नीतभार क्षमता में वृद्धि हेतु इसरो द्वारा रॉकेट इंजनों के लिए हल्के कार्बन-कार्बन नोजल का विकास
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अप्रैल 15, 2024

इसरो ने रॉकेट इंजनों के लिए हल्के कार्बन-कार्बन (सी-सी) नोजल के विकास के साथ रॉकेट इंजन प्रौद्योगिकी में सफलता हासिल कर ली है।विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) द्वारा हासिल इस नवाचार ने प्रणोद स्तर, विशिष्ट आवेग और प्रणोद-से-वजन का अनुपात सहित रॉकेट इंजन के महत्वपूर्ण प्राचलों में संवर्धन किया है, इससे प्रमोचन रॉकेटों की नीतभार क्षमता में वृद्धि होगी।

वीएसएससी ने अंतरिक्ष अनुसंधान में अपने मार्गदर्शी कार्यों को जारी रखते हुए एक नोजल अपसारी बनाने के लिए कार्बन-कार्बन (सी-सी) समिश्र जैसी उन्नत सामग्रियों का लाभ उठाया है, जो असाधारण गुणधर्म प्रदान करता है। हरित समिश्र के कार्बनीकरण, रासायनिक वाष्प प्रवेश और उच्च तापमान उपचार जैसी प्रक्रियाओं का उपयोग करके, इसने कम घनत्व, उच्च विशिष्ट शक्ति और उत्कृष्ट कठोरता के साथ नोजल का उत्पादन किया है, जो बढ़े हुए तापमान पर भी यांत्रिक गुणधर्मों को टिकाए रखने में सक्षम है।

सी-सी नोजल की एक प्रमुख विशेषता सिलिकॉन कार्बाइड की इसका विशेष ऑक्सीकरण विलेपन है, जो ऑक्सीकरण वातावरण में अपनी प्रचालनात्मक सीमा का विस्तार करता है। यह नवाचार न केवल ऊष्मा जनित तनाव को कम करता है, अपितु प्रतिकूल वातावरण में विस्तारित प्रचालनात्मक तापमान में संक्षारण प्रतिरोध को भी बढ़ाता है।

इस विकास का संभावित प्रभाव, विशेष रूप से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के विश्वसनीय प्रमोचक रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के लिए महत्वपूर्ण है। वर्तमान में पीएसएलवी के चतुर्थ चरण पीएस4 में कोलंबियम मिश्र धातु से निर्मित नोजल युक्त इंजन-युगल का प्रयोग किया जाता है। हालांकि, इन धात्विक अपसारी नोजल के स्थान पर सी-सी समकक्षों के प्रयोग से लगभग 67% द्रव्यमान कम किया जा सकता है। इस प्रतिस्थापन से पीएसएलवी की नीतभार क्षमता में 15 किलोग्राम की वृद्धि होने का अनुमान है, जो अंतरिक्ष मिशनों के लिए उल्लेखनीय वृद्धि है।

सी-सी नोजल अपसारी के सफल परीक्षण के साथ इसरो ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। 19 मार्च, 2024 को इसरो नोदन कॉम्प्लेक्स (आईपीआरसी), महेंद्रगिरी में उच्च तुंगता परीक्षण (एचएटी) सुविधा में 60-सेकेंड के तप्त परीक्षण से प्रणाली के प्रदर्शन और हार्डवेयर समाकलन की पुष्टि की गई। 2 अप्रैल, 2024 को 200-सेकंड के तप्त परीक्षण सहित अनुवर्ती परीक्षणों ने नोजल की क्षमताओं का अभिप्रमाणन किया, जिसमें तापमान 1216के तक पहुंच गया, जो पूर्वानुमानों से मेल खाता है।

डिजाइन तथा परीक्षण को संरूपित करने वाला द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी), वलियामला और अपनी एचएटी सुविधा में परीक्षणों का यंत्रीकरण एवं संपादन करने वाला आईपीआरसी, महेंद्रगिरि इस सहयोगी प्रयास में शामिल था ।

ISRO Develops Lightweight Carbon-Carbon Nozzle for Rocket Engines, Enhancing Payload Capacity
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Description: Lightweight Carbon-Carbon Nozzle for Rocket Engines Video
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