11 नवंबर, 2025
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 03 नवम्बर 2025 को झांसी, उत्तर प्रदेश स्थित बाबीना फील्ड फायरिंग रेंज (बीएफएफआर) में गगनयान क्रू मॉड्यूल के मुख्य पैराशूट पर एक महत्वपूर्ण परीक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किया है। यह परीक्षण गगनयान मिशन के पैराशूट प्रणाली की योग्यता के लिए एकीकृत मुख्य पैराशूट एयरड्रॉप परीक्षण (आईएमएटी) की चल रही शृंखला का हिस्सा है।
गगनयान क्रू मॉड्यूल के लिए पैराशूट प्रणाली में कुल 4 प्रकार के 10 पैराशूट शामिल हैं। अवरोहण क्रम की शुरुआत दो शीर्ष आवरण पृथक्करण पैराशूट से होती है, जो पैराशूट कम्पार्टमेंट के सुरक्षात्मक आवरण को हटाते हैं। इसके बाद दो ड्रोग पैराशूट मॉड्यूल को स्थिरता प्रदान करते हैं और उसकी गति को कम करते हैं। ड्रोग्स के खुलने के बाद तीन मुख्य पैराशूट को बाहर निकालने हेतु तीन पायलट पैराशूट प्रस्तरित की जाते हैं, जिससे क्रू मॉड्यूल की गति और कम होकर सुरक्षित अवतरण सुनिश्चित किया जाता है। यह प्रणाली अतिरेकता के साथ डिज़ाइन की गई है क्योंकि तीन में से केवल दो मुख्य पैराशूट सुरक्षित अवतरण सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त हैं।
गगनयान मिशन के मुख्य पैराशूट अंतर्घूमित वायुभरण (रीफ्ड इन्फ्लेशन) नामक चरणबद्ध प्रक्रिया में प्रस्तरित किए जाते हैं। इस प्रक्रिया में पैराशूट पहले आंशिक रूप से खुलता है, जिसे रीफिंग कहा जाता है और फिर एक निर्धारित समयांतराल के बाद यह पूरी तरह खुलता है, जिसे डिसरीफिंग कहा जाता है। यह प्रक्रिया पायरो उपकरण की सहायता से संचालित की जाती है।
इस परीक्षण में दो मुख्य पैराशूटों के बीच डिसरीफिंग में देरी के संभावित चरम परिदृश्यों में से एक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया, जिससे मुख्य पैराशूटों की अधिकतम डिज़ाइन की पुष्टि हुई। परीक्षण के दौरान असममित डिसरीफिंग की स्थिति में प्रणाली की संरचनात्मक मजबूती और भार वितरण का मूल्यांकन किया गया, जो वास्तविक मिशन के अवरोहण के दौरान अपेक्षित सबसे महत्वपूर्ण भार परिस्थितियों में से एक है।
क्रू मॉड्यूल के भार के समतुल्य एक अनुकरणित द्रव्यमान को भारतीय वायु सेना के IL-76 विमान से 2.5 किमी की ऊँचाई से गिराया गया। पैराशूट प्रणाली योजना के अनुसार खुली और क्रम त्रुटिरहित रहा तथा परीक्षण में शामिल वस्तु ने स्थिर अवरोहण एवं मृदु अवतरण प्राप्त किया जिससे पैराशूट डिज़ाइन की सटीकता प्रमाणित हुई।
इस परीक्षण की सफल समाप्ति मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए पैराशूट प्रणाली को योग्य बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इस परीक्षण में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), इसरो, एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (एडीआरडीई), डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
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