19 नवंबर, 2025
भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) के वैज्ञानिकों ने अंतरतारकीय धूमकेतु 3आई/एटलस का प्रेक्षण किया, जो वर्तमान में उपसौर मार्ग के पश्चात आंतरिक सौरमंडल से बाहर निकल रहा है। पीआरएल के 1.2 मीटर दूरबीन से प्रतिबिंबन एवं स्पेक्ट्रोस्कोपिक (उत्सर्जित प्रकाश के घटक तरंगदैर्ध्यों के विश्लेषण) मोड में प्रेक्षण किए गए। ये प्रतिबिंब (चित्र 1 में मिथ्या वर्ण निरूपण) एक लगभग-वृत्ताकार कोमा दिखाते हैं। धूमकेतु का कोमा गैस और धूल का एक विशाल, चमकीला वातावरण होता है जो सूर्य के निकट आने पर उसके नाभिक के चारों ओर बनता है। यह तब बनता है जब सूर्य की गर्मी नाभिक पर जमी बर्फ को वाष्पीकृत या "ऊर्ध्वपातित" कर देती है, जिससे गैस और धूल निकलती है जो एक बड़े, विसरित बादल का निर्माण करती है। वर्तमान प्रेक्षण ज्यामिति में, यदि धूल की पूंछ मौजूद है, तो वह पृथ्वी से देखने पर धूमकेतु के पीछे सूर्य से दूर की ओर इंगित करेगी, जबकि गहरे, विस्तृत क्षेत्र वाले बहु-बैंड चित्रों में आयन पूंछ दिखाई दे सकती है।
चित्र 1: माउंट आबू स्थित 1.2 मीटर दूरबीन से लाल छनन में विस्तृत क्षेत्र प्रतिबिंबित्र का उपयोग करके धूमकेतु 3आई/एटलस का मिथ्या वर्ण चित्र। इस चित्र में दो धुंधले पृष्ठभूमि तारे भी दिखाई दे रहे हैं।
प्रतिबिंबन के अलावा, वैज्ञानिकों ने सुबह के संधिकाल की शुरुआत से पहले धूमकेतु से आने वाले प्रकाश का एक स्पेक्ट्रम भी प्राप्त किया। परिणाम सौरमंडल के धूमकेतुओं में आमतौर पर देखी जाने वाली प्रमुख उत्सर्जन विशेषताएँ दर्शाते हैं - स्पेक्ट्रम के छोटे तरंगदैर्ध्य वाले भाग में सीएन, सी2 और सी3 बैंड (चित्र 2)।
चित्र 2: एलआईएसए स्पेक्ट्रोग्राफ का उपयोग करके धूमकेतु 3आई/एटलस का फ्लक्स-सामान्यीकृत स्पेक्ट्रम।
धूमकेतु की शब्दावली में, नाभिक से कोमा में गैस के निकलने (या ऊर्ध्वपातन) की दर को 'उत्पादन दर' कहा जाता है, जो धूमकेतु की गतिविधि के स्तर का माप है। धूमकेतु की कक्षा में उत्पादन दर में काफ़ी भिन्नता होती है और सूर्य से दूरी तथा धूमकेतु की आंतरिक संरचना जैसे कारकों से संचालित होती है।
3आई/एटलस के मामले में, प्रमुख बैंडों (घटक अणुओं से संबंधित उत्सर्जन) के लिए उत्पादन दरों की गणना लगभग 1025 अणु/सेकेंड के सीमित मानों के साथ की गई। उत्पादन दर अनुपात इस धूमकेतु को सौरमंडल के 'विशिष्ट धूमकेतुओं' की श्रेणी में रखते हैं। जैसे-जैसे धूमकेतु धीरे-धीरे रात के अंधकारमय भाग में प्रवेश करेगा, आगे के प्रेक्षण जारी रहेंगे।
माउंट आबू में गुरुशिखर के पास 1680 मीटर की ऊँचाई पर स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) 1.2 मीटर दूरबीन, एक भू-आधारित वेधशाला है जिसका उपयोग खगोलीय अनुसंधान के लिए किया जाता है, जिसमें बाह्य ग्रहों की खोज, उच्च-ऊर्जा परिघटनाएँ और सौरमंडल अध्ययन शामिल हैं। ये प्रेक्षण 12-15 नवंबर, 2025 के दौरान किए गए थे।