एक्सिओम-4 मिशन: आईएसएस पर लगभग 12 मिलियन किलोमीटर और लगभग 282 कक्षाओं की गाथा
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15 जुलाई, 2025

इसरो गगनयात्री शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) पर 18 दिवस के ऐतिहासिक वैज्ञानिक मिशन से वापसी के साथ ही एक्सिओम-04 मिशन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है। यह इसरो और भारत दोनों के लिए एक गौरवशाली क्षण है। स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान से 25 जून, 2025 को प्रमोचित किया गया यह मिशन नासा, एक्सिओम स्पेस, ईएसए और अन्य अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के सहयोग से संचालित किया गया था।

National Flag flying high onboard ISS

आईएसएस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए

आईएसएस पर अपने प्रवास के दौरान, शुभांशु शुक्ला ने सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण वातावरण के साथ असाधारण सहजता से तालमेल बिठाया। अंतरिक्ष उड़ान की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने पूरे मिशन के दौरान उत्तम स्वास्थ्य बनाए रखा। उन्होंने कक्षा में जीवन और कार्य को दर्शाते हुए कई तस्वीरें खींची और वीडियो बनाए।t.

Shubhanshu Shukla onboard ISS

आईएसएस पर शुभांशु शुक्ला

इसरो के नेतृत्व में वैज्ञानिक प्रयोग सम्पन्न हुए

गगनयात्री शुभांशु शुक्ला ने मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी) के समन्वय में भारतीय अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित सात सूक्ष्म-गुरुत्व प्रयोगों की एक शृंखला पूरी की। इन प्रयोगों में मांसपेशियों के पुनर्जनन, शैवाल वृद्धि, फसल की व्यवहार्यता, सूक्ष्मजीवों की उत्तरजीविता, अंतरिक्ष में संज्ञानात्मक प्रदर्शन और साइनोबैक्टीरिया के व्यवहार का अध्ययन किया गया — प्रत्येक का उद्देश्य मानव अंतरिक्ष उड़ान और सूक्ष्म-गुरुत्व विज्ञान की समझ को बढ़ाना था। ये प्रयोग नीचे सूचीबद्ध हैं।

  • अंतरिक्ष सूक्ष्म शैवाल (आईसीजीईबी और ब्रिक-एनआईपीजीआर, नई दिल्ली): खाद्य शैवाल की वृद्धि और विकिरण प्रतिक्रिया
  • मांसपेशी निर्माण (ब्रिक-इनस्टेम, बेंगलूरु): पूरक उपचार से मांसपेशियों का पुनर्जनन
  • अंकुरित अनाज (यूएएस और आईआईटी धारवाड़): मेथी और मूंग की सूक्ष्मगुरुत्व वृद्धि
  • टार्डिग्रेड (आईआईएससी, बेंगलूरु): टार्डिग्रेड्स का लचीलापन और उम्र बढ़ने के पैटर्न
  • इलेक्ट्रॉनिक प्रदर्श (आईआईएससी, बेंगलूरु): उड़ान के दौरान उपभोक्ता अन्तरापृष्ठ प्रदर्शों के साथ संज्ञानात्मक परीक्षण
  • सूक्ष्मगुरुत्व में साइनोबैक्टीरिया (आईसीजीईबी, नई दिल्ली): तुलनात्मक वृद्धि और प्रोटिओमिक्स
  • खाद्य फसल बीज (आईआईएसटी और केएयू, तिरुवनंतपुरम): बीज शरीरक्रिया विज्ञान पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव
Shubhanshu Shukla doing science experiment

शुभांशु शुक्ला विज्ञान प्रयोग करते हुए

Meal time on ISS

आईएसएस पर भोजन का समय

सभी प्रयोग सफलतापूर्वक सम्पन्न हुए तथा नमूने विस्तृत उड़ान-पश्चात विश्लेषण के लिए वापस भेज दिए गए हैं।

शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) के संचालन की दैनिक कार्यों में योगदान और संयुक्त विज्ञान, रखरखाव तथा आउटरीच प्रयासों में सहयोग देते हुए, एक्सिओम-04 चालक दल और अभियान 73 के सदस्यों के साथ घनिष्ठ साझेदारी में काम किया। उन्होंने एकीकृत चालक दल घटनाक्रम में भाग लिया, हार्मनी मॉड्यूल पर संसाधनों को साझा किया और अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देते हुए कई पारगमन गतिविधियों का समन्वय किया।

सार्वजनिक व्यस्तताएँ

एक्सिओम-04 का आउटरीच घटक इस मिशन का एक अभिन्न अंग था, जिसने भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों को उसके नागरिकों और छात्रों से जोड़ा। इन आयोजनों ने राष्ट्रीय गौरव का जश्न मनाते हुए अगली पीढ़ी को प्रेरित करने के महत्व को रेखांकित किया।

Interaction with Hon. Prime Minister

माननीय प्रधानमंत्री के साथ बातचीत

28 जून, 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र से माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गगनयात्री शुभांशु शुक्ला ने एक ऐतिहासिक लाइव बातचीत में भाग लिया। वार्तालाप के दौरान, माननीय प्रधानमंत्री ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में शुक्ला के योगदान की सराहना की और कक्षा में अपने ध्वज को देखकर राष्ट्र के गौरव का बखान किया। यह प्रसारण पूरे भारत में लाखों लोगों तक पहुँचा और भारत की अंतरिक्ष कूटनीति में एक प्रतीकात्मक उपलब्धि साबित हुआ। 3 जुलाई, 2025 को गगनयात्री शुभांशु शुक्ला ने एक वीडियो लिंक के माध्यम से त्रिवेंद्रम और लखनऊ के स्कूली छात्रों के साथ बातचीत की, जहाँ उन्होंने अंतरिक्ष यात्री बनने और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर जीवन के बारे में कई सवालों के जवाब दिए।

Student event at Trivandrum

त्रिवेंद्रम में छात्र कार्यक्रम

Student event at Lucknow

लखनऊ में छात्र कार्यक्रम

इसके बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर दो गैर-अनुभवी (एआरआईएसएस) रेडियो सत्र आयोजित किए गए, जिनसे स्कूली छात्रों के साथ वास्तविक समय में बातचीत संभव हो पाई। पहला सत्र 4 जुलाई, 2025 को यूआरएससी, बेंगलूरु के छात्रों और इंजीनियरों के साथ आयोजित किया गया, जहाँ शुक्ला ने अंतरिक्ष में जीवन, आईएसएस पर दैनिक दिनचर्या और सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में वैज्ञानिक अनुसंधान के महत्व पर प्रश्नों के उत्तर दिए। 8 जुलाई, 2025 को आयोजित दूसरे सत्र में पूर्वोत्तर भारत के सात स्कूलों के छात्रों को एनईसैक, मेघालय के साथ एक समन्वित लिंक के माध्यम से जोड़ा गया, जिससे उन्हें कक्षा में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री से सीधे बात करने का दुर्लभ अवसर मिला।

HAM radio session - URSC

हैम रेडियो सत्र – यूआरएससी

HAM radio session - Shillong

हैम रेडियो सत्र – शिलांग

6 जुलाई, 2025 को शुक्ला ने अध्यक्ष, इसरो के साथ एक टेलीकॉन्फ्रेंस भी की, जिसमें उन्हें भारतीय वैज्ञानिक नीतभार की प्रगति से अवगत कराया और प्रारंभिक प्रेक्षण उनके साथ साझा किए। इस आदान-प्रदान ने जमीनी टीमों और अंतरिक्ष यात्री के बीच मज़बूत प्रचालन संबंध को और मज़बूत किया, जिससे मिशन के उद्देश्यों का वास्तविक समय में संरेखण सुनिश्चित हो पाया।

इन कार्यक्रमों से न केवल मिशन की दृश्यता बढ़ी, बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और इसके युवा आकांक्षाओं के बीच की खाई को पाटने में भी मदद मिली और पीढ़ियों के लिए स्थायी प्रेरणा उत्पन्न हुई।

अंतिम मिशन चरण की घटनाएँ

एक्स-04 चालक दल के लिए औपचारिक विदाई समारोह 13 जुलाई, 2025 को लगभग 19:25 बजे (भारतीय समयानुसार) आईएसएस पर आयोजित किया गया। अभियान 73 के चालक दल के सदस्यों और मिशन नियंत्रण टीमों ने सहयोगात्मक प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया और इस अवसर को अंतरराष्ट्रीय मैत्री के प्रतीकात्मक संकेतों के साथ चिह्नित किया, जिसमें स्मारक मिशन पैच और हार्मनी मॉड्यूल में अंतिम तस्वीरें शामिल थीं।

समारोह के बाद चालक दल ने हैच बंद करने और यान में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू की और स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने 14 जुलाई 2025 को 16:45 बजे (भारतीय समयानुसार) आईएसएस से अनडॉक होकर पृथ्वी की ओर अपनी वापसी यात्रा शुरू की। अनडॉकिंग की प्रक्रिया सामान्य प्रणाली प्रदर्शन के साथ की गई, जिसकी निगरानी नासा और एक्सिओम स्पेस के उड़ान नियंत्रकों ने कैलिफ़ोर्निया स्थित स्पेसएक्स के एमसीसी-एक्स के समन्वय में की।

लगभग 22 घंटे और 30 मिनट तक मुक्त उड़ान में पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए ड्रैगन का सफल जलावतरण 15 जुलाई, 2025 को लगभग 15:03 बजे (भारतीय समयानुसार) कैलिफ़ोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में हुआ। स्पेसएक्स के बचाव दल ने कैप्सूल को तुरंत बरामद कर शुक्ला को अच्छी स्थिति में बाहर निकाल लिया। मिशन सामान्य विकक्षायन संचालन और वाहन के प्रदर्शन के साथ संपन्न हुआ।

Dragon Capsule : 700 m before splashdown

ड्रैगन कैप्सूल: जलावतरण से 700 मीटर पहले

Student event at Lucknow

सफल मिशन के बाद ड्रैगन से बाहर आते गगनयात्री शुभांशु शुक्ला

उड़ान के बाद की स्थिति

गगनयात्री शुभांशु शुक्ला अब एक्सिओम स्पेस और इसरो के उड़ान सर्जनों की देखरेख में एक संरचित उड़ान-पश्चात चिकित्सा जाँच और वापसी संबंधी प्रोटोकॉल से गुजर रहे हैं। सात दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में हृदय संबंधी जाँच, मांसपेशी-कंकाल संबंधी परीक्षण और मनोवैज्ञानिक डीब्रीफिंग शामिल हैं, जिसका उद्देश्य भविष्य के मिशनों के लिए पूर्ण शारीरिक बचाव और डेटा संग्रह सुनिश्चित करना है।

ISRO Mission Operation team at Johnson Space Centre, Houston

जॉनसन स्पेस सेंटर, ह्यूस्टन में इसरो मिशन प्रचालन टीम

मिशन प्रचालन अनावरण

एक्सिओम-04 में भारत की भागीदारी के एक हिस्से के रूप में, अध्यक्ष, इसरो और सचिव, अंतरिक्ष विभाग, डॉ. वी. नारायणन के नेतृत्व में फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में एक समर्पित इसरो उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल और मिशन प्रचालन दल तैनात किया गया था। प्रतिनिधिमंडल ने प्रमोचन अभियानों में भाग लिया। शुरुआत में, बूस्टर चरण इंजन बे में ऑक्सीजन के रिसाव सहित तकनीकी समस्याओं के कारण प्रमोचन को कई बार पुनर्निर्धारित किया गया था। इसरो टीम के आग्रह पर ऑक्सीजन रिसाव की समस्या का पूरी तरह से समाधान कर सुरक्षित एवं सफल प्रमोचन हुआ। बाद में, प्रतिनिधिमंडल ने डॉकिंग अभियानों में शामिल होने के लिए ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर की तरफ प्रस्थान किया।

ISRO delegation with Secretary, Dept. of Space, Dr V. Narayanan at Johnson Space Centre, Houston

अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी. नारायणन के साथ इसरो प्रतिनिधिमंडल जॉनसन स्पेस सेंटर, ह्यूस्टन में

मिशन प्रचालन टीम ने ह्यूस्टन में ही प्रवास किया और मानव अंतरिक्ष उड़ान संचालन के प्रबंधन का अनमोल प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया। टीम ने नासा और एक्सिओम उड़ान नियंत्रकों के साथ मिलकर काम किया, जहाँ उन्होंने वास्तविक समय में निर्णय लेने, दूरमिति अनुवर्तन, चालक दल के समय-सीमा प्रबंधन के साथ-साथ अंतरिक्ष यात्री तथा वैज्ञानिक नीतभार, दोनों की स्वास्थ्य निगरानी में भाग लिया। इस अनुभव ने अंतरराष्ट्रीय चालक दल मिशन समन्वय, आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल और कक्षीय संचालन की जटिलताओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।

यह सहयोगात्मक मिशन भारत के अपने मानवयुक्त मिशन प्रचालन बुनियादी ढांचे के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में कार्य करेगा तथा गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष केंद्र जैसे भविष्य के स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमों के लिए तत्परता को बढ़ाएगा।