन में, माननीय प्रधान मंत्री ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बनाने के लिए इसरो वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए न केवल हमारा देश बल्कि पूरी दुनिया इसरो की प्रशंसा कर रही है। उन्होंने नामित चार अंतरिक्ष यात्रियों को देश का प्रतीक बनने के लिए बधाई दी। उन्होंने पिछले तीन वर्षों में उनकी कड़ी मेहनत की सराहना की। उन्होंने उल्लेख किया कि गगनयान मिशन हमारे देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और यह इसलिए भी अधिक उपयुक्त होगा क्योंकि यह दुनिया में तीसरा विकसित राष्ट्र बनने के हमारे देश के प्रयास से मेल खाता है। उन्होंने इस बात का भी विशेष उल्लेख किया कि इसरो महिला कार्यबल को सशक्त बनाने में कितना महत्व दे रहा है। उन्होंने भारत के पास 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन होने की जानकारी और विकसित भारत संकल्प को प्राप्त करने में इसरो की भूमिका को दोहराया।
वीएसएससी में 1.2 मीटर ट्राइसोनिक विंड टनल एक अत्याधुनिक सुविधा है और भारत में अपनी तरह की पहली सुविधा है। ट्राइसोनिक विंड टनल रॉकेट और विमानों के स्केल किए गए मॉडलों पर एक नियंत्रित समान वायु प्रवाह उत्पन्न करता है ताकि उनकी वायुगतिकीय विशेषताओं का मूल्यांकन किया जा सके और उनके डिजाइन विकसित किए जा सकें। आत्मनिर्भर भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में, भारतीय उद्योगों के लाभ के लिए इस अभियान्त्रिकी बुनियादी ढांचे की प्राप्ति की रणनीति बनाई गई है। विंड टनल की परिकल्पना पूरी तरह से इसरो द्वारा की गई है और इसे मेसर्स टाटा प्रोजेक्ट्स के माध्यम से क्रियान्वित किया गया है और यह ‘मेक इन इंडिया’ का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। ट्राइसोनिक विंड टनल भारत में विभिन्न अंतरिक्ष उद्योगों की आगामी प्रमोचन यान परियोजनाओं और अगले कई दशकों के लिए प्रस्तावित उन्नत अंतरिक्ष मिशनों के शुरु-से-अंत तक के डिजाइन के लिए आत्मनिर्भरता प्रदान करेगी जैसा कि स्पेस 2047 विजन में परिकल्पना की गई है।
प्रदर्शनी
समारोह से पहले प्रधानमंत्री ने वीएसएससी में गगनयान कार्यक्रम की प्रगति को दर्शाने वाली एक विशाल प्रदर्शनी का दौरा किया। प्रदर्शों का विवरण देने के लिए विभिन्न केंद्रों के इंजीनियर उपस्थित थे।
माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में ऐतिहासिक गगनयान मिशन के लिए इसरो की तैयारियों की व्यापक समीक्षा की। समीक्षा में चालक मॉड्यूल, सेवा मॉड्यूल और कक्षीय मॉड्यूल सहित गगनयान मिशन की सफलता के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण उड़ान हार्डवेयर की गहन जांच शामिल थी। वीएसएससी में गगनयान एकीकरण और चेकआउट सुविधा में आयोजित कार्यक्रम में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में देश की प्रगति और अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया गया।
समीक्षा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने मिशन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण विभिन्न घटकों का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण किया। उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण के लिए उपयोग किए जाने वाले अनुरूपक की बारीकी से जांच की और अपने अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए भारत के समर्पण को रेखांकित किया। इसके अतिरिक्त, प्रधान मंत्री ने मिशन के हर विवरण पर सावधानीपूर्वक ध्यान देने पर बल देते हुए चालक दल की सीट और स्पेससूट की जांच की।
समीक्षा का एक महत्वपूर्ण आकर्षण प्रधान मंत्री मोदी और भारत के पहले अंतरिक्ष ह्यूमनॉइड व्योममित्र के बीच बातचीत थी। हिंदी में वाक् आदेश के माध्यम से, प्रधान मंत्री ने व्योममित्र की भाषण और रोबोटिक्स क्षमताओं का मूल्यांकन किया, जो अंतरिक्ष अन्वेषण और प्रौद्योगिकी एकीकरण के लिए भारत के अभिनव दृष्टिकोण का प्रतीक है।
इसके अलावा, समीक्षा में अगले मिशन के लिए पुन: प्रयोज्य प्रमोचक वाहन का अनावरण भी शामिल है, जो संस्थिर और लागत प्रभावी अंतरिक्ष मिशनों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। इसके अतिरिक्त, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का प्रोटोटाइप मॉडल प्रस्तुत किया गया, जो भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण और निवास के लिए भारत के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
प्रधान मंत्री मोदी ने प्रणालियों की तैयारी पर संतोष व्यक्त करते हुए भारत के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सर्वोत्तम प्रणालियाँ प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण में नई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए गगनयान मिशन में शामिल टीम के समर्पण और कड़ी मेहनत की सराहना की।
प्रधान मंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के हिस्से के रूप में विकसित सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकियों में गहरी रुचि दिखाई और उप-उत्पादों के व्यावसायीकरण की दिशा में इसरो के प्रयासों की सराहना की।