23 जून, 2025
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (एएचपीआई) और सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन इंडिया (एसईएमआई) द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की गई स्वास्थ्य - अन्वेषण (अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से सक्षम गुणवत्ता उन्नयन) पहल ने सफलतापूर्वक अपना कार्यान्वयन चरण पूरा कर लिया है। 2017 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य अंतरिक्ष क्षेत्र से प्रणालियों और प्रथाओं को अपनाकर भारतीय अस्पतालों में आपातकालीन देखभाल की गुणवत्ता, सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाना था।
पिछले कुछ वर्षों में इस पहल के तहत हुई प्रगति को विभिन्न चरणों में जनता के साथ साझा किया गया है। नवीनतम उपलब्धि इंटरनेशनल जर्नल फॉर क्वालिटी इन हेल्थ केयर (आईएसक्यूए) में विस्तृत निष्कर्षों का प्रकाशन है। यह प्रकाशन कार्यक्रम के पायलट चरण के परिणामों को प्रस्तुत करता है, जिसे 10,000 से अधिक मरीजों को शामिल करते हुए 10 अस्पतालों में लागू किया गया था। पायलट चरण ने प्रमुख निष्पादन संकेतकों, जैसे कि डोर-टू-ट्राइएज, डोर-टू-डॉक्टर, दर्द आकलन और डिस्चार्ज समय का वास्तविक समय में अनुवर्तन शुरू किया। परिणामों ने मरीज प्रवाह और नैदानिक प्रतिक्रिया में परिमेय सुधार का प्रदर्शन किया। उदाहरण के लिए, ट्राइएज समय को लगातार पाँच मिनट से कम किया गया, दर्द का आकलन औसतन 23 मिनट पहले किया गया और डिस्चार्ज समय को 90 मिनट तक कम किया गया। ये सुधार स्वास्थ्य सेवा संचालन में प्रक्रिया को सटीकता, निगरानी और मानकीकरण जैसे अंतरिक्ष मिशन सिद्धांतों के प्रभावी एकीकरण को दर्शाते हैं।
पायलट चरण के समापन और इसकी प्रभावशीलता की पुष्टि के साथ, स्वास्थय - अन्वेषण टीम अब इस पहल के अगले चरण की तैयारी कर रही है। भविष्य की गतिविधियों में आपातकालीन देखभाल सुविधाओं का भू-स्थानिक मानचित्रण, आपातकालीन विभाग की भीड़ के लिए एआई-संचालित पूर्वानुमान और अस्पतालों में मानकीकृत प्रोटोकॉल को व्यापक रूप से अपनाना शामिल है।
स्वास्थय - अन्वेषण में इसरो की भागीदारी अंतरिक्ष से प्राप्त ज्ञान को जनहित में लागू करने की इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस पहल के माध्यम से इसरो ने प्रदर्शित किया कि कैसे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और प्रक्रिया इंजीनियरिंग दृष्टिकोण स्वास्थ्य सेवा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में चुनौतियों का समाधान करने में सार्थक योगदान दे सकते हैं, इस प्रकार विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से राष्ट्रीय विकास में सहयोग प्रदान करने में इसरो ने अपनी भूमिका को मजबूत बनाया।