रिसैट-2 का वायुमंडलीय पुनः प्रवेश होम /रिसैट-2 का वायुमंडलीय पुनः प्रवेश
02 नवंबर, 2022
रिसैट-2 का प्रमोचन दिनांक 20 अप्रैल, 2009 को पी.एस.एल.वी.-सी.12 प्रमोचक रॉकेट द्वारा 400 कि.मी. की उपभू तुंगता तथा 550 कि.मी. की अपभू तुंगता के साथ 41.2 डिग्री की आनत उत्केंद्र कक्षा में हुआ। मात्र लगभग 300 कि.ग्रा. वजन के इस उपग्रह ने दिनांक 30 अक्तूबर, 2022 को 00:06 यू.टी.सी. को ±10 मिनटों की अनिश्चितता के साथ जकार्ता के समीप हिंद महासागर में पूर्वानुमानित संघट्ट बिंदु पर पृथ्वी के वायुमंडल में अब अनियंत्रित रूप से पुनः प्रवेश किया है।
रिसैट-2 उपग्रह के पास 4 वर्षों की प्रारंभिक रूप से डिजाइन किए गए जीवनकाल के लिए 30 कि.ग्रा. ईंधन था। कक्षा के उचित रख-रखाव से तथा इसरो में अंतरिक्ष यान प्रचालन टीम द्वारा मिशन की योजना, ईंधन के किफायती उपयोग से रिसैट-2 ने 13 वर्षों तक अत्यंत उपयोगी नीतभार आंकड़े प्रदान किए हैं। इसके अंतक्षेपण से विभिन्न अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए रिसैट-2 के रेडार नीतभार सेवाएं प्रदान की गईं। अपने पुनः प्रवेश के पश्चात, इस उपग्रह में कुछ भी ईंधन नहीं बचा, इसलिए यह अपेक्षा है कि ईंधन द्वारा संदूषण अथवा विस्फोट नहीं होगा। अध्ययनों से इस बात की पुष्टि हुई है कि वायु-उष्मा अपखंडन के कारण उत्पन्न टुकड़ों का पुनः प्रवेश तापन तक अवशेष नहीं रहा होगा, इसलिए पृथ्वी पर भी अपखंडों की टक्कर नहीं हुई होगी।
इस्ट्रैक/इसरो में सुरक्षा एवं संधारणीय अंतरिक्ष प्रचालन प्रबंधन हेतु भारतीय प्रणाली (आइ.एस.4ओ.एम.) पिछले एक महीने से पुनः प्रवेश का मानीटरन कर रहा है, जिसमें वी.एस.एस.सी. तथा इस्ट्रैक की टीमों द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित विश्लेषण साफ्टवेयर तथा एस.डी.एस.सी., श्रीहरिकोटा में बहु पिंड अनुवर्तन रेडार (एम.ओ.टी.आर.) का उपयोग करते हुए पिंड के अनुवर्तन के माध्यम से वी.एस.एस.सी. तथा इस्ट्रैक द्वारा किए गए विश्लेषण शामिल हैं। एम.ओ.टी.आर. ने रिसैट-2 का नियमित रूप से अनुवर्तन किया है तथा आगामी विश्लेषण तथा कक्षा के निर्धारण के लिए आंकड़ों का उपयोग किया गया। यू.एस.स्पेसकॉम से उपलब्ध कक्षीय आंकड़ों का नियमित रूप से उपयोग पुनः प्रवेश काल तथा संघट्ट का पूर्वानुमान लगाने के लिए किया गया। चित्र-1 में इसरो के आंतरिक पूर्वानुमानों को निम्न एवं उपरि परिबंधों के साथ दर्शाया गया है।
यह देखा जा सकता है कि पुनः प्रवेश की घटना के समीप पूर्वानुमान बेहतर से बेहतर होता गया है। चित्र-2 में दर्शाया गया अंतिम भू-अनुरेख स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि हिंद महासागर पर संघट्ट है।
रिसैट-2 यह इसरो की दक्ष एवं इष्टतम पद्धति से अंतरिक्ष यान कक्षीय प्रचालनों के निष्पादन करने की क्षमता का स्पष्ट उदाहरण है। जैसा कि रिसैट-2 ने 13.5 वर्षों के अंदर पुनः प्रवेश किया है। यह बाह्य अंतरिक्ष की दीर्घकालीन संधारणीयता की ओर इसरो की वचनबद्धता को दर्शाते हुए अंतरिक्ष मलबे के लिए सभी आवश्यक अंतरराष्ट्रीय न्यूनीकरण दिशा-निर्देशों का अनुपालन करता है।