जनवरी 5, 2024
01 जनवरी, 2024 को इसरो ने 100 वॉट की श्रेणी के पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन ईंधन सेल पर आधारित ऊर्जा प्रणाली (एफसीपीएस) का अपने कक्षीय प्लेटफार्म, पीओईएम3 में सफल परीक्षण किया, जिसको पीएसएलवी-सी58 द्वारा प्रमोचित किया गया। इस प्रयोग का उद्देश्य था - पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन ईंधन सेल के प्रचालन को अंतरिक्ष में निर्धारित करना और भविष्य में होने वाले मिशनों के लिए डाटा एकत्रित कर प्रणाली के डिजाइन बनाने में सुविधा प्रदान करना। ऑनबोर्ड उच्च दाब के पात्रों में संचित हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों से 180 वॉट ऊर्जा उत्पन्न हुई। इस कार्य में प्रयोग में लाई गई ऊर्जा प्रणाली और भौतिकी के भाग के रूप में विभिन्न स्थिर और गतिक प्रणालियों के प्रदर्शन पर मूल्यावान डेटा प्राप्त किया गया।
ईंधन सेल का नीतभार
हाईड्रोजन ईंधन सेल हाइड्रोजन और आक्सीजन गैसों से सीधे तौर पर विद्युत के साथ शुद्ध जल और ऊष्मा का उत्पादन करते हैं। यह परंपरागत जनरेटर्स में प्रयुक्त होने वाली दहन प्रतिक्रियाओं के विपरीत इलेक्ट्रोकेमिकल सिद्धातों पर काम करने वाला बैटरी की तरह का एक विद्युत जेनरेटर है। बिना किसी मध्यवर्ती चरण के ईंधन से सीधे तौर पर विद्युत उत्पन्न करने की इसकी क्षमता इसे अधिक कार्यकुशल बनाती है। यह सेल का उप-उत्पाद मात्र जल ही होने से यह उत्सर्जनमुक्त है। एकल प्रणाली द्वारा बहुविध आवश्यताओं की पूर्ति करने के कारण यह विशेषताएं समानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए आदर्श विकल्प बनाती हैं जिनमें कि विद्युत, जल और ऊष्मा की आवश्यकता होती है।
इस प्रकार के ईंधन सेलों के सामाजिक उपयोगिता की संभावना भी है। विभिन्न प्रकार के वाहनों में वर्तमान में उपयोग किए जा रहे इंजनों और स्टैड-बाय प्रणालियों के स्थान पर सर्वाधिक उपयुक्त समाधान के रूप में इन पर विचार किया जा रहा है। आज के परंपरागत इंजनों के समान दूरी और ईंधन रिचार्ज समय जैसी विशेषताएं इन ईंधन सेल को बैटरी से बेहतर बनाती हैं, तथा इससे उत्सर्जन-मुक्त परिवहन के सुगम होने की उम्मीद है। ऊर्जा और शुद्ध पानी दोनों उपलब्ध कराने के कारण ईंधन सेल अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक आदर्श ऊर्जा स्रोत है।