अंतरिक्ष क्षेत्र सुधार के पश्चात एनसिल का प्रथम माँग आधारित उपग्रह मिशन: दिनांक 23 जून 2022 को कौरु, फ्रेंच गियाना से एरियन-V (वी.ए. 257 फ्लाइट) द्वारा जीसैट-24 संचार उपग्रह सफलतापूर्वक प्रमोचितहोम / पुरालेख


आज, 23 जून 2022 को 03.20 बजे भा.मा.स. पर, अंतरिक्ष विभाग के अधीन सी.पी.एस.ई. न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनसिल) ने कौरु, फ्रेंच गियाना से एरियन-V (वी.ए. 257 उड़ान) द्वारा जीसैट-24 संचार उपग्रह का प्रमोचन सफलतापूर्वक निष्पादित किया। भारत के जीसैट-24 उपग्रह के अतिरिक्त, वी.ए. 257 ने अन्य सहयात्री के रूप में मलेशिया से मेयसैट-3डी संचार उपग्रह का भी वहन किया।

जीसैट-24, देश की डाइरेक्ट-टू-होम (डी.टी.एच.) संचार आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु निर्मित 24 Ku बैंड संचार उपग्रह है। इस उपग्रह का उत्थापन भार 4180 कि.ग्रा. है तथा इसका मिशन जीवनकाल 15 वर्ष है। एनसिल ने 15 वर्षों के लिए संपूर्ण उपग्रह क्षमता को मेसर्स टाटा प्ले को पट्टे पर दे दिया है। जीसैट-24 मिशन हेतु संपूर्ण वित्तपोषण एनसिल द्वारा किया गया है।

लगभग 40 मिनटों की उड़ान के पश्चात, जीसैट-24 उपग्रह को 250 कि.मी. के अपभू और 35825 कि.मी. के उपभू के साथ इसकी वांछित भू-तुल्यकाली अंतरण कक्षा (जी.टी.ओ.) में सफलतापूर्वक अंतःक्षिप्त किया गया था।

जीसैट-24 उपग्रह के पृथक्करण पश्चात, हासन, कर्नाटक स्थित इसरो की मुख्य नियंत्रण सुविधा ने उपग्रह को नियंत्रण में ले लिया और प्राप्त किए प्रारंभिक आँकड़े उपग्रह के अच्छे स्वास्थ्य को दर्शाते हैं। आने वाले दिनों में, उपग्रह पर लगी नोदन प्रणाली का उपयोग करते हुए श्रंखलाबद्ध कक्षा उत्थापन सुनियोजित परिचालनों के माध्यम से जीसैट-24 उपग्रह की कक्षा को जी.टी.ओ. से भूस्थिर कक्षा (जी.टी.ओ.) में उत्थापित किया जाएगा।

डॉ. एस. सोमनाथ, सचिव, अं.वि. ने कहा “आज जीसैट-24 का सफल प्रमोचन, इसरो से स्वदेशी रूप से निर्मित उपग्रहों का उपयोग करते हुए देश की डी.टी.एच. संचार आवश्यकताओं को वाणिज्यिक रूप से पूरा करने में एनसिल द्वारा उठाया गया प्रमुख अगला कदम है”।

जीसैट-24 के सफल प्रमोचन से, एनसिल कक्षा में लगभग 11 संचार उपग्रहों का स्वामित्व और प्रचालन करेगा तथा देश की बड़ी संचार आवश्यकताओं को पूरा करेगा। जीसैट-24 उन कई माँग आधारित मिशनों में से प्रथम है, जिसे एनसिल आगामी वर्षों में निष्पादित करेगा।

चार चरणीय, 44.4 मीटर ऊंचे पी.एस.एल.वी.-सी53 का लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान 228.433 टन है। यह डी.एस.-ई.ओ. उपग्रह को 6948.137 + 20 कि.मी. के सेमि-मेजर अक्ष के साथ कक्षा में स्थापित करेगा। भूमध्यरेखा से इसकी ऊंचाई 570 कि.मी. होगी तथा इसकी निम्न नति 100 + 0.20 होगी। पी.एस.एल.वी.-सी53 तीन उपग्रहों का वहन करेगा। 365 कि.ग्रा. का डी.एस.-ई.ओ उपग्रह तथा 155 कि.ग्रा. का निउसार दोनों सिंगापुर के हैं, जिसे स्टारेक इनिषियेटिव, कोरिया गणराज्य ने बनाया है। तीसरा उपग्रह स्कूब-1 2.8 कि.ग्रा. का है जिसे नानयान्ग टेक्नोलोजिकल युनिवर्सिटी (एन.टी.यू.), सिंगापुर ने तैयार किया है।

डी.एस.-ई.ओ. में एक विद्युत-प्रकाशिक, बहु-स्पेक्ट्रमी नीतभार है, जिसकी प्रतिबिंब विभेदन क्षमता 0.5 मीटर है। निउसार सिंगापुर का पहला लघु वाणिज्यिक उपग्रह है, जो ‘सार’ नीतभार का वहन करता है। यह सभी जलवायु अवस्थाओं में, दिन और रात में ‘इमेज’ उपलब्ध कराने की क्षमता रखता है। सिंगापुर के एन.टी.यू. स्कूल ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग के उपग्रह अनुसंधान केंद्र (सार्क) से छात्रों के लिए ‘हैन्ड्स ऑन’ प्रशिक्षण के तहत स्टूडेंट सैटेलाइट सिरीज (S3-I) का पहला उपग्रह है स्कूब-आई. उपग्रह।

पी.एस.एल.वी. कक्षीय प्रयोगात्मक मॉड्यूल (पी.ओ.ई.एम.) क्रिया ‘स्पेन्ट’ पी.एस.4 चरण का कक्षीय प्लैटफॉर्म के रूप में प्रयोग करते हुए कक्षीय वैज्ञानिक प्रयोगों को पूरा करता है। यह पहली बार होगा जब पी.एस.4 स्टेज एक स्थिरीकृत प्लैटफॉर्म के रूप में पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। एक समर्पित एन.जी.सी. तंत्र का उपयोग कर अभिवृत्ति स्थिरीकरण प्राप्त किया जाता है। (पी.ओ.ई.एम.) को विद्युत शक्ति पी.एस.4 टंकी के चारों ओर माउंट की गई सौर पैनलों तथा लिथियम आयन बैटरी से प्राप्त होती है। चार सौर संवेदकों, एक मैगनेटोमीटर, जायरोस तथा नाविक (NavIC) की सहायता से यह नौसंचालन करता है। हीलियम गैस भंडार का उपयोग कर यह समर्पित नियंत्रण प्रणोदकों का वहन करता है। इसमें टेलीकमांड का फीचर भी दिया गया है।

पी.ओ.ई.एम. छह नीतभारों का वहन करता है, जिसमें से दो भारतीय अंतरिक्ष स्टार्ट-अप मेसर्स दिगंतरा तथा मेसर्स ध्रुव एयरोस्पेस के हैं जिन्हें इनस्पेस और एनसिल के माध्यम से शामिल किया गया है।