15 मई, 2025
इसरो और जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा ने 13-14 मई, 2025 के दौरान चंद्रयान-5/ लूपेक्स मिशन के लिए संयुक्त रूप से तीसरी आमने-सामने तकनीकी अन्तरापृष्ठ बैठक (टीआईएम-3) का आयोजन किया। इस मीटिंग में इसरो, जाक्सा और जापान की मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज (एमएचआइ) के वरिष्ठ अधिकारियों, परियोजना अधिकारियों और तकनीकी टीम के सदस्यों ने भाग लिया।
चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 (कक्षीय यान-आधारित चंद्र अन्वेषण), चंद्रयान-3 (लैंडर-रोवर आधारित स्व-स्थाने अन्वेषण) और आगामी चंद्रयान-4 (भारत का प्रथम चंद्र नमूना वापसी मिशन) के अनुक्रम में, जाक्सा के सहयोग से चंद्रयान-5/ लूपेक्स (चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण) मिशन चंद्र मिशनों की चंद्रयान शृंखला का पांचवा मिशन होगा, जिसका उद्देश्य चंद्र के दक्षिण ध्रुव में स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्र (पीएसआर) के आसपास में चंद्र जल सहित चंद्र वाष्पशील पदार्थों का अध्ययन करना है। मिशन को जाक्सा द्वारा अपने एच3-24एल प्रमोचन यान के जरिए प्रमोचित किया जाएगा, जो इसरो द्वारा निर्मित चंद्र लैंडर को ले जाएगा, जिस पर एमएचआई, जापान द्वारा निर्मित चंद्र रोवर होगा। इस मिशन के लिए वैज्ञानिक उपकरण इसरो, जाक्सा, ईएसए और नासा द्वारा प्रदान किए जाएंगे, जो सभी विषयगत रूप से चंद्र ध्रुवीय क्षेत्र में आरक्षित वाष्पशील पदार्थों के अन्वेषण और स्व-स्थाने विश्लेषण से जुड़े होंगे। चंद्रयान-5/लूपेक्स मिशन के लिए भारत सरकार से वित्तीय स्वीकृति के रूप में 10 मार्च, 2025 को अनुमोदन प्राप्त हुआ था।
बैठक के दौरान इसरो के वैज्ञानिक सचिव श्री एम. गणेश पिल्लई ने अब तक की तकनीकी उपलब्धियों के लिए दोनों टीमों को बधाई दी और मिशन के वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं हेतु सहयोगात्मक प्रयास के महत्व पर जोर दिया। इसरो मुख्यालय के विज्ञान कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक डॉ. तीर्थ प्रतिम दास ने अवतरण स्थल के चयन, नीतभार अनुकूलन, मिशन डिजाइन, साथ ही भू-खंड और संचार पहलुओं के संदर्भ में हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। चंद्रयान-5/ लूपेक्स के अध्ययन दल के नेता श्री जी रवि चंद्र बाबू ने प्राप्त हुए तकनीकी विन्यास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने परियोजना की उपलब्धियों, समयसीमा और परियोजना के लिए आवश्यक सुपुर्दगियों की स्पष्ट परिभाषा की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री दाई-असोह, जाक्सा ने अपने उद्घाटन भाषण के दौरान रोवर और संबंधित अन्तरापृष्ठ के विकास की दिशा में की गई तकनीकी प्रगति के बारे में जानकारी दी।
इस दो दिवसीय आमने-सामने की बैठक में विभिन्न तकनीकी अन्तरापृष्ठ, संयुक्त मिशन कार्यान्वयन योजना एवं साथ ही मिशन के लिए संभावित अवतरण स्थलों पर विचार-विमर्श किया गया। चंद्रयान-5/लूपेक्स मिशन भारत के चंद्र अन्वेषण अभियान में प्रमुख अल्पकालिक उपलब्धियों में से एक होगा, जिसमें वर्ष 2040 तक भारतीय गगनयात्रियों (अंतरिक्ष यात्रियों) के चंद्रमा पर उतरने की परिकल्पना की गई है।