09 जुलाई, 2025
अगस्त 2025 में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन 2.0 की तैयारी के रूप में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए “विकसित भारत 2047 के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के लाभ” पर एक क्षेत्रीय सम्मेलन 24 जून 2025 को गुवाहाटी में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और उत्तर-पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनई-सैक), शिलांग द्वारा असम राज्य अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एएसएसएसी) के सहयोग से संयुक्त रूप से किया गया था।
असम सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एस एंड टी), राजस्व, आपदा प्रबंधन (डीएम) और आईटी मंत्री माननीय श्री केशब महंता ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। अन्य विशिष्ट अतिथियों में श्री सोम कामेई, भारतीय डाक सेवा, उत्तर पूर्वी परिषद (एनईसी), उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) के योजना सलाहकार; श्री पल्लव गोपाल झा, आईएएस, सचिव, एस एंड टी विभाग, असम सरकार और डॉ. जे. वी. थॉमस, निदेशक, भू-प्रेक्षण अनुप्रयोग और आपदा प्रबंधन सहायता कार्यक्रम (ईडीपीओ)/इसरो मुख्यालय, शामिल थे। डॉ. एस. पी. अग्रवाल, निदेशक, एनई-सैक, श्री पी.एल.एन. राजू, विशेष सचिव, असम सरकार (एस एंड टी विभाग) और डॉ. के. के. सरमा, समूह प्रधान (जीएच), सुदूर संवेदन अनुप्रयोग समूह (आरएसएजी), एनई-सैक भी इस अवसर पर उपस्थित थे। आठ पूर्वोत्तर राज्यों के 39 संबंधित विभागों, राज्य अंतरिक्ष उपयोग केंद्रों एनई-सैक और अन्य इसरो केंद्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 190 प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में भाग लिया।
असम सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राजस्व, आपदा प्रबंधन एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ-साथ असम में भी सतत विकास हेतु अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग में एनई-सैक की भूमिका की सराहना की और उस पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस बैठक में हुए विचार-विमर्श से विकसित-एनईआर और विकसित भारत-2047 के लिए अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों की पहचान हो सकेगी।
तकनीकी सत्रों के दौरान डॉ. जे.वी. थॉमस और डॉ. एस.पी. अग्रवाल ने क्रमशः "भविष्य के भू-प्रेक्षण मिशनों पर विशेष बल देने वाले भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम" और "पूर्वोत्तर अंतरिक्ष उपयोग केंद्र - पूर्वोत्तर क्षेत्र में अंतरिक्ष अनुप्रयोगों को सक्षम बनाने" पर मुख्य भाषण दिए। "पूर्वोत्तर क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों का लाभ उठाने में पूर्वोत्तर अंतरिक्ष अनुप्रयोगों की भूमिका" के अलावा, इसरो के भू-पोर्टल, जैसे भूनिधि, भुवन, वेदास और पूर्वोत्तर स्थानिक डेटा भंडार (एनई-एसडीआर) पर भी प्रस्तुतियाँ दी गईं।
अरुणाचल प्रदेश अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एपीसैक) के निदेशक डॉ. एच. दत्ता, एएसएसएसी के निदेशक श्री पी.एल.एन. राजू, मणिपुर सुदूर संवेदन अनुप्रयोग केंद्र (एमएआरसैक) के निदेशक श्री ओ. नाडियाचंद सिंह, मेघालय के योजना विभाग के परियोजना निदेशक श्री वांगकिट स्वर, मिजोरम सुदूर संवेदन अनुप्रयोग केंद्र (एमआईआरसैक) के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी (सीएसओ) इंजीनियर एच. लालसामलियाना, नागालैंड जीआईएस और सुदूर संवेदन केंद्र (एनजीआईएसआरएससी) के वरिष्ठ परियोजना निदेशक इंजीनियर एम. किथन, सिक्किम राज्य सुदूर संवेदन अनुप्रयोग केंद्र (एसएसआरसैक) के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. नरपति शर्मा और त्रिपुरा अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (टीसैक) के प्रभारी श्री अभिषेक दासगुप्ता द्वारा संबंधित पूर्वोत्तर राज्यों के लिए अब तक किए गए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों, वर्तमान में जारी अनुप्रयोगों एवं भविष्य की आवश्यकताओं को प्रस्तुत किया गया।
समापन सत्र के दौरान, विशेषज्ञों के पैनल ने राज्य सरकारों द्वारा चिन्हित विभिन्न परियोजनाओं/आवश्यकताओं को क्रियान्वित करने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया।
Lighting of the lamp by Shri Keshab Mahanta, Hon’ble Minister of Science &Technology (S&T), Revenue, Disaster Management (DM) and IT, Govt. of Assam
Keynote address by Dr. J. V. Thomas, Director, EDPO, ISRO HQ., Bangalore
Address by Shri Pallav Gopal Jha, IAS, Secretary, S&T, Govt. of Assam
Keynote address by Dr. S. P. Aggarwal, Director, NESAC, Shillong.