27 सितंबर 2022 को संपन्न मंगल कक्षित्र मिशन (मॉम) और राष्ट्रीय सम्मेलन पर अद्यतित जानकारी होम
03 अक्तूबर
27 सितंबर 2022 को संपन्न मंगल कक्षित्र मिशन (मॉम) और राष्ट्रीय सम्मेलन पर अद्यतित जानकारी
2022 को इसरो ने मंगल ग्रह की कक्षा में अपने आठ वर्ष पूरे होने के अवसर पर, मंगल कक्षित्र मिशन (मॉम) की उपलब्धि के स्मरण में, एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में कई शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों का सक्रिय भागीदारी हुई, जिनमें से आइ.आइ.एस.सी., बेंगलूरु; बैंगलूर विश्वविद्यालय; एन.आई.टी., राउरकेला; त्रिपुरा विश्वविद्यालय; गोरखपुर विश्वविद्यालय के साथ-साथ इसरो/अं.वि. के केंद्र तथा यूनिट। इस कार्यक्रम का इसरो बेबसाइट तथा इसरो सोशल मीडिया मंचों पर सीधा प्रसारण किया गया।
श्री शांतनु भाटवडेकर, वैज्ञानिक सचिव, इसरो ने अपने आरंभिक संबोधन के दौरान उल्लेख किया कि मंगल कक्षित्र मिशन का प्रमोचन 05 नवंबर 2013 को किया गया था और 300 दिनों की अंतर-ग्रहीय यात्रा पूरी करने के बाद इसे 24 सितंबर 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित किया गया। इन आठ वर्षों के दौरान, पांच नीतभारों के साथ लैस इस मिशन ने मंगलग्रह की सतह की विशेषताओं, आकृति विज्ञान, साथ ही मंगल ग्रह के वातावरण और बहिर्मंडल पर महत्वपूर्ण वैज्ञानिक समझ प्रदान की है। अंतरिक्ष आयोग के सदस्य, डॉ. के. राधाकृष्णन ने अपने विशेष संबोधन के दौरान, इस मिशन से सीखे गये अनूठे सबकों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इसके उल्लेखनीय रूप से कम टर्न-अराउंड समय में साकार होने के बाबजूद, मॉम मिशन ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा प्रबंधन के क्षेत्रों में अधिक मूल्य जोड़े हैं और अपने पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि है। श्री ए.एस. किरण कुमार, सदस्य, अंतरिक्ष आयोग ने नीतभार संचालन, रेडियो विलंब ओर व्हाइट-आउट और ब्लैक-आउट संयोजनों की परस्पर विरोधी आवश्यकताओं को देखते हुए, मंगल की कक्षा में नीतभार संचालन के महत्व के बारे में उल्लेख किया।
उद्घाटन भाषण के दौरान, श्री एस. सोमनाथ, अध्यक्ष, इसरो/सचिव, अंतरिक्ष विभाग ने मिशन के प्रमुख वैज्ञानिक कार्यों का सारांश प्रस्तुत किया। उन्होंने उल्लेख किया कि मंगल कक्षित्र मिशन ने मंगल ग्रह के बहिर्मंडल में कई गैसों की संरचना की समझ प्रदान की है और उस तुंगता को निर्धारित किया, जहां स्थानीय संध्या के दौरान सी.ओ.2 समृद्ध बहुलता परमाणु ऑक्सीजन युक्त बहुलता में मंगल ग्रह के वातावरण में संक्रमण होता है। इस मिशन को मंगल ग्रह के बहिर्मंडल में ‘सुपरथर्मल’ आर्गन-40 परमाणुओं की खोज का भी श्रेय दिया जाता है, जिसने मंगल ग्रह से वायुमंडल के पलायन के संभावित तंत्रों में से एक पर कुछ सुराग दिया। अध्यक्ष, इसरो ने आगे उल्लेख किया कि मॉम अंतरिक्षयान से मंगल ग्रह के वातावरण से बचने हेतु एक संभावित तंत्र प्रदान किया। मॉम प्रेक्षणों की मदद से वायुमंडलीय प्रकाशिकी गहराई का अनुमान लगाया गया और इन अध्ययनों से वैलेसमेरिनरिस की दक्षिणी दीवार के ऊनपर ली-वेव बादलों की उपस्थिति की सूचना प्राप्त हुई। मॉम अंतरिक्षयान ने पहली बार, डीमोस के दूर की ओर, मंगल के प्राकृतिक उपग्रहों में से एक की तस्वीर खींची। यह मिशन अपनी अंडाकार कक्षा के चलते मंगल की पूर्ण डिस्क छवि को कैप्चर कर सकता है और इससे मिशन पर लगे रंगीन कैमरे की मदद से मंगल ग्रह का एक एटलस भी तैयार किया गया। इस मिशन ने मंगल ग्रह के ध्रुवीय बर्फ की टोपी की समय-भिन्नता को भी कैप्चर किया है। साथ ही, इसने मंगल ग्रह की स्पष्ट श्वेतिमा को भी मापा, जो मंगल की सतह की परावर्तक शक्ति का संकेत देता है। इस मिशन ने मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग करके अतिरिक्त स्थलीय भू-स्खलन को वर्गीकृत करने को भी संभव बनाया।
सम्मेलन के दौरान यह भी प्रस्तुत किया गया कि वैश्विक स्तर पर मंगल कक्षित्र मिशन डेटा की अधिक मांग है। अबतक, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान आंकड़ा केंद्र (आइ.एस.एस.डी.सी.) के पोर्टल से मॉम डेटा डाउनलोड करने के लिए 7200 से अधिक प्रयोक्ताओं ने पंजीकरण कराया है और अबतक विज्ञान डेटा के लगभग 27000 डाउनलोड किये जा चुके हैं। इन पंजीकृत प्रोक्ताओं में लगभग 400, 50 देशों के अंतरराष्ट्रीय प्रयोक्ता हैं। इस मिशन ने ग्रह विज्ञान के क्षेत्र में मानव संसाधन के सृजन में भी योगदान दिया है और इससे कई व्यक्तियों को पी.एच.डी. प्राप्त हुई है, जबकि कई शोध विद्वान अपने डॉक्टोरेट कार्य को आगे बढ़ाने के लिए मिशन के डेटा का उपयोग कर रहे हैं।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान आयोजित विचार-विमर्श में मंगल कक्षित्र मिशन के सामने उत्पन्न चुनौतियों, उनसे सीखे गये सबकों, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान आंकड़ा केंद्र (आइ.एस.एस.डी.सी.) के पोर्टल से मिशन आंकड़ों तक कैसे पहुँचें, इन बातों पर विचार-विमर्श किया गया। साथ ही प्रमुख अन्वेषणकर्ता टीमों तथा शिक्षा जगत के भागीदारों द्वारा विज्ञान परिणामों पर श्रृंखलाबद्ध व्यापक प्रस्तुतियां भी दी गईं। इनमें से एक सत्र भारतीय शिक्षा जगत/संस्थान तथा इसरो/अं.वि. की भागीदारी के साथ आंतरिक सौर प्रणाली के भविष्यत अन्वेषण विषय पर एक समर्पित पैनल चर्चा भी आयोजित की गई।
साथ ही, यह भी चर्चा की गई थी कि एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक के रूप में छह माह के जीवन काल के लिए डिजाइन किये जाने के बावजूद, मंगल कक्षित्र मिशन अप्रैल 2022 में एक बृहद गहण के परिणामस्वरूप भू-केंद्र के साथ संपर्क टूटने से पहले मंगल ग्रह के साथ-साथ सौर प्रभामंडलों पर महत्वपूर्ण परिणामों के साथ ग्रह की कक्षा में लगभग आठ वर्षों तक रहा है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान, इसरो ने विचार-विमर्श किया कि प्रणोदक खत्म हो गया होगा और इसलिए निरंतर ऊर्जा सृजन के लिए वांछित तुंगता का निर्धारण नहीं किया जा सका। यह घोषित किया गया कि इस अंतरिक्षयान को ठीक नहीं किया जा सका तथा उसका सेवाकाल समाप्त हो गया। इस मिशन को ग्रहीय अन्वेषण के इतिहास में एक अद्वितीय प्रौद्योगिकीय तथा वैज्ञानिक उपलब्धि के रूप में सदा स्मरण किया जाता रहेगा।