इसरो ने गगनयान मिशन के लिए प्रथम एकीकृत एयर ड्रॉप परीक्षण सफलतापूर्वक सम्पन्न किया
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24 अगस्त, 2025

इसरो ने 24 अगस्त 2025 को गगनयान कार्यक्रम के लिए प्रथम एकीकृत एयर ड्रॉप परीक्षण (आईएडीटी-01) सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा में सम्पन्न किया। इस परीक्षण ने गगनयान मिशन के लिए कर्मीदल मॉड्यूल की महत्वपूर्ण पैराशूट-आधारित मंदन प्रणाली के संपूर्ण प्रदर्शन अधिप्रमाणन के उद्देश्य को एक विशिष्ट मिशन परिदृश्य में सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया। यह परीक्षण पैराशूट-आधारित मंदन प्रणाली की प्रणाली स्तरीय अर्हता परीक्षण का हिस्सा है, जिसमें मंदन प्रणाली को शामिल करते हुए एक कृत्रिम कर्मीदल मॉड्यूल को हेलीकॉप्टर का उपयोग करके गिराया जाता है।

गगनयान मिशनों में, कर्मीदल मॉड्यूल (सीएम) के अवतरण के अंतिम चरण के दौरान पैराशूट-आधारित मंदन प्रणाली का उपयोग किया जाता है ताकि कर्मीदल मॉड्यूल के अवतरण वेग को समुद्र में सुरक्षित रूप से उतरने के लिए स्वीकार्य सीमा तक कम किया जा सके। आईएडीटी के लिए पैराशूट प्रणाली और उसका अभिविन्यास, गगनयान मिशनों के समान ही था। इसमें चार प्रकार के पैराशूट शामिल थे: एपेक्स कवर सेपरेशन (एसीएस) (Ø 2.5 मीटर - 2 संख्या), ड्रोग (Ø5.8 मीटर - 2 संख्या), पायलट (Ø3.4 मीटर - 3 संख्या) और मुख्य पैराशूट (Ø 25 मीटर - 3 संख्या)।

आईएडीटी-01 में पैराशूट प्रणाली के साथ कृत्रिम कर्मीदल मॉड्यूल (~4.8 टन) को भारतीय वायु सेना के वजनी उत्थापक चिनूक हेलीकॉप्टर का उपयोग करके लगभग 3 किमी की ऊँचाई से छोड़ा गया। मंदन प्रणाली की शुरुआत एसीएस मोर्टार के दागे जाने से हुई, जिसने Ø2.5 मीटर एसीएस पैराशूटों को तैनात किया, जिसके बाद एपेक्स कवर को अलग किया गया। तैनात एसीएस पैराशूटों ने फिर एपेक्स कवर को धीमा कर दिया और परीक्षण के दौरान उसे नीचे उतरते समय कृत्रिम सीएम से दोबारा संपर्क करने से रोक दिया। फिर Ø5.8 मीटर ड्रोग पैराशूटों को ड्रोग मोर्टार का उपयोग करके तैनात किया गया, जिसने कृत्रिम कर्मीदल मॉड्यूल को प्रथम चरण का मंदन प्रदान किया। प्रथम चरण के मंदन के बाद, पायरो-आधारित पैराशूट वितरक का उपयोग करके ड्रोग पैराशूटों को छोड़ा गया। इसके बाद तीन पायलट मोर्टार दागे गए, जिससे Ø3.4 मीटर के पायलट पैराशूट बाहर निकल आए और तैनात हो गए, उसके बाद स्वतंत्र रूप से Ø25 मीटर व्यास के तीन मुख्य पैराशूट बाहर निकल आए और तैनात हो गए।

इसके अलावा, मुख्य पैराशूटों ने कृत्रिम कर्मीदल मॉड्यूल के टर्मिनल वेग को लगभग 8 मीटर/सेकंड तक कम कर दिया। अवतरण के बाद, पैराशूट वितरकों का उपयोग करके मुख्य पैराशूटों को छोड़ दिया गया। कुल दस पैराशूटों को एक सटीक क्रम में तैनात किया गया ताकि सुरक्षित अवतरण के लिए कर्मीदल मॉड्यूल का वेग धीरे-धीरे कम हो सके।

परीक्षण ने प्रमोचन पैड पर संभावित निरस्तीकरण परिदृश्य का अनुकरण किया। सीएम के छोड़े जाने पर, ऑनबोर्ड एवियोनिक्स ने मंदन प्रणाली आरंभ करने का आदेश दिया और उसके बाद पैराशूट पूर्वनिर्धारित क्रम में तैनात किए गए। इस परीक्षण के दौरान विभिन्न मापदंडों को मापने के लिए ऑनबोर्ड एवियोनिक्स प्रणालियों का भी उपयोग किया गया, जिनका ज़मीन पर दूरमापन किया गया और ठोस अवस्था डेटा रिकॉर्डर (एसएसडीआर) का उपयोग करके ऑनबोर्ड संग्रहीत किया गया। अवतरण के बाद, कृत्रिम कर्मीदल मॉड्यूल को सफलतापूर्वक पुनः प्राप्त कर आईएनएस अन्वेषा पर चेन्नई बंदरगाह वापस भेज दिया गया।

अधोमुखी ढांचे की गतिशीलता को समझने के लिए सीएम और हेलीकॉप्टर दोनों का व्यापक मॉडलिंग किया गया। इसके अलावा, मिशन प्रोफ़ाइल और संबंधित मानक संचालन प्रक्रियाओं की पुष्टि के लिए एक डमी कर्मीदल मॉड्यूल हार्डवेयर और भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर के साथ व्यापक परीक्षण किए गए। कई परीक्षण उड़ानों के सफल समापन और परीक्षण प्राधिकरण बोर्ड (टीएबी) से मंज़ूरी मिलने के बाद, आईएडीटी-01 का वास्तविक परीक्षण किया गया। इसरो केंद्रों के अलावा, डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल सहित अन्य सरकारी एजेंसियों ने भी इस प्रमुख परीक्षण की सफलता में योगदान दिया। आगामी दिनों में विभिन्न तैनाती स्थितियों में इसी तरह के परीक्षण आयोजित करने की योजना है।

ISRO accomplishes first Integrated Air Drop Test for Gaganyaan Missions successfully
ISRO accomplishes first Integrated Air Drop Test for Gaganyaan Missions successfully
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