एनआरएससी/इसरो और आईआईएससी ने CO2 (कार्बन डाइआक्साइड) के स्रोत/सिंक का मूल्यांकन करने और अत्यधिक वर्षा की घटनाओं की भविष्यवाणी के लिए अनुसंधान हेतु हाथ मिलाया
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जून 10, 2025

13 मई 2025 को आईआईएससी परिसर में एनआरएससी/इसरो एवं आईआईएससी के प्रतिनिधियों ने दो परियोजनाओं के लिए संयुक्त परियोजना कार्यान्वयन योजना (जेपीआईपी) दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। ये परियोजनाएं हैं - ‘भारत-पृथ्वी प्रणाली मॉडल पर CO2 के स्रोत/सिंक का मूल्यांकन करने के लिए भू और अंतरिक्ष आधारित CO2 डेटा का एकीकरण’ और ‘संकर (हाइब्रिड) भौतिकी-एआई दृष्टिकोण का उपयोग करके शहर-स्तर पर अत्यधिक वर्षा की घटनाओं की भविष्यवाणी के लिए मशीन लर्निंग (एमएल) उपकरण का विकास’।

NRSC/ISRO and IISc join hands for research to assess CO2 source / sinks and predicting extreme rainfall events

JPIP signing by the ISRO / NRSC and IISc representative at IISc Bengaluru on 13 May 2025

इन परियोजनाओं के अनुसंधान संबंधी विवरण निम्नलिखित हैं:

  1. पृथ्वी प्रणाली मॉडल का उपयोग करते हुए भारत में कार्बन के स्रोतों और सिंक का मूल्यांकन करने के लिए भूमि और अंतरिक्ष-आधारित CO2 प्रेक्षणों का समावेश: स्थलीय परितंत्र, विशेष रूप से वनस्पति और मिट्टी, वायुमंडलीय CO2 को अवशोषित करके प्रमुख कार्बन भंडार के रूप में कार्य करते हैं। पेरिस समझौते और तापमान वृद्धि को 2°C से नीचे सीमित रखने के वैश्विक लक्ष्य के संदर्भ में इन परितंत्रों की कार्बन अवशोषण क्षमता का सटीक आकलन आवश्यक है। एनआरएससी ने CO2 विनिमय की निगरानी के लिए विभिन्न भारतीय जीवोम और जलवायु क्षेत्रों में CO2 एडी-सहप्रसरण अभिवाह टावरों की स्थापना की है। यह परियोजना डेटा-संचालित मॉडलिंग दृष्टिकोणों के माध्यम से कुल परितंत्र विनिमय (एनईई) का अनुमान लगाने पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य कार्बन गतिशीलता में वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि को गहराई प्रदान करना और पूरे भारत में कार्बन स्रोत और सिंक के तप्त बिंदुओं की पहचान करने में नीति निर्माताओं की सहायता करना है।
  2. शहरी स्तर पर अत्यधिक वर्षा की घटनाओं की भविष्यवाणी के लिए एक संकर (हाइब्रिड) भौतिकी-एआई मॉडल का विकास: हाल के वर्षों में अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो कभी-कभी मौसम की औसत वर्षा से भी अधिक हो जाती है। इससे महत्वपूर्ण जलवायु और सामाजिक प्रभाव उत्पन्न होते हैं। ऐसी चरम स्थितियों की भविष्यवाणी करना एक जटिल चुनौती बनी हुई है। संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान (एनडब्ल्यूपी) मॉडल पर आधारित पारंपरिक पूर्वानुमान विधियों की कुछ अंतर्निहित सीमाएं हैं। इस अध्ययन में एक संकर (हाइब्रिड) मॉडलिंग ढांचा विकसित करने का प्रस्ताव है जो शहरी स्तर पर अत्यधिक वर्षा की घटनाओं की भविष्यवाणी की सटीकता में सुधार करने के लिए मशीन लर्निंग (एमएल) को भौतिक मॉडल के साथ एकीकृत करता है। हाइब्रिड दृष्टिकोण पारंपरिक एनडब्ल्यूपी तकनीकों का पूरक है, तथा पूर्वानुमान में उनकी सटीकता और परिचालन उपयोगिता को बढ़ाता है।

कार्यक्रम के दौरान एनआरएससी-इसरो के निदेशक, एफएसआईडी-आईआईएससी के निदेशक, ईडीपीओ-इसरो मुख्यालय के निदेशक, ईसीएसए-एनआरएससी के उप निदेशक, एमएसए-एनआरएससी के उप निदेशक, बीजीडब्ल्यूएए-एनआरएससी के उप निदेशक, परियोजना प्रबंधन प्रभाग-एमएसए के प्रमुख और केंद्रों के परियोजना प्रधान अन्वेषक उपस्थित थे।