22 फरवरी, 2024
आदित्य-एल1 के नीतभार प्लाज्मा विश्लेषक पैकेज (पीएपीए) का प्रचालन शुरू हो गया हैऔर अपेक्षानुरूप कार्य कर रहा है। इसके उन्नत संवेदकों ने 10-11 फरवरी, 2024 के दौरान हुए प्रभामंडल द्रव्यमान उत्क्षेपण (सीएमई) के प्रभाव का सफलतापूर्वक पता लगाया है।
पीएपीए एक ऊर्जा और द्रव्यमान विश्लेषक है जिसे कम ऊर्जा सीमा में सौर पवन इलेक्ट्रॉन और आयन के यथास्थान माप के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें दो संवेदक हैं - सौर पवन इलेक्ट्रॉन ऊर्जा जांच (एसडब्ल्यूईईपी, जो 10ev से 3ev की ऊर्जा सीमा में इलेक्ट्रॉन को मापता है) और सौर पवन आयन संरचना विश्लेषक (एसडब्ल्यूआईसीएआर जो 10ev से 25ev की ऊर्जा सीमा और 1-60amuकी द्रव्यमान सीमा में आयन को मापता है)। यह संवेदक सौर वायु कणों के आगमन की दिशा मापने के लिए भी सुसज्जित है।
यह नीतभार 12 दिसंबर, 2023 से प्रचालनशील है। इसके द्वारा प्रभामंडल कक्षा अंतःक्षेपण (एचओआई) चरण के दौरान किए गए प्रेक्षण को चित्र 1 में दर्शाया गया है। यह चित्र एसडब्ल्यूईईपी इलेक्ट्रॉन ऊर्जा की समय शृंखला और एचओआई चरण के दौरान देखी गई कुल गणना और उससे पहले और बाद की अवधि को दर्शाता है। यह 10ev से 3000ev तक इलेक्ट्रॉन गणना में तीन-क्रम परिमाण परिवर्तन के बारे में बताता है। अधिकांश इलेक्ट्रॉनों में 40ev से कम ऊर्जा होती है। यह एक उत्कृष्ट संकेत-से-शोर अनुपात और ऊर्जा विघटन को दर्शाता है। इस कक्षा संचालन अवधि के दौरान सूर्य की दिशा से दूर नीतभार के झुकाव में परिवर्तन के कारण एचओआई चरण के दौरान इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्पैक्ट्रा और कुल गणना में भारी कमी होती है। यह एसडब्ल्यूआईसीएआर का उपयोग करके देखे गए आयन ऊर्जा स्पेक्ट्रा में भी स्पष्ट है (चित्र 2)।
चित्र 1: एसडब्ल्यूईईपी इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्पेक्ट्रा की समय शृंखला 6 जनवरी, 2024 को यूटीसी 04:00:30 से यूटीसी 17:59:58 तक ली गई, जिसमें पूर्व-एचओआई, एचओआई एवं पश्च-एचओआई के चरण शामिल हैं। स्पेक्ट्रा में दिखाई देने वाली गिरावट अंतरिक्ष यान के (एचओआई चरण) घूमने के कारण होती है, जब संवेदक की दिशा सूर्य से दूर होती है। एकीकृत गणनाओं की समय शृंखला ऊपरी पैनल में दर्शायी गई है।
चित्र 2 में विनिर्दिष्ट समयावधि के दौरान एसडब्ल्यूआईसीएआर आयन ऊर्जा स्पेक्ट्रा और एकीकृत गणनाओं की समय शृंखला दिखाई गई है। आयन ऊर्जा स्पैक्ट्रम प्रोटॉन (लगभग 1600ev पर एचई++ @ 2एएमयू) के प्रभुत्व को इंगित करता है। एसडब्ल्यूआईसीएआर केवैयक्तिक आयन के द्रव्यमान की पहचान करने की क्षमता इसकी संरचना के अनुरूप है।
एचओआई चरण से पहले और बाद में देखे गए इलेक्ट्रॉन (एसडब्ल्यूईईपी) और आयन (एसडब्ल्यूआईसीएआर) ऊर्जा स्पेक्ट्रा तुलनीय हैं।
चित्र 2: एसडब्ल्यूआईसीएआर आयन ऊर्जा स्पेक्ट्रा की समय शृंखला और 6 जनवरी, 2024 को 04:01:36 यूटीसी से 17:58:53 यूटीसी तक एकीकृत गणना (शीर्ष दो पैनल) पूर्व-एचओआई, एचओआई एवं पश्च-एचओआई चरणों के दौरान भिन्नता दिखाते हुए। प्रेक्षित ऊर्जा-दिशा स्पेक्ट्रोग्राम (निचला पैनल) और हवा में दो प्रमुख प्रजातियों (एच+एवं एचई++) और उनकी कोणीय भिन्नताओं को दर्शाता है।
पीएपीए द्वारा एकत्रित किए गए डेटा से प्रभामंडल द्रव्यमान उत्क्षेपण (सीएमई) घटनाओं के घटित होने का पता चला, विशेष रूप से 15 दिसंबर, 2023 और 10-11 फरवरी, 2024 को दौरान, जैसा कि चित्र 3 और 4 दर्शाया गया है। 15 दिसंबर, 2023 को हुई सीएमई एकल घटना थी। इस अवधि के दौरान पीएपीए द्वारा हुए प्रेक्षणों (चित्र 3) ने कुल इलेक्ट्रॉन और आयन गणना में आकस्मिक वृद्धि दिखाई और इनकी समय भिन्नता गहन अंतरिक्ष जलवायु प्रेक्षण (डीएससीओवीआर) एवं एल1 केंद्र पर उन्नत संयोजन अन्वेषक (एसीई) उपग्रहों से प्राप्त सौर वायु मापदंडों और चुंबकीय क्षेत्र मापों के अनुरूप थी। इसके विपरीत 10-11 जनवरी, 2024 को दौरान इलेक्ट्रॉन और आयन गणना में अवलोकित भिन्नताएं कई छोटी घटनाओं का परिणाम हैं, जिनमें इलैक्ट्रानों और आयनों की समय भिन्नता में अंतर शामिल है।
चित्र 3: (क) पीएपीए-एसडब्ल्यूईईपी संवेदक द्वारा मापे गए सौर पवन इलैक्ट्रानों (ख) पीएपीए-एसडब्ल्यूआईसीएआर संवेदक द्वारा मापे गए सौर पवन आयनों के लिए एकीकृत अपरिपक्व गणना की समय शृंखला 15 दिसंबर को 05:45:00 यूटी से 16 दिसंबर 23:55:00 यूटी तक (ग) डीएससीओवीआर और एसीई द्वारा एल1 बिंदु पर मापी गई कुल चुंबकीय क्षेत्र की संबंधित समय शृंखला (एसडब्ल्यूपीसी से प्राप्त)
चित्र 4: 11-11 फरवरी, 2024 की दौरान हुई सीएमई के लिए चित्र 3 के समरूप
पीएपीए-आदित्य-एल1 पर एसडब्ल्यूईईपी और एसडब्ल्यूआईसीएआर संवेदक वर्तमान में डिफॉल्ट मोड में सौर पवन इलेक्ट्रानों और आयनों का निरंतर प्रेक्षण कर रहे हैं, यह दर्शाते हुए कि वे संचालन के सभी तरीकों में डिज़ाइन के अनुसार प्रदर्शन कर रहे हैं। पीएपीए द्वारा किए गए प्रेक्षणों से अंतरिक्ष के मौसम की स्थितियों की निगरानी में इसकी प्रभावशीलता और सौर घटनाओं के संसूचन और विश्लेषण की इसकी क्षमता पर बल दिया जाता है।
पीएपीए नीतभार को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी)/इसरो की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला और वैमानिक इकाई द्वारा विकसित किया गया है।