31 अक्तूबर, 2025
29-30 अक्तूबर, 2025 के दौरान, इसरो ने भारत के पहले शुक्र मिशन, अर्थात शुक्र कक्षीय मिशन (वीओएम) पर इसरो मुख्यालय, बेंगलूरु में एक राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें लगभग 150 वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, संकाय सदस्यों और पीएचडी छात्रों ने भाग लिया, जिनमें इसरो/ अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) के साथ-साथ राष्ट्रीय अनुसंधान एवं शैक्षणिक संस्थानों के सदस्य भी शामिल थे। इस सम्मेलन में अंतरिक्ष विभाग से बाहर देश के लगभग 40 अनुसंधान/शैक्षणिक संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 70 से अधिक सदस्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
भारत का शुक्र कक्षीय मिशन (वीओएम) एक वैज्ञानिक मिशन होगा, जिसे वर्ष 2028 में प्रमोचित किया जाएगा, जो शुक्र के वायुमंडल, बादलों, वायवीय कणों, बिजली, आयनमंडल, सौर वायु की अन्योन्यक्रियाओं के साथ-साथ शुक्र की सतह और उपसतह से संबंधित वैज्ञानिक समस्याओं का समाधान करेगा।
दो दिवसीय राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन का आयोजन मिशन की वैज्ञानिक क्षमता को अधिकतम करने की दिशा में शिक्षा जगत और अनुसंधान संस्थानों सहित राष्ट्रीय विज्ञान समुदाय को सक्रिय रूप से शामिल करने के उद्देश्य से किया गया था। इस सम्मेलन का उद्देश्य इसरो, राष्ट्रीय शिक्षा जगत और संस्थानों के बीच तालमेल को मज़बूत करना और गहन अंतरिक्ष ग्रहों की खोज के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण सुनिश्चित करना था।
अपने उद्घाटन भाषण के दौरान, डॉ वी. नारायणन अध्यक्ष, इसरो / सचिव, अंतरिक्ष विभाग ने भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से गैर-विशेषज्ञों को भारत के वैज्ञानिक मिशनों का सार बताने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि उन्हें अंतरिक्ष अन्वेषण की क्षमता की सराहना करने और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में वैश्विक परिदृश्य में भारत की बढ़ती स्थिति के बारे में प्रेरित किया जा सके। इसरो के पूर्व अध्यक्ष / सचिव, अंतरिक्ष विभाग, अंतरिक्ष आयोग के सदस्य श्री ए. एस. किरण कुमार ने बताया कि भारत ने जटिल अंतरिक्ष विज्ञान मिशनों के संचालन की क्षमताओं का प्रदर्शन किया है और सौर मंडल की खोज के क्रम में चंद्रमा और मंगल की खोज करने के बाद शुक्र मिशन भारत की स्वाभाविक पसंद रहा है। इसरो के वैज्ञानिक सचिव श्री एम गणेश पिल्लई ने वैज्ञानिक उद्देश्यों की वांछित अखंडता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता हासिल करने के लिए मिशन के प्रारंभिक चरण के दौरान राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय की भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया। इसरो मुख्यालय के विज्ञान कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक डॉ. तीर्थ प्रतिम दास ने वैश्विक शुक्र मिशनों के अभिलेखीय डेटा का विश्लेषण करने के लिए इसरो द्वारा हाल ही में जारी अवसर की घोषणा (एओ) के माध्यम से शुक्र विज्ञान डेटा के विश्लेषण के लिए वैज्ञानिक समुदाय को तैयार करने के इसरो के हालिया प्रयास के बारे में वैज्ञानिक समुदाय को जानकारी दी।
राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन का आयोजन मिशन के वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं के साथ-साथ शुक्र ग्रह पर मौजूद उन समस्याओं पर भी महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए किया गया था जिनका समाधान भारत के वीओएम द्वारा किया जाना है। वीओएम में प्रयुक्त होने वाले वैज्ञानिक उपकरणों और तकनीकों पर विस्तृत चर्चा हुई, जिनकी मदद से शुक्र ग्रह के वायुमंडल, बादलों, वायवीय कणों, आयनमंडल, सतह, उप-सतह, और सूर्य तथा शुक्र के बीच अन्योन्यक्रियाओं को समझने में मदद मिलेगी। विचार-मंथन सत्रों के अलावा, मॉडलिंग/अनुकरण गतिविधियों पर केंद्रित पैनल चर्चाएँ भी हुईं।