वीएसएससी में ट्राइसोनिक विंड टनल का पहला ब्लो डाउन परीक्षण होम /ट्राइसोनिक विंड टनल फर्स्ट ब्लो

दिसम्बर 09, 2022

नव निर्मित ट्राइसोनिक विंड टनल का पहला ब्लो डाउन परीक्षण 8 दिसंबर, 2022 को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम में त किया गया था। ट्राइसोनिक विंड टनल एक ऐसी प्रणाली है जो बलों, क्षणों, भार वितरण, अस्थिर दबावों, ध्वनिक स्तरों आदि का मूल्यांकन करके एक स्केल्ड मॉडल की विशेषता द्वारा रॉकेटों और पुन: प्रवेश अंतरिक्ष यान के वायुगतिकीय डिजाइन में सहायता करती है। सुरंग की कुल लंबाई लगभग 160 मीटर और इसमें 5.4मीटर का अधिकतम तिर्यक-अनुप्रस्थ है। विभिन्न अंतरिक्षयानों के परीक्षण के लिए तीन उड़ान व्यवस्थाओं में - ध्वनि की गति से नीचे, ध्वनि की गति से और ध्वनि की गति से ऊपर, इस सुरंग का उपयोग किया जा सकता है: इसलिए इसका नाम ट्राइसोनिक पवन सुरंग है। सुरंग ध्वनि की गति (68 m/s) से 0.2 गुना ध्वनि की गति (1360 m/s) से 4 गुना तक उड़ान की स्थिति का अनुकरण कर सकती है।

श्री एस सोमनाथ, अध्यक्ष, इसरो/सचिव, अंतरिक्ष विभाग के कर-कमलों से डॉ एस उन्नीकृष्णन नायर, निदेशक, वीएसएससी, डॉ. वी नारायणन, निदेशक, एलपीएससी और डॉ. डी सैम दयाल देव, निदेशक, आईआईएसयू सहित इसरो के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में ब्लो डाउन औपचारिक रूप से स्विच-ऑन किया गया।

विशाल संरचना को कई सौ टन स्टील के साथ बनाया गया था और मैसर्स टाटा प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड मुंबई के माध्यम से मैसर्स एयोलोस इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन, कनाडा के सहयोग के साथ कार्यान्वित किया गया और मैसर्स वालचंदनगर इंडस्ट्रीज, पुणे, मैसर्स एकॉस्टिक इंडिया, तिरुचिरापल्ली, मैसर्स आर्टसन इंजीनियरिंग, नासिक, मैसर्स समिट हाइग्रोनिक्स, कोयंबटूर, मैसर्स हाइड्रोकेयर फ्लूइड पावर सिस्टम्स, बैंगलोर और मैसर्स सीमेंस एनर्जी, अहमदाबाद जैसे भारत भर के उद्योगों द्वारा पूर्णतः निर्माण किया गया।

एयरोस्पेस क्षेत्र में ट्राइसोनिक विंड टनल भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।

Trisonic Wind Tunnel First Blow
Trisonic Wind Tunnel First Blow
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