चंद्रयान-3 फ्लाईबाई
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13 नवंबर, 2025

चंद्रयान-3 (सीएच-3) मिशन का उद्देश्य चंद्र सतह पर सुरक्षित और मृदु अवतरण का प्रदर्शन करना, चंद्रमा पर रोवर की परिक्रमा का प्रदर्शन करना और उसी स्थान पर प्रयोग आयोजित करना है। सीएच-3 मिशन में लैंडर मॉड्यूल, नोदन मॉड्यूल और एक रोवर शामिल थे। उपग्रह को 14 जुलाई, 2023 को भारतीय समयानुसार 14:35 बजे एसडीएससी शार, श्रीहरिकोटा से एलवीएम3 पर सफलतापूर्वक प्रमोचित किया गया था।

23 अगस्त 2023 को सीएच3 के ऐतिहासिक चंद्र अवतरण के बाद, इसके नोदन मॉड्यूल (पीएम) को अक्टूबर 2023 तक लगभग 150 किमी की ऊंचाई पर अपनी चंद्र कक्षा में प्रचालित किया गया था। इसके पश्चात अक्टूबर 2023 में पृथ्वी-पार अंतः क्षेपण (टीईआई) युक्तिचालन को अंजाम देकर पीएम को उच्च तुंगता वाली भू-आधारित कक्षा में स्थानांतरित कर दिया गया। तब से, सीएच3-पीएम पृथ्वी और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्रों के प्रभाव में इस कक्षा में घूम रहा था।

गुरुत्वाकर्षण क्षेत्रों की इस परस्पर क्रिया के कारण अंतरिक्ष यान ने 4 नवंबर, 2025 को चंद्रमा के प्रभाव क्षेत्र (एसओआई) में प्रवेश किया, जहाँ चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण गति पर हावी है। 6 नवंबर, 2025 को 07:23 यूटी पर, पहली चंद्र फ्लाईबाई घटना चंद्रमा की सतह से 3740 किमी की दूरी पर भारतीय गहन अंतरिक्ष नेटवर्क (आईडीएसएन) की दृश्यता से बाहर घटित हुई। दूसरी फ्लाईबाई घटना आईडीएसएन से दिखाई दी, जिसकी निकटतम अभिगमन दूरी 11 नवंबर, 2025 को 23:18 यूटी पर चंद्रमा की सतह से 4537 किमी थी। सीएच3-पीएम के 14 नवंबर, 2025 को चंद्रमा के एसओआई से बाहर निकल जाने की उम्मीद है।

आकार के संदर्भ में उपग्रह की कक्षा 1 लाख x 3 लाख किमी से 4.09 लाख x 7.27 लाख किमी में बदल गई है और इस फ्लाई बाई घटना के कारण इसका झुकाव 34 डिग्री से 22 डिग्री हो गया है। फ्लाई-बाई घटना के प्रक्षेप पथ की निगरानी इसरो दूरमिति, अनुवर्तन और आदेश संचारजाल (इस्ट्रैक), इसरो द्वारा बहुत बारीकी से की गई है। पृथ्वी से बाहर वाली अंतरिक्ष वस्तुओं से इसके प्रक्षेप पथ और अधिक निकटता की निगरानी के लिए विशेष ध्यान रखा गया था। फ्लाई-बाई के दौरान समग्र उपग्रह का प्रदर्शन सामान्य रहा और अन्य चंद्र कक्षीय यानों के साथ किसी नजदीकी अभिगम का अनुभव नहीं किया गया। इस घटना ने मिशन योजना, प्रचालन, उड़ान गतिशीलता के दृष्टिकोण से बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और अनुभव प्रदान किया, और विशेष रूप से विक्षोभ टॉर्क प्रभावों के बारे में हमारी समझ को बढ़ाया।

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