29 मई, 2025
डॉ. वी. नारायणन, अध्यक्ष, इसरो/सचिव, अंतरिक्ष विभाग ने 22 अप्रैल 2025 को सुरक्षित एवं संधारणीय अंतरिक्ष परिचालन प्रबंधन हेतु इसरो प्रणाली (आईएस4ओएम) द्वारा संकलित 2024 के लिए भारतीय अंतरिक्ष स्थिति निर्धारण रिपोर्ट (आईएसएसएआर) जारी की। आईएसएसएआर का कार्यकारी सारांश निम्नानुसार है।
परिचय
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष मलबा, प्राकृतिक पिंड जैसे क्षुद्रग्रहों और उल्कापिंडों, ऊर्जा एवं कण प्रवाह सहित स्थायी अंतरिक्ष वस्तुओं जैसे विभिन्न अंतरिक्ष खतरों से राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिसंपत्तियों को बचाने के लिए अंतरिक्ष स्थिति निर्धारण (एसएसए) गतिविधियाँ संचालित करता है। सुरक्षित एवं संधारणीय प्रचालन प्रबंधन हेतु इसरो प्रणाली (आईएस4ओएम) एसएसए गतिविधियों सहित सभी अंतरिक्ष संधारणीय प्रयासों को संगठित करने और बाहरी अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता के आधार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दिशानिर्देशों के अनुपालन में सुधार करने के लिए नोडल इकाई के रूप में कार्य करती है। प्रमुख गतिविधियों में उपग्रहों और प्रमोचन यानों के लिए स्थायी अंतरिक्ष पिंडों द्वारा उत्पन्न निकट संपर्क जोखिमों का नियमित निर्धारण, अनियंत्रित वायुमंडलीय पुनः प्रवेश का अनुमान और अंतरिक्ष में पिंडों की संख्या में वृद्धि का अध्ययन करना शामिल है। एसएसए गतिविधियों के एक अभिन्न अंग के रूप में, प्रासंगिक हितधारकों को प्रसारित करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष निर्धारण रिपोर्ट (आईएसएसएआर) के रूप में मौजूदा अंतरिक्ष स्थिति का वार्षिक निर्धारण संकलित किया गया है। हालिया अंतरिक्ष स्थिति निर्धारण के मुख्य बिंदु निम्नानुसार हैं।
वैश्विक परिदृश्य
चित्र 1: अंतरिक्ष वस्तुओं की ऐतिहासिक वृद्धि (स्पेस-ट्रैक से प्राप्त डेटा)
भारतीय परिदृश्य
कक्षीय भारतीय वस्तुओं के आंकड़े
वायुमंडलीय पुनःप्रवेश
2024 में भारतीय अंतरिक्ष परिसंपत्तियों के लिए निकट सम्पर्क जोखिम शमन
उपग्रहों के लिए अंतरिक्ष वस्तु निकटता विश्लेषण (एसओपीए)
इसरो नियमित रूप से भारतीय अंतरिक्ष परिसंपत्तियों के लिए अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं के निकट सम्पर्क का अनुमान करने के लिए विश्लेषण करता है। किसी भी महत्वपूर्ण निकट सम्पर्क के मामले में, टकराव के जोखिम को कम करने के लिए प्रचालनात्मक अंतरिक्ष यान के लिए टकराव से बचने के उपाय (सीएएम) किए जाते हैं। वर्ष 2024 के लिए मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
नीचे दिया गया ग्राफ पिछले कुछ वर्षों में इसरो द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों के लिए किए गए टकराव से बचाव के उपायों (CAM) की कुल संख्या को दर्शाता है। 2024 में CAM की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में कम थी। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिक संयोजन स्क्रीनिंग वॉल्यूम सहित बेहतर निकट सम्पर्क विश्लेषण पद्धति और अधिक सटीक तालिका के उपयोग ने कई अवसरों पर कक्षा रखरखाव उपायों को समायोजित करके और विशेष CAM से बचकर टकराव से बचने की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद की।
चित्र 2: 2024 तक इसरो के पृथ्वी-परिक्रमाशील उपग्रहों के लिए निष्पादित सीएएम की संचयी संख्या
प्रमोचन यानों के लिए टकराव परिहार विश्लेषण (COLA)
इसरो प्रमोचन यानों के अनिवार्य प्रमोचन सहमति प्रोटोकॉल के हिस्से के रूप में प्रमोचन यानों के लिफ्ट-ऑफ क्लीयरेंस के लिए COLA विश्लेषण किया गया। नीचे दी गई तालिका 2024 में प्रमोचन के लिए COLA परिणाम दर्शाती है।
COLA विश्लेषण के आधार पर PSLV-C60/SPADEX के प्रमोचन में देरी हुई। नीचे दिया गया चित्र लॉन्च विंडो के भीतर तथाकथित "ब्लैक-आउट" क्षेत्रों को दर्शाता है, जिसके ऊपर PSLV-C60 के प्रमोचन के लिए अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं के साथ संभावित नज़दीकी जोखिम से बचने के लिए लिफ्ट-ऑफ समय को प्रतिबंधित किया गया था।
चित्र 3: लिफ्टऑफ समय स्लॉट - COLA परिणाम
अन्य सभी प्रक्षेपणों (पीएसएलवी-सी58, जीएसएलवी-एफ14, एसएसएलवी-डी3 और पीएसएलवी-सी59) के सामान्य उड़ान समय को सीओएलए द्वारा मंजूरी दे दी गई थी। सक्रिय उपग्रहों के साथ निकट संपर्क स्थितियों को हल करने के लिए, संबंधित प्रचालकों के साथ आवश्यक अंतरिक्ष उड़ान सुरक्षा संबंधी समन्वय किया गया।
अंतरिक्ष यान का विकक्षायन और मिशन के बाद निपटान
अपने जीवन के अंत में, स्कैटसैट-1 को 12 युक्तिचालनों के माध्यम से मिशन पश्चात संचालन के भाग के रूप में कक्षा से बाहर कर दिया गया, जिससे बचा हुआ ईंधन पूरी तरह से समाप्त हो गया। 26 सितंबर 2024 को इसके प्रमोचन के ठीक 8 साल बाद इसे बंद करने से पहले इलेक्ट्रिकल पैसिवेशन किया गया था। दो और LEO उपग्रहों, INS-2B और EOS-7 को भी वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने से पहले बंद कर दिया गया था।
पेलोड अंतःक्षेपण के बाद, पी.एस.एल.वी.-सी58 और पी.एस.एल.वी.-सी60 के ऊपरी चरणों को 350 किमी. की कक्षा से हटा दिया गया, पी.एस.एल.वी.-सी58 के ऊपरी चरणों ने 3 महीने के भीतर पुनः वायुमंडल में प्रवेश कर लिया, जबकि पी.एस.एल.वी.-सी60 के पी.एस.4 का पुनः प्रवेश 4 अप्रैल 2025 को हुआ।
पीएसएलवी कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल (पीओईएम)
प्रौद्योगिकी प्रदर्शन की एक विस्तृत शृंखला के लिए दो पीएसएलवी कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल (पीओईएम) मिशन पीएसएलवी-सी58 (पीओईएम-3) और पीएसएलवी-सी60 (पीओईएम-4) के पीएस4 पर उड़ाए गए, जिनमें क्रमशः 9 और 24 नीतभार थे। दोनों ही मामलों में, ऊपरी चरणों को लगभग 350 किमी ऊंचाई की वृत्ताकार कक्षाओं में विकक्षायित किया गया और पीओईएम के रूप में कार्य करने से पहले निष्क्रिय कर दिया गया, विकक्षायन ने उनके मिशन के बाद के जीवन को लगभग 3 महीने तक सीमित कर दिया। आम तौर पर एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन कुछ महीनों की छोटी अवधि तक रहता है और ऐसे छोटे, प्रयोगात्मक मिशनों के लिए उचित पीएमडी अक्सर कक्षीय विफलता और हार्डवेयर सीमाओं के कारण संभव नहीं होता है। इसीलिए पीओईएम नवोन्नत दृष्टिकोण प्रदान करता है जिसके अंतर्गत किसी उपग्रह को अंतरिक्ष में उड़ाने की आवश्यकता के बिना उदगामी अंतरिक्ष क्षेत्र को नई प्रौद्योगिकियों के परीक्षण और अर्हता जांच की अनुमति होती है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
बाह्य अंतरिक्ष में सुरक्षित और दीर्घकालिक संचालन के लिए प्रासंगिक डेटा और जानकारी प्राप्त करने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अंतरिक्ष मलबे जैसी अंतरिक्ष पर्यावरणीय चिंताओं को कम करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। इसरो अंतरिक्ष मलबे के मुद्दों और बाह्य अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता पर विचार-विमर्श करने वाले विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों में सक्रिय रूप से भाग लेता है, इनमें अंतर-एजेंसी मलबा समन्वय समिति (आईएडीसी), अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्षयानिकी अकादमी (आईएए) अंतरिक्ष मलबा कार्य समूह, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री संघ (आईएएफ) अंतरिक्ष यातायात प्रबंधन कार्य समूह, अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ) अंतरिक्ष मलबा कार्य समूह और यूएन-सीओपीयूओएस वैज्ञानिक और तकनीकी उप-समिति/कानूनी उप-समिति शामिल हैं। भारत वर्तमान में बाह्य अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की अध्यक्षता करता है। इसरो ने वर्ष 2023-24 के लिए आईएडीसी की अध्यक्षता की और अप्रैल 2024 में बेंगलूरु में 42वीं वार्षिक आईएडीसी बैठक की मेजबानी की, जिसमें प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों के लगभग 75 विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसरो ने जनवरी 2025 में जारी आईएडीसी अंतरिक्ष मलबा शमन दिशा-निर्देशों के संशोधन में महत्वपूर्ण योगदान दिया तथा चंद्र कक्षाओं के लिए अंतरिक्ष मलबा शमन विकल्पों की खोज में चल रहे कार्य में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसरो ने आईएडीसी (क्लस्टर II/SALSA, ERS-02) द्वारा आयोजित वार्षिक पुनःप्रवेश भविष्यवाणी अभियान में भी भाग लिया तथा पूर्वानुमान प्रस्तुत किए।
मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन
अंतरिक्ष संस्थिरता के क्षेत्र में वर्ष 2024 की एक प्रमुख उपलब्धि आईएडीसी की 42वीं वार्षिक बैठक के पूर्ण सत्र में मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन (डीएफएसएम) के लिए भारत के दृढ़संकल्प की घोषणा थी। डीएफएसएम का लक्ष्य डिजाइन, संचालन और निपटान चरण के दौरान आवश्यक उपायों को अपनाकर वर्ष 2030 तक सभी भारतीय अंतरिक्ष हिस्सेदारों, सरकारी और गैर-सरकारी दोनों, द्वारा मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन है। डीएफएसएम की प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है – व्ययित कक्षीय चरणों और 99% से अधिक सफलता की संभावना वाले उपग्रहों के पीएमडी का अनुपालन। सबसे अधिक भीड़भाड़ वाले कक्षीय क्षेत्र होने के कारण निम्न पृथ्वी कक्षा मिशनों के पीएमडी पर विशेष जोर दिया जाता है, जिसका लक्ष्य नियंत्रित पुनःप्रवेश या निचली कक्षा में विकक्षायन के माध्यम से मिशन पश्चात शेष जीवनकाल को 5 वर्ष तक सीमित करना है। अतिरिक्तता के पहलूओं सहित उप-प्रणाली के स्वास्थ्य निर्धारण के आधार पर मिशन की अवधि के विस्तार की अनुशंसा की जाए ताकि पीएमडी (मिशन पश्चात निपटान) की क्षमता के साथ कोई समझौता न होने जाए। एक अन्य महत्वपूर्ण विचार यह है कि 400 किमी +/-30 किमी को मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए विशिष्ट कक्षीय बैंड माना पाए।
सारांश और आगे का रास्ता
वर्ष 2024 के लिए समेकित डेटा ने तीव्र अंतरिक्ष गतिविधियों को इंगित किया, जैसा कि प्रमोचन की अधिकतम संख्या के साथ-साथ पुनःप्रवेश करने वाली वस्तुओं की अधिकतम संख्या से परिलक्षित होता है। अंतरिक्ष वस्तुओं की जनसंख्या में वृद्धि का रुझान जारी रहा। निकट उपगमन चेतावनी की विशाल संख्या अंतरिक्ष में, विशेष रूप से निचली-पृथ्वी कक्षा में, खतरनाक रूप से बढ़ती भीड़ को इंगित करती है। अंतरिक्ष तक आसान पहुंच हेतु राइडशेयर के माध्यम के साथ-साथ तकनीकी प्रगति, लघुकरण, बड़े पैमाने पर उत्पादन क्षमताओं, अंतरिक्ष-आधारित प्रौद्योगिकी के बहुमुखी अनुप्रयोग सहित, भविष्य के अंतरिक्ष यातायात में कोई कमी आने की संभावना नहीं है।
कई बड़े समूहों की अनुमानित तैनाती के आधार पर, वर्तमान दशक के भीतर सक्रिय उपग्रहों की संख्या अंतरिक्ष मलबे की संख्या से अधिक होने की संभावना है, जिससे अंतरिक्ष यातायात प्रबंधन (एसटीएम) अंतरिक्ष उड़ान सुरक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा बन जाएगा। अभी तक एसटीएम के लिए कोई स्वीकृत ढांचा नहीं है, इसलिए दो सक्रिय अंतरिक्ष परिसंपत्तियों के बीच कक्षा के निकट उपगमन को बड़े प्रचालनात्मक ओवरहेड्स के साथ अंतर-संचालक समन्वय के माध्यम से मामला-दर-मामला के आधार पर हल करने की आवश्यकता है। तत्पश्चात, भविष्य के परिदृश्य में अंतरिक्ष उड़ान सुरक्षा में विभिन्न अंतरिक्ष यात्रा करने वाली संस्थाओं के बीच अधिक गहन समन्वय और सहयोग शामिल होने की उम्मीद है, यह वांछनीय है कि एसटीएम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक उपयुक्त सहयोगात्मक ढांचा विकसित हो।
यह मानते हुए कि अंतरिक्ष परिस्थिति जागरूकता (एसएसए) सुरक्षित और दीर्घकालिक संचालन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसरो द्वारा अंतरिक्ष वस्तुओं का अनुवर्तन और विश्लेषण (नेत्रा) परियोजना के लिए नेटवर्क शुरू किया गया है। इस परियोजना के दायरे में चंद्रपुर, असम में एक रडार और हानले, लद्दाख में एक ऑप्टिकल टेलीस्कोप की स्थापना प्रगति पर है। नवीनीकरण के बाद, श्रीहरिकोटा स्थित बहु पिंड अनुवर्तन रडार (एमओटीआर) ने भी, जहाँ भी व्यवहार्यता थी, अंतरिक्ष वस्तुओं का अनुवर्तन करना शुरू कर दिया है, जिसमें वायुमंडल में पुनः प्रवेश से पहले अपनी अंतिम कुछ कक्षाओं के दौरान भारतीय रॉकेट निकाय और उपग्रह शामिल हैं।
वर्ष 2024 में मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन के इरादे की घोषणा बाहरी अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता को संरक्षित करने हेतु इसरो की चिरकालिक प्रतिबद्धता का प्रमाण है। आने वाले वर्षों में इसरो एसएसए के लिए अंतरिक्ष वस्तु प्रेक्षण क्षमता निर्माण को दृढ़ता से आगे बढ़ाएगा, अनुभवों को साझा करेगा, उभरते अंतरिक्ष हिस्सेदारों के साथ जुड़ेगा और महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों एवं सर्वोत्तम प्रथाओं के सक्रिय कार्यान्वयन के माध्यम से जिम्मेदार, सुरक्षित और संरक्षित अंतरिक्ष गतिविधियों के बारे में जागरूकता बढ़ाएगा।
References
https://isro.gov.in
https://www.spacetrack.org
https://discosweb.esoc.esa.int