अक्टूबर 25, 2024
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), राज्य मंत्री पीएमओ, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी में सहयोग पर जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) के बीच ढांचागत समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के दौरान अध्यक्षता की।
माननीय मंत्री ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना और देश में उच्च प्रदर्शन जैव विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 'बायोई3’ (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति के अनावरण की घोषणा के साथ पथ प्रदर्शक पहल को मंजूरी दी है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्षेत्र को खोल दिया गया है और गगनयान कार्यक्रम और भारतीय अंतरिक्ष केंद्र के साथ भारत अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि बायोई3 जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक दिशा परिवर्तक है और वर्ष 2030 तक राष्ट्रीय जैव अर्थव्यवस्था को 300 बिलियन अमरीकी डालर की ओर ले जाएगा। उच्च प्रदर्शन वाले जैव विनिर्माण को बढ़ावा देने की इस पहल के तहत अंतरिक्ष जैव विनिर्माण ध्यान केंद्रित क्षेत्रों में से एक है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि भारतीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम, गगनयान इसरो का एक राष्ट्रीय प्रयास है जो विभिन्न राष्ट्रीय एजेंसियों, शिक्षाविदों और उद्योगों को सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण अनुसंधान, अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष जैव विनिर्माण, बायोएस्ट्रोनॉटिक्स और अंतरिक्ष जीव विज्ञान के क्षेत्र में एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। इसरो और डीबीटी के बीच इस ढांचागत समझौता ज्ञापन से अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी के विशिष्ट क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इससे राष्ट्रीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम को लाभ होगा और साथ ही मानव स्वास्थ्य अनुसंधान, नवीन फार्मास्यूटिकल्स, जैव चिकित्सा विज्ञान, पुनर्योजी औषधि, कुशल अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण के लिए जैव-आधारित प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे बड़ी संख्या में सामाजिक अनुप्रयोग होंगे। यह सहयोग अंतरिक्ष और जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में स्टार्ट-अप्स के लिए अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में व्यावसायिक रूप से आकर्षक तकनीकी समाधानों को नवीनता प्रदान करने और विकसित करने के अवसर भी खोलेगा। माननीय मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) के संयुक्त इसरो-नासा मिशन के हिस्से के रूप में अपने अनुसंधान प्रयोगों में योगदान देने के लिए आईबीआरआईसी-इनस्टेम, बैंगलूरु और आईसीजीईबी, नई दिल्ली को भी बधाई दी।
डॉ. एस. सोमनाथ, सचिव, अं. वि. एवं अध्यक्ष, इसरो ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय मानव अंतरिक्ष उड़ान प्रयास, गगनयान का उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश की क्षमता को बढ़ाना है। भारतीय अंतरिक्ष केंद्र जैसा एक राष्ट्रीय अंतरिक्ष आधारित मंच हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर अत्याधुनिक सूक्ष्मगुरुत्वाकर्षण अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास करने के लिए विशिष्ट अंतरिक्ष पर्यावरण के उपयोग को सक्षम बनाएगा। उन्होंने टिप्पणी की कि इस सहयोग के माध्यम से, भविष्य में आगामी भारतीय अंतरिक्ष केंद्र में एक समर्पित जैव प्रौद्योगिकी प्रयोग और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन ढांचे का संचालन किया जाएगा।
डीबीटी सचिव, आईबीआरआईसी के महानिदेशक और बीआईआरएसी के अध्यक्ष डॉ. राजेश एस. गोखले ने कहा कि चंद्रमा पर उतरने और अंतरिक्ष केंद्रों को खोलने जैसे मील के पत्थर ने पहले अंतरिक्ष युग को चिह्नित किया है जिसने अंतरिक्ष अनुसंधान का एक नया रोमांचक मार्ग खोला है। अब, हम 'दूसरे अंतरिक्ष युग' की दहलीज पर खड़े हैं जहां जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अन्वेषण का समागम बाहरी अंतरिक्ष जैसे चरम वातावरण में अधिक समय तक रहने की नई संभावनाओं की तलाश को प्रेरित कर रहा है।
आज हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन भारत की 'दूसरे अंतरिक्ष युग' की यात्रा में सहायक होगा। डॉ. गोखले ने एमओयू पर हस्ताक्षर की अध्यक्षता करने के लिए माननीय मंत्री को धन्यवाद दिया और कहा कि डीबीटी इसरो के साथ सार्थक सहयोग की आशा कर रहा है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग
जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय कृषि, स्वास्थ्य की देखभाल, पशु संबंधी विज्ञान, पर्यावरण और उद्योग के माध्यम से भारत जैव प्रौद्योगिकी परितंत्र का संवर्धन करता है।
इसरो
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है। यह संगठन भारत तथा मानवता के लिए बाहरी अंतरिक्ष का लाभ प्राप्त करने हेतु विज्ञान, इंजीनियरी तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संलग्न है।