28 अप्रैल, 2025
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपनी स्थापना के समय से ही भारत और मानव जाति के लिए बाहरी अंतरिक्ष के लाभों के दोहन हेतु विज्ञान, इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शामिल है। आज तक 4000 परिज्ञापी रॉकेटों और 236 मिशनों के माध्यम से, इसरो ने सुदूर संवेदन, संचार, नौवहन, आपदा प्रबंधन और अंतरिक्ष विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में राष्ट्रीय क्षमताओं का निर्माण करने के साथ-साथ उन्हें बढ़ाने का प्रयास किया है।
गगनयान कार्यक्रम की मंजूरी के साथ, इसरो ने निम्न भू कक्षा (एलईओ) में मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने और लंबे समय में भारतीय मानव अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों की नींव रखने की परिकल्पना की है। अमृत काल में अंतरिक्ष के विजन में अन्य चीजों को शामिल करने के साथ-साथ, 2035 तक एक प्रचालनात्मक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और 2040 तक भारतीय कर्मीदल चंद्र मिशन की परिकल्पना की गई है।
मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने का एक मजबूत अवसर प्रदान करता है। अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय, विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) राकेश शर्मा ने 1984 में ऐसे ही सहयोगात्मक प्रयास के माध्यम से अपना प्रतिष्ठित मिशन पूरा किया था। जून, 2023 में माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की यूएसए की आधिकारिक राजकीय यात्रा ने एक सहयोगी अंतरराष्ट्रीय मानव अंतरिक्ष मिशन के संदर्भ में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक और निर्णायक अध्याय की शुरुआत की है। इसरो के गगनयात्री के साथ यह मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की पहली भारतीय यात्रा को चिह्नित करता है। इस मिशन के दौरान, इसरो के गगनयात्री आईएसएस पर चुने हुए भारतीय सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण अनुसंधान प्रयोगों को अंजाम देंगे।
मानव स्वास्थ्य, भौतिक/जीव विज्ञान, सामग्री अनुसंधान, नवीन दवा विकास और जैव प्रौद्योगिकी जैसे विविध क्षेत्रों में संभावित अनुप्रयोगों के साथ सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण अनुसंधान का क्षेत्र राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय को महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। इसरो ने विभिन्न राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं/शैक्षणिक संस्थानों से भारतीय प्रधान अन्वेषकों (पीआई) द्वारा प्रस्तावित सात सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण अनुसंधान प्रयोगों को इसरो के गगनयात्री के साथ आगामी एक्सिओम-4 मिशन के दौरान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर क्रियान्वयन के लिए चुना है:
ये प्रयोग आईएसएस पर उपलब्ध शोध सुविधाओं का उपयोग करेंगे। मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के सुरक्षा संचालित प्रचालन के साथ-साथ अन्य मिशन बाधाओं को ध्यान में रखते हुए, इन चुने हुए सूक्ष्मगुरुत्व प्रयोगों का प्रमोचन से पहले जमीन पर कड़ाई से मूल्यांकन और समीक्षा की जा रही है।
इन प्रयोगों के क्रियान्वयन में इस प्रयास के माध्यम से प्राप्त अनुभव देश में सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण अनुसंधान परितंत्र का पोषण करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में विभिन्न विषयों में उन्नत सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण प्रयोगों को शामिल किया जाएगा।