जनवरी 5, 2024
सिलिकॉन- ग्रेफाइट ऐनोड आधारित उच्च ऊर्जा घनत्व वाले लीथियम-आयन सेल का उड़ान प्रदर्शन विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र/इसरो ने 10Ah सिलिकॉन-ग्रेफाइट ऐनोड आधारित उच्च ऊर्जा घनत्व वाले लीथियम-आयन सेल को वर्तमान में उपयोग हो रहे सेल के मुकाबले एक सस्ते एवं हल्के विकल्प के तौर पर योग्य करार दिया है। पीएसएलवी-सी58 के पीओईएम-3 प्लैटफार्म पर ऑन-बोर्ड एक प्रतिरोधक भार को ऊर्जा प्रदान करके सेल का सफल उड़ान प्रदर्शन किया गया। कक्षा वोल्टेज, विद्युत और तापमान के मान दूरमिति के द्वारा प्राप्त किए गये और उन्हें पूर्वानुमानों के अनुरूप पाया गया।
लीथियम-आयन सेल के मुकाबले, जिसमें ऐनोड पदार्थ के रुप में शुद्ध ग्रेफाइट उपयोग होता है, इस सेल में सिलिकॉन-ग्रेफाइट सम्मिश्र को ऐनोड पदार्थ के तौर पर उपयोग किया जाता है। इससे ऐनोड पदार्थ के एकांक द्रव्यमान में ज्यादा लीथियम-आयन को समायोजित करने में मदद मिलती है, जो सेल की ऊर्जा घनत्वता को उन्नत करता है। पदार्थ बदले जाने के अतिरिक्त इस सेल में सहज-उपलब्ध खर्च-प्रभावी यंत्र-उपकरण और क्रिम्प-सीलिंग आधारित डिजाइन का प्रयोग किया जाता है. जो यंत्र-उपकरण और निर्माण खर्च को सार्थक रूप से घटाता है। 4.2-2.8 वॉल्ट की प्रचालन वोल्टेज पर लीथियम-आयन सेल की 157 wh/kg ऊर्जा घनत्व के मुकाबले सिलिकॉन उच्च ऊर्जा लीथियम-आयन सेल का ऊर्जा घनत्व 190 wh/kg है। उड़ान के दौरान बैटरी यंत्र ने 0.4 वॉल्ट की आखिरी निर्गम वोल्टेज के साथ 8.9Ah की क्षमता प्रदान की।
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र किसी भी नए तंत्र को परिचालन पात्र/ मिशन में प्रवेश कराने से पहले उस तंत्र को एक परारोही नीतभार को तौर पर कड़ी अर्हता और उड़ान प्रदर्शन की प्रक्रिया पर परीक्षण करता है। यही प्रक्रिया इस सेल पर भी अपनाई गई। कठोर अंतरिक्ष वातावरण में टिके रहने और प्रदर्शन करने की सेल की क्षमता का पीओईएम प्लेटफार्म पर सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया।
इस प्रदर्शन के बल पर प्राप्त किए भरोसे की वजह से इस सेल का ऐसे परिचालन मिशन में उपयोग होना तय है जहां बैटरी मात्रा की 35-40 % बचत अनुमानित है। अंतरिक्ष और जमीनी प्रयोग में इस तंत्र का उपयोग संभव है।
10 Ah Silicon-Graphite anode based High Energy Density Li-ion cells
Configuration (Mass: 4.3 kg)